________________
१७६]
गौतमचरित्र। ये पांच तीर्थंकर कुमार अवस्थामें ही दीक्षित हुए थे अर्थात् ये बालब्रह्मचारी थे तथा बाकीके तीर्थंकर राज्य करके दीक्षित हुए थे ॥ १३५ ॥ श्रीषभदेव, वासुपूज्य और नेमिनाथ ये तीन तीर्थकर पद्मासनसे मोक्ष गये हैं और बाकीके इकईस तीर्थकर खड्गासनसे मोक्ष गये हैं ॥ १३६ ॥ श्री वृषभदेव चौदह दिनतक योग निरोधकर मोक्ष पधारे थे, श्रीवर्द्धमान दो दिनतक योग निरोधकर मोक्ष पधारे थे और बाकीके बाईस तीर्थकर एक एक महीने तक योग निरोधकर (ध्यानरूप तपश्चरण करके) मोक्ष पधारे थे ॥१३७॥ श्रीषभदेव, कैलास पर्वतसे मोक्ष पधारे थे, श्रीवासुपूज्य चंपापुरसे मोक्ष पधारे थे, श्री नेमिनाथ गिरनार पर्वतसे मोक्ष पधारे थे, श्री वर्द्धमानस्वामी पावापुरसे मोक्ष पधारे थे और बाकीके वीस तीर्थंकर भव्यजीवोंको धर्मोपदेश देकर मनोहर सम्मेदशिखरसे मोक्ष पधारे थे ॥ १३८-१३९ ॥ श्रीनाभिराज, जितामित्र, जितारि, संवरराय, मेघप्रभ, धरणस्वामी, च कुंडपुः । जन्मपुर्यः इमा ज्ञेयाः भो श्रेणिक ! त्वयाक्रमात् ॥१३४॥ मल्लीशपार्श्वनेमीशसन्मतिवासुपूज्यकाः । कुमारा दीक्षिता ऐते परे भूत्वा क्षितीश्वराः ॥१३५॥ पत्यकासनतो मुक्तिवृषभवासुपूज्ययोः । नेमेस्तथैकविंशानां कायोत्सर्गेजिनैर्मता ॥ १३६ ॥ वृषश्चतुर्दशाहानि वीरो दिनद्वयं तथा । शेषं मासं तपोध्यानं कृत्वा मुक्तिं गता द्रुतम् ॥१३७॥ कैलाशे वृषभस्वामी चंपायां वासुपूज्यकः । ऊर्जयंतगिरौ नेमिः पावायां वर्द्धमानकः ॥ १३८ ॥ सम्मेदशिखरे कांते विंशतिस्तीर्थकारकाः । मुक्तिपदसमापन्नाः भव्यजीवप्रबोधकाः ॥ १३९ ॥