Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 208 दशवकालिक : एक.समीक्षात्मक अध्ययन - फलमन्यु और बीजमन्यु का भी उल्लेख मिलता है।' मन्यु खाद्य द्रव्य भी रहा है क्षौर सुश्रुत के अनुसार इसका उपयोग अनेक प्रकार के रोगों के प्रतिकार के लिए किया जाता था। पूर्व देशवासी ओदन को 'पुद्गल', लाट देश और महाराष्ट्र वाले 'कूर', द्रविड लोग 'चोर' और आन्ध्र देशवासी 'कनायु' कहते थे / कोंकण देश वालों को पेया प्रिय थी और उत्तरापथ वालों को सत्त् / / - उस समय जो फल, शाक, खाद्य, पुष्प आदि व्यवहृत होते थे, उनकी तालिकाएँ नीचे दी जाती हैं : (1) फलों के निम्न नाम मिलते हैं : 1. इक्षु (37) / 2. अनमिष (5 / 1173) अननास / अनिमिष का अर्थ अननास किया गया है। किन्तु इसका अर्थ मत्स्याक्षुक (पत्त र या मछछी) किया जा सकता है / इसे अग्नि-दीपक, तिक्त, प्लीहा, अर्श नाशक, कफ और वात को नष्ट करने वाला कहा गया है।" 3. अस्थिक ( 5 / 1173 ) अगस्तिया, हथिया, हदगा। इसके फूल और फली भी होती है। इसकी फली का शाक भी होता है।६।। 4. तिंदुय (5 / 173) तेन्दु-यह भारत, लंका तथा पूर्वी बंगाल के जंगलों में पाया जाने वाला एक मझोले आकार का वृक्ष है। इसकी लकड़ी को आबनूस कहते है। 5. बिल्व (5 / 1173) / 6. कोल (5 / 2 / 21) बेर। १-यशवकालिक, 5 / 2 / 24 / २-सुश्रुत, सूत्रस्थान, अध्ययन 46 / 426-28 / ३-जिनदास चर्णि, पृ०२३६ : पुव्वदेसयाणं पुगलि ओदणो भण्णइ, लाडमरहट्ठाणां कूरो, द्रविडाणां चोरो, अन्ध्राणां कनायुं / ४-जिनदास च र्णि, पृ० 319 / ५-अष्टांगहृदय, सूत्रूस्थान, 6 / 100 : पत्तूरः दीपन स्तिक्तः प्लीहाकिफवातजित् / / ६-शालिग्राम निघण्टु भूषण, पृ० 523 /