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कर्म - महावृक्ष के सामान्य और विशेष फल ? ३७१
प्रश्न ४२. भगवन् ! मनुष्य बौना (ठिगना) किस पाप के फलस्वरूप होता है ? उत्तर ४२. गौतम ! जिस मनुष्य ने पूर्वजन्म में अपने शरीर का अभिमान किया हो, वह मनुष्य अगले जन्म में उस पाप के फलस्वरूप बौना होता है।
प्रश्न ४३ . भगवन् ! जीव को नासूर रोग किस पाप के फलस्वरूप होता है ? उत्तर ४३. गौतम ! जिसने पूर्वजन्म में कसाई का धंधा करके पापकर्म कमाये हैं, उसके फलस्वरूप उसे आगामी जन्म में नासूर रोग उत्पन्न होता है।
प्रश्न ४४. भगवन्! मनुष्य पंगु (लूला) किस पापकर्म के फलस्वरूप होता है ? उत्तर ४४. गौतम! जिसने पूर्वभव में अपने पैरों से अनेक प्राणी कुचलकर मारे हैं, वह उक्त पाप के कारण अगले जन्म में पंगु होता है।
प्रश्न ४५. भगवन् ! किसी मनुष्य के शरीर में बार-बार फोड़े-फुंसी आदि होते हैं, वे किस पापकर्म के उदय से होते हैं ?१
उत्तर ४५. गौतम! कच्चे फलों में जीव जन्तु (बिना देखे - भाले ही ) मसाले भर-भरकर भड़ीते किये हो, तथा उन्हें तल-भूंजकर हंस-हंसकर खाये हों, उस व्यक्ति के शरीर में बार-बार फोड़े-फुंसी होते रहते हैं।
प्रश्न ४६. भगवन् ! स्त्री-पुरुष ( पति-पत्नी) में परस्पर वैमनस्य एवं वैर-विरोध किस पाप के कारण होता है ?
उत्तर ४६. गौतम! जिसने पूर्वभव में पति-पत्नी का या स्त्री-पुरुष का पारस्परिक प्रेमभाव तुड़वाया हो, दोनों में झगड़ा तथा वैर-विरोध पैदा कराया हो, तो उस पाप के फलस्वरूप अगले जन्म में वैर-विरोध रहता है।
प्रश्न ४७. भगवन्! कई-कई मनुष्यों को किसी भी प्रकार से आजीविका आदि की प्राप्ति नहीं होती, कोई न कोई विघ्न आकर खड़ा हो जाता है, यह किस पापकर्म का फल है ?
उत्तर ४७. गौतम ! जिसने अन्य जीवों को प्राप्त होने वाली भोगोपभोग की सामग्री देने-दिलाने में रोड़े अटकाए हों, तथा किसी के रोजी, कारखाने या व्यापार आदि में भी बाधा खड़ी की हो, उस मनुष्य को उक्त पापकर्म के फलस्वरूप प्रत्येक वस्तु की प्राप्ति या कार्य में पद-पद पर विघ्न-बाधाएँ आ खड़ी होती हैं।
प्रश्न ४८. भगवन् ! मनुष्य मरकर नरक में तथा नारकीय दुःखों से पीड़ित स्थान में किन पापों के कारण पैदा होता है ?
१. (क) वही ( भाषान्तर)
(ख) वही (पद्यानुवाद)
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