Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ ८-उपमा और दृष्टान्त 1 // 3 218 29 जैन-आगम उपमाओं और दृष्टान्तों से भरे पड़े हैं / व्याख्या-ग्रन्थों में भी ये व्यवहृत हुए हैं। देश, काल, क्षेत्र, सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप अनेक उपमाएँ और दृष्टान्त प्रचलित होते हैं। इनके व्यवहार से कथा-वस्तु में प्राण आ जाते हैं और वह सहजतया हृदयंगम हो जाती है। इस सूत्र में अनेक उपमाएँ और दृष्टान्त हैं। वे अनेक तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं। उनका समग्न.संकलन इस प्रकार है : १-विहंगमा व पुप्फेसु २-पुप्फेसु भमरा जहा 14 ३-महुकारसमा 165 ४—मा कुले गंधणा होमो ५–वायाइद्धो व्व हडो ६–अंकुसेण जहा नागो 2 / 10 ७-महु-घयं व 5 / 1167 ८-निच्चुब्विग्गो जहा तेणो 5 / 2 / 36 ६-उउप्पसन्ने विमले व चंदिमा . 6068 १०—कुम्मो व्व अल्लीणपलीणगुत्तो 8 / 40 ११–भक्खरं पिव 8154 १२–विसं तालउडं जहा 8.56 १३—सूरे व सेणाए समत्तमाउहे 8 / 61 १४–रुप्पमलं व जोइणा 8.62 १५–कसिणब्भपुडावगमे व चंदिमा 8 / 63 १६-फलं व कीयस्स वहाय होइ 6 / 11 १७–सिहिरिव भास कुज्जा 6 / 1 / 3 १८-जो पावगं जलियमवक्कमेज्जा आसीविसं वा वि हु कोवएज्जा। जो वा विसं खायइ जीवियट्ठी एसोवमासायणया गुरूणं // 16 १६—जो पव्वयं सिरसा भेत्तुमिच्छे सुत्त व सीहं पडिबोहएज्जा। जो वा दए सत्तिअग्गे पहारं एसोवमासायणया गुरूणं // 1 / 8