Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ . 5. व्याख्या-ग्रन्थों के सन्दर्भ में : निक्षेप-पद्धति 175 ___ इनके संकलन में तत्कालीन राज्य-व्यवस्था, सभ्यता और विभिन्न आचारों पर प्रकाश पड़ता है। जैसे(१) गम्य-धर्म-विवाह सम्बन्धी आचार / दक्षिणापथ में मामे की लड़की के साथ विवाह किया जा सकता था, उत्तरापथ में नहीं। (2) पशु-धर्म-पशु का आचार / माता, भगिनी आदि भी उनके लिए गम्य होती थीं। (3) देश-धर्म-देश का आचार / दक्षिणापथ की वेष-भूषा भिन्न है और उत्तरापथ की भिन्न। (4) राज्य-धर्म-राज्य का आचार, लाट देश में कर भिन्न होता है और उत्तरापथ में भिन्न। (5) पुर-धर्म एवं ग्राम-धर्म-नगर एवं गाँव का आचार। गाँव में अकेली स्त्री भी इधर-उधर आ-जा सकती थी किन्तु नगर में अकेली स्त्री न आ-जा सकती थी, दूसरी स्त्री के साथ ही जाती थी। (6) गण-धर्म-मल्ल आदि गणतंत्र राज्यों की व्यवस्था। एक स्थान में सामूहिक रूप से पान करना उनका आचार था। (7) गोष्ठी-धर्म-समवयस्क व्यक्तियों का आचार / वे उत्सव आदि में सम्मिलित ... होकर रुचिकर भोजन आदि बनाते और सहभोजन करते। (8) राज-धर्म-राजा का आचार / दुष्ट का निग्रह और सज्जन का परिपालन ... यह राज-धर्म है। 2. अर्थ ( अर्थशास्त्र ): संक्षेप में अर्थ ( सम्पत्ति ) छह प्रकार का होता है : (1) धान्य (4) द्विपद .. (2) रत्न (5) चतुष्पद (3) स्थावर (6) कुप्य इनमें स्थावर अचल-सम्पति है और शेष सब चल-सम्पत्ति के प्रकार हैं। विस्तार __ में अर्थ (सम्पत्ति) 64 प्रकार का है : (1) धान्य- 24 प्रकार (2) रत्न 24 प्रकार (3) स्थावर 3 प्रकार १-हारिभद्रीय टीका, पत्र 22 /