Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 1. बहिरङ्ग परिचय : रचना-शैली 21 जीहकतेहिं रसेहिं पेम्म णाभिणिवेसते / दारुणं कक्कसं रसं जीहाए अहियासए / / सुहफासेहि कतेहिं पेम्म णाभिणिवेसए / दारुणं कक्कसं फासं काएणं अहियासए / यद्यपि आप्त-पुरुष की वाणी में विधि-निषेध के प्रयोजन का निरूपण आवश्यक नहीं होता, उसका क्षेत्र तर्कवाद है, किन्तु प्रस्तुत आगम में निषेध के कारणों को बहुत सूक्ष्म दृष्टि से समझाया गया है ( देखिए अध्ययन 5,6 और 10) / ___ थोड़े में इसकी शैली न तो गद्य-पद्यात्मक रचना-काल जैसी प्राचीन, संक्षिप्त और रूपक-मय है और न पूर्ण आधुनिक ही। मध्य-कालीन आगमों की रचना-शैली से कुछ भिन्न होते हुए भी अधिकांश में अभिन्न है /