Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 178 दशवैकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन द्विपद के दो प्रकार : (1) चक्रारबद्ध-दो पहियों से चलने वाले गाड़ी, रथ आदि / (2) मनुष्य-दास, भृतक आदि / चतुष्पद के दस प्रकार : (1) गो-जाति (6) अश्व-जाति (2) महिष-जाति (7) अश्वतर-जाति (3) उष्ट्र-जाति (5) घोटक-जाति (4) अज-जाति (9) गर्दभ-जाति (5) भेड़-जाति (10) हस्ति-जाति पक्खली या वाल्हीक आदि देशों में उत्पन्न जात्य हयों को 'अश्व' और अजात्य ( सामान्य जातीय ) हयों को 'घोटक' कहा जाता है।४ कुप्य: प्रतिदिन घर के काम में आने वाली उपकरण-सामग्नी-शयन, आसन, ताम्रकलश, घट आदि को 'कुप्य' कहा जाता है।" १-दशवकालिक नियुक्ति, गाथा 256 : चक्कारबद्धमाणुस दुविहं पुण होइ दुपयं तु॥ २-वही, गाथा 257 : गावी महिसी उट्ठा अयएलगआसआसतरगा अ। घोडग गद्दह हत्थी चउप्पयं होइ दसहा उ॥ ३-जिनदास चूर्णि, पृ० 213 : अस्सतरा नाम जे विजातिजाया जहा महामद्दएण दीलवालियाए। ४-(क) जिनदास चूर्णि, पृ० 212-13 : आसो नाम जच्चस्सा जे पक्ख लिविसयादिसु भवंति. जे पुण अजवजाति जाता ते घोडगा भवंति / (ख) हारिभद्रीय टीका, पत्र 194 : अश्वा-वाल्हीकादिदेशोत्पन्ना जात्याः' 'अजात्या घोटकाः / ५-(क) जिनदास चूर्णि, पृ० 213 : कुवियं नाम घडघडिउदुंचणियं सयणासणभायणादि गिहवित्थारो कुवियं भण्णइ। (ख) हारिभद्रीय टीका, पत्र 194 /