Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
View full book text
________________ 5. व्याख्या-ग्रन्थों के सन्दर्भ में : निक्षेप-पद्धति 177 रत्ल के 24 प्रकार : (1) स्वर्ण (6) वज्र (17) वस्त्र / (2) त्रपु-कलई (10) मणि (18) अमिला-ऊनी वस्त्र (3) ताम्र (11) मुक्ता (16) काष्ठ. .. . (4) रजत–चाँदी (12) प्रवाल (20) चर्म-महिष, सिंह आदि का (5) लोह (13) शंख (21) दन्त-हाथी दाँत आदि (6) सीसा, रांगा (14) तिनिश' (22) बाल-चमरी गाय आदि के (7) हिरण्य-रुपया (15) अगरु (23) गन्ध–सौगन्धिक द्रव्य (8) पाषाण-विजातीयरत्न (16) चन्दन (24) द्रव्य-औषधि-पीपर आदि स्थावर के तीन प्रकार : स्थावर-अचल सम्पत्ति तीन प्रकार की होती है : (1) भूमि, (2) गृह और (3) वृक्ष-समूह। भूमि का अर्थ है-क्षेत्र। वे तीन प्रकार के होते हैं : (1) सेतु, (2) केतु और (3) सेतु-केतु / गृह तीन प्रकार के होते हैं : :: (1) खात-भूमिगृह, (2) उच्छ्रित–प्रासाद और (3) खात-उच्छ्रित-भूमिगृह के ऊपर प्रासाद। तरुगण' : नारियल, कदली आदि के आराम / १-हारिभद्रीय टीका, पत्र 193 / २-देखो, देशीनाममाला, 5 // 11: . . इसके दो अर्थ हैं—तिनिश वृक्ष (गुजराती में तणछ) और मधु-पटल-मधुमक्खी का छत्ता। ३-दशवकालिक नियुक्ति, गाथा 256 : - भूमी घरा य तरुगण तिविहं पुण थावरं मुणेअव्वं / ४-जिनदास चूर्णि, पृ. 212: घरं तिविहं-खातं उस्सितं खाओसितं, तत्थ खायं जहा भूमिघरं, उस्सितं जहा पासाओ, खातउस्सितं जहा भूमिघरस्स उवरि पासादो। ५-वही, पृ० 212 तरुगणा जहा नालिकेरिकदलीमादी।. . .