Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 10
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला-गाथांक-११ आगम-सुधा-सिन्धुः दशमो विभागः श्री महानिशीथ सूत्रात्मकः (आ सूत्रना गुरुकुलबासी योगवाही मुनिवरो गुरुआज्ञा मुजब अविकारीछ) * सम्पादक, संशोधक श्व. पूज्याचार्य श्री विजयजिनेन्द्र रिवर प्रकाशिका: श्रीहर्षपुष्पामृत जेज गन्धमाला लास्याबावल शातिपुरी(सौराष्ट्र). Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 帶类菱菱菱菱菱菱菱菱變變變變變變變 श्रीहर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला-ग्रन्यांक-99 श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः। * तपोमूर्ति पूज्याचार्य देवश्री विजयकारसूरिगुरुभ्यो नमः। हालारदेशोदारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतमूरिगुरुभ्योनमः। आगम-सुधा-सिन्धुः दशमो विभागः श्री महानिशीथ सूत्रात्मकः , (भा सूत्रना गुरुकुलवासीयोगवाही - मुनिवरो गुरु माज्ञा मुजन अधिकारी छ। 變變變變變變變變變變變變變變變變 __ Rम्क .संशोधक तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकर्पूरसूरीश्वर पट्टालार. हालारदेशोदारक कविरत्न पूज्याचार्यदेव श्रीमद्विजयाभूतसूरीश्वर पट्टधर पूज्याचार्यश्री विजयजिनेन्द्रसूरिवरः - प्रकाशिकाश्रीहर्षपुष्यामजैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपूराष्ट्र) 愛護聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎楚獎獎 माग्रीकलाममागरमूरिज्ञान मादर Page #3 -------------------------------------------------------------------------- _ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Anmoamromanama ARANANEnaren CHAagmanenomenommamagrandmonamong R LAVANYSYYSVASTAAVAIANASAY ॥अहम् // श्रुतकेवलि श्रीभद्रबाटस्वामिविरचित .महानिशीथसूत्रम् श्री ॥अथ शल्योद्धरणनाम-प्रथममध्ययनम्। ...0.0.0.. ॐ नमो तित्यस्स। ॐ नमो अरहंताणं। सुयं मे आउसंतेणं भगवया एखमकरवायं-.. इह वलु उमत्थसंजमकिरियाए वररमाणे जे केई साह वा साहणी वा से इमेणं परम. ततसार-सम्भूयत्य-पसाहा- सुमहत्थातिसथपवर वर-महानिसीह-सुथवंध-सुथानुसारेणं तिविहं तिविहेणं सबभान-भावंतरंतरेहिं णं णीसल्ले भवित्ताणं आयडियलाए अच्चुतघोरवीरग-करठतव-संजमाणुगोसु सब्बपमाया. लंबण-विष्पमुस्के अणुसमयमहरिणसमणालसत्ताए सययं अणि विणणे अणूण(णण्ण) परमसद्धा-संवेग-वेगमरगगर गिणियाणे आणि Antarmannamrunandannanam OPAWANROMANORAMATOPAgnmannaamanandnBhanna-Bandan VAUVAUVAATAAYANANYAYANAN Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [भागमसुदासिन्युः।दराम विभाग गृहिय-बलविरिय-पुरिसकारपरक्कमे अगिलाजीए वीसठचत्तदेहे सुणिछिए एगगग्गचित्ते अभिनवणं अभिरमिज्जा // 1 // णी णं रागोस-मोह.विसय-कसाय- नाणालंबणाणेगप्यमाय-इटिरस-सायागारव-रोद हरज्माणविगहा-मित्ताविरह-दुरठ जोग-भणाथयणसेवणा-कुसीलादिसंसांगी-पेसुण्ण भम्रवाणकलह-जाताहि-मय- मरधरामरिस-ममीकार- अहंकारादि-अणेग भयभिण्- तामसभाबकलुसिएणं हियएणं हिंसालिय-चोरिक्क-मेहुण- परिग्गहारंभ- संकप्पादि-गोयरअन्झवसिए घोर-पयंडमहारोह-घण-चिक्कण-पावकम्म-मल-लेवरखवलिए असंखुडासवदारे // 2 // एक्कावणलवमुदत्तगिमिस-णिमिसद भतरतरमवि संसलले विरतेय तंजहा- ॥सू०३॥ उनसते सयभावेणं, विरते यजया भवे।म. व्यस्थ विसए आया, रागेतरमोहवजिरे॥३॥ तथा संवेगमावणे, पारलोइयवत िएगग्गेणेसती संभ, हा मी कध गरिछहं? // 2 // को धम्मो को वो जियमो, को तवो मेऽणुचिटिओ। किं सीलं धारियं बोज, को पुण दाणसे पयच्छिओ? // 3 // जस्सागुभावोऽण्णत्य, हीणमझत्तमे कुले। सो वा मायलोए वा,सीकरवं रिदिलभेज॥॥ अहवा चि विसाएणं १,सव्वं जाणामि अत्तियं / दुच्चरियं जारिसो वाऽहं, जे मे दोसा य जे गुणा // 5 // घोरंधयारपायाले, गमिस्सेऽहमणुत्तरे। जत्थ दुरवसहस्साहंडणुभविस्सं चिरं बढ़ // 6 // एवं सव्वं वियागंते धम्माधम्म सुहासुहंमुह दह)। अत्ोगे गोयमा ! पाणी,जे मोहाऽऽयहियं न चि Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [3 श्रो भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 1 (3) st महानिशीथसूत्र अध्ययन 1] ए // 7 // जे या वाऽऽयहियं कुज्जा, कत्थई पारलो- . इथं / माथाडंभेण तस्सावी सयमवी(म्यानभानए आयाम (सय)मेव अत्ताणं, निउणं जाणे जहदिव्यं / आया चेव दुय्यतिज्ने, धम्ममविय (धम्मं वि) अत्तसक्खियं // 9 // जं जस्सागुमयं हिए सो तं ठावेह सुंदरपएसु। सदली नियतणए तारिस कुरेवि मन विसिरठे // 10 // अत्तत्तीयाऽसमि चा सथल-पायजागियो कप्पयंत प्यऽणय, दुरठं वइकायचेरठं मणसि य खलु संसंजुयं ते चरंते / निहोस तंच सिठे वगयकलुसे पक्सवायं विमुच्चा, विखंततपावं कलुसियहिथयं दोसजालेहिं पठं // 1 // परमत्थ तत्तसिद्धं सब्भूययपसाहग। तभणियाणुहठाणे जे आया रंजए सकं // 12 // तेसूत्तमं भवे धम्म, उत्तमा तवसंपया / उत्तम सील. चारितं, उत्तमा य गती भवे // 13 // अस्थेगे गोथमा! पाजेएरिसमनिकोडिंगाए / ससल्ले चरतीक म्मं, आयहियं नावबुज्झई // 14 // ससल्लो जावि करगं, घोरं वीरं तवं चरे। दिवं वास सहस्संपि, ततोऽवी तं तस्स निफलं // 15 // सल्लंपि भन्नई पावं, जं नालोइयनिदियं / न गरहियं न पछित्तं, कर्य जं जहय भाणियं // 16 // मायाडंभमकत्ताव,म. हापरछन्नपावया / अयजमणायारं च, सल्लं कम्मट्ठसंगहो // 17 // असंजमं अहम्मच, निसीलऽबत- . ताविय / सकलुसत्तमसुद्धी य, सुकयनासो तवय // 10 // दुग्गगमणगुत्तारं, करवे सारीरमाणसे। अ. बोरिछन्ने य संसारे, विगोवणया महंतिया॥१९॥ केसिं विरूवरूवतं, दारिदया९) दोहगाया। हाहाभूयसवेयणथा, परिभूयंघजीवियं // 20 // निधि ण नित्तिस करतं, निय निस्किवयाविय / निल्ल Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 cii आगमसुधारिसरामो विभाग ज्जत्त शूठहियत्तं, वं विवरीयचित्तथा // 21 // रागो दोसो यमोहो य, मितं घणचिक्कणं। समगणासो तहय, एगेज(संस्सित्तमेव य॥२२॥ आणाभंगमबोही य, ससल्लसाय भवे भरे। एमाही पावसल्लस्स नामे एगठिए बढ़R३॥ जेणां सल्लियहिययस्स, एगस्सी बहु भक्तरे। सब्र्वगोवंगसंधीओ, पसल्लंति पुणो पुणो // 24 // सेय दुविहे समकरवाएर, सल्ले सुमे य बाथरे / एस्केनके तिबिहे णेप, घोरुग्गुग्गतरे तहा // 25 // घोरं चाविहा माथा, घोरू गं माणसंजुथा। माया लोभी यकोहो य, घोरुग्गुग्गयरं मुगे // 26 // सुकुमबायरमेएणं, सप्यभेयंपिमं मुगी। अइरा समुधरे रिवयं सरसल्लो यो से स्वर्ण // 27 // खुइडलगित्ति अहियोए, सिन्थयतुल्ले सिही। संपलणे वयं णेश.वि पुढे विजोडई एवं तणुतणुथरं,पावसल्लमणुनिय। भवभवंतरकीडीओ,बहुसंतावपद भवे // 29 // भयवं सुदुबरे एस, पावसल्ले हप्यए। उधरिपि ण थाणंती, बहवे जहमुदरिद // 30 // गोथम ! निम्मूलमुद्धरणं, णिययमेतस्स भासियं / सुदुद्धरस्सावि सल्लस्स, सवंगोवंगभेदिगो॥३५॥ सम्मटुंसर्ण पठम,सम्मं नाणं विन्जियं। तइयं च सम्मचारितं. एगभूयमिमं तिगं // 22 // श्येत्तीभूतेवि जे जिते (जीए), जे डसणं गए। जे अत्यीसुविधा केई. जेऽस्थिमझभातरं गए // 32 // सधंगोवंगसंखुत्ते जे सहभंतर बाहरे। सल्तंति जेण सल्लंती, लेनिम्मूले समुदरे // 34 // यं नाणं किथाहीणं, या अन्नाणतो किया। पासंतो पंगुलो दइटो, धावमाणो य अंधो // 35 // संजोगसिहदी म उगीथमा! फल, नद एगचक्कण रहो पथा। अंधीयपं य वणे समिच्चा ते संपत्ता नगरं पविदा // 36 // नाणं पथासगं सोहओ तो संजमो य गुत्तिकरो। निग्हपि स. Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशीथसूत्र अध्ययन माओगे जोयम! मोक्खो न अण्णहा // 27 // ता णीमल्ले भविताणे सवसल्लविवजिए। जे धम्ममगुचिठेजा, सबभूयऽप्यकंपिवा // 3 // तस्स तं सफलं होज्जा, जम्ममंतरेसुवि। विउला सम्पयरिडीय, लभेज्जा सासयं सुहं // 3 // सल्तुरिउकामेणं, सुपसत्यै सोहणे दिणे / लिहिकरणमुटुत्ते नम्वत्ते, जोगे लग्गे समीबले कायबायंबिलस्यमणं, इस दिणे पंचमंगलं। परिजवियत्वेऽसयंत्यहा), नवर अहम्मं करे // 4 // अहठमभत्तेण पारिता, काऊपायबिलं ती।चे इथ साह्मवंदित्ता, करिज्ज खतमरिसियं ॥२॥जेकेर बुटु संलते जस्सुवरि तु वितियं / जस्सथ उठु कय जे पडि. दु वा क्रयं भवे // 53 // तस्स सबस्स तिविहेणं,वाया म सायकस्सुमा / णीसल्लं सबभावेणं, दाउंमिछामि इकडं ran पुगोविधीयरायाण, परिमाभी वेश्यालए। पतेय मधुणे बरे एगगो भत्तिनिटभरो ॥९॥वंदिचेहए सम्म.हवंभलेण परिजवे। इमं सुयदेवर विज्ज, लम्ख हा चेदयालए // 6 // उक्सती सवभावणं एगचिलो सुनिधिओ। आउतो अव्यवदिखत्तो, रागरइभरवन्जिओ // 7 // - अउमणममओ कामनामाईणमद अउमणम ओ भयाण्उसआरईएअम अउम्णभम्भो सभमभइ मसाईगमम् अउमणअम्भी ईरभासवलदईभम् अब मणमओ सब्बासहिलदईण्अम् अउमणअमओ अम्बई अमअह आणम्भलाईभम् अउम्णअमओ भगवी अरह ओ महइमहावीरवद्रमाणस्स धम्मनित्यकरक भउम्णम्भी सबधम्मतित्थंकराणं अउमणम्भो सम्ब. सिदाणं अउमणमओ सब्यसाहूर्ण उम्णमओ भगवती मरणाणस्स अउम्णम्भो भगवो सुयणआणम्स भउमणमओ भरावसो अउहइण्भाणम्स अउम्णमी Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमसुधासिन्धु भगवओ मणपज्जवणाणस्स अउमणमओ भगवओ कएवलण्आणस्स अउम्णम्ओ भगवतीए सुयदएंज्ञआए सिज्झर म्ए सआहिया (एसा मही)विज्जा अउम्णम्भी भगवो भउम्णम्भो भम् भउम्णभम्भी अम्भाउअम् अभाउअम् णमओ आऊभ. भिवत्तीलमखणं सम्मइंसणं उभम्णम्भो भदभार असईलभम्गामअग) सहस्साहि दिव्यस्स पईस्भमगामअग्गोणइण्णइथे आण पईसल्ल सयसैल्लगत्तण स. अण सम्बदम्वणिम्महण-परमनिवईकारस्म णं पवयणस्स परमपवितुत्तमस्सेति // सू०४॥ एसा विज्जा सिईतिएहिं अक्वरेहि लिविया, एसा य सिहंतिया लिवी अमुणियसमथसाभावायां सुयधरेहिण पण्णवेथव्वा नहय कुसीलागं च // 905 // इमाए पवरविज्जाए, सव्वहा उ अत्ताणगं / अहिमंतेमण सोविज्जा, खंतो तो जिरंदिभो ॥४॥णवरं सुहासुहं सम्म, सुविणगं समरधारए / तत्य सुविणगं(गे) पा.. से, तारिमग तंतहा भवे // 49 // जइणं सुंदरगं पासे,सुमिणगं तो इमं महा। परमत्यतत्तसारत्य, सल्लुद्धरणं मुणेतु यं। 50 // देज्जा आलोयण सुद्धं अठमथगणविरहिओ रं. जंतो धम्मतित्थयरे, सिद्धे लोगग्गसठिए // 51 // आयोएताण णीसल्लं, सामण्णोण पुणोविध / वंदित्ता चेहए साह, विहि-' पुवेण खमावर // 4 // स्वामिता पावसल्लम्स, निम्मूलुहरणं पुणो करेजा विहिपुवेण रंजंतो ससुरासुरं जग // 53 // एवं हो. ऊण निस्सल्लो, सबभावेण पुणरवि / विहिपुव्वं चेइए वंदे,खामें साहम्मिए नहा // 54 // नवर जण सम वुच्छो,जेहि सहिं पवि. हरिभो / स्वस्फरस चोइभो जहिं सर्यवा जो थ घोरभो॥५५॥ जोऽविध कज्जमकज्जे वा, भणिो खरमरुसनिठुरायडिभणियं जेगवी किंचि, सो.जह जीव जर मी // 56 // खमियलो Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ V श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 1 (7) महानिशीपसूत्रं :: अध्ययनं 1] सध्यब) भावेणं,जीवंनो जत्थ विदाई। तत्य गंण विणएण, मशीऽयी साढसनिलयं // 17 // एवं. खामणमरिसामणं कार्ड, तियणस्सवि भावओ। सुजो मणवहनाएटिं, एवं घोसिजनिओ // 5 // खमावेमि अहंसच्चे,सब्वे जीवा ख. मंतु मे। मित्ती मे सवभूएसु.वेरं मझ ण केणई॥९॥ खमामिहंवि सम्वेसिं, सबभावेण सध्वहा / भवे भवेसुवि जंतूणं, वाया मणसा य कम्मुणा // 60 // एवं वंदिज्जाचेदय, साहू सम्खं विही याओ / गुलस्सावि विही पुब्वं, खामणः मरिसामगं करे // 61 // खमावतुं शुलं सम्म, नागमहिमंस. सत्तिभो / काऊणं वंदिऊणंच, विहिपुव्वेणं पुणोऽविय // 62 // परमत्यत्तसारत्यं, सल्लुद्धरणमिमं सुणेत्ता। जह आलोथती चव तहमालोए, उच्यए केवलं नाणं // 3 // दिन्नेरिसभावत्येहिनीसल्ला आलोयणा / जेणालोलायमा गेणं चैव, उप्यन्नं तत्येव केवलं ॥६॥केसिंचि साहेमो नामे, महासत्ताण गोथमा।। जेहि भावेणालीययंतेहि केवलनाणं समुप्याश्यं // 65 // हाहा दुछु कडे साहू, हाडा दुस्ठु विचिंतिरे। हाहा दुटु भणिरे साह, हाहा दृढमणुमते // 66 // संवेगालोयगे तहये, भावालोयणकेवली पयस्वेवरेवली चेव, मु. हणंतगकैवली तहा // 6 // पच्छित्तकेवली सम्म, महावेगकेबली / आलोयगावली नथ, बाऽहं पावित्ति केवली // 6 // उस्सुतुम्मरगयन्नवर.हाहा भणयारकेवली / सावज्जनकरेमि. ति, अवडियसीलकेवली // 69 // तवसंजमवयसंरक्खे, निदणे. गरिहणे तहा।सवाचतो सीलसंरक्वे,कोडीपछिलएविय // 70 // निप्परिकम्मे अकंडपणे, अणिमिसच्छी यकेवली। एगपासित हो पहरे, तह मूणध्वयकेवली ॥१॥नसको कार सामः न्नं, अणसणे गमिकेवली / नवकारकेवली तव्य, शिवालोय. णकेवली // 72 // निस्सल्लकेवली तव्य, सल्लुदरणकेवली। धन्नामिति संपुढे, सताहंपी किन्न केवली // 3 // ससल्लोऽहं Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीभागमसुधा सिन्धुः न पारेमि, चलकरठययकेवली / पक्वसुद्धाभिहाणे याचाउम्मासोय केवली // 7 // संवरहरमहपच्छिते, हाचलं जीवियंतहा। अणिध्ये स्थणाविदंसी, मणुफ्ते केवली तहा।।७।। भालोयनिंदवंदिथए, घोरपच्छित्तक्करे। लखोबसपरिधत्ते, समहियासणकवली // 6 // हत्थोसरणनिवासे य, अडकवलासिकेवली। एग सिस्थगपरित्ते, रसवासे केवली तहा // 7 // परिस्ताढवणे चव, परित्तद्धकयकेवली / परिछत्तपरिसम- . तीय, अहसउन्कोसकेवली ॥७॥न सुद्धी विन परिच, ना, ता बरं खिप्यकेवली / एग काऊण परिछतं,बीयं न भवे (जहेव) केवली // 79 // तंचाथरामि परितं, जेणाग के. वली / तं घायरामि जेण तव,समलं होर केवली ॥२०॥कि परिछत्तं चरंतोऽहं, चिठं णो तव केवली / जिणाणमाणं ग लंघेऽहं, पाणपरिचयणकेवली // 1 // भन्नं होही सरीरं मे, नो वोही चेव केवली। सुलदमिणं सरीरेणं, पावणिहण. केवली // 2 // अगाइपावकम्ममलं, निदोवेमीह केवली 1बीयंतंन समाथरिमं, पमाया केवली नहा // 3 // देहे खरोष (बी) सरीरं मे, निज्जरा भवो केवली / सरीरस्स संजमं सारं, निस्कलंक तु केवली ॥renमणसावि स्वरिए सीले, पाणे ण धरामि केवली / एवं वइकाथजोगेणं, सीलं रक्ये अहं केवली // 55 // एनं मया अणाहीथा, कालाणंते पुणो मु. गी। कई आलोयणा सिद्धे, परिधता केई गोथमा NET संता' रंता विमूत्ता य, जिइंरी सच्चभासियो / धक्कायममारंभाउ, बिरसे तिविहेण उ॥७॥तिदंडासवसंवरिया, इत्यिकहासंग वज्जिया। इत्थीसंलावविरयाय अंगोवंगणिरिक्षणात निम्ममता सरीरेलि,अय्यतिबद्धामहायसा / भीथा इत्थिगडभबसहीणं, बहुदुक्रवाउ भवाउनहा // 49 // ता एरिसेणं भावणे, 'दायव्वा आलायणा / पछिपिय काय, तहा जहा चेव महि कथं // 10 // न पुणो तहा भालोएयवं,मायाईभेण Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमहानिशीथसूत्र अध्ययनं 1] केण / जह आलोएमागोण, चेव संसारखुइटी भवे // 9 // अगंतेऽणाइकालाठ, अत्तकम्महि दुम्मई / बहुविकय्यकल्लोले, आलोएंतोऽवी अहो गए // 92 // गोथम ! केसिंचि नामाईसाहिमो तं निबोधय जयालोयणपच्छिते, भावदोसिमककलुसिए // 13 // ससल्ले घोरमहं दुक्ख, दुरहिआसं सुसह। अणुहवतेवि चिट्ठति, पावकम्मे नराहमे // 9 // गुरुगासं. जमै नाम, साढ़ निधसे नहा / बिहीवाथाकुसीले यमगकुसीले तहेव य // 9 // मुहमालोयगे नहय, परववएसालो. यगे नहा / किं किं चालोयगा तह थ, ण किंचालोयगेतहा , // 96 // अकयालोयणे चेव, जणरंजवणे नहा / नाहं काहामि पच्छितं. धम्मालोयणमेव य ॥९॥माथाभपवंचीय.पूरकडतवंचरणकहे / पछि नत्थि मे किंचि.नकथालोययसरे // 9 // आसण्णालोयणक्खाइ,लहपच्छित्तजायगे। अम्हावालोइयणं चिठे, मुहबंधालोयगे तहा // 19 // गुरुपच्चित्तातमसरके य, गिलाणालंबणं कहे। आरभडालोयगे साहू,सुण्णासुण्णी तहेवय॥१०॥ निरिछन्नविय पछिसेन काहं तुरिठजायगे / रंजवणमेत लोगाणं,वायापन्छिते नहा॥१॥ परिवज्जणपछि चिस्यालपनेसगेतहा। अणणाठियपायचिते. अणुभणियऽण्णहायरे तहा / / 102 // आउट्टीय महापावे,कंदप्या दम्यै तहा / अजयणासेवणे तहय, सुयासुयपछि नहा दिपोत्यय (चिठायायपच्छिते, सयंपरिधत्तकथ्यगे। एक इयं इत्य पछितं, पुवालोइयमगुस्सरे ॥१०॥जाईमयसंकिए चैव, कुलमयसंकिए तहा / जातिकुलोभयमयासंके, सुतलाभस्सिरियसंकिय तहा // 10 // तवीभए संकिए धेव, पंडि. च्चमयसंकिए तहा / सकारमयलुरे य, गारवसंधुदासिए तहा / / 106 // अयुज्जो वाविऽहं जमे, एगजमेव चित्तगे। पावि गणपि पावतरे, सकलुसचिसालोयगे // 407 // परकहानगे फेव, अविणयालोयगे नहा। अविहीभालोयगे साह,एबमारी दुरथ्यणी Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ONM (10) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशौं विभाग 10] ___. श्री भागमसुधासिन्यु::: शामो विभागःग Pu // अणतेऽणाइकालेणं, जोधमा ! अन्तक्विथा / महो' / भही जाव सत्तमियं, भानदीसकसी गए / / 109 // गोथमऽणते चिठंति जे, अणादिए ससल्लिए / नियभावदोस सल्लागं, भुंजते विरसं फलं // 10 // चिरइम्संति अज्जावितेस. लेण सोललाए / अणंतथि अणारायं कालं, तम्हा सल्लं नधारए // 1 // स्वयं मुणित बेमि। गोथम! समणी यो संस्था जाओ निस्कलस-नीसल्ल-विसुर सुद्ध-निम्मल-वयणमाणसाभी अज्मप्यनिसोहीए आलोक्ताण सुपारफुड नीसंकं निः खिलं निरवयवं नियदुच्चरियमाश्यं सत्वंपि भावसल्लं अहारिहंतवोकम्मं पायरितमणुचरित्ताणं निखोय-पाव. कम्ममल-लेवकलंकाओ उम्पन्नदिवबर केवलणाणाओ महाणुभागा(वाओ महायसाओ महासत्तसंपन्नाभी सुह. यनामधेयाओ अतुत्तमसोकस्वमोक्वं पत्ताभो // 6 // कासिंचि गोथमा! नामे, पुन्नभागाण साहिमो / जा. सिमालोयमाणीण, उध्यण्ण समणीण केवलं ॥२॥हाहाहापा. वक्रम्माहे, पावा पानमती अहं ! पाविदवाणपि पावरा, दहा दरिठ चितिमो हाहाहा इत्थिभावं मेनानिह जंमे वित्यिं / तहावी णं धोरनीगं, कई तवसंजमं धरं // 14 // गणतयावरामीभी, संमिलिथाओ जया भवे / तझ्या इत्थितणं लभे सुद्ध पानाण कम्मुगा // 11 // पंगत्यपिंडीभूताणं, समुदथे तणुतं तंह। करेमि जहन पुणो, इत्थीह होमिकेवली 46 // दिट्टीएविवसं. डामि, सीलं ह समणिकवली / हाहा मणेण मे किंपि, अहटवुहइटं विचिंतियं // 117 // तमालोइत्ता लडंसुदिगिण्हे समणिकेनली। दळूण मज्झलावण्णं, कंतिदिति सिरि॥१॥ मा परपयंगाहमा जंतु, खयमणसणसमणी य केवली / वातं मोत्तूण नो अन्नो, निमा(छियं मह तणु छिवे॥९॥छक्का. यसमारंभ, न करेऽहं समणिकेवली। पोग्गलकम्बोसगुन्झंतं. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 महानिशीधस-7 * अधयन , [11 / पाहिजहणंतरे तहा // 120 // जणणीएविण दंसेमि, सुसंगुत्तंगोबंगा समणी य केवली / बढ़भवंतरकोडीओ,घोरं गभपरंपरं॥१॥ परियटिंतीए सलई में गाणं चारित्तसंजुयं। माणुसज. म.ससंमत्तं,पावकम्मकवयंकरंता सव्वं भावनीसल्लं, आलोएमि खो खो। पायच्चित्तमणुामि,बीयं तं न समारं. भं // 123 // जेणागर पच्छितं, बाया मणसा य अम्मणा / पुटविदगागणिवाऊहरिथक्राथं तहेव य // 12 // बीयकायसमारंभ, 'बितिचाउयंचिंदियाण य। मुसाणंपिन भासेमि, ससरस्वपि / अदिन्नयं // 125 // न गिण्ह सुमणं तेविण पत्थं मासानि मेह णं। परिग्गहं न काहामि, मुलुत्तरगुणस्खलणं तहा / / 126 // मय. भयकसायदंडेसुं,गुत्तीसमितिदिएसु थ। तह अठारससील. गसहस्साहिरिव्यतणू // 127 // सज्झायज्झाणजोगेसुं,अभिरमं समणिकेवली / तेलोकरक्षणक्वंभधस्सतित्थंकरेग जं तमहं लिंगंधरेमाणी, जइवि हजंते निबीलिय। मझोमज्झीय दो खंडा, फालिज्जामि तठेव य॥१९॥ अह पक्खिय्या. मि दित्तग्गिं, अहवा छिज्जे जई सिरं। तोऽवीऽहं नियमवयभंग, सीलचारितखंडणं // 130 // मणसावी एस्कजम्मकए, कुणं स. माणिकवली / खसरसाणजाईसुं.सरागा हिडिया अहं॥३१॥ विकम्मपि समायरियं, अगं भवभवंतरे / तमेव खरकम्ममहं, पव्यज्जापठिया कुणं // 132 // घोरंध्यारपायाला जाणं कोणी. हरं पुणो। वेश्यि हे माणुसं जम्म, तं च बहवभायणं॥३३॥ अणिचं खणविद्धंसी, बहुदंड दोससंकरं। तथावि इत्थी संआया, सयलतेलोक्कनिदिया॥१३॥ तहावि पावियं धम्मं, णिविघम. णंतराश्यं / ताहं तं न विराहमि, पावदोसे केाई॥१२॥ सिंगार / रागसदिगारं, साहिलासं न चिटिठमो। पसंताएवि दिइट्ठीए, मोतुं धम्मावएसगं३३६॥ अन्नं पुरिस न निल्झायं णालव समणिवली / तं तारिसं महायाव, काउ अक्कहणीययं // 13 // नं सल्लमवि उप्यण्णं, जहदत्तालोयणमणिकेचली। एमार्टि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎菱變變變 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आगमसुदासिन्यु::: दशमो विभागः अणंतसमणीओ, दाउ सुदालोथणे निसल्ला // 34 // केवलं पप्प सिखाओ, अणादिकालेण गोयमा! संता बंता विमुत्ताओ, जिहंदिउ सध्यभागिरीभो // 39 // धक्काय समारंभा, विरया तिविहेण जातिदंडासवसंयुत्ता, पुरिसकहासंगवजिया // 10 // पुरिससंलावरिरथाओ, पुरिसंगोवंगनिरिक्षणा। निम्ममत्ताउ ससरीरे, अप्परिबदाउ महायसा men भीया धीगभवसहीणं, बहुदुक्खाउ भरसंसराओ नहा / ता एरिसेणं आवेग, दायबा आलोयणा // 32 // पायलिपि काथवं, तह जहएगाहि समणीहि कयं / ण उणं तह आलोएयब्वं, मायारंभण केगई ॥१०॥जह आलोयमाणीयं, पाव. कम्मबुटी भवे / अयंताणाइकालेणं, माथारंभधम्मरोसेणं men कवडालोथ काउंसमणीओ ससल्लाओ। भाभि ओगपरंपरेणं, धरिग्यं पटगिया॥५॥ कासिंचिगोथमाः नामे, साहिमो तं निबोधय / जाउ आलोयमागीओ, भाव. दोसे सुस्तृतरगं, पावकम्ममलमवलियं // 1 // तह संज. मसीलंगाणं, णीसल्लतं पसंसियंतं परमभावबिसाहीए. विणा खणपि नो भवे // 17 // तो गोथमा ! केसिमित्यीयां, चित्तविसोही सुनिम्मला। भवंतरेविनो होही, जेण नीम. . ल्लया भवे // 15 // घरठहमदसमडवालसेहिं सुनचंति केरिसमणीओ / तहवि यसरागभावं, गालोथंनी ण इंति ॥४॥बहुविहनिमय्यकल्लोलमालाउम्कालिगहिणं / वियरंतं के ण ल ज्जा , दुरवगाहमण(भन) सागरं // 30 // तेकहमालोयणं देंत, जासि चित्तंपि नो बसे।स. ल्लज्जा ताणमुदरए, सवंदणीभो खणे स्थणे // 15 // अमिणेह. पीइपुत्वेण धम्मज्झागुल्लसावियं / सीलंगगुणाणेसु, उत्तमेसु धरे। जो // 15 // इत्थीहबंधणा विमुस्कं, गिडकलत्तादिचारगा। सुविसुनसुनिम्मलं चिनं, पीसल्लं सो महायसो // 53 // दो वंदणीभो यदेविदाणं स उत्तमो। दरीणकयोत्थी सवपरिभूय. निरहदाणे जो उत्तमे धरे // 150n णालोएमि अहं समणी, दे वह Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीधसूत्रं अध्ययनं। किंचि सायी / बहुदोसं न कहं समणी, जं दिठं समणीहि तं. कहे // 155 // असावज्जकहा समणी, बहुआलंबणा कहा। पमायरखामगा समयी, पाविट्ठा वलमोडीकहा // 156 // लोग विरुद्धकहा तह य, परजवएसालोथणी। सुथपच्छिन्ता तह य, जायादीमयसंकिया।।१५७॥ मूसागारभीरुया चेव,गार वतियदसिया तहा / एवमादिअगेगभावदोसवसगा पाव सोलेहि परिया / / 15 / अयंता निरंतरा) अणंतेयाकालसमएणं, गोयमा। अक्कंतेणं। अयंताओ(भोगाओ) समणीओ, बहुक्त्वावसहं गया // 159 // गोथमा अणताओ चिरति, जाऽगादी सल्लसल्लिया। भावदोसेक्कसल्लेहि (मुंजनाणी भी कडुविरसं) धोरुग्गुगतरं फलं ॥