Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ ८-किसलिए ? 1. महर्षि-मुनि सब दुःखों को क्षीण करने के लिए प्रयत्न करे / ' 2. मुनि पाँच महाव्रतों को आत्महित के लिए स्वीकार करते हैं.।२ / 3. मुनि विनय का प्रयोग आचार-प्राप्ति के लिए करते हैं। 4. मुनि केवल जीवन-यापन के लिए भिक्षा लेते हैं / 5. मुनि वस्त्र-पात्र आदि का ग्रहण और उपयोग जीवन के निर्वाह के लिए तथा लज्जा निवारण के लिए करते हैं। 6. मुनि वचन-प्रहार आदि को अपना धर्म-कर्त्तव्य समझ कर सहन करते हैं / 6 7. मुनि ज्ञान-प्राप्ति के लिए अध्ययन करते हैं, एकाग्र-चित्त होने के लिए अध्ययन करते हैं, आत्मा को (धर्म में) स्थापित करने के लिए अध्ययन करते हैं और दूसरों को (धर्म में) स्थापित करने के लिए अध्ययन करते हैं।" 8. मुनि भौतिक सुख-सुविधा के लिए तप नहीं करते, परलोक कीस मृद्धि के लिए तप नहीं करते, श्लाघा-प्रशंसा के लिए तप नहीं करते, केवल आत्म-शुद्धि के लिए तप करते हैं। 6. मुनि इहलोक की भौतिक समृद्धि के लिए आचार का पालन नहीं करते। मुनि परलोक की समृद्धि के लिए आचार का पालन नहीं करते / मुनि श्लाघा-प्रशंसा के लिए आचार का पालन नहीं करते। मुनि केवल आत्म-शुद्धि के लिए आचार का पालन करते हैं। १-दशवकालिक 3313 / २-वही, ४।सू०१७। 3- वही, 9 / 3 / 2 / ४-वही, 9 / 3 / 4 / ५-वही, 6 / 19 / ६-वही, 9 / 3 / 8 / ७-वही, ९।४सू० 5 / ८-वही, ९४सू०६। ९-वही, ९४सू०७।