Book Title: Dashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
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________________ दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन बीयं (8 / 31) ___प्राकृत में कहीं-कहीं एक पद में भी संधि हो जाती है। इसी के अनुसार यहाँ 'बिइओ' का 'बीओ' बना है।' ह्रस्व का दीर्धीकरणअन्नयरामवि (6 / 18) . इसमें रकार दीर्घ है / बहुनिवट्टिमा फला (7 // 33) इसमें मकार दीर्घ है। २-कारक मच्छन्दा (2 / 2) इसका प्रयोग कर्तृवाचक बहुवचन में हुआ है, पर उसे कर्मवाचक बहुवचन में भी माना जा सकता है। इस स्थिति में वह वस्त्र आदि वस्तुओं का विशेषण होगा। मज्झयणं धम्मपन्नत्ती (4 / सूत्र१) ___ अध्ययन होने से—अध्ययन की प्राप्ति के द्वारा चित्त-विशुद्धि का हेतु होने से, धर्मप्रज्ञप्ति होने से—धर्म की प्रज्ञापना के द्वारा चित्त-विशुद्धि का हेतु होने से ये दोनों हेतु हैं। निमित्त, कारण और हेतु में प्रायः सभी विभक्तियाँ होती हैं, इसलिए यहाँ दोनों शब्दों में हेतु में प्रथमा विभक्ति है। अन्नत्य सत्यपरिणएणं (4 / सूत्र४) अन्यत्र शब्द के योग में पंचमी विभक्ति होती हैं / जैसे—अन्यत्र भीष्माद् गांगेयाद्, अन्यत्र च हनूमतः / अतः इसका संस्कृत रूप होगा-अन्यत्रशस्त्रपरिणतात् / तस्स (4 / सूत्र१०) यहाँ सम्बन्ध या अवयव अर्थ में षष्ठी विभक्ति है / १-हेमशब्दानुशासन, 8 / 115 : पदयोः सन्धिर्वा। २-दशवकालिक, भाग 2 ( मूल, सार्थ, सटिप्पण), पृष्ठ 26 ३-हारिभद्रीय टीका, पत्र 138 : निमित्तकारणहेतुषु सर्वासां ( विभक्तीनां ) प्रायो दर्शन मिति वचनात् हेतौ प्रथमा। ४-वही, पत्र 144 : सम्बन्धलक्षणा अवयवलक्षणा वा षष्ठी।