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पांचवां अधिकार ।
[ १७३. नौ करोड़ सागर बीतने पर श्री शीतलनाथ उत्पन्न हुए थे ।। ११८ ॥ इनके मोक्ष जाने के बाद सौ सागर छ्यासठ लाख छव्वीस हजार वर्ष कम एक करोड़ सागर वीत जानेपर श्रीश्रेयांसनाथ हुए थे ।। ११९ ॥ श्री श्रेयांसनाथके बाद चौअन सागर वीत जाने पर श्रीवासुपूज्य हुए थे, इनके बाद तीस सागर बीत जानेपर विमलनाथ हुए थे । इनके बाद नौ सागर वीत जानेपर श्री अनन्तनाथ हुए थे । इनके मोक्ष जानेके बाद चार सागर । वीत जानेपर श्रीधर्मनाथ हुए थे || १२० || इनके बाद पौन पल्य कम तीन सागर बीत जानेपर श्रीशांतिनाथ हुए थे । इनके बाद आधा पल्य बीत जानेपर श्रीकुंथुनाथ हुए थे, इनके बाद एकहजार करोड़ वर्ष कम चौथाई पल्य वीत जानेपर श्रीअरनाथ हुए थे । इनके बाद एकहजार करोड़ वर्ष वीत जानेपर श्रीमल्लिनाथ हुए । इनके बाद चौअन लाख वर्ष बीत जानेपर श्रीमुनिसुव्रत हुए । इनके बाद छह लाख वर्ष बीत जानेपर श्रीनमिनाथ हुए थे, इनके बाद पांच लाख वर्ष बीत जानेपर श्रीनेमिनाथ हुए थे । इनके बाद व्यासी ॥ ११८ ॥ शतोने चैक कोट्यश्च षट्षष्टिलक्षवत्सरैः । षडूविंशतिसहस्रोने श्रेयोनाथोऽभवत्ततः ॥ ११९ ॥ चतुःपंचाशद्वाध च वासुपू ज्यजिनोऽभवत् । त्रिंशत्सु विमलोऽनंतो नव धर्मश्वतुर्षु च ॥ १२० ॥ त्रयः शांतिस्त्रिपादोनाः पल्यस्य कुंथुरर्द्धके । एक कोटी सहस्राद्वैहनेऽर पाद पल्यगे ॥ १२१ ॥ एककोटीसहस्रा मल्लीशो मुनिसुव्रतः । चतुः पंचाशल्लक्षाब्दे षट् नमिः पंच नेमिकः ॥ १२२ ॥ त्र्यशीतिषु सहस्रेषु साईसप्तशतेषु च । श्रीपार्श्वो द्विशते सार्द्ध बीरोत्पत्तिः