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नव तत्व।
(१६)
प्रकृति वात पितादि की घातक होती है। तैसे ही आठों कर्म जिस जिस गुण के घातक हो वो १ प्रकृति बन्ध । जैसे वह मोदक पक्ष, मास, दो मास तक रह सकता है सो २ स्थिति बन्ध । जैसे वह मोदक कटुक तीक्ष्ण रस वाला होता है तैसे कर्म रस देते हैं सो ३ अनु भाग बन्ध । जैसे वह मोदक न्युनाधिक परिमाण वाला होता है तैसे कर्म पुद्गल के दल भी छोटे बड़े होते हैं सो ४ प्रदेश बन्ध । इस प्रकार बन्ध का ज्ञान होने पर जो यह बन्ध तोड़ेगा वह निराबाध परम सुख पावेगा।
॥इति बन्ध तत्व ॥
मोक्ष तत्त्व के लक्षण तथा भेद बन्ध तत्व का उलटा मोक्ष तत्व है अर्थात् सकल आत्मा के प्रदेश से सर्व कर्मों का छूटना, सर्व बन्धों से मुक्त होना, सकल कार्य की सिद्धि होना तथा मोक्ष गति को प्राप्त होना सो मोक्ष तत्व । ___ मोक्ष प्राप्ति के चार साधनः-१ ज्ञान २ दर्शन ३ चारित ४ तप ।
सिद्ध पन्द्रह तरह के होते हैं:-१ तीर्थ सिद्धा २ अतीर्थ सिद्धा ३ तीर्थकर सिद्धा ४ अतीर्थकर सिद्धा ५ स्वयं बोध सिद्धा ६ प्रत्येक बोध सिद्धा ७ बुद्ध बोहि
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