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बारह
उपलब्धि का मूल्याकंन है। महाप्रज्ञ का यह अवदान मानव मन की समस्याओं का समाधान है, शांत एवं पवित्र जीवन दर्शन का विशिष्ट अभिक्रम है। प्रस्तुत पुस्तक अपना दर्पण : अपना विम्ब प्रेक्षाध्यान के समग्र साधना क्रम का आकलन है, जिसमें छिपे हैं अपने दर्पण में अपने बिम्ब को देखने के स्वर्ण-सूत्र । विश्वास है-जो पाठक अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं में ढूंढना चाहते हैं, उनके लिए इसका विशिष्ट महत्त्व प्रमाणित होगा।
मुनि धनंजय कुमार
२१ अक्टूबर, ६१ जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान)
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