________________
तोसरा अधिकार।
[६१ धारण करली ॥६६॥ वे श्रेष्ठ महीचंद्र मुनिराज इंद्रियोंका निग्रह कर महा तपश्चरण करने लगे, समस्त परीषहोंको जीतने लगे और उन्होंने मूलगुण, उत्तरगुण सब धारण कर लिये ॥ ६७॥
हे राजा श्रेणिक ! गौतमस्वामी कहां उत्पन्न हुए, किस प्रकार उन्होंने लब्धि प्राप्त की, किस प्रकार वे गणधर हुए
और किस प्रकार उन्होंने मोक्षफल पाया यह सब तू अब सुन ॥ ६८ ॥ इसी जंबूद्वीपमें मनुष्योंसे भरा हुआ प्रसिद्ध भरतक्षेत्र है। उसमें धर्मात्मा लोगोंसे सुशोभित एक मगध नामका देश है ॥६९॥ इसी मगध देशमें एक ब्राह्मण नामका नगर है जोकि वेदध्वनिले सदा भरपूर रहता है और उसमें बड़े बड़े विद्वान ब्राह्मण निवास करते हैं ॥७०॥ उस नगरमें बहुतसा धन था, बाजारोंकी पंक्तियां बहुत अच्छी थीं, चैस चैयालयोंसे सुशोभित था और सब प्रकारके पदार्थोसे भरा हुआ था ॥ ७१ ॥ कूआ, वावड़ी, तलाव आदि सब तरहके जलाशय थे, अनेक प्रकारके वृक्ष थे, उसमें सब प्रकारके धान्य स कृतेंद्रियनिग्रहः । परीषहजयः श्रेष्ठो मूलोत्तरगुणान्वितः ॥६॥ अथ शृणु महाराज ! तेषामुत्पत्तिकारणम् । पुनमुक्तिफलाकीर्णा लब्धि गणधरादिकाम् ॥६८॥ जंबूद्वीपे जनाकीणे शस्ये च भारताभिधे । मगधो विश्रुतो देशो धर्मिष्ठजनराजितः ॥६९॥ ब्राह्मणं नगरं तत्र सवेदं भाति संततम् । भूरिविद्याप्रयुक्तानां ब्राह्मणानां निवासकम् ॥७०॥ प्रभूतवसुसंपूर्ण हदृश्रेणिविराजितम् । चैत्यमंदिरसंकीर्ण समस्तवस्तुसंभृतम् ॥७१॥ वापीतडागकूपाढ्यं भूरिपादपसंयुतम् ।