Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 1. बहिरङ्ग परिचय : व्याकरण-विमर्श लq (8 / 1) - ; अगस्त्य चूर्णि-और टीका के अनुसार यह पूर्वकालिक क्रिया' ( क्त्वा प्रत्यय ) का और जिनदास चर्णि के अनुसार यह 'तुम्' प्रत्यय का रूप है / 2 अहिट्ठए (8 / 61) टीका में 'अहिटुए' का संस्कृत रूप 'अधिष्ठाता' है। किन्तु 'तव' आदि कर्म है, इसलिए यह 'अहिट्ठा' धातु का रूप होना चाहिए / ८-क्रिया-विशेषण जयं (5 / 1 / 6) यह 'परक्कमे' क्रिया का विशेषण है / ' निउणं (68) __ अगस्त्य चूणि के अनुसार 'निउणं' शब्द 'दिट्ठा' क्रिया का विशेषण है / 4 जिनदास चूर्णि'" और टीका के अनुसार 'निउणा' मूल पाठ है और वह ‘अहिंसा' का विशेषण है। 6. आर्ष-प्रयोग वत्थगंधमलंकारं (2 / 2) यहाँ गंध का अनुस्वार अलाक्षणिक है / " १-(क) अगस्त्य चूर्णि : लद्धं पाविऊण। (ख) हारिभद्रीय टीका, पत्र 227 : लब्ध्वा प्राप्य / २.-जिनदास चूर्णि, पृष्ठ 271 : (लब्धं) प्राप्तये / 3. हारिभद्रीय टीका, पत्र 164 : ‘यत मिति क्रियाविशेषणम्। 4. अगस्त्य चूर्णि : 'निपुणं सव्वपाकारं सव्वसत्तगता इति / ५-जिनदास चूर्णि, पृष्ठ 217 : अहिंसा जिणसासणे 'निउणा......। .. ६-हारिभद्रीय टीका, पत्र 196 : निपुणा आधाकर्माद्यपरिभोगतः कृतकारितादिपरिहारेण सूक्ष्मा। ७-वही, पत्र 91 : ... अनुस्वारोऽलाक्षणिकः। . निउणा....... .