Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 220 दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन जाता होगा, जसे—राजगृह सठी तथा एक श्रावस्ती श्रेष्ठी। निग्रोध जातक (445) में राजगृह सेट्ठी तथा एक अन्य साधारण सेट्ठी में स्पष्ट अन्तर किया गया है। जनपद: सारा देश अनेक भागों में विभक्त था। ग्राम, नगर आदि की विशेष रचनाएं और परम्पराएं होती थीं। इस सूत्र में तीन शब्द आए हैं-ग्राम, नगर और कर्बट (कव्वड)। - 1. ग्राम-जिसके चारों ओर कांटों की बाड़ हो अथवा मिट्टी का परकोट हो / जहाँ केवल कर्मकर लोग रहते हों। 2. नगर-जो राजधानी हो और जिसमें कर न लगता हो / ' 3. कर्बट-इसके अनेक अर्थ हैं- (1) कुनगर जहाँ क्रय-विक्रय न होता हो / 2 .. --(2) बहुत छोटा सन्निवेश 3 . .. . .... (3) वह नगर जहाँ बाजार हो। .. . (4) जिले का प्रमुख नगर / चूर्णियों में कर्बट का मूल अर्थ माया, कूटसाक्षी आदि अप्रामाणिक या अनैतिक व्यवसाय का आरम्भ किया है।" शस्त्र: . शस्त्र अनेक प्रकार के होते थे-(१) एक धार वाले–परशु आदि / (2) दो धार वाले–शलाका, बाण आदि / (3) तीन धार वाले-तलवार आदि। (4) चार धार वाले–चतुष्कर्ण आदि / (5) पाँच धार वाले–अजानुफल आदि / १-(क) हारिभद्रीय टीका, पत्र 147 : नास्मिन् करो विद्यत इति नकरम् / . (ख) लोकप्रकाश, सर्ग 31, श्लोक 9 : नगरं राजधानी स्यात् / २-जिनदास चूर्णि, पृ०.३६० / ३-हारिभद्रीय टीका पत्र 275 / 4-A Sanskrit English Dictionary, Page 259. By Sir Monier Williams. ५-जिनदास चूर्णि, पृ० 360 / ६-वही, पृ० 224 : ...... सासिज्जई जेण तं सत्यं, किंचि एगधारं दुधारं तिधार घउधारं पंचधारं :.:."तत्य एगधारं परसु, दुधारं कणयो, तिधारं असि, चउधारं तिपडतो कणीयो, पंचधारं अजाणुफलं।