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गौतमचरित्र 1
और उनके उत्तर में महाराज सिद्धार्थ अनुक्रमसे उनके फल कहने लगे || १५ || वे कहने लगे कि हाथी के देखने से होनहार पुत्र तीनों लोकोंका स्वामी होगा, बैलके देखने से धर्मका प्रचार करनेवाला होगा, सिंहके देखनेसे सिंहके समान पराक्रमी होगा ॥ १६ ॥ लक्ष्मीके देखनेसे देवोंके द्वारा मेरुपर्वत पर उसका अभिषेक होगा, मालाओंके देखने से वह असंत यशस्वी होगा, चंद्रमा के देखनेसे मोहनीय कर्मका नाश करनेवाला होगा, सूर्यके देखनेसे भव्यजीवोंको धर्मोपदेश देनेवाला होगा || १७|| दो मछलियों के देखनेसे अत्यंत सुखी होगा, दोनों कलशोंके देखनेसे शरीर के सब लक्षणोंसे सुशोभित होगा, सरोवरके देखनेसे लोगों की तृष्णाको दूर करनेवाला होगा, समुद्रके देखने से केवलज्ञानी होगा, सिंहासन देखनेसे मोक्षपद प्राप्त करनेवाला होगा, देवोंका विमान देखनेसे वह स्वर्गसे आकर अवतार लेगा, नागभवन देखने से वह अनेक तीर्थोंका करनेवाला होगा, रत्नराशि देखने से वह उत्तम गुणोंको धारण करनेवाला क्रमादुवाच सन्मतिः ॥ १५ ॥ त्रिभुवनपतिः पुत्रो दृष्टेभेन भविष्यति । वृषेण वृषकर्ता वै सिंहेन सिंहविक्रमः ॥ १६ ॥ लक्ष्म्या मेरौ सुरैः स्नातः सुदामभ्यां यशोधरः । चंद्रेण मोहसंभेदी सूर्येण भव्यबोधकः ॥ १७ ॥ मत्स्ययुग्मेन सत्सौख्यं घटद्वयेन चाप्स्यति । लक्षणांग सरो लोकाज्जनतृष्णां हनिष्यति ॥ १८॥ वार्द्धिनेष्यति त्रोधं हि विष्टरेण परं पदम् | देवधाम्ना सुरागारादवतरिष्यति ध्रुवम् ॥१९॥ फणींद्रमंदिरेणैव भूरितीर्थं करिष्यति । सुगुणान् रत्नपुंजेन कर्मक्षयं च