Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 5. व्याख्या-ग्रन्थों के सन्दर्भ में : एकार्थक 166 आयरयतित्ति वा तं तं भावं गच्छइत्ति वा आयरइत्ति वा एगट्ठा / ' धीरत्ति वा सूरेत्ति वा एगट्ठा / 2 . नाणंति वा उवयोगेति वा एगट्ठा / कसायओत्ति वा भावोत्ति वा परियाओत्ति वा एगट्ठा / / ऊसढंति वा उच्चंति वा एगट्ठा / भद्दगंति वा कल्लाणंति वा सोभणंति वा एगट्टा / / पियत्तित्ति वा आपियइत्ति वा एगट्ठा / " तवस्सीत्ति वा साहुत्ति वा एगट्ठा / अणंति वा रिणंति वा एगट्ठा / अभिलसंति वा पत्थयंति वा कामयंति वा अभिप्पायंति वा एगट्ठा / 10 विच्छिन्नंति वा अणंतंति वा विउलंति वा एगट्ठा / 11 बीयंति वा पइट्टाणंति वा मूलंति वा एगट्ठा।१२ समुस्सयोत्ति वा रासित्ति वा एगट्ठा / 3 वुत्तंति वा भणितंति वा धारयति वा संजमंति वा निमित्तंति वा एगद्वा / 14 वणियंति वा देसियंति वा एगट्ठा / 15 वज्जति वेरंति वा परंति वा एगट्ठा / 16 पाणा णि वा भूयाणि वा एगट्ठा / 17 मग्गणंति वा पिथकरणंति वा विवेयणंति वा विजओत्ति वा एगट्ठा / 18 सिणाणंति वा हाणंति वा एगट्ठा / '' छड्डिउत्ति वा जढोति वा एगट्ठा / 20 १-जिनदास चूर्णि, पृ० 94 / ३-वही, पृ०११६ / ३-वही, , 120 / ४-वही, ,, 121 / ५--वही, ,, 199 / ६-वही, , 201 / ७-वही, ,, 202 / ८-वही, ,, 203 / -वही, ,, 204 / १०-वही, ,, 215 / ११-वही, पृ०२१५ / १२-दही, ,, 219 / १३-वही, ,, 219 / १४-वही, ,, 221 / १५-वही, , 222 / १६-वही, ,, 225 / १७-वही, , 228 / १८-वही, ,, 229 / १६-वही, ,, 231 / २०-वही, , 231 /