Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ 30 दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन सिया (6 / 18) ___ अगस्त्यसिंह स्थविर ने 'सिया' को क्रिया माना है / ' जिनदास महत्तर और हरिभद्र ने 'सिया' का अर्थ कदाचित् किया है / 2 धारंति परिहरंति (6 / 16) ये दोनों सामयिक ( आगम-प्रसिद्ध ) धातुएँ हैं / परिग्गहे (6 / 21) चूर्णिकार ने 'परिग्गहे' को क्रिया माना है / टीकाकार ने इसे सप्तमी विभक्ति का रूप माना है।४ छन्नति (6 / 51.) ___ चूर्णिद्वय के अनुसार वह धातु 'क्ष्णु हिंसायाम्' है।५ टीकाकार ने 'छिप्पंति' पाठ मान कर उसके लिए संस्कृत धातु 'क्षिपंनज् प्रेरणे' का प्रयोग किया है।६ . गच्छामो (76) यहाँ 'वर्तमानसामीप्ये वर्तमानवद्वा'—इस सूत्र के अनुसार निकट भविष्य के अर्थ में वर्तमान विभक्ति है। १-अगस्त्य चूर्णि : . सियादिति भवेत् भवेज्ज / २-(क) जिनदास चूर्णि, पृष्ठ 220 : सिया कदापि। . (ख) हारिभद्रीय टीका, पत्र 198 : यः स्यात् यः कदाचित् / ३-जिनदास चूर्णि, पृष्ठ 222 : ___ 'संरक्षण परिग्गहो' नाम संजमरक्खणणिमित्तं परिगिण्हंति / ४-हारिभद्रीय टीका, पत्र 199 / ५-(क) अगस्त्य चूर्णि : छन्नंति क्ष्णु हिंसायामिति हिंसिज्जति / (ख) जिनदास चूर्णि, पृष्ठ 228 : छण्णसद्दो हिंमाए वट्टइ। ६-हारिभद्रीय टीका, पत्र 204 : .. क्षिप्यन्ते--हिंस्यन्ते। ७-भिक्षुशब्दानुशासन, 4 / 4 / 76 /