Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ ४-वाक्-शुद्धि कैसे बोले ? ___ मुनि चार भाषाएँ न बोले --- (1) अवक्तव्य-सत्य भाषा, (2) सत्य-असत्य भाषा, (3) असत्य भाषा, और (4) अनाचीर्ण व्यवहार भाषा / ' अपापकारी, अकर्कश, असंदिग्ध सत्य और व्यवहार भाषा बोले / 2 अपने आशय को संदिग्ध बनाने वाला सत्य भी न बोले। शंकित भाषा न बोले / काने को काना, नपुंसक को नपुंसक, रोगी को रोगी और चोर को चोर न कहे।५ किसी को होल, गोल, आदि अवज्ञा-सूचक शब्दों से सम्बोधित न करे / 6 किसी स्त्री को दादी, नानी, माँ, मौसी, भानजी आदि स्नेह-सूचक शब्दों से सम्बोधित न करे। किन्तु उनकी अवस्था, देश, ऐश्वर्य आदि की अपेक्षा गुण-दोष का विचार कर उनके मूल नाम या गोत्र से सम्बोधित करे। किसी पुरुष को दादा, नाना, चाचा, मामा, पोता आदि स्नेह-सूचक शब्दों से सम्बोधित न करे / किन्तु उन्हें नाम या गोत्र से सम्बोधित करे / ' पंचेन्द्रिय जीवों के बारे में स्त्री-पुरुष का सन्देह हो तो उनके लिए जाति-शब्द का प्रयोग करे।' मनुष्य, पशु आदि स्थूल, प्रमेदुर, वध्य, पाक्य हैं—ऐसा न बोले / किन्तु वे परिवृद्ध, उपचित, संजात और महाकाय हैं—ऐसा कहे / 10 वृक्ष आदि को देख कर यह मकान की लकड़ी के लिए या पात्र के लिए या कृषि के उपकरणों के लिए, अहरन आदि के लिए या शयनासन के लिए उपयोगी १-दशवैकालिक, 7 / 2 / २-वही, 7 / 3 / ३-वही, 74,11 / ४-वही, 756,9 / ५-वही, 7 / 12 / ६-वही, 7 / 14 / ७-वही, 7 / 15-17 / -वही, 718-20 / ६-वही, 7 / 21 / १०-वही, 122,23 /