Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 4. चर्या-पथ : किसलिए? 145 10. मुनि अनुत्तर गुणों तथा अनन्त हित के सम्पादन के लिए गुरु की आराधना करते 11. सब जीव जीना चाहते हैं, मरना कोई नहीं चाहता, इसलिए मुनि प्राण-वध का वर्जन करते हैं / 12. मृषावाद सज्जन व्यक्तियों द्वारा गर्हित है और यह अविश्वास को उत्पन्न करता है, - इसलिए मुनि मृषावाद का वर्जन करते हैं। 13. अब्रह्मचर्य अधर्म का मूल है, महान् दोषों की खान है, इसलिए मुनि उसका वर्जन करते हैं। 14. रात्रि में एषणा का निर्वाह नहीं हो सकता, ईर्या-समिति का शोधन नहीं हो सकता, इसलिए मुनि रात में भोजन नहीं करते / १-दशवकालिक, 9 / 1 / 16:9 / 2 / 16 / २-वही, 6 / 10 / ३-वही, 6 / 12 / 4 वही, 6 / 16 / ५-वही, 6 / 23-25 /