Book Title: Gautam Charitra
Author(s): Dharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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१७.]
गौतमचरित्र। हजार सातसौ पचास वर्ष बीत जानेपर श्रीपार्श्वनाथ हुए थे इनके बाद ढाईसौ वर्ष बीत जानेपर श्रीवर्द्धमानस्वामी हुए थे ।। १२१-१२३ ॥ श्रीषभदेवके शरीरकी उंचाई पांचसौ धनुष थी, श्रीअजितनाथकी चारसौ पचास धनुष, श्रीशंभवनाथकी चारसौ धनुष, श्रीअभिनंदननाथकी तीनसौ पचास धनुष, श्रीसुमतिनाथकी तीनसौ धनुष, श्रीपद्मप्रभकी दोसौपचास धनुष, श्रीसुपार्श्वनाथकी दोसौ धनुष, श्रीचंद्रप्रभकी एकसौ पचास धनुष, श्रीपुष्पदंतकी सौ धनुष, श्रीशीतलनाथकी नव्वे धनुष, श्रीश्रेयांसनाथकी अस्सी धनुष, श्रीवासुपूज्यकी सत्तरि धनुष, श्रीविमलनाथकी साठ धनुष, श्रीअनंतनाथकी पचास धनुष, श्रीधर्मनाथकी पैंतालीस धनुष, श्रीशांतिनाथकी चालीस धनुष, श्री कुंथुनाथकी पेंतीस धनुष, श्रीअरनाथकी तीस धनुष, श्रीमल्लिनाथकी पच्चीस धनुष, श्रीमुनिसुव्रतनाथकी वीस धनुष श्रीनमिनाथकी पंद्रह धनुष, श्रीनेमिनाथकी दश धनुष, श्रीपार्श्वनाथकी नौ हाथ
और श्रीवर्धमानके शरीरकी उंचाई सात हाथ थी॥१२४-१२७॥ इन चौवीस तीर्थंकरोंमें से चन्द्रप्रभ और पुष्पदंत श्वेत वर्णके क्रमान्मता ॥१२३॥ मानं वृषभदेहस्य धनुः पंचशतानि वै । कथित साईचत्वारि चत्वारि च यथाक्रमम् ॥१२४॥ साढत्रीणि तथा त्रीणि साई द्वे च तथा द्विकः । साईमेकं क्रमाञ्चकं नवतिकं त्वशीतिकम् ॥१२५॥ सप्ततिः षष्ठिः पंचाशत्पंचचत्वारिंशत्क्रमात् । चत्वारिंशत्तथा पंचत्रिंशत्रिंशत्क्रमेण च ॥ १२६ ॥ सपंचविंशतिर्विशः पंचदश दश क्रमात् । नवहस्तं बुधैः सप्त निनदेहप्रमं मतम् ॥१२॥

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