________________
२६] . गौतमचरित्र। समान महीचंद्र नामका राजा राज्य करता था । वह बहुत सुंदर था और अनेक राजा तथा जनसमुदाय उसकी सेवा करते थे ॥ ११ ॥ वह राजा अपने हृदयमें भगवान अरहंतदेवका स्मरण करता था। वह धनका भोक्ता, दाता, शुभ कार्योंका करनेवाला, नीतिवान् और अनेक गुणोंको धारण करनेवाला था तथा इसीलिये वह महाराज भरतके समान जान पड़ता था ॥ १२ ॥ वह राजा महीचंद्र दुष्ट पुरुषोंका निग्रह करनेवाला तथा सज्जन पुरुषोंका पालन करनेवाला था, राजविद्यामें निपुण था और चारों प्रकारकी सेनासे सुशोभित था ॥ १३ ॥ उस राजाके सुंदरी नामकी रानी थी जो कि बहुत ही गुणवती, रूपवती, सुंदरी, सौभाग्यवती, दान देनेवाली और पतिव्रता थी तथा और भी अनेक गुणोंसे मुशोभित थी ॥ १४ ॥ इसप्रकार वह राजा राज्य करता हुआ, अपनी रानीके साथ मुख सेवन करता हुआ और देव, गुरु आदि परमेष्ठियोंको नमस्कार आदि करता हुआ आनंदसे काल व्यतीत कर रहा था ॥ १५॥ संसेव्यो दिव्यमूर्तिकः ॥ ११ ॥ श्रीनिननामसचेता भोक्ता दाता शुभाकरः । सोऽभूद्भरततुल्यो हि सन्नयी सद्गुणाग्रणीः ॥ १२ ॥ चतुरंगबलोपेतो दुष्टनिग्रहकारकः । शिष्टप्रपालको योऽभूद्राजविद्यासुपंडितः ॥ १३ ॥ तस्याभूद्वल्लभा नाम्ना सुंदरी गुणसुंदरी । रूपसौभाग्यसदानपतिव्रताद्यलंकृता ॥ १४ ॥ इति राज्यं प्रकुर्वाणः कालं निनाय भूपतिः । भुंजन भोगान् तया साकं देवगुर्वादिसन्नतिः ॥१५॥ अथांगभूषणो नाम्ना समागत्य मुनीश्वरः । आम्रतले शिला