Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 121 3. महाव्रत : संक्षिप्त व्याख्या हैं-ऐसा न कहे / ' मेष, बालक, कुत्ते और बछड़े को उल्लंघ कर प्रवेश न करे / / त्रस काय की किसी भी प्रकार से हिंसा न करे / 2. सत्य ___ मुनि न स्वयं असत्य बोले, न दूसरों को असत्य बोलने की प्रेरणा दे और न असत्य का अनुमोदन करे।४ क्रोध से या भय से, अपने लिए या दूसरों के लिए झूठ न बोले / अप्रिय-सत्य भी न बोले / 5 सत्य में रत रहे / 3. अचौय ___ मुनि गाँव में, नगर में या अरण्य में, थोड़ी या बहुत, छोटी या बड़ी, सजीव या निर्जीव-कोई भी वस्तु बिना दी हुई न ले, स्वामी की आज्ञा के बिना न ले। न दूसरों को इस प्रकार अदत्त लेने की प्रेरणा दे और न अदत्त ग्रहण का अनुमोदन करे / तपस्या, वय, रूप और आचार-भाव की चोरी न करे / 8. ब्रह्मचर्य ___मुनि देव, मनुष्य या तियंच सम्बन्धी मैथुन का सेवन न स्वयं करे, न दूसरों को मैथुन-सेवन के लिए प्रेरित करे और न मैथुन-सेवन का अनुमोदन करे। ब्रह्मचर्य घोर है, प्रमाद है, उसका सेवन न करे / 10 केवल स्त्रियों के बीच व्याख्यान न दे / 11 स्त्रियों के चित्रों से चित्रित भित्ति या आभूषणों से सुसज्जित स्त्री को टकटकी लगा कर न १-दशवकालिक, 724 / २-वही, 5 // 1 // 22 // ३-वही, 6143-45 // ४-वही, ४।सू०१२। ५-वही, 6 / 11 / ६-वही, 9 / 3 / 3 / ७-वही, ४ासू०१३;६।१३,१४ / ८-वही, 22146 / ९-वही, ४ासू०१४॥ १०-वही, 6 / 15 / ११-वही, 8152 /