Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ १-चर्या और विहार मुनि आतापना ले-परिश्रमी बने,सुकुमारता को छोड़े-कष्ट-सहिष्ण बने। वहस्नान न करे।' गन्ध न सूधे / गन्ध-द्रव्य का विलेपन न करे / 2 माला न पहने / ' पंखा न झले। गृहस्थ के पात्र में भोजन न करे। राज-पिण्ड न ले।५ दानशाला से न ले।६ अंग-मर्दन न करे। दाँत न पखारे। दतौन न करे। शरीर का प्रमार्जन न करे। दर्पण आदि में शरीर न देखे।१० शतरंज न खेले / जूआ न खेले।" छत्र धारण न करे / 12 जूते न पहने / 3 उबटन न करे / 14 रूप-बल, कान्ति बढ़ाने के लिए धूम्रपान न करे, वमन न करे, वस्तिकर्म न करे / विरेचन न ले।१५ आँखों में अंजन न आंजे / 16 तैल-मर्दन न करे / 17 शरीर को अलंकृत न करे। 18 ... १,२,३,४-दशवकालिक, 32, 6 / 60-63 / ५,६,७,८,९,१०-वही, 3 / 3 / ११,१२,१३-वही, 3 / 4 / १४.-वही, 3 / 5 / १५,१६,१७,१८-वही, 3 / 9 /