Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 184 दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन आचार चार प्रकार का है (1) नाम-आचार-जिसका नाम 'आचार' हो। (2) स्थापना-आचार-जिस सचेतन या अचेतन वस्तु में 'आचार' का आरोप किया गया हो। (3) द्रव्य-आचार—यह छः प्रकार का है। (4) भावाचार-दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप और वीर्य के भेद से पाँच प्रकार .. का होता है। द्रव्य-आचार के छह प्रकार : (1) नामन : झुकने की दृष्टि से—तिनिश आचारवान् होता है। एरण्ड अनाचारवान् होता है, वह झुकता नहीं टूट जाता है। (2) धावन : धोने को दृष्टि से-हल्दिया रंग का कपड़ा आचारवान् होता है। धोने से उसका रंग उतर जाता है। कृमिराग से रंगा हुआ कपड़ा अनाचारवान् होता है। धोने से उसका रंग नहीं उतरता। (3) वासन : वासन की दृष्टि से—इंट, खपरैल आदि आचारवान होते हैं उन्हें पाटल आदि फूलों से वासित किया जा सकता है। वज्र अनाचारवान होता है, उसे सुवासित नहीं किया जा सकता। १-हारिभद्रीय टीका, पत्र 101 : आचारस्य तु चतुष्को निक्षेपः, स चायम्-नामाचारःस्थापनाचारो द्रव्याचारो भावाचारश्च / २-वही, पत्र 101: द्रव्याचारमाह-नामनधावनवासनशिक्षापनसुकरणाविरोधीनि द्रव्याणि यानि लोके तानि द्रव्याचारं विजानीहि / ३-(क) वही, पत्र 101: वासनं प्रति कवेलुकाद्याचारवत् सुखेन पाटलाकुसुमादिमिर्वास्यमानत्वात्, वैडूर्याद्यनाचारवत् अशक्यत्वात् / (ख) जिनदास चूर्णि, पृ०६४ : आयारमंतीओ कवेल्लुगाओ इट्ठगाओ वा, अणायारमन्तं वइरं, तं न सकए वासेडं।