Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 197
________________ १८८] गौतमचरित्र । कृष्ण लेश्या है । छठी पृथ्वीके ऊपरी भागके नारकी जीवोंके मध्यम कृष्णलेश्या है, उसी छठी पृथ्वीके नीचेके भागमें परम कृष्णलेश्या है और सातवीं पृथ्वीके नारकियोंके उत्कृष्ट कृष्णलेश्या है ॥ २०१-२०२॥ इन नारकियोंकी आयु इसप्रकार है-पहले नरकमें एक सागरकी, दूसरमें तीन सागरकी, तीसरेमें सात सागरकी, चौथेमें दश सागरकी, पांचवेंम सत्रह सागरकी, छठेमें बाईस सागरकी और सातवें नरकमें तेतीस सागरकी उत्कृष्ट आयु है । २०३ ।। पहले नरकमें जघन्य आयु दश हजार वर्षकी है, दूसरेमें एक सागर, तीसरेमें तीन सागर, चौथेमें सात सागर, पांचवेमें दश सागर, छठेमें सत्रह सागर, और सातवेंमें बाईस सागरकी जघन्य आयु है ॥ २०४॥ नारकियोंके शरीरकी ऊँचाई सातवें नरकमें पांचसौ धनुष है तथा ऊपरके नरकोंमें अनुक्रमसे नारकियोंके शरीरकी ऊँचाई आधी आधी होती गई है ॥२०५ ॥ पहले नरकमें रहनेवाले नारकियोंका अवधिज्ञान एक योजन तक रहता है फिर प्रत्येक नरकमें आधा आधा उत्कृष्टोपरिपंचम्यामधस्ताकृष्णलेश्यका ॥२०१॥ षष्ठयां च मध्यमा चोर्टमधः परमकृष्णिका । सप्तम्यां कथितोत्कृष्टा कृष्णलेश्या यथाक्रमम् ॥२०२॥ ज्ञेया परा स्थितिस्तेषामेकत्रिसप्त वे दश । सप्तदश द्विविंशस्तु त्रयस्त्रिंशत्पयोधयः॥२०३॥ प्रथमायां सहस्राणि दशापरास्थितिमता। प्रथमादिषु योत्कृष्टा द्वितीयादिषु सापरा ॥२०४॥ धनुः पंचशतोत्सेधाः सप्तमी भुवि नारकाः । तत ऊोऽर्द्धके तुगैरर्धा अद्धो भवंति वै ॥२०५॥ प्रथमायां च सत्वानामवधिरेकयोजनम् । क्रोशाई

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