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क्योंकि वही अधिक प्रचलित है । अब इस नाटकके टीकाकारोंम बात बातमें मतभेद है । जो लोग अंग्रेज़ी की रीतिपूर्वक शिक्षा पाते हैं उनके लिये ये टिप्पणियां बड़ी उपयोगी हैं । परन्तु जयन्तके पाठकों पर हम उन टिप्पणियोंका बोझ डालना नहीं चाहते । इतना सूचित कर देना आवश्यक समझते हैं कि टिप्पणियोंको पढ़कर हमारी जो सम्मति बनी है उसके अनुसार अनुवाद किया है । इसमें विशेष रूपसे सहायता स्वर्गवासी प्रो० आगरकर महाशय के " विकारविलासित " से मिली है जिसके लिये हम उनके प्रति सहृदय कृतज्ञता प्रकाश करते हैं ।
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፡ अनुवादक' |