Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 180 दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन इसलिए इस काल की अवधि में और कहीं चला जाऊँ"-यह सोच वे द्वारका को छोड़ उत्तरापथ में चले गए। (4) भाव अपाय : ____ इसे 'तुम्हें वन्दना कैसे करें'—इस दृष्टान्त से स्पष्ट किया है। देखो-"दशवकालिक चूर्णि की कथाएँ", कथा-संख्या 16 / 4. उपाय : __उपाय का अर्थ है-इच्छित वस्तु की प्राप्ति के लिए प्रयत्न-विशेष। वह चार प्रकार है : (1) द्रव्य उपाय : सोना निकालने और उसे शुद्ध रूप में प्राप्त करने का उपाय धातुवाद है। (6) क्षेत्र उपाय : हल आदि क्षेत्र को तैयार करने का उपाय है। नौका से समुद्र के पूर्वी तट से पश्चिमी तट पर जाना / " १-दशवकालिक नियुक्ति, गाथा 56 : दीवायणो अ काले.....। (ख) हारिभद्रीय टीका, पत्र 36-37 : कण्हाच्छिएण भगवया रिटुणेमिणा वागरियं-बारसहिं संवच्छरेहिं दीवायणाओ बारवईणयरी विणासो, उज्जोततराए गगरीए परंपरएण सुणिऊण दीवायणपरिव्वायओ मा णगरिं विणासेहामित्ति कालावधिमण्णओ गमेमित्ति उत्तरावहं गओ। २-(क) दशवकालिक नियुक्ति, गाथा 61-62 : एमेव चउ विगप्पो होइ उवाओ ऽवि तत्थ दव्वंमि / धातुव्वाओ पढमो नंगलकुलिएहिं खेत्तं तु॥ कालो अ नालियाइहिं होइ भावंमि पंडिओ अभओ। चोरस्स कए नटैि वड्ढकुमारि परिकहेइ // (ख) हारिभद्रीय टीका, पत्र 41,42 / ३-हारिभद्रीय टीका, पत्र 40 : द्रव्योपाये विचार्ये 'धातुर्वादः' सुवर्णपातनोत्कर्षलक्षणो द्रव्योपायः / ४-वही, पत्र 40 : - क्षेत्रोपायस्तु लागलादिना क्षेत्रोपक्रमणे भवति / ... ५-जिनदास चूर्णि, पृ० 44 : जहा नावाए पुव्ववेतालीओ अवरावेयालिं गम्मइ।