Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 5. व्याख्या-ग्रन्थों के सन्दर्भ में : निक्षेप-पद्धति 176 3. अपाय : अपाय का अर्थ है—परित्याग। वह चार प्रकार का है' : (1) द्रव्य अपाय, (2) क्षेत्र अपाय, (3) काल अपाय और (4) भाव अपाय / इनको समझाते हुए नियुक्तिकार ने अनेक दृष्टान्तों और ऐतिहासिक तथ्यों को प्रस्तुत किया है / जैसे (1) द्रव्य अपाय : . इसे 'दो भाई और नौली'---के दृष्टान्त से स्पष्ट किया है / देखो—“दशवकालिक चूर्णि की कथाएँ" कथा-संख्या 16 / (2) क्षेत्र अपाय : दशार्ह हरिवंश में उन्न राजा थे। कंस ने मथुरा का विध्वंस कर दिया। राजा जरासन्ध का भय बढ़ा तब उस क्षेत्र को अपाय-बहुल जान कर दशार्ह वहाँ से चल कर द्वारवती आ गए।५ . (3) काल अपाय : एक बार कृष्ण ने भगवान् अरिष्टनेमि से पूछा-भगवन् ! द्वारवती का नाश कब होगा ? अरिष्टनेमि ने कहा--बारह वर्षों में पायन ऋषि के द्वारा इसका नाश होगा। द्वैपायन ऋषि ने जन-श्रुति से यह बात सुनी। “मुझ से नगरी का विनाश न हो, १-हारिभद्रीय टीका, पत्र 35 / . .. २.-दशवैकालिक नियुक्ति, गाथा 55 / ३-हारिभद्रीय टीका, पत्र 35-36 / / ४-दशवकालिक नियुक्ति, गाथा 56 : खेतंमि अवक्कमणं दसारवग्गरस होइ अवरेणं। ५-हारिभद्रीय टीका, पत्र 36 : खित्तापाओदाहरणं दसारा हरिवंसरायाणो एत्थ महई कहा जहा हरिवंसे / उवओगियं चेव भण्णए, कंसंमि विणिवाइए सावायं खेत्तमेयंतिकाऊण जरासंधरायभएण दसारवग्गो महुराओ अवक्कमिऊण बारवई गओत्ति। ..