१६॥चिठइस्संति अज्जावि तेहिं सल्लेहि सल्लिया। अणंतंपि अगा गयं कालं, तम्हा सल्लं सुहममवि, समणी पो धारेज्जा रखणंति // 16 // धगधगधगस्स पजलिए, जालामालाउले दढं / हृयवहेवि (बहुविवि) महाभीमे, (स)सरीरं उज्झए सुहं // 162 // पयलंतंगारशसीए, एगसि संप पुणे जले / धल्लिंतो सरितो सरिथ, जं मरिजिपिज्जेपि) सुम्करं // 16 // वंस्थिस्स सहत्थेटिं, एस्के कमंगावय। होमिजइ अगीए, अणुर्दियहपि सुक्करं // 164 // स्वरहरुसतिक्षकरवत्तदतेहि फालाविलोणूस. सज्जियारवार, जं धत्ता ससरी अच्चंतसुक्करं। जीवंतो सयमनी / सम्मं सल्लं सारिऊण ण 165 // जवचारहलिहादिहिजे आलिप नियंतणूं। मयपि सुकर छिदेऊण, सहत्यण जी घेते सीसं निय. एचपि सुक्करमलीह, दक्करं तवसंजमं / नीसल्लं जेण तं भणिय सल्लो यनिथदक्विा // 16 // मायारंभे पन्नो,तं पाणि सक्कए। राया दुचरियं पुच्छे, मह साहइ देहसध्वस्सं ॥६॥सव्वस्संपि पपुज्जाउ, नो नियन्यरियं कहे / राया दुचरियं पुच्छ साह राहइंघि देमि ते // 169 // पुहइं रज्जं तां मन्ने, नो नियन Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (14) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशमों विभाग ,14] TET आगमसुधासिन्धुः दशमो विभाग: कहे। रायाजीयं निकितामि, अह नियच्चरिथं कह // 17 // पाणे. हिंपि स्वयं जंतो, नियच्चरियंकटेक्नो / सवस्सहरणच रज्ज च, पाणेवी परिचएसु णं // 17 // मयावि जति यायाले, निथहश्चरियं कहेंति नो / जे पावाडम्मबुद्धिया, काउरिसा एगमियो। ते गोवति सच्चरियं, नो सयपुरिसा महामती॥१७॥ सय्युरिसा ते णचंति, जे दाणवईह दुजणे / सप्पुरिसाणं चरिते भणिया, जे निस्सल्ला तवे स्था॥१७३॥ माया अणिमाणोऽवी, पावसल्लेहिं गीयमा ! / णिमिसद्धार्गतगुणिएटिं, पूरिज्जे नियम्खिया 1/174 // ताईच झाणस झाथघोरतवसंजमेण या निभेण अमा एणं, तकवणं जो समुधरे // 175 // भालोएत्ताण णीसल्लं, निदिई गरहि दढं। तह चरई पारितं,जह सल्लाणमंतं करे॥१६॥ अन्नजम्मपत्ताणं, खेती (खाणीभूयाणवी दढं। णिमिसरखणमु. इत्तेणं, आजम्मेणेव निरिभो॥१७७॥ सो सुहडो सो य पुरिसो,सो तवस्सी स पंडिभो / खंतो तो विमुत्तो य, सहलं तम्सेवजीवियं // 17 // सूरी य सो सलाही थ, दब्बो य खो खणे। जो सुदालोधणं देतो, नियच्चरियं कहे कुंडे // 179 // अन्य गोयमा पाणी, जे सल्लं अउड़ियं / माया लज्जा भया मोहा मुसकाराहियए धरे॥१०॥तं तस्स गुरुतरं दुक्खं, हीणसत्तस्स संजणे। से चित्ते अन्नागहोसाओ, गोदरं दृक्विजिहं किल एगधारो दुधारी वा, लोहसल्लो अणुद्धिओ। सल्लेगत्यामजमेणं,अहवा मंसीभर सो २॥पावसल्लो पुणासंस्थे तिखधारो सुहास्गो बदमवंतर सम्यगे, भिंदे कुलिसी गिरी जहा // 33 // अत्यगे गोयमा! पाणी,जे भवमयसाहस्सिए / सन्माय-माणजोगेण,घोरतवअंजमेण य॥१०॥ सल्लाई उधरेऊणं, विरया ता दुस्ख केसओ / पमाया बिउणतिरोहि, पूरिज्जती पुणोविय जम्मतरेसु बटुएसु, तवसा निहाइटकम्मुगो / सल्लुबरणस्स सामत्थ, भवंती कहरिजं पुणोतंसामग्जिलभित्ताणं जे पमाथवसं गए।ते मुसिए सव्वभाधेणं कल्लाना. Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'प्रीमहानिशीधसूत्रं : अध्ययनं? 33 . [15 / णं भवे भवे // com अन्धेगे गोथमा ! पाणी,जे पमायवर्स , गए। चरंतेवी तवं धीरं, सल्लं गोवेंति सव्वहाराणेयं तत्य वियाणति,जहा किंमम्मोहिंगोविधा पंचलोगपालडप्या, पंचेंरियाणंचन गोवियं // 1-9 // पंचमहालोगपालेहि, अप्या पंचेरिएरिया एक्कारसेहिएतेहि जंदिरठं ससूरामरे जणे ॥१९॥ता गोयम ! भावोसेणं, आया चिज्जपरं। जणं चउगइसंसारे, हि सोक्खेहि वंचिभो // 1 // एव नाठण कायध्वं, निध्यिहिथयधीरिया। मह उत्तिमसतकुंतेणं,भिं. देयया मायारकखसी // 19 // बहवे अज्जवभावेण, निम्महिमग अणेगहा। विणयातीअंकुसेण पुणो, माणगइंदंषसीकरे // 19 // महवमुसलेण ता घरे, वीसयरिस)यं जाव इरो / दहण कोहली हाहीमयरे निंदे संघडे // 19 // कोही येमाणो य अणिगहिथा, माया य लोभो य पवढमाणा। चत्तारि एए कसि. णा कसाया पोयंति सल्ले सदरुद्धरेबईपहं॥१९॥ उक्समैण हणे कोहं,माणं महवया जिणे। मायं च अवभावेणं, लोभं संतुरिठो जिणे // 19 // एवं निन्जियकमाएजे, सत्तभयाणविरहिए / अहठमयविप्यमुक्के य देजा सुद्धालो. यणं // 197 // सुपरिडं जहावतं, सर्व नियटक्कियं कहे। णीसंकेय असंखुडे, निभीए गुरुसंतियं // 19 // भूतोवुदडशेवाले, जह पलवे उज्जु दूरं / अवि उप्यन्नं तहा सवं,आलोयव्वं जहरिग्यं // 19 // पायाले पविसित्ता, अंतरजलमंतरेवा।क यमह रातोडधकारे वा, जणणीएविसमं भवे॥२०॥ जहवतं कहे यवं सबमण्यपि णिविखलं / नियक्कियसक्किरमाही, आलोयंतेहिं गुरुयगे // 20 // गुरुवि तित्ययभणियं पन्धि तं तहिकहे। नीसल्लीभवति तं काउं, जनपरिहर असंजमें // 202 // असंजमं भन्नई पावं, तं पावमोगहा मुणे हिसा अस. चं बोरिस्क, मेढणं तह परिग्गहं // 203 // सहाइंथिकसाए य, मणवइतणदंडे तहा। एने पावे अछडडंती, णीसल्लो यो Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EmAnamnnnnnnnnnn nnn (16) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशमौं विभाग 16] श्री आगमसुधासिन्यु: :: दशमो विभागःग: यणं भवे // 20 // हिंसा पुटवादिछ भया, महवा णवहसचोइसहा उ। महवा भणेगहाणेया, कायभेदंतरेहि गं ॥२०॥हिभोवदेसंप. मोतूण, सव्वुत्तमयारमत्थियं / ततधम्मस्स मव्वसल्लं.मुसा. वायं अणे गहा // 206 // उगमउप्यायगेसगया,बायानीसाए तत्य। पंचेहि ट्रोसेहि इसियं, मंडोवगरणपागमाहारं, नवकोडीहि असुद्धं परिभुजंती भवे तेणो // 207 // हिव्वं कामरईसुहं, तिविहंतिविहेग अहव उगलं। मणसा भञ्झवसंतो अबंभयारी मुणेथबो॥२०॥ नवबंभचेरगुत्ती विराहए जोय साह ममणीवा। दिदीमहवा सरागं, पजमाणो भायरे बंभर०६५ गया(पावमाणभइरितं, धम्मोवगरगं तहा।सकसायरभावेणं, आ वाणी कलुसिया भवे // 20 // सावज्जवदोसेमुं, आपुन तं मुसा मुगे। ससरबरवमवि अदिण्णं, जंजिण्हे तं चीरियं // 24 // मेढणं करकम्मेण सहाहीण विधारणे। परिज्गहं जहि मुच्छा, लोहो कंवा ममतंयं // 22 // अणूगोयरियमाकं, जे राइभोयगं। सहस्साणि इथस्स, रूवरसगंधारिसस्स वा ॥२३॥ण रागंण प्पहीसं वा, गच्छेज्जा उषणं मुगी। कसा. यस्स व चउक्कस्स, मणसि विज्मावणं करे // 24 // दुरठे मणीवईकायाहंडे को गं पउंजए। अमामुपागपरिभोगं,बीयकाय.. संघट्टणं // 215 // अछतो इमे पावे णो णं णीसल्लो भवे।। एएसिं महंतपावाणं देहत्यं जाव कत्थईएस्कपिचि. हए सुहम, णीसल्लो ताव णो भवे। तम्हा आलोयणं दाउं पायतिं करे। एथं निक्कवडनिहंभ, नीसल्लं काउंतव // 21 // जत्थ अत्थोवज्जेज्जा, रेवेसु माणुसेसुवाातत्य तत्थुतमा जाई, उत्तमा सिद्धिसंयया / लभेज्जा उतम रूवं, मोहग्गं जहणं नो सिन्झिज्जा तभवे // 28 // तिबमि / ॥महानिसोहसुयक्षंधस्स पदमं अज्झायगं सल्लुदरणं नाम सम्मत्तं // 1 // Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ an REAnnasannah anesamannam CHAMI MERATORamango Romeo angangana danlodindian desi __ श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 2 (17) श्री महाशीय सूत्र . अयन 2] एयरस य कुलिहियरोसी न दायवी मुथहरेहि कि. तु जो चेव एयरस पुवायरिसी आसि तत्व कत्थई सिलोगो कत्थई सिलीगलं कत्थई पथकावरं कत्यई अक्सरपंतियाक स्थाई पत्तगपुदिव्या काय बे तिन्नि पत्तगागि एनमा बहु. गंध परिगलियंति // सु०७॥ ॥अथ कर्मविपाकव्याकरणं नाम द्वितीयमध्ययनम्॥ निम्मनुर्वियमल्लेणं, सवभावेण गोधमा / साणे पति सेतु सम्मेयं पच्चम् पासियव्ययं // जे सी जेवि यासत्री, भव्वाभस्या उ जे जगे / सुहन्थी तिरियमुनाह, इमिहाडेति रसदिसिंग॥ अमन्नी दुविहे , वियलिटी एगिरि। वियले किमिळगुमच्छादरी, पुटवारी एगिरिए // पसुपरवीमिया सगी, नेरड्या मणुभा नरा / मन्वाभवावि अन्धेमुं. नीए उभयवज्जिए धमत्ता जति छायाए. विथगिती सिसिराऽऽवयं। होही सोक किलऽम्डाणं, ता दुकावं नत्यवी भरे // 5 // सुकुमाः लंग-गयतालु, खणदाहं सिसिरं वर्ग। म इमं अहिथामे,स. मकुणं एबमारिय॥ मेण संकप्परागाभी, मोहा अण्णाणवोसओ। पुलबारीसु गएगिंदी, ण यायती उम्प सुरजा परिचत्तं भागतेवि, काले बेइंदियत्त / कई औवा ण पावेती, केई पुमोsणादियाविया सीउण्हवायनिझडिया, मियपमुपस्वीमिरीसिवा / सुमिणतेविन लभते, ते यिमिसिजभतरं सु॥९॥ स्वरमसमतिम्पकरबत्ताइएहि फालिज्जता स्यणे स्यो / निवसंते नार. या नरए. तेमिं सोक्वं कुओ भरे ? // 10 // सुरलोए अमरथा सरिसा, सबमि भिम दुहं / उवाहिए वाहणताए.एमो भण्णी तमारहे // 1 // समतुल्लपाणिपादेयं, हाहा मे अन्न HTManoamaramananemnamainal ROMADRIDDnadandramanand sambani SVASTASVASTAUSANNASAANYAYASAY Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16036369376737कर (18) Shri 1. !.... वेरिणा / मायाभेण पिरिद, परितध्ये आथा वरिभो॥ सुहेसी किसिमंत, सेवावाणिज्जसि प्ययं / कुर्वतावन्निसं मणुथा, धुप्यते एसि ओ सुहे ! // 43 // परघरमिरीए दिरठा ए. एगे उदाति बालिसे / अन्भे अपडप्यमाणीए, अन्ने वीगाइ लछिए पुन्नेहि वइटमाणेहि जसकिनी ल. छीय वइटई। पुन्नेहि हायमाणहि, जसविनी लछी य खोथई॥४॥ वाससाहस्सियं कई, मन्नते एगहिणं पुणो।.. की गमें ति दुम्वहिं मण्या पुन्नेहि उन्सिया // 16 // सं. खेवेत्यमिमं भणियं, सम्वेसिं जगतुणं टुम्वं मा गुसजा. ईणं, गोयमा ! जंतं निबोधय // 19 // जमणुसमयमणुमवंताणं, सबहा उब्वेनियाणवि। निधिन्नाांयि दक्रयेहिवरगं न तहावि भवेदविहसमासओ मणएम. दरवं सारीरमागसं। घोरं पचंमहरोई, निविहं एन्केक्कं भवे // 9 // घोरं जाण मुद्नंतं, घोरपयंति ममय वीमा म / घोरपयंडमहारोडे, अणुसमयमक्स्सिामगं मुणे // 2 // घोरं मगुस्सजाईणं, घोरपयंड मुणे तिरिच्छीम् / घोरपडमहारोबारंय. जीवाण गोयमा ! सामाणसं तिविहं जाणे जानमन्सुः त्तम दुहं / नत्यि जहन्नं निरिगणं, दुहमुस्को संतु नारय IN0जत जहनगलुक्ख, माणुस तं दुहा मुणे। सुहमबायरभेषण, निबिभागे इतरे दुवे // 23 // समुधिमेसुम-, पूएसु. सूहम डेवेस बायरं / चरणकाले मतिरोणं आजम्म भाभिओगए सारीर नन्धि देवा, इक्वेण माणसेण य अबलिय वजिम हियय, सबव जे नवी मुडे // 25 // पिविभागेजणिप, मोन्नि मनमे दहे। मणुयाण नेममकरवाए, गमवकतिया TIRE भसखधारमाया दपरख जागे विमझिम / सरखेआउमणुस्सा, दमनं तुघेवुनकोस 527 // असोक्य वेथगा वाही पीडा दुकरवमणिव / ' भण गमाई केस, एबमारी एदिया बहामारीरयरमनि जाणय LOOGLEAR NAGARMA Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360RECRUA6060RRECRUAR RECR U PEECHAR भीमटा निशियसूत्रं :: recrt2). तं पवम्बई / सारीरं गोषमा ! टुमस्थ, सुपरिमुडं तमधारय // 2 // वालग्गको हिलावमयं, भागमित्तं छिये धुवे / अचिर अणण पदेससरं कुंधुमणहवित्ति खणं // 30 // तेणावि करक तिसल्ले, हिययमबासुर)(मुखसए तणू। सीथती अंगमंगाई गुरु,उनेइसव.सरीरं सत्भंतरंकय परपरस्सय॥३१॥ कथफरिसियमेतस्स, जे सलसलसले तणुं / तमनसं भिन्न सब्वंगे कलयलझतमाणसे // 32 // चितंतो हा कि किमेयं बाहेगुरूपीडाकरं। वीर बहमुक्कनीसासे, दुक्खं दुरवेण नित्य२॥३३॥ कमेयं कियचिरं बाहे:, कियचिरेणेव णिहिरहा। कटं वाऽहं विमु योसं!,इमाउ दुवसकडाउ गच्छंचे. ठं सर्व उरलं धावं वास पलामि। कंडगयं विपन्लोडं, किंवा पत्यं करेमिऽहं ? // 35 // एवं तिबरगवावारति-वोसरकखसंकडे / पविड़गे बादं संस्बेज्जा, आवलियाओ किलिस्सियं // 36 // मुणेऽहमेसझंडु मे, अण्णहा जो उवासमे। ता ए. वसवसापूणं, गोयम! निसुणेसुज करे // 37 // अहतं कुंधू बावाए, जई णो अन्नत्य गयं भवे / कड्यमाणोऽह भितारी अणुषसमाणो किलिस्सए ॥३४॥जश्वा बापुज्नावअंत कुं. ठंड्यमाणो व इयरहा। तो त अइरोहसाणंमि, पनिट गिध्यओ मुणे // 39 // अह किलमेतउभयो, रोह-माणेयरस्सउ / कंध्यमाणस्स उग देह, सदमटरज्यागं मुणे New समझे रोज्झागो, उसकोसं नारगाउयं / भनिस्पीपंडतेरिछ, अज्माणो समस्जिणे . कुथुपदफरिसजणियाने, हुस्खाओ उवसमत्थिया। पट हल्लकलीचने, जमवत्यतरं ag // 2 // निवण्णमुहलावणे, अइदीणा विमणदुम्मणा / सुणे चुण्णे यमदे से, मदहरदोहनिस्ससे // 53 // अविस्सामनुक्रवहेमहिं, असुह तरिछनारयं / कम्म निबंधताणं, भमिही / भनपरंपरं // 4 // व खोवसमाओ, तं कुथुवाश्यरज कुरा कहकहवि बहुक्लेिसेणं, जखणमेनं तु उसमे॥ AGROGRESPECHNOGRECORRECALCO. SHRSISTERECTORRECOREA Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (20) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशौं विभाग 2.] [11 37गमा सिन्धु:: दशमी भाग: सा महकिले समुत्तिन्ने, सुहिय से अताणय। मन्नतो पमुइभो हिठी, सत्यरित्तो विचिठ्ठई // 16 // चिंतई किल नियुओमि अहं, विलियं दुम्लपि में। कड्यणहि सयमेव,न मुणे एवं जला मए ॥४॥रोह-माणगएणं रह, अज्याणे तहेव या संवउगवत्ता उतंदुम् अणंतातगुणं कई॥८॥ जं वाणुसमथमणवरयं, जहा राई तहा रिणं। दूहमेवाणुभवमाणस्स. वीसामो नो नसे(भवे)ज्ज मे 40s समापि बरति / रिपसु, सागरोवमसंखया / रसरस निलिज्जए हिथयं, जेया / इच्छतताणवि॥५०॥ अहबा कि कुंथुजणियार, मुक्को सो जुम्ससंकड़ा। स्वीण हठकम्मसरिसा मो, भलेज जणुमेतेणेन उ // 4 // कुंथुमुखलम्वणं इनई सब्ब पच्चकवं टुक्खरं / अणुभवमाणोविजे पाणी, ण यागंती तेण वक्बई // 2 // अन्ने विउ गुरुयरे, उरलेसब्वेसिं संसारिणं / सामन्ने गोभमा! ता कि, तस्स ते गोदए गए ? // 53 // हण मरहं जम्मजम्मेसुं, वाथावि उकेरभागि३। तमवीह जं फलं देज्जा, पावं कम्मं पवुज्जयं तस्सुस्था बढ़भवरगहणे, जत्थ जत्थोवन-जइ / तत्य तत्य.स हुम्मंती, मारिजंती भमे सया // 55 // जे पुण मंगउवंगं या, अखि कम्णं च णासियं / झडिअहिटपहिठभंगं वा, कीटपयंगाड्याणिणं // 56 // कयं वा कारियं वावि, कमंतं पाहगुमथ / तस्सुहया चक्कनालिवहे. पीलीही सो तिले जहा। 57 // इक्कं वा गो दुवे तिणि वीसं नीमे न पाविया संस्थेचे वा भवम्गहणे, लभते स्वपरंयरं // 54 // असूया मुसाऽनि. दव्यय, जं यमाय भन्नाणदोसओ , कदप्यमाहवाएगंभ भिनिवेसे वा पुरो(णो) // 59 // भणियं भणादियं वावि,भन्नमाणंच अणुमयं। कोहा लोहा मया बासा,तस्सुहया एवं भवे // 6 // मूगो पूरमुहो मुस्खो, कलन्लाविलल्लो भो भवे। विहलवाणी सुयस्टोवि, सवय भक्वर्ग लभे ॥६॥वितह MMMMMMMMMMMMMMM AAP ROMANTM Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMA श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 2 (21) मी महानिरीधसूत्र : यनं [21 भणियं न त सव्वं, अलिययणवि नालियं। जंजी . यनियायलियं, निहोसं सर्वतयं // एवं- चोरितका. दिहलं सब कम्मारंभं निसादिया ललस्सावि भवे हाणी, अन्नजम्मकया दहं 10 एवं मेहुणहीसेणं, वेक्त्तिा थावरतणं। केसिमामगंतकालाउ, माणुसजोपी समाः गया // 6. दुकावं जगति बहारं, अहिथं सित्यापि मुंजि. या पीडं करेइ तेसि तु, तण्हा वाहिवाहे सणे खगे // 65 // अडाणं मरणं तेसि, बजप्यं करडासणं / थायु. व्वालं गिनिन्नाणं, निहाए जति गो वर्णि uff एवं परिगहारंभोसेगं नरशाउयं / तेत्तीससागरूक्के, वेइता हहमागया // 67 // छुहाए पोज्जिति त्तभुतु. त्तरेऽविथ / बरंता इतिसंतति, नो गच्छती पक्से जहा। 6 // कोहाही तु होसेणं, घोरमासीविसत्तां। ता नारयं भूओ. रोहमिच्छा भरति ते 56 टकड़. कवनिथडीए, उंभाभी सुरं गुरुं। वेइता चित्ततेरितं, माणुसजोनि समागया // 7 // कर बहुवाहिरोगाणं.दु. खसीगाण भायणं / दारिदकलहमभिभूया, भिमणिज्जा भवंतिह // 7 // तस्कम्मोरयरोसेमं निच्च पज्जलियनोंदिणं / ईसारिसायजालाहि धगधगधगस्सय // 72 // जेमंपि गोयमा ! बाले, बहसंधुल्फियाण या तेसिंदुच्चारियोसो, कस्स कसंतु ते इह एवं जयनियमभंगेणं, सीलम्स 3 खंडोण वा असंजमपवत्तणया, उस्मुत्तमञ्जाथरगाणया) 9 गेहि वि तहाथरणेहिपमायासेरणाहिय। मणेां अत्दा वाथाए. अहवा कारण हत्थई, कयझारगागुमएहि वा.प. मायासेवणे य॥५॥ तिबियमगिनियमगरहिथमणालोइय-मपरिहं. त-मकरपाच्छित्त-मविदासयीसउ समल्लो भाग Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (22) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशौं विभाग गन्भेसुं परिधय) अगतसो वियलंते दुनिभरपंच. * अहं मासाणं असंबखरी करमिरचरणधवी सू०१॥ लडेवि माणुसे जम्मे, कुट्टीवाहिसंजुएं / जी. वंने चव किमिएहि, खज्जंती मज्यिाहिय,अणुदियह खंडखंडेहिं सडहउस्स सडे तणु // 6 // एवमादीदुक्रवाभिभूयए, पलजणिज्जे सिंसणिज्जेनिंदणिज्जे गरहणिज्जे, उब्वेणिजे अपरिभोगे, नियमूहिसयण. . . बंधवाणवि भवतीति दुस्प्यो / // 77 // अज्सवसायविसेसतं. पडुच्या केई तारिस / अकामनिजराए उ, भूयः पिसायत्तण लमते // 7 // पुवसल्लभस्स दोसणं बहुभवतरछाइयो / अज्झवसायविसं तं, पञ्चाकई तारिखं ..इसमुवि दिसासु उदुद्धी, निच्चदपिए दटं / णिस्थल्लनिकस्सासो, निराहारेण पाणए .com सेपिडियगर्मगो थ, मोहमदिराए घुम्मरिंए / मदिहागमणअन्यमणे, भवे पुढबीए गोलया किमी // 1 // मनकादिरातीए वेएत्ता तं तेहि किमियत्तर्ग। जह कहवि लहंति मगुरन, तो उ तो ढुति णयुसमेun. अन्झवसायविसेस तं. पवते अइरधोररुई / तारिसेव महसक्किया, मरि जम्म जति वणस्सइं ३॥रणास्स इगर जीवे, उपाए अहोमुहे / विचिदति अणतय काल नो लभे बर्दियत्तण भवकारितीए वेपत्ता तमेगबितिचउसिंस्थितग त पूवसल्लमोसेणं, तेरिसूब वन्जि॥५॥ जब भने महामच्छ पंक्षीवसहसीहादी। अन्झवसायविसेस ने. पड़च्च अच्चतकरतरं / काणममानारत्ताए, पंचेदियवहेणा 4 / अहो अहो पविस्सति जाव पुथ्वी 3 सत्तमा // 3 // त तारिसं महाधोरं, एक्स. मणुभवि चिरं / पुणोविकरतिरिपसु, उववजियनरयं, वए uren एवं नरयतिरिरछेसुं परियटतो विधि Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 2 (23) stri : यवना 2] 23. ई / वासको डीएविनो सक्का कहिलं, जं तं दुकाय अणुभवमाणगे // 9 // मह खसहरबल्लेसुं, भज्जा ताभवंतरे। सगडाइरलगायइटणभरूबहणस्तुण्हसी. याययं / / 90 // वहबंधणंकणणासाभेदपिल्लंधतहा। जमलाराईहिं कुच्चाहिं कुञ्चिजंताण य, जहा राई तहा दियहं, सबडादा) उ सुदारुणं // 9 // एवमाडरीदुसरवसंघट, अणुहति विरेण 3 / पाणे य एप्पयाहिति कहकह. वि, अहरज्झाणहटिटर // 2 // अज्झवसायविसेसं तं, पञ्चा कई कहावि लभते माणुसतणं / तप्पुवसल्लरोसेणं, माणुसलेवि आगया // 63 // भवति जम्मदारिद्दा, वाहीवसपामपरिया एवं अरिहठकल्लाणे,सरजणस्स सिरि हाउं // 9 // संतप्यते दट मासा अकयभवे मिहणं वए। अन्झवसायविसेस तं, पड़थ्वा केर तारिस // 15 // पुणोवि पुरविमाईसुं,भमंती ते दुनियरोपं.दिएसु नाति तारिस महादुक्खं, सुरुठं घोर. हारुणं // 66 // चउगइसंसारकंतारे, अणुभवमाणे सुइसह। भवकायटितीर हिंडते, सव्वजोणीसु गोयमा ! // 9 // चिठंति संसरेमाणा जम्ममरणबहवाहिवेयणा-रोगसागहालिहकलहरूभक्रवाणसंभाविगभवासादि दरखसंघड़िए तय्युनसल्लहोसेणे निव्वाणाणंदमहसवथामजीग्ण-भरणारससीलंगसहस्साहिरिग्यास सब्बासुहपावकम्मररासिनिद्हणअहिंसालमवयसमणधम्मस्स बोर्हि णो पातिति। भझवसायविसेमंतं, पड़(मुच तारिसं। पोग्गलपरियहरलक्लेसु, बोहि कहकहवि पावर // 9 // एवं सुदुल्लह बोहि; सबटुक्रवारवयंकरं लणं मे पमा. एज्जा, तहत सो पुणो वए // 19 // तासुतासूच जोणीसु.प. तेण कमेण पिंय तेणई चेव, दुक्खे ते येव अणुभवे // 10 // एवं भवकाग्तिीर,सव्यभावेहि पोज्गले। सवै सपज्जए लीए, सन्ववन्तरीहि य // 10 // गंधत्ताए Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24] / श्री 37 मशि : :: दशमो विभागः / रसत्ताए, कासत्ताए संगणताए / परिणामेता सरीरेणं, बो. / हिपाविज वा ण या 302 // एवं वयनियमभंगंजे कज्जमा मुवेक्सए / अहसील वंडिज्जतं, महवा संजमविराहणं .. १०३॥उम्मग्गयरत्तणं वावि, उस्स्त्ताथरणपि वा / मोडविथ . अणंतरुत्तेण, कमेण चउगईभमेवoen ससउ तुसजी फो मावा, विसं वा परियतभी। भासियव्वा हिया भासा सपरख गुणकारिया // 15 // एवं लदामविबोहि जदयोभवइ निम्मला / ता संडासवहारे पगठिइपएसाणुभावियबंधी) नेहो सो नो यनिअरे // 10 // एवमाहीघोरकम्महठजालणं कसियाण भो! / सन्वेसिमवि सत्ताणं, कभी दवा विमोययं ? // 10 // पुब्बि दुक्कथञ्चिग्णाण दुप्पकिंतागं निययकः / मागं अवैझ्याणं मोक्यो घोरतवेण असोसियायवा॥ सू०२॥ अणुसमयं बधवच्चाए कम्म, पत्थि भबंधोउ पाणिणो / मोतुं सिद्धे यउयोगीय, सेलेसीसंम्पितहा 500 सुर सुहज्ज्ञवसाएण, भसुदुज्सवसायभी। तिव्ययरेणं तु तिःवयरं, मंद मंदेण संचिगे // 1095 सव्वेसिं पावकम्माणं एगीभूयाणा जेनिथ सि / भवे तमसंवगुणं वयतवसंजमधारितखंडणविराहणेणं उम्म / त्तमरणपन्तरणपरतणायरगोवेक्षणे यसमन्जिोusoon अपरिमाणगुरुतुंगा, महंती घणनिरंतरा / पावरासी / खयं गच्छे अहाते स०वो बाहिरवाए हियामायरे॥१०॥ भास: वहारे निलंभित्ता, अप्यमारी भवे अथा। बंधिसप्पं बई वेरे,जद : . सम्मत सुनिम्मलं // 14 // भासदारे नि भेत्ता, भायं नोखं.. / डए जया। हँसणनाणचरित्तेसु, उन्मुत्तो जो व्य) दृढं भवे utu तयावए खगंबंधि, पोराणं सव्वं खवे। अणुयामवि उई'रिता, निन्जियघोरपरिसहो // 3 // भासवहारे निमित्ता, मव्वा." Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीय सूत्र: यरनं 27 साथणविरहिमो। समायझाणजोगेसुं. धीरवीर तवेरी 111144 // पालिज्जा संजमं कसिणं, वाया मणासाथ कम्मुणा। जया तथा बांधिज्मा, उक्कोसमणंतं च निजरेसव्यावस्सगमुजुली, सव्वालंबणविरहिओ। विमुम्को सब संगहि, सबझभतरेहि य / / 336 // गयरागहोसमोहेयनिमियागो भरे जथा। नियत्तो विसयक्तीए.भीर गब्भ. परंपरा // 11 // आसवदारे निरूभित्ता,खंतादीयमवि संठिए। सुस्कझागं समारुहिय, सेलेसि पडिज्जिए॥४॥ ____तथा न बंधा किंचि, चिरकद्धं असेसरि निहिय झाणजोगभरणीय भसमीकरे दटं लदुपंचम्पलग्गिरणमितेण कालेण भवोधग्गाहियं ॥सू०५॥ पूर्व जीमधीरियसामत्था, पारंपरएण गोथमा।।पविमुस्ककम्ममलकवया, समएणं जति पाणियो // 11 // सासयसोक्खमणाबाई, नरोगअरमरणविरहिथं। अदिदग्दुक्खारि,निचाणंद सिवाल4800 भत्थगे गोयमा! पाणी, जे एयमणुपरसिय। आसवहारनिरोहादी, जयरायसोक्षं चरे५४७॥ ताजाव कसिगढ़ संजमेण उरणो मिड्ढे सुहंताब, नस्थि सिविणेऽवि पाणिगं // 122 // तुक्यमेवमविस्साम, सम्वेसिंजगजंतूर्ण। एस्कसमयं न समभावे,जे सम्म भहियासियंतरे 23 // धेवमविवतरं धेवयरस्साविधेयर्य जेवं गोधमा! / / ना पड, कुंथु तरसेव यणं नयू An पायतलेसुनतम्सा. वि,तेसिमेगदेसमा / फरिसतो कुंजेणं, चरई कन्सरसी रंगे // 5 // मुंपुर्ण सथसम्सेणं, तोलियं गो पलं भवे।ए.. गस्स वित्तियं गतं?, किंवा तुललं भवेज मे१६ तस्स थ। पायथलदेसणं, तस्स परिसिड नमवत्यंतरं। पुश्कुन गोथमा! गच्छ पाणी ताणं इम मूणे ॥१७॥भमंतसंचरतीयरिणी1 'मरले नयूनिकरे उधवयं तायवाणं), गियावासीय विषये Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (26) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशमौं विभाग .26 [&Amp :: PAADHARY uRe मह निरठे खणमेगं तु, बीय नो परिवसे स्वर्ग। भह बीपि विरतेजा. ता जुजउऽयं तु गोयमा! ॥१९॥रारोणं नो पोसेणे मरेणं न केगई। न भावि पुटबवरेणं, खेड्डा. नो कामकारओ // 130 // कंध कस्सइ देहिस्स, भारहेई खणं तणू। वियलिंदी भूण पाणे वा जलंतरिणं नावी निविसे // 31 // नविते न जहा मेस, पुनवीरवा महीना विधी मम खेम पाट वा, सजोमि एयरसाहं॥३२॥पुवकर. पावकम्मरस विरसे भुजतो फले। तिरिउड़हदिसाणुदिर, कुथु हिंडे राय से // 13 // चरते व महावाए सारी दुम्स.. माणसं / कुंथुवि दृसहं जले() रोहटन्झागवइटी ना सल्लमारभेनाण, मणजोगन्मयरेण या समयावलियमुहसेवा सहम्सा तस विवागय // 1354 कह सहिहं बहुभवग्गहणे, दुहमणुसमयमहगिणसं / घोरपयंडव महारोह ?, हाहा. sबंदपरायणा // 36 // नारयतिरिछोणीसु, अज्झात्ता गासरणोविय। एगागी ससरीरेणं, असहाया कडुविरसंघगं 137 // असिवणवेधरणीजंते, करवने कूडसामलि।कुंभीयवायसा सीह,एमादी नारए दुहे ॥३८॥णत्यकणवहबंधेय, ' पेल्लुक्कतविकतणं / सगडाकइटणभरुवहां जमला यतणा Bहा 139 // स्वरखुरचमदणसत्थरीरयो भगंजणमाइए परयत्वाऽवसणितिसे टकरवे तेरिच्छेतहा 13000 कंधपथरिसमणयंपि, टुक्रव नहियासिउं तरे / ता तं महदुम्स. संप्रदर, कह नियरिहि सुदारुणं॥१॥ नारयतैरिच्छ. दुकस्वार, कुंथूजणियाउ अंतरं। मंदरगिरिमगतगुणियास, परमाणुस्सावि नो घडे // 42 // चिरयाले संमुहं पाणी, कखंती आसाए निच्चो / भने दुस्खमईयपि,सरंतोऽचतक्रियो // 1830 बटुक्रव संकडइत्थं, आक्या. लक्ख परिगए। संसारे परिनसे याणी, अयंडे मन्जिला // 11 // पत्थापत्धं अथागते, कज्जाकजहियाहिये / स. Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 2 (27) श्री मशीशम मायने 27 च्चासचमसच्चं च, चरणिज्जाचरणिज्जतहा॥१०॥ एव. इयं वइयरं सोत्या, दुक्खस्संतगवेसियो / इत्थीपरिगहारं. भे,चेज्जा धोरं तवं चरे // 156 // बियासणस्था सयिया परं. मुही, सुथलंकरिया वा अनलंकिया वा। तिरिक्खमाणोपमया हि दुःबलं, मणुस्समालेगमावि करिसई // 17 // चित्तभितिन निझाए, नारिका सुयलंकिय। भक्खरंपिव दणं, दिरिठ परिसमाहरे हत्थयायपडिधिन्न, कनासो बियम्पियं। सडमाणी कुवाहोए,(तमवि-धीय दरयरे) बभयारी विवज्जए॥१॥ परभज्जा आइत्थी, पच्चंगुठभडजोबणा / जुनकुमारि पत्थवयं,बालवि. हवं तहवय // 50 // अंतरवासिणी चेव, सपरयासंडसंसियादिकिरवयं साहनी वावि,सं तय नपुंसगं ॥१५॥कम्ति गोणि नरिंचव, बडवं अविलं अवि नहा। सिप्पित्थि पंसुलिं वावि, अंमरोगमहिलं तहा // 152 // चिरसंसहठमविलमय / पमादी पावित्थिओ। पगमंती जत्थ रयणीए, अइपइरिंबके दिणस्स वा // 153 // तं वसहि संनिवेसं वा, सम्बोवाएहिस वहा / दूरया सुदइरेयं, बंभयारी विवज्जा // 54 // एए. सिं सद्धि संलावं, अदाणां वावि गोथमा! / अन्भासु वावि इत्थीसु, खादंवि विजए // 155 // .... से भयवं! किमिल्पीय जोगिन्साएज्जा 1 गोयमा ! यो णं णिन्झाएज्जा, से भयवं वि मुणियत्यं वत्थालंकरियविहसियं इत्यीयं नो यं निझाएज्जा उया यं रिणियंसणिं,गोथमा! उभयहावि गोग मिसाज्जारा से भयवं! किमित्यीयंनो आलज्जा! गोयमा! नोमं भालवेज्जा३॥ से भय ! किमित्यासु सदिखणधमरियो संवसेज्जा ? गोयमा! जो संवसिज्जा से भय ! किमिन्या. Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (28) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशमों विभाग .20 . श्री आगमसुधासिन्धुः। दशमो विभाग: सु सहि नो भला पडिवज्जेज्जा'? एगे अभयारी एकि पीए सद्धि नो अ मा नो अडाणं पबिजेसा ॥सू०॥ से भयवं! के अरठणं एवं उच्चद- जहाणे जो इत्थी निझाएज्जा नो भालज्जा नो गं तीए सर्षि परिवसेज्जा नी गं अहाणं पडिवज्जेज्जा ! गोषमा! सव्वप्पयारहिणं सबित्मीयं अच्चत्य मउक्कडताए रागणं संधुनिकज्जमाणी कामगीए संपलित्ता सहावी व किसहि बाजिद,तभी सवययारेहिं गं बाहिज्जमायी मणुसमयं सवदिसिविदिसासुंगं सब्वत्य क्मिए पत्थिज्ज जावणं मम्वत्य विमए पस्थिज्ञा तारण सम्बन्ध पगारहिं गं सवहारिपुरिसे संकयेज्जा / जाव पु. रिसे संकयेज्जा ताव मोहंरिभाषओगताए बक्युरिह. भोवीमत्ताए रसगिरिभोवोगत्ताए पाणिदिभोवओश. ताए फासिदिभोनभोगत्ताए जत्थ णे केई पुरिसे कंतरूनेड या अतरवेदना पड़प्पन्नधोबोहवा अपडप्पन्नजोब. गेड या दिवेशवा अदिग्बेड़वा इस्टिमतेइ वाम णिढिमतेइवा इहिपतेश्वा अणिडिठपतेइ वा विसया 'उरे वा लिब्धिनकामभोगेइ वा उदयबोंबीएडवा भगु: यबीएड वा महासत्तेरवा हीणसत्तेन वा महापुरिसेश नाकापुरिसेर वा समणेरवा माहोर बा भन्नथरेवा निंदियाहमहीणजाइए वा, तत्य णं ईहापोहवीमंसं पउंजिताणं संजोग संपत्ति परिकम्पे(जाएजाश जारणं संजोगसंपत्ति परिकप्येज्जा तावणं से चित्ते संखुरेभ वेज्जा / जाव से चिते संखुः भवेमा ताव मंने वि.. ते विसंवएज्जा / जार णं से चित्ते विसंबएज्जा तावणं से देहे सेमिएणं अहसासेजा जावयंसे देते सेएणं अदासेज्जा ताव णं से हरविदरे बहपरलीगावाट पर. सेना 7 जावयं से दरनिहरे परलोगावाए पमुसेजा Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 2 (29) / श्री महानिशीथसूत्र. पयज 23 ताव णं चेचा लज्ज भयं अयसं अकिात्तं मेरं उच्चराणा भी णीयगणं ठाएज्जा / जाव णं उच्चगणाओ नीयः ठाणं ठाएज्जा ताव णं वच्चेज्जा असंखेज्जाभो समयावलियाओ / जाव णं निजंयति असंखेज्जाभी समथावलियाओ तावणं जं पटमसमयाओ कम्मठियंतं बीयसमयं पडुच्च तश्यारियाणं समयाणं संखेज मसं. खेज्ज अणंतं वा अणुक्कमसो कम्मठियं संचिणिज्जा / जाव णं अणुक्कमसो अणंतकम्मठिइंसंरिगर तावणं असंवेज्जाई अवसप्पिणीकोडिलक्खाई जावइपुणं कालेपं परिवत्तंति तावश्यं कालं दोसु चेव निरयतिरिछासु गतीसुं उक्कोसरिग्इयं कम्मं आसंकलेज्जा 1 जाव णं उक्कोसटितियं कम्ममासंकलेज्जा ताव णं से विवष्णतिविषण्णकतिविचलियलायण्णसिरीयं निन्नहदितितेयं बोंदी भवेज्जा 12 / जाव णां चुपकंतिलावण्णसिरीयं णितेथं बोही भवेज्जा ताव ग से सीइज्जा फरिसिदिए 13 / जावणं सीएज्जा फरिसिदिए ताव सम्वहा दिव स्टेज्जा सम्वत्थ चकखरा / जाव सम्वत्थ विक्टेया चक्रवरागे तारणं रागालणे नयणजयले भवेज्जा / 'जाव गं रागाको नयणजुयले भवेज्जा तान गं रागंधसाए ण गणेज्जा. सुमहतगुरुदोसे वयभंगे न गणेज्जा, सुमहंत गुमदोसे नियमभंगे न गणेजा, सुमहतघोरपावकम्मसमायरणं सीनखंडयां न गणेज्जा, सुमहंतसबगुरुपावकम्मसमायर संजमविराहां न गणेज्जा, घोरंधयारपरलोगस्वभयं न गोज्जा, आयं न गयोग्जा, सकम्मगुणायागं न गणेज्जा, ससुरासुरस्साविणं जगरस अलंघणिवं आणं न गणेजा, अांतहत्तो चुलसीइजोणिलक्ख परिक्तगन्मपरंप अलगिमिसजसीक्वं चउगश्ससारदुक्खं पासिंजा, जपासणिज्जे पासेजा 5 अपा-सलिं -- -- Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GROCAREENAERECAUSER A UGUAE%ECHARGAON (30) 30 s h : HTTART रिय. समो विभाग: . . सव्वजणसमूहम झसंनिविठुठिया णिवन्न चकमियनिशिक्षिज्जमाणी वा दिप्यंतकिरणजालहस दिसीपयासियतवंततेपरासी सूरीएवि तहावि गं पासेज्जा सुन्भधयारे सम्बदिसाभाए 16 / जाव aaN राशंसाए ण गणेज्जा सु. महल्ल गुम्दीसवयभंगे सीलबंडणे संयमविराहणे परलोगभए आणाभंगाइक्कमे अणंतसंसारभए पासेज्जा अपासणिज्जे सम्वजण पडरिणयरेविणं मन्नेज्जा सुन्नधथारे सव्वे दिसाभाए ताव गं भज्जा अध्छतनिभठसो. हग्गाइसए, विरछाए रागारुणपंहुरे दुईसणिज्जे अणिरिकवणिज्जे वयणकमले भवेज्जा 11 जावं च अच्छतनिभहठ जाव भवेज्जा तावणं फुरुमुरेन्जा सणियं सणियं पोडूपुडनियंबरच्छोरहबाहुलाउरकंठपाएसे 18 / जावणं फुरुरेंति पोडपुडनियंबवच्छोरहबाहवलयउरकंठयारसे ताव गं मोट्टायमाणी अंगपाडियाहिं निरूवलम्वे वा सोवलकवे वा भंजेज्जा सव्वंगोनंगे 19 // जावयां मोट्टायमाणी अंगपालिथाहिं भंजेज्जा सब्बंगोवंगे नाव. णं मयणसरसन्निवाएणं अज्जरियसभिन्ने निभे) सव्वे रोमकूवे तणू भवेज्जा 20 / जाव णं मयणसर. सन्निवाएणं विदंसिए बोंडी भवेज्जा ताव णं तहा परिणमेज्जा तणू जहा गं मणगं पथललयंति धाओ सा जावणं मणगं पयलंति धातुओ ताव णं अध्यय वाहि. ज्जति पोग्गलनियंबोरुवाहलझ्याओ 22 / जाव ण अध्यत्य वाहिज्ज नियंबोरुबाहलक्याओ ताव गं तुकवेणं धन्या गत्तयदि २३जाव' दुक्खेणं धरेजा गत्तयदि ताव णं से गोवलक्वेज्जा अत्तीयं सरीरावत्यं / / जावण पोवलकावेज्जा अत्तीयं सरीरावत्थं ताव णं टुवालसहि समहि दरनिच्चि भने बोडी 25 / जाव र्ण दुवालसे. हिं दरनिश्चिरठे बोंदि भवेज्जा ताव गं पडिखलेजा से UCSGRLCASSECREECTECRECRU BRRIERGREGISTERESHE S R EGA. Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GRESOLEMA3367RENTUREAS6062 CREA6626L6ESPELASSRAEL [31 श्री महानिशीशसूत्र :; 3217 ] सासनीसासे 26 / जाव णं पडिललेला उस्सासिासे ताव गं मदं मंदं ऊससेज्जा मंरं मंदं नीससेज्जा 27 / जाव णं एथाई इतियाइं भावंतरभवत्यंतरारं विहरिज्जा ताव णं जहा गहग्यत्य के पुरिसेइ वा इथिएइ वा वि. संउलाए पिसायाए भारतीए असंबद्ध संलवियं वि. संतुलं तं अच्छतं उल्लविज्जा एवं सिया णं उत्थीयं 24 / विसमावत्तमोहणमम्मणालावेणं पुरिसे दिदग्पुवेरवा आदिठपुरवा कंतरानेहवा अकंतरूवैवां गयजीवणेइ वा पडुप्यनजोवणेई वा महासत्तेरवा हीणसत्तेरवा सय्युरिसैर वा जावणं (कापूरिसेइ वा इडिट मंतेइ वा अणिठिमंतेई वा विसयाउरेइ वा निम्विन्नकामभोगेइ वा सम. गेर वा माहणे वा) अन्नथरे वा कई निदिथाहमहोणजाइए वा अज्झत्येणं (ससप्तसेणं भामतेमापी उल्लाबेज्जा 29 / जाव गं संबज्जभेदभिन्नणं सरागेणं सरेण हिंदठीए वा पुरिले उल्लावेजा निज्साएज्जा ताव णं जंतं असंखेज्जाइं अवसप्पिणीउस्सप्यिणीको डिलक्रवाई होसुनरयतिरिछा. सु गतीसुं उक्कोसरिठतीयं कम्म आसंकलिय आसि तं निबंधिज्जा, नो णं बछपुलु करेन्जा,सेऽव णं समयं पुरिसस्स णं सरीरावयवफरिसणाभिमुहे भवेज्जा णो णं फारसेज्जा तंसमयं चेव तंकम्मदिराई बरपुठं करेज्जा, नो णं बद्धपुदनिकायंनि 30 / सू०७॥ पुयारसरम्मि उ गोथमा! संजोगेणं संजुज्जे. ज्जा, सेऽविणं संजोए पुरिसायत्ते, पुरिसेऽविगं जेणं ण संजज्जे से धन्ने जेणे संजुज्जे से अधण्णे // ॥से भयवंकेगं अट्ठेणं एवं बुधर जहा पुरिसेवि गंजेणे न संजुज्जे से धन्ने जेणं संजुज्जे से गं अधन्ने 1 गोथमा जे णं से लीए ३.थीए पानाए बमपुहठकम्मलिई चिह UAENAGRESENTENTENCESTERNA 0672610CREASARALSO Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ COMunamanneONOMONEn MARWADVANTALESLAILABLESCELLENCELY (32) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशमों विभाग - 32] श्री आगमगुवा निः दशमो विभाग: से गं पुरिममेगेणं निकाइजर, तेणं तु वरपुरठनिका. एणं कम्मेणं सा बराई तारिस अन्सवसायं पधा एगिंदियत्ताए पुढवाहीमुं गया समापी भयंतकाल परियस्टेणविणं णो पावेज्जा बेइंदियत्तगं, एन करकविबहक सेण अणंतकालाओ एगिंपियत्तणं खविय बैदियसं तेहंदियत चउरिदियत्तमवि केसेगं वेयता पंजेरियतणं आगया समाधी भगिwिr पंडतेरिछ वैय-. माणी हाहाभूयकसरणा सिविणावे अदिहलसोक्खा . निच्चं संताब्वेविया सुहिसयणबंधनविवन्जिया माजम्म कुछणिज्ज गरहणिज्नं निंदणिज्जं खिंसणिज्जं बहुकम्मतेहि अणेगचाडसएहि लद्दोदरभरणा सबलोगपारभूया चउगईए संसरज्जा, अन्नं च णं गोथमा! जावइय तीए पावइत्थीर बद्धपुरनिकारथ कम्मरिंग्यं समन्जिय तावइयं इत्थियं अभिलसिउकामे पुरिसे उकिलुम्किरायरं अर्गतं कम्महिं बद्धपुहठनिकाइयं समन्जिणिजा, एतेणं अवेणं गोथमा! एवं बुच्चद जदा णं पुरिसेवि णं जे नी संजुन्जे से धन्भे जे णं संजुज्जे से अपने ॥सू०९॥ भयवं ! के गं पुरिसे गंपुच्छा, जाव णं क्यासी? गोथमा बिहे पुरिसे नेये, तंजहा- हमारमे अहमे विमन्झिमे उत्तम उत्तमुत्तम य सव्वुत्तमे // सू०१०॥ तत्य जे सकुत्तमे पुरिसे से पचंशुभडजोवणसम्वुत्तमरूवलावण्णकतिकलियाएवि इत्थीए नियंबारूटो वाससयपि चेठिज्जा णो ण मणसावित इत्थियं अभिलसेज्जा ॥सू०११॥ जेणं तुसेन तसत्तमे से गं जइकहवि तुडितिहापुणे मपसा समयमेवक भभिलसे तहाविबीयसमए मणं संनिभिय अनाणं नि: दिज्जा गरहेज, न पुणी बीपणं मजमे इत्यीय मणाभावि ORMOURRIDORMINATIOM MITAMINORAMIO MOTI ORATIOCHAIDAMRIDORAMOOTRAM) VAAVASOSYASYOYAAAAAA Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免密免染染染免染染染免染染染 णं निषा , तस्ससारिभत्तण नियकलतेण मी महानिधिसूत्र.: ययनं 2. [33 उ अभिलसेज्जा राजेणं से उत्तमे पुरिमे से जपलहविखणे मुहतं वा इत्थियं कामिज्जमाणि पेक्षिा तभी मणसा अभिलसेजा जान गं आमं वा भाइजामें ना णो णं इत्मीए सम विकम्मं समायरंज्जा 2 // 2.12 / जहणं बंभयारी कयपचक्रवागाभिगठे, अहा शं नो बंभभारी नी कयपधारवाणाभिरग? तों णं नियकलते भयमा, य उणं तिब्वेसु कामेसुं अभिलासी भविज्जा, तस्स एयरस णं गोथमा ! अ. स्थि बंधे, किंतु अणत संसारिभत्तणं जो निबंधिज्जा // 2013 // जेणं से विमन्झिमे से गं नियकलोण सधि चिय इमं समाथरेजा, यो यं परकलतेयं, एसे.यणं जा पछा उगबंभयारी नो भवेजातो णं अज्झवसायविसेसं तं तारिसमंगीकाऊणं भगतसंसारियलणे भयणाराजओ णं कई अभिगथजीवाइपभत्थे भवसते आगमागुसारेणं सुसानणं धम्मोवठेमहागाई दाणसीलतवभावणामएचबिहे धम्मसंध समज्जा से यां जकहवि नियमनयभंग न करेजा तो गं सायपरंपरएणं सुमाणुसत्तसुदेवताए जाव णं अपरिभडियमम्मत्ते निसगीण वा अभिगमण वाजाय अड्गरससलिंगस हस्सधारी भक्त्तिाणं निम्हासबारे वियरयमले पावयं कम्मं सवेत्ता सिम्झिज्जा // 1 // जेय णं से अहमे से णं सपरहारासत्तमाणसे अ.. गुसमयं करन्झवसायसनसिरचितेहिं सारंभपरिग्गहाइसु अभिरए भज्जा, तहा णं जेय सेम हमारमे से गं महापावकम्मे स०वाओ इत्यीभो वाया मणस्सा य कंमुणा निविहतिविहेणं अणुसमयमभि-. लसंज्ञा तहा :अध्यंतरवसायमन्सवसिएटिं RRRRRRRRRRREE Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免杂杂杂杂杂杂杂杂***免会 34 . श्री आगमसुधासिन्धुः:: दशमो विभागः ... चित्तेहिं सारंभपरिगहासत्ते कालं गमेज्जा, एएलि होण्हवि गं गोयमा ! अणंतसंसास्थितणं गेयं / / 013 // भय जेणं से अहमे जेऽविणं से अहमाहमे / पुरिसे तेसिंच होण्डपि अयंतसंभारियतणं समकवाय / ती एगे अहमे एगे अहमा हमे एतेसिं होण्ठपि पुरि. सावत्याणं के पइविसेसे ? गोथमा ! जे से अहमपुरिसे से गं अनि उ सपरदारामत्तमाणसे करन्झ-. (वसायज्सवसिएहि चित्तेहि सारंभपरिग्गहासत्तचिते. तहाविणं दिवियाहि साहुणीहिं अन्नयहिच सीलसंरक्षणं पीसदोषवामनिरयाहिं दक्वियाहिं गारत्थीहिं वा सर्कि आवडियपिल्लियामंतिएविस|माणे गो य चियमंसमायोज्जा, जेय गं से अहमा.हमे पुरिसे से णं निथजणणिपभिई जाव णं दिक्षि। याहिं साहुणी हिपि समं चियमसं समायरिज्जा, तेणे चेव से महापावकम्मे सव्वात्माहमे समस्याए, से गं गोथमा! पइविसेसे / नहाय जे जसे अहमपूरिसे से गं अयंतेयं कालेणं बोहिं पावेज्जा,जेय उण से अहमहमे महापावकारी विभिषयारिपिसाहुणीहिपि समं चियमंसं समायरिज्ञा से भयंतहत्तीवि अगंतसंसारमाहिडिऊगपि बोटिं नो पावेजा, एस गं गोथमा ! बितिए पइक्सेिसे २॥सू०१५ तत्थ गंजे से सम्वुत्तमे सेणं मत्यवीयरागे येथे | तसे उत्तमनसे से गं अणिहिटफ्तपभितीए जाव णं उक्समगे ना रखवाए वाताव गं निभोण्यीयजे. | चसे उत्तमे से यं अय्यमनसंजए ए. यूवमेसिनि. रूपणा कुज्जा // 17 // जे उण मिरधादिहती भविठयां उगभयारी भवेज्जा हिसारंभपरिग्गहाईणं विरए से मिच्छदिदी चैव, यो सम्महिनी, तेसिंचणे RRRRRRRRRRRRRE Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 922222222 Hariranji in . 35 अवेश्यजीवाइपयत्यस माना गोयंमा! नो गं उत्त. मत्ते अभिनंदणिज्जे पसंसणिज्जे वा भवइ.जमओये अणंतरभरिए दिन्तोशलिए सिए पत्थेजा / अन्नं कथाहरी तितिविधियादी संचिक्षिया तओ णं बंभ-वया ग परिभसिज्जा, णियाकडे वा हवेज्जा २॥सू०१४॥ जे य aaN से विमसिमे से नारिसमज्सवमायमंगीविच्याणं विरयाविरए दहा-वे॥ सू.१९॥ तहा यां जे से अहमे नहा जेणं से महमाहमे तेमिं तु एगतेणं जहा इत्यीसुं तहा नेए जाव णं कम्महिंदयं समजेजा, परं पुरिसरसागं सं. चिकमार्गसुं नहोवरितलपक्वएडं लिंगे यम. हिथया रागमुपज्जे, पूर्व एते चैव पुरिसदिमागे // सू०२०॥ कातिंच इत्थी गोयमा! भवत्तं सम्मतदत्तं च अंगीकाऊणं जावणं सन्नुत्तमे पुरिंसविभाः गे ताव चितणिजे, नो ण सन्वेसिमित्यीयं / / / स०१॥ एवं तु गोयमा / जी इत्थीए तिकाले पुरि.. ससजोगसंपत्तीण संजाया अहा ए पुरिससंजोगसंपत्तीवि साहोणार जावो तेरसमे चोहसमे पन्द्रर समेच समए पुसिया सरिया संजुत्तः यो नियमसमायरिय से जहा घमकतणवारसमिटे कर मामक वा नगरे नः इव सपालले चंडादित लसंधुक्मिए पयलितया टिझर किंग उक. समेज्जा एव तु सोचमा से इ-मामी सपाल. ता समापी लिडाझिय र समयस मा ।।एहाविसहमे बावीर इसे जावणं तटीसमे समए ' जहा पहीसिहा वावन्ना पुरवि सयवातहा. विहेण चुन्नजोगेण ना पचलेजा. सा इत्थी पुरिस. दिसणे वा पुरिसालावगकस्सिोया का मंहे . ssssssssss Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 370Csii मागमसुधागिन्धुः :: दशमो विभागका नं कामजी पूणरवि उपयले जा॥सू०२२॥ / च गीयमा। जमित्थीयं भएण वा लजाए वा कलंकसेण वा जावन धम्मसदाए वा तं वेधणं अहिथा. सेज्जा नी वियमंसं समायरिज्जा से गं धन्ना, सेणं पुन्ना.से यणं वंदा, सेण पुज्जा, मेणं दरठव्वा, से णं सबलक्षणा, सेणं सवाकल्लाणकारया, सेणं सव्वुत्तममं. गलनिही, सेणं सुयदेवया, से गं सरस्सती, से गं भवहूंडी, से ण अध्धुया, से गं इंदाणी, से णं परमपवितुत्तमा, सदी मुत्ती सासया सिवगइत्ति 2 // 023 // जमिस्थियंत, वैयणं नो अहियासेज्जा चियमंसं समायरज्जा से गं अधन्ना, सेणं अपण्णा.सेणं अवंद्रा.सेणं अपज्जा से गं अदठव्या / सेणं अलक्षणा, सेणं भग्गलक्षणा, सेणं सब-अमंगल-अकल्लागभायणा, सेणं भसीला, सेणं भठायारा, से गं परिभरचारित्ता, से गं निंदणीथा, से गं गरहणिज्जा, / से गं खिंसणिज्जा, से कच्छणिज्जा,सेणं पावा,सेणं / पावयावा, सेणं महापावयावा, सेणं अपवित्तति / एवं तु गोथमा। चडुलताए भीझताए कायरनाए लोलताए उम्मायो / वा कंप्यो वा दप्पओ वा अणप्यवसभोवा आउट्टियाए वाजमिस्थियं संजमामो परिभस्मिथ दरखाणे वा गामे वा नगरे वा रा. . यहाणीए वा वेसंगहणं अवडिय पुरिसे सद्धिचियमंस- / मायरेज्जा भुज्जो 2 रिम कामेज वा रमेज वा अहा गं तमे. बदोदियं कमिइ पस्वियोत्ताण तमाइंचज्जा / चेव आ. इंचमाण पस्सिया णं उम्माथओ वा दप्पओ वा कंदध्यओवा' अणप्यनसओ बा आउट्टियाए वा केइ आयरिएइ वा सामन्त्रसंज-! एडवा रायसिंए३ वा वायलर्दिजुनेह वा विन्माण (तवोलर्टिजुतेर वा जुगप्पहाणेइ वा पग्यणप्पभावगेइ वा तमित्थियं अन्नं वा रमेज वा कामेज वा अभिलसेज वा भुजेज वा परि जे. ज्ज ना जॉवण धिमंस मायरे ज्ञा से णां दुरंतपंतलम्वणे अह FREEEEEEEEEEEE Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीमहा शीयसन:: पारनं. से अवंदे अदठवे अपन्थिए अपत्ये अपत्ये अकल्लाणे अमंगल्ले निरगिज्जे गरहणिजे सिणिज्जे कुच्छणिझे से यावे से गं पावयावेसेणं महापावे से गं महापाचपावैसेज भन्सीले से णं भायारे से निभचारिते महापानकम्मलारी 3 / जथा णं पायच्छित्तम भुठिज्जा तभो णं मंदतुरंगेणं वह रेणं सरीरेणं उत्तमेणं संघयणेणं उत्तमेणं योरसेमं उत्तमेणं सत्तेणं उत्तमेणं तत्तपरिन्नत्तणेणं उत्तमेणं वीस्थिसामत्थयां स्तमेणं संवेगेणं उत्तमाए धम्मसाए उत्तमेणं आउखएणं तं याछित्तमणुचरेज्जा / तं णं तु गोयमा! साहूर्ण महाणुभागाणं अगरसपरिहारगाइं णव बंभचेरशुत्तीभो बाग- / रिजति 5 ॥सू०२४॥ से भय / किं पच्छितेणं सुझज्जा ? ' गोथमा ! अत्धेगे जेणं सुझज्जा, अत्धेगे जे णं नो सुज्झेजा है। से भय। केणं अट्ठेणं एवं बुच्चइ-जहा गं गोयमा। अत्यगे जे णं सुज्झेज्जा अत्थेगे जे गं नी सुन्झिज्जा ! गोयमा! अत्थेगे / निथडीयहागे सम्सीले बंकसमाधारे से गं ससल्ले आलोइत्ताणं / समल्ले चेन पायरिछत्तमचरेज्जा, सेणं अविसुद्धसकलुसासर णो सुझेजा, अत्येगे जेणं उज्जु परदसरलसहावे जहावतंगी. सल्लं नीसंकं सुपरिमुड आलोइत्ताणं जहोवइ चेव पायरिधत्तमणुधेदिराज्जा से गं निम्मलनिकलुसविसुद्धासए विसुज्झेज्जा, एतेणं अहोणं एवं बुरचइ-जहा गं गोयमा! अलभेगे जे गं सुम्सेज्जा अत्यगे जेणं नो सुज्झेज्ना॥स.२५॥ तहा गं गोथमा! इत्थीयणाम युरिसाणमहम्माणं सध्वपावकम्मागं वसुहारा तमरयपंकरपाणी सोग्गामग्गस्स गंभरगला नरयावयारस गं समोयरणक्सी अभुमयं विसदाल भणशियं चहुलिं अभीषणं दिसाय अगामिमं वार्हि अचेयणं मुच्छ योधसजिणं मारिणियलिं गुप्ति अरज्जुए पासे अहेउए मच्छू 11 तड़ा यणं गीयमा! इत्यिसंभोगे पुरिसाणं मणसाविणं भरि तिणिज्जे अयशवसणिज्जे. अपत्याणिज्जे अणीहणिजे अविया RREFEREEEEEEE Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BY o 3. . 3 . श्रीभागम सुवासिन्धुः :: दशमी विभागा गि भसंकप्पणिज्जे भणभिलमणिज्जे असंभरगिज्जे / / तिगितिविदेगति / जओ गं इत्थीणं नाम पुरिसस्स गं गोयमा ! सम्बप्पगारेहियि दुस्साहियं विजंपिव रोसुथ्याथर्ण संरंगसंजमगंगिव अपुरधाम. खलियचास्तिपिव अगालोइयं अयिोंदियं अगरहियं अकययायच्छित्तज्झवसायं पडुच्च अणतसंसारपरिथहणं सुम्ससंदोहं कथयायच्छित्तविलोहियपिव पुणी भसंजमायरगं महंतपावकम्म संचयं हिंसंपिव सयलते. . लोस्कनिदियं अदिरम्परलोकपचवायं घोरध्यारणारयवासो इवणिरतरागेगदुकवनिहिति३। . 1. अंगपच्चंगसंगणं, भारल्लवियरोहिया इसीणं तं न निज्माए, कामरागविबढणं // 16 // - नहा य इत्यीभो नाम गोथमा। पलयकालरयणीमिव सब कालं नमोवलित्ताउ भवंति विजु इव स्थादिनदपेम्माओ भनि / / सरणागययायगो इव एक्कमियाओ तयणपसूया ! जीतमुजनियसिसुभक्तीभो इन महापानकम्मामो भवति पर.. पवणरचालियलग्णोदहीलाइव बहविहारिकप्पकल्लोलमालाह वर्णपिएरात्य असंस्थिमाणसाओ भवति / सयभुरमणोदींमिव दरवगाहकश्तवाभो भवंति पवणो इव चडलसहावाओ भवंति। अरगी इव सबभनवीओ वाऊ व सव्वफरिसाओ लम्करी इज परथलोला ओसागो इव गणमेतमित्नीओ मच्छो इवहछपरिचमनेसोपवमाइ भणेगदोसलम्म पडिपूण्ण सव्यंगावंग-- सन्मतरबाहिसणं महापावकम्मागं अविणयविसमंजरीणं तत्यु. प्पन्न भणयगरपसूईणं इत्थीणं अणवरयनिसरंतदुगंधा-- सुइविहीण कुच्चणिज्जनिरणिज्जसिसणिजसव्यंगोषणाणं ' सभरमाहिराणं परमत्थो महासत्ताणं निचिन्नकामभोगाणं गोयमा / मनुत्तमुत्तमपुरिसाणं के नाम सबन्ने सुविधाभधम्माहम्मे वणमवि अभिलासं गछिज्जा 1 1000 26 // जासि च। गं अभिलसिकामे पुरिसे नज्जोणिसंमुधिमपंचेंदिया REFERRESSFSFERES Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NA AL ++ + + श्री महानिशीथासूत्र :: अध्ययनं 23 ..: "39) एक्कपसंगेण चेन गवण्डं सथसहस्साणं णियमा उपहलगे। भवेज्जा, ते य अच्चतसुहमत्ताउ मंसचरस्थणो ण पासिया।। सू०२७॥ गएणं अठेग एवं बुच्चइ जहा ग गोधमा ! गोइ. त्यीयं आलवेज्जा नो सलज्जा नो उल्लवेज्जा, नो इत्थीयं / गोवंगाई संणिरिवेज्जा जाच गं नो इत्थीए सएिगे बंभथारी अदाणं पडिवज्जेज्जा ॥स.२०॥ से भय! किमिन्थी६ संलग्नुल्लागोवंगनिरिक्षणं वज्जेज्जा ज्या मेहुणं ? गोथमा! उभयमवि।से भय किमित्थिसंजोग-सभापरणे. मेहुणे परिवज्जिज्जा उयाहु मं बद्दविहेसुं सचित्तचित्तक्त्युः विसएसु मेहण परिणामे तिविहतिविटेणं मगोवइकाजोगेयं सम्वहा सम्वकालं जावज्जीवाएनि गोयमा। सब्वं सबल विवजिज्जा 2 // 29 // से भयवं! जेणं कई साह वा साहुणी वा मेहणमासे विज्जा से गं बंजा ! गोथमा / जे णं केई साहू वा साहुणी वा मेडणे सयमेव अप्पणा सेवेज्ज वा परेटिंउवइ. सेत्तुं सेवाविजमा वा सेविजमाणं समगुजाणिज्ज वा विध्वंवा माणुसंवा तिरिकबजोणियं वा जाव णं कर कम्माइं सचित्तचि. तवत्पुस्सियं वा विविझवसाणं कारिमाकारिमोरगरणेणं म / णसा वा व्यसा वा कारण वा से णं समणे वा समणीवा तुरंत पंत लक्षणे अदब्बे अमग्गसमायारे महापाव कम्मे, जो गं. वंदिज्जा णो णं वंदविजा नो णं बंदिज्जमाणं वा समगुजाणेजा। तिविहति बिहेणं जाव णं विमोडिकालंति / से भय जे वंदेज्जा से कि लभेजा। गोथमा / जे तं वरेज्जा से अहारमाह सीलंगसहस्सधारीणं महागुभागाणं तित्ययरामीणं महती भासायणं कुज्जा राजे णं तित्यथराहीगं आसायणं कुज्जा से - ज्झवसायं पडुच्चा जार णं अपनसंसारियतणं लभेजा // स्०३०॥ विप्पहिधिथियं सम्म सम्बहा मेहणंपि या अन्यो गोधमा! पाणी. जेणो यह परिणहं॥५०॥ जावन्य गोथमा! FREEEEEEEEEFFE Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 英染免染染染染免染染染染染染 2807 - श्री आगमसुधासिन्युः दशमो विभागःः नस्स, सचिनाचित्तोभयानगं / पभूयं वाऽणु जीवस्म, भवे जाउ परिगाहं // 158 // तावइएणं तु सो पाणी, ससंगो मोक्षसाहोणा गाइतिगंण भाराहे, नम्हा वज्जे परिग्गडं 19 // अत्येगे गोयमा। (पाणी, जे पयहिता परिम्यहं / आरंभं नो विवज्जेज्जा, तंपीर्थ भनपरं. . परा unsor आरंभे परित्ययस्सेगवियलजीवस्स बइयरे / संघहणाइथं कम्म, जंबद्धं गोयमा ! मुणे // 6 // एगे बेइंदिए जीवे पुर्ग समयं अणिमाणे बलभिजी- . गणं हत्येण वा पारण वा अभयरेण वा सलागाहउवगरगजायणं जे केई पाणी अगादं संधज्ज वा संधहावेज्जमा संघटिजमाणं अगाढं परेटिं समगुजाणेजा,से गं गोयमा ! जयातं , कम्मं उदयं गच्छज्जा तयाणे महथा केसेणं धम्मासेणं .. दिज्जा, गादं दवालसहि संवर रेटिं। तमेव अगाढं परिया- : वेज्जा वाससहस्सेणं, गाढं दसहि वाससहस्सेटिं। तमेव अगादं किलामेजा वासलालेणं, शादं दसहि वासलम्बेटिंशः अहा गं उबेज्जा तभी पासकोडी एवं तिचापंचिनिएसु ! रव्वं // 031 // सुद्धमस्स पुढविजीनस्स, जत्थेगस्स विराहगं / अप्यारंभ / तयंति, गोयमा ! सबकेवली // 12 // सुहमस्स पुरविजी." बस्स, वायत्ती जत्थ संभवे / महारंभ तयं चिंति, गोषमा! सबकेवली // 13 // एवं तु संमिलंटिं, कम्मुक्करडेहि गोषमा! / से सोद अगतेहिं जे आरंभे पवत्तए // 65 // आरंभे व. हमाणस्स, बद्धपुरनिकाझ्यं / कम्मं बदं भवे तम्हा, तम्हारंभं विवज्जए॥१६॥ पुटवाइयजीव कायंता, सब्वभावहि सम्ब- . हा। आरंभा जे नियटेज्जा, से अहम जिम्मजरामरणसब्ब / शरिददुक्खागविमुच्चइ ॥१६॥ति। अत्येगे गोयभा! पाणी, | जे एयं परिन्झि / एगंतसहतल्लिरहे ण लभे सम्मग' / वत्तगिं // 17 // जीवे संमरगमोइन्ने, घोरवीरतवंचरे / अच यंतो इमे पंच, कुज्जा सवं निरत्ययं // कुसीलो सन्न Esssssssss Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमहानिशीथमू : Arय 41 : पान-थे, सधंदे सबले नहा। दिठीएनि इमे पंच, गोयमा! न निरिमखए // 169 // सबन्नु देखियं मग्गं, सबक्सप्पणासगं। साथागारवगुंफाते (गुरुएनि) अन्नहा भणियमुज्झए॥१०॥ प्रथमकवर्गपि जो एगं. सन्नन्नहिं पवेदियं / न गेएज्जामहा भासे मिनधादिली स निनिलयं ॥११एवं मारुया संसरिय परि गणाला संध। संवासं च हिवाळखी, सम्बोवाएहि वज्जए॥ 17. भय : निभसीलाणे, दरिमणं तंपि निछामि। पन्छि. जं गगरेसीय इति उभयं न जुज्जए 1 // 13 // गोथमा / भट्टसीलाणं, दुनरे संसार सागरे / धुवं तमणुकंपिता, पायच्छिते परिमिए // 17 // भय किं पायरिण, छिदिज्जा नारगाउयं / अणुचरिउण परिधतं, बहवे दृगई गए ॥१५॥गीयमा। जे समज्जेज्जा, अर्णनसंसास्थित्तगं। परिउत्तेणं धुतंपि, छिदे किं पुणो नरयाय॥१६॥ पायच्छिन्तस्स भुवोऽत्थ, नामज्यं किंचि विजय / बोहिलाभ पमोतुणं, हारियं तंज लभ ||177 // तं चाावा) उकायपरिभोगे, तेउकायन्स निरिछय। अघोहिलाभियं कम्म, वजए मेहुणे य॥१७॥ मेडणं आर. कायं च, तेउकायं तय नम्टा नोवि जत्तेणं, रजेज्जासं.' जरिए // 79 // से भमत्र ! गारस्थीणं, सबमेवं पत्तहालौ अब भवोही भरेंज एसुनो मिरवाशुणाणु नयधरणं तु निप्पलं॥०॥ 'गोथमा ! विहे पहे अम्वाए, सुसमणे असुसावए / मह व्य. धरे पटमे, पीयुगु-बयधारण गतिविहंतिविण समोहि', सत्व मावज्जमुन्झियं जावज्जीवं पयं घोरं, पडिजिथं मोकवसा. हणं // 1-2 विगविहं व निविटवा, धलं मारज्जमुन्झियं / उ. हिरकालियं तु पये देखेग) संबसे गारथी हि 14 // तहेव ति. विहनिविहेणं ३छारंभपरिगहं / वोसिरति अणगारे, जिणलिंग धनि य॥ren इयरे य अणुन्झिना, इमारंभपरिगहं / सवारा. भिरए म गिही, जिणलिंगं न पूथए (ण धारयति ) १.५॥ता गोयमेगा देशम्स. पडिमते गार भवे / तं यमगुपालनाणं, . Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 . श्री आगम सुधा सिन्धुः दशमी विभागः / मी नि आसाथणं भवे // 1 // जे पुण सम्वस्स पडिकते, धारे पच महब्बए / जिणलिंगं तु ममुम्बइ निगं नो नि! बजए॥१॥ तो मत्यासाय नेम इलियडीआउसेवणे / अनंतनाणी जिणे जम्हा, एयं मणमाविणऽभिलमे ॥१लाता गीयमा / साहिय एय. एवं वीमंमिउं दट / विभाग्य जईब. दिज्जा गिरिणो न भबोरिलाभियं // 19 // संजए पुण नि.. बंधिज्जा, एथाहि हेऊहि य / आशाइस्कम बयभंगा, मह उम्म. गंग-पवनणा // 19 // मेहुणं चारकाथं च, नेउकार्य नहेन य / हवाइ तम्हा तिनयंति, (जनेणे) वज्जेज्जा सव्वहा मुणीzen जेचरते अपरितं. मणेणं संविलिस्सए / जहभाणिवाडर गाणुरठे, निग्यं सो तेण वच्चई।१९२॥ भय मंदसडेटिं, पायरितं न कीरई। अह काहंनि किलिलमगे ताडगुकंपं वि. रुज्झए 1193 // नो राथाहिं मंगामे, गोथमा ! सल्लिए नरे / सल्लुदरणे भबे दुम्सं, नाणुकंपा निरुज्झए / 1940 एवं संसारसंगामे, अंगोवंगतबाहिरं / भारसल्लुरिताणं अणुक्रया अगोवमा 112 // भय ! सल्लेमि देहत्थे दुक्लिए होति पाणिणो / जसमर्थ निमिडे सल्लं तरवणासो सुही भवे // 16 // एवं तित्ययरे सिदे, साह धम्म विवंचि। उनकज्ज कर्य तेणं, निसिरियणं सही भवे ॥१९पायरितण को तत्थ, कारिएणं गुणो भवे? जेणं झीवस्यबी रेसि, दुक्करं सुरगुच्चरं // 19 // उद्धरि गोथमा! सल्लं, वणभंगे जावणी कथै / वणपिंडीपट्टबंधच,तार गं कि परुज्झए। 1 // 19 // भावसल्लम्स रणपिंडीयभुओ इमो भवे / पछि सो दुकवरोपि. पावणं खिय्यं परोहए // 20 // .. भयवं! क्रिमणुविजंते, सुव्वंते जानिए २वा ? / सोहे। सत्ययावाई, परिधते सरन्नुदेसिए ? // 201 / / सुसाऊ सीयले उगे, गोथमा ! जाव गो पिए / गरे जिल्हे बियाणेते, नान सहा इसमे // 20 // एवं जाणितु परिवन्द 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - -- महानिशीयसूत्रं धरनं 03 3 भिसटभावेण जाचरे। ताउ तस्स तयं पावं, वइटए उण हायए। // 23 // भयवं! कि तंबड्ढेज्जा, जं पमादेण कत्थई / आगयं! पुणो आउत्तस्स, तेत्तियं किं न गायए?॥२४॥ गोयमा ! जह पमाएणं, निप्छतो अहिडंकिंए। आउत्तम्स जहा पछा विसं, / वटे तह चेव पावगं // 205 // भयवं! जे विदियपरमत्य, सबपच्छितजाणगे / ते कि परेसिं साहंति, नियमकजं जहरियो // 206 // गोथमा ! मंततंतेहि दियह ओ कोडिमुठवे / सेवि दठे / विणिरिचरठे, धारियल्ले हि भल्लिए // 207 // एवं सीलज्जले साह, पच्छितं न ददया। अन्ने मिनिउणं (लदहठं) सासो). हे,ससीसं व बहावो जहति // 20 // ". ॥महानिसीयसुयरखं धस्स कम्मबिवागवाग. रणं नाम बीयमन्मथणं // 2 // एसि तु होण्हं अन्झयणा. विहीपुजगणं सब्बसामन्नं वाथगंति // 2032 / / . --अभी परं चउम्कन्नं, सुमहत्थाइसयं परं / आणाए सहहेयवं, सुसत्थं जं जहाठियं // 1 // जे उघाडं परवेज्जा, वेज्जा। वसुजोगस्स उ / वाएज्ज अभयारीवा, अविहीए अणुहि उंपि.वा // 2 // उम्मायं व लभेज्जा रोगायंकं च पारणे हीहं।। भंसेज्ज संजमामो मरणंते वा गधावि आराहे // 3 // एत्थंतु विहीपुब्वं, पठमज्झयणे पसरियं / बीए चेव विही एवं वार' सेसाणिमं निहिं // 4 // बीयज्झयणेविले पंच नरहेसा तर्हि भवे / तइएसोलस उद्देसा, अहट तत्व रबिले ॥५॥जेत. उए तं चउत्थडवि, पंचमंमि धारिले / छठे दो सत्तमे ति. न्नि, अइग्मे आयंबिले दस // 6 // अणिक्वित्तभत्तपाणेण,सं. घट्टेणं इमं महा / निसीहवरं सुथक्वंध, वोठव्वंच आतगपाणगणंति // 7 // गंभीरस्स महामणो उ, संजुयस्स तवो. Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 467 . श्री भागमसुधासिन्धुः दशमो विभाग गणे / सुपरिविवयम्स कालेणं सथमन्डोशम्स वायण 7 वनसोहीए निचतु. उबउत्तो भविधा जथा। तथा बा एज एथनु अन्नह' लिज्जा : 6. सगोवंग सुथम्पेये णीसंर तल पर / महानिहि अविहिए गिह ते उलिज्जा' 10 // महवा सव्वाइ सेथाई बहुविघाई भवति उसेथाः / गंतु पर सेयं सुथम्स निजिग्छ / / 11 / / जे धन्ने पुन्ने महाभागे से बाइथा; से भय। केरिसंतेसिंकसीलादी लकवणे 1) सम्म निन्नाय जेण तु,सम्वहा ते विवजए॥२ गोशमा) सामन्नो तेसि लक्मणमेयं निबोधय / जे नध्या तेसि संसगी, सत्यहा परिरज // 13 // कुसीले ताब दुम्स. यहा, ओपन्ने दृविह मुणे , पास-धे नाणमाचीणं, सबले बावी सतीविहे // 14 // त-धजे ते उसयठा उ.वोच्छतेसाब गो. यमा।। कुसीले जेसि संसरशीदों सेणं भस्सई मुणी खणे" . . ..... तन्य कु.सीले ताव समासओ दुविहे णेए, तजहापरंपरकुसीले था परंपर कुसीले य / तत्य ण जे ते परपरकुसीले ते बुबिहे णेए,तजहा. सत्तगुरु परंपरकुसीले एगीतिगुरुपरंपरकुसीले यसू०१॥ जेविय ते अपरंपरकुसीले तेवि उ दुविहे णेए, तंजहा. आगमओ गोआगमभो य॥सू०॥तत्य आगमओ गुरुपरंपरिएणं आवलियाए ण कई कुखीले आसी उते चैव कुसीले भवंति // 3 // नोआगमओ अणेशविहातं जहा- णाणामीले सणकुमीले चास्तिकुसीले तबकुसीले बीरदठकुसीले // 0 // तत्य गंजे से नाण कुसीले से गं तिः विहे गए, तजहा- पसत्या यसत्थनाणकुसीले अपसत्यनाणकु. सीले सुपसत्यनाणकुसीले // 5 // तत्य जे से पसत्यापसन्थनाणसीले से दुविहे णेए तंजहा. नागमभी नोभागमओ य॥ तत्थ आगमभो विहंगनाणीपन्नवियपरसत्यापसन्धपयत्यजाल अज्झयणज्झावणकम्पीले लीमागमभी अणेगहा पसत्यापसत्यपरपासंउसस्थ. Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशीधसूत्र : 2013 [45 यजालाहिज्जमावण गाणुरोहणकुसीले 2 // 0 // नये जे ते भपसत्यनाणसीने ते पणतीसइविहे दरम्ब्ये, तजहा. साव जवायविज्ञामततंतपउजणारणकुसीले विजामतंतता) रिजणकुस्सीले 1, विजामततताहिज्मावणकुसीले 2, गहरिम्स. चार जोइसत्यपाउंजणाहिज्जणनुसीले 3 निमित्तलक्षण पजणा. हिज्जणकुसीले 4, संउणलकरणपउजणाहिज्जणकुसीले 5, इथिसिकरवा पउजणा हिज्जणकुमीले 6. धाब्वेयपांजणाहि. ज्जणक-सीले 7, गंधववेयपउजणाहिज्जणकुसीले , पुरिसिस्थीलवणपउंजणजमावणकुसीले 9 कामसत्यपउंजणा हिज्जणकुसीले 10, कुर्शिदजाल सत्यपउजणाहिज्जणकुसीले 11, आलेकष विज्जाहिज्जणकुसीले 19, लेय्यकम्मविजाहिज्जणकुसीले 11. उमण रिश्या बनलीदजालसमुद्धरणक- : हणकाहणवणसइवल्लि मोडणतच्छणाइब्रहदोसरिज्जगस. / त्थपउजणाहिज्जणझ्यावणकुसीले 14, एवं जावंजण १५.जी. गचुन्न 16. वनधाब्बाय 17, रायडणीई, सत्यबस.. णिपःवा 19, छकड 20, रथणपरिक्खा 21, रसबेहसयस उनमच्चरिसक्खा 23, गूढमततत 25, कालदेस 25, संधिविग्गहोवएस 26, सत्य 27, मम्म (ग) 24, जाणववहार २९.नि. रूवणसत्यपउंजणानिज्जाअपसत्यनाणसीले एबमेएस चेव पावसुधाणं वायणापेहणापराक्तणाभणुसंधणासरसा(लायन्न (त) अपसत्यनाणकुसीलेशा सू०७॥ तत्य जे य ते सुपसत्यनाणसीले तेवि य विहे नेए. तजहा. आगमभी णोभागमभो यतस्य भागमओ सुपस.। न्य पंचप्पथारं गाणं आसायंते सुपसत्यनाणधरे का आ.1 साथते सुपसत्यनाणसीले // 0 // जो भागमभो 5 सुपसत्यनाणकसीले अम्हाणेषु, तजहा. अकालेणं सुपसत्यना पाहिजणज्झारणाकुसीले 1, अविणएणं सुपसत्यनाणा हिज.] गज्झारणामुसीले 2, अबहुमागेणं सुपसत्यनाणा हिज्जण/ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽囊爽爽爽爽爽 46) श्री भागमसुधासिन्धुः शमो विभागः. सीले / अणीवहाणेया सुपसत्यमाणाहिज्जणयारणकुसीले र जम्मथ सयासे सुपसत्य सुनत्योभयमहीय ननि पटवणसु. पसत्यनाण कुसीले 1, मरनजणहीणबायचयरियाहिजणा. ज्यानमुपसत्यनाण कुसीले 6 विपरीयसुत्तत्योभयाहिज्जण. ज्यासुपसत्यनाणकुस्सीले ,संक्तिमत्त यो भयाहिज्जज्मा. पण सुपसत्य नाणकुसी ले // 20 // तत्य एएस अढ़. पहपि पयाण गोधमा / जे केई अोवरण सुपसत्य नाणमहीयतिना भयावयति वा नहोयतं वा असाव... यंतं वा समणूजाणत ते ण महापावकम्मे महती सुपर. स्पनाणसासाथणं पकुवति / स० 10 // से भाव / जइएवं पंचमगलम्रण राण कायब सीधमा / पदम नागा तो क्या . त्याए सव. जगजीजया भूयस्ता अत्तसमरिरित , सध्यजगजीवपाण. भूयसनाग अस समदसणाभी / तेसि चे सघणपरिभावणनिaadरावणाहम्मुरायाधणभयविजण 3, तभी भणासओ५ / भणासवामी य संघुडासनवारन असवदारण दमो. पसमो। तभी समसन्तुमित्तपम्पया / सम मनुमितपम- / भाए य अरागोसतं तभी य अकोहया प्रमाणया भमा. . यया अलोभया / भकोहमागमायालो भयाए य भसारत 11 नी समतसम्मत्तामोजीमारपय-परिमाण 12. मी सवय अबिर सवस्थापडिमन्तण य. माणमोहमियनम्वय 3. तभी बिगो / विगाओ यथः उदायमानियालगे गत बदलम्बस 16 // नमओ य हियरि. च्यानो हियाधरणे 4 अच्चतम भुज्जमो, तोय परमन्थपविनुत्तमस्य तारिवसभि हिमालम्बमाणुराणिककरण. करावयासत्तचित्तथा / तभी य खतारिदसहि अहिंसालम्मण धम्माणुराणिकरणकारावणासत्तचितयाए य स . नमा खेती सयुत्तम मित्त स.युत्तम अजबभाग्न सत्तम Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथासूत्र :: अध्ययन सबझंतरसम्बसंग परिच्चागं सबुत्तम सबझ भतर. दुवालसविह. अच्यंतघोरवीरुग्ण-करठ तवचरणाणुस्खाणा भिरमणं सबुत्तमं सत्तरसविह. कसिणसंजमाणु वाणपरिपालणेक्कबद्धलक्वत्तं सव्वुत्तमं सच्चुग्गिरण छ. काथहियं अणिमूहियबलवीरिय-पुरिसक्कार परक्कमपरितोलणं च सव्यत्तमसज्झाय झाणसलिलेणं पावकम्म. मललेवपक्खालणंति सव्वुत्तमुत्तमं आकिंचणं सवुत्तमं परमपक्तिंसवभावंतरेहिं णं सुविसुरसवोसविप्यमुक्के णवगुत्तीसणाहअद्यारसपरिहारहाण परिवेडिय-सुदुजर. पोरबंभवयधारणति 19 तभी एएणं चैव सबुत्तमरखती महव अज्जवमुत्तीतवसंजमसच्चोय आकिंचण-सुदुरबंभक्य धारणा समुदाणेणं च सबसमारंभक्विजणं 20 / तभी य पुट विदगागणिवाऊ-बणप्रबितिचउपंचिंदियाणं तहेव अजीब कायसंरभसमारंभारंभाणं च मणो वह काथलिएणं तिषित तिविहेणं सोशंदियादिसंबरण-आहारादिसन्नारियजडत्ता ए वीसिरणं 21 / ती य (मलियगरससीलंगसहस्सधारितं अमलियअटारससीलंग सहस्सधारणे च अखलिय भवंडियअमिलिय अस्रािहिय-सुमुग्गुग्गथरविचित्ताभिग्गहनिव्वाहणं 22) तभी य सुरमणुयतिरि छोईरिय-धोरपरीसहीवसगाहियासणं संमकरण 23 / तो य अहोरायाइपडिमासु मडापयत्तं 5 / तओ नि. पंडिकम्मसरीरथा निप्याडिकम्मसरीरत्ताए य सुकमाणे निप्पर्कपतं 25 // तओ य अगाइभवपरंपरसंचियअसेसकम्मरठराासवर्थ अणतनाणदसणधारितंचचउगई. या निये प्रामानिमोकार मोक्खगमग, च। तत्थ अदिदठजम्मजरामरणाणिसंपोगिः हठविभीयसंतानुव्वेग- अयसभखाणमहवाहि वेधणारोगसोगदारिदकखभयवेमणस्सतं 27 / तभी अ एगतिरं 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17 . Harna haruti-मुधबासिन्धुः दशमो विभाग: अचंतिर्य सितमथलमय धुवं परमसासयं निरंतरं सबुत्तम सों क्खंति 20 / ता सब्वमवेयं नाणाी “पवतजा 29 / ता गोयमा / एगंतिथअच्छतिथपरमसासधुवनिरंतरसबुत्तम सोक्खकंखुणा पढमयरमेव नावार्थरेणं सामाइथमाइलोगविंदुसार पज्जरसाणं टुवाल सुयनाणं कालंबिलादि अहुत्तविहिणो वहाणेणं हिंसा दियंच तिविहतिविहेणं पडिक्कं तेण य सरवंजणमत्ताबिंदुपयस्वराप्रणगं पयछेदघोसबथाणुपुब्बिं पुवाणुपुब्बिभणायुपुबीय सुविसुद्धं अचोरिक्काथपुण एगत्तेण सुविन्ने तंच गोंधमा / अणिहगणोरपारसुरिधिनचरमोय'हिंपिव य सुरवगाह सथलसोक्खपरमहेउ भूयंचा नस्स य सयलसोक्खहेउभ्याओ न इटदेवयानमोस्कार। विरहिए के पारं गच्छज्जा / इरादेवयाणं च नमो. कारं पंचमंगलमेव गोथमा ! णो णमन्नंति 3 ता पि| यमओ पंचमंगलम्सेव पदमं ताव विणयोवहाणं काय. यति ३०॥सू०११॥ . से भयवं! कयराए नितीय पंचमंगलस्स गं वि. 'गोवहाणं काय ? गोयमा! इमाए विहीर पंधम.. गलस्स णं विणीबहाणं काय, तंजहा-सुपसत्येचेव सोहणे निहिकरणमुत्तनम्वत्तजीगलग्गससीबले विष्यमुक्कजांथाइमथासंकेण संजायसद्धासंवेग-सुतिब्बतरमहंतुल्लसंत-सुहमवन्साथाणुगय- भनीबमाणपुव्वं णिणियापं दुवालस भत्तदिएणं चैथालए जंतुविरहिमोगासे भत्ति भरनिभरुधुसिथ-ससीसरीमावली-पप्फुल्ल ण(बायणसथवत्तपसत्तसोमधिरदिट्ठीणवणवसंवेगसमुच्छलत-- संजायबहलघणनिरंतर अचिंत परमसुत्परिणामविसेसुल्लासियजीववीरिथाणुसमयविवढंत - पमोयसुद्धसुनिम्माधिरदृढयरंतकरणेणं खिति णिहियजाणुणिसिउत्तमंग करकमल Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 मी महानिशीथसूत्र: जयरनं 37 [49 मउलसोहंजलिपुडेणं सिरिउसंभाइपरवरधम्मतित्थयरपडिमाक्विविणिवेसियणथणमाणसेगांगतग्गयझर्वसारणं स. , मयण्णुढचरित्तादिगुण संपओववेथगुरुसत्यागुराणकर. णक बदलकवत्त वाहिथगुरूवथणविणिग्गयं विणयादिबहुमाग - परिभोसागुकंपोवलदं अणेग सोगसंताबुबेगमहावाहिविथणा-धोरदुकवदारिदकिलेसरोगजम्मजरामरणगभवांसारदुहठसावगावगाहभीमभवोरहितरंडगभूयं इणमी सथलागममज्यवन्तगरस मित्तदो. सोवस्यविसि बुहीयरिकप्पिय कुभणिय-अधडमाणअसेस हेउ दिदठंतजुत्तीविदंसणिकपच्चलपोटस्स पं. चमंगलंमहासुथक्खंधस्स पंचज्झयोगलापरिनिख. तस्स पवरपरयणदेवयाहिदिव्यम्स निपदपरिच्छिग्नेगालावगसत्तम्वरपरिमाणं जयंतगमपज्जपत्य. पसाहगं सत्वमहामंतपवरविज्ञआणं परमबीयभूयं नमो अरहंताणंति पदमज्झयणं अहिज्जेथव्य, तद्रिय य आयंबिलेणं पारेथव्वं / / तदेव बीयदिणे भणे. गाइसयगुणसंपओघवेयं अणंतरभणियन्यपसाहगं अणंतरुत्तेणेव कमेणं दुपयपरिच्छिन्नेगालावगपंच. कखरपरिमाण नमो सिन्द्राणंति बीयज्झयणं अहि. जेयब, तहियो य भायंबिलेण पारेयम् / एवं भणं. तरभणिपणेव कमेणं अणंतरुत्तथपसाहगं तिपदापरि. छिन्नेगालावगं सत्तरखरपरिमाणं नमो भायरियामंति तश्यमझयणं आयंबिलेणं अहिन्जियवंश नहा अयं. ततत्तत्यपसागं तिपयपरिस्छिन्भेगालावगं सत्तावरपरि माणं नमो उवमाथाणति चउत्थमझयणं अहिज्जेय. व्यं, तस्यिह य आयंबिलेण पारेथव्वं / / एवं नमो लोए सब्यसाहणंति पंचममायणं पंचमदिणे भा. यंबिलेण 5 / "तहेव तयथागुगामियं एस्कारसपय. సూర్య - Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RORREARRRRRRR / 507 ... Esii आशमसुधासि-धुः ::दशमी विभाशः परिधिनतितथालावगतित्तीसक्खरपरिमाणं एसो पंचनमोक्कारी, सब पायप्यणासगो / मंगलाणं च सम्मेसि, पमं हबई मंगल मितिचूलंति छ सत्तमठमरिणे तेणेव कमविभागणं आयंबिलेटि अहिज्जैपब्वं / / / एवमेयं पंचमंगलमहासूथक्खंधं सरवन्नपयसाहियं पथावरबिंदुमत्ता विसुद्धं गुरुगुणोववेयगुरूवार का / सिण महिमित्ताणं तहा काय जहा पुवायुपुवीए पृच्छाणुपुबीए भणाणुपु बीए जीहरगे तरेज्जा / ती तेणेवागंतरभणियतिहिकरणमुहत्तनम्वत्तजोगलग्गससीबल-जंतुविरहिभोगासचेश्यालगाइकमेणं अहम भत्तेणं समाजाणाविकणं गीथमा! मस्था पबंधण सुपरिफुटं पिउगं असंदिई सुत्त भणे.. गहा सोऊणावधारेथव्वं / एयाए विहीए पंचमंगलस्स णं गोयमा ! विणओवहाणो कायबो ९॥सू०१२ // - 'से भयवं, किमेथस्स अचिंतचिंतामणि.. कप्यभयस्स गं पंचमंगलमहासयक्षधस्स सुन्तन्यं / पन्नत्तं जोयमा ! एमाइयं एयरस अचिंतचिंता. मणिकय्पभूयस्स णं पंचमंगलमहासुथकखंधस्स / णं सुत्तस्य पण्णतं, तंजहा- जेणं एस पंचमंगल- . महा सुयक्रवंध से गं सथलागमतरोवक्ती तिल तेल. कमलमयरंदव सबलीए पंचत्यिकाथमिव जह. 'त्यनिरिथाणुरायागए सब्भूयशुणकित्तणे जहिरिज्यूफलपसाहगे चेव परमधुईचार / सायं परमधुई के सिं कायव्वा ? सबजगुत्तमाणं सबजगुत्तमुत्तमे यजे केई भूए जे कई भविस्सति ते सधे चेष।। भरहतादओ ते चेष, णो णमन्नेत्ति, ते य पंचहा-अरहते सिझे आयरिए उवज्झाए साहयो य 3 // REEEEEEEEEEE Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीयसूत्रं मरनं 17, ...512 तत्थ एएसिं चेव ग भत्यसभायो इमो, तंजहा'सनरामरासुरस णं सवस्सेव जगस्स अठमहापाडिहेशपूयाइस नोवलक्वियं अण्णसरिसमचिंतमाह प्यं केवलाहिरियं पवत्तमं अरहंतित्ति अरहंता, असेसकम्मकवएणं निड्ड्ढभवंकुरताउन पुणेह भवंति जंमंति उववजंति वा अरुहंता वा, णिम्महि. यनियनिहलियविलीयनिठविथअभिभूय-सुद्धज. थासेसअंदउ पथार कम्मरिउत्ताओ वा अरिहंतेति बा,ए. वमेते अणेगहा पन्नविज्जति परूविज्जति आधवि. ज्जति पदविज्जति पंसिज्जति उवदंसिज्जति / / ." तहा सिद्राणि परमाणंदमहसवमहाकल्लाणनिरू. वम सीक्रयाणि पिप्पकंपसुक्कज्झाणारअतिसत्ति सामत्यो सजीववीरिएणं जोगनिरोहाणा : महापयत्तेणिति सिद्धा, अप्पथारकम्मम्मएण वा सिद्धं साइनमेलेसिंति सिद्धा, सिंथ झाथमेसिमिति वा सिदा, सिद्ध निरिए पहीणे सथलपओयणवाथकयंब. मेतेसिमिति सिद्धा, एवमेते इत्थीपुरुसनपुंससलिंगडण्ण लिंगगिहिलिंगपत्तेथबुद्ध बोहिय जाव णं कम्मक्षसिद्धाइ.' भेएहिणं अणेगहा पन्नविज्जति / तहा अदमास. सीलंगसहस्साहिदिग्यतणू छत्तीसहिमाथारं जटि. यमगिलाए अहन्निसाएसमयं आयरंतिति पक्तयतिति भारिया, परमप्पणो अ हियमाथरंतित्ति आथरिथा, सब्यसत्तास सीसगणाणं वा यमायरंति आयरिया, पाणपरिच्चाएऽवि उ पुढवादी समारंभं नाथरंति णारभः / ति नाणुजाणंति वा आथरिया, सुमवरदेवि ! ण करन्सई मणसावि पारमाय तित्ति वा भारिया, एवमेते णाम उमणाीहि अणेग हा पन्नविज्जति / / तहा सुसंडासवदारे मणीवथकाथजोगत्तउवा / POOR Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 92RRRRRRRRRE F" 52 7 श्री आगमा भिन्यु: :: दशमो विभागः / उत्ते विहिणा सरवंजण मत्ताबिंदुपयक्रवर विसुद्ध वा. लसंगसुयनाणज्झयण झावणेणं परमप्पणो अ मो- ! क्खोवायं झायंतित्ति उज्झाए, चिरपरिचियमणंतगमपज्जवत्थेहिं वा दवालसंगं सुथनाणं चिंतंति अणुसरंति एगग्गमाणसा झायंतित्ति वा उवज्झाए, