Book Title: Haribhadrasuri ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Anekantlatashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trsut
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________________ | शुभाकांक्षा | जैन शासन के सौर मण्डल में अनेकों उदीयमान प्रदीप्त सितारे अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रकाशित हो रहे है। परम पूज्य आचार्य हरिभद्रसूरिजी आठवीं सदी के प्रदीप्तिवान् सितारे हुए। जिन्होंने स्वरचित 1444 ग्रन्थों द्वारा जिन शासन को अमूल्य ज्ञान प्रभावना से अलंकृत किया। उस महान् साहित्य एवं साहित्यकार मनीषी के जीवन पर शोध, उसके कृतित्व का नवनीत, समाज के सामने प्रस्तुत करने का भागीरथ कार्य विदुषी लेखिका सा. अनेकान्तलता ने किया है जो वंदनीय एवं स्तुत्य है। हम सभी भीनमान श्री संघ के समस्त श्रावक गण मंगलकामना करते हैं कि पूज्य साध्वीश्री इसी तरह निरन्तर अपनी प्रज्ञा का विस्तार कर जिन शासन की शोभा एवं गरिमा में वृद्धि करें। इसी शुभ कामना के साथ..... श्री भीनमाल जैन संघ की तरफ से कौलचंदजी गांधी मेहता घेवरचन्द सेठ अनुमोदना एवं हार्दिक बधाई साध्वीश्री अनेकांतलताश्रीजी को पी.एच.डी. से सम्मानित किया गया। ऐसी खुश खबर से मन अत्यधिक प्रसन्न हुआ। देवी सरस्वती की साध्वीजी पर महती कृपा है। आपने ठाणा-गच्छ-शासन को उज्जवल किया है। आपका संयमी जीवन-जिन शासन की अनुपम सेवा में सदैव समर्पित हो - आप दीर्घायुमोक्षगामी बने ऐसी प्रभु महावीर से प्रार्थना करते है। आपकी पी.एच.डी. की पढाई हैदराबाद चातुर्मास के समय से ही चल रही थी थीसीज पूरी भी वहीं पर हुई। यह भी हमारे लिये गौरव की बात है। मेरे जीवन पर आप सब साध्वीजी का जो उपकार है वो में जीवन पर्यन्त न भूला पाऊंगा। साध्वीश्री अनेकान्तलताश्रीजी की जन्म भूमि भीनमाल है हम सब भीनमालवासी अपने आप को सौभाग्यशाली मानते है। अनन्त अनन्त नमन के साथ आपका श्रद्धानिष्ठ श्रावक गणपतराज भण्डारी सामाजिक कार्यकर्ता-हैदराबाद MITA 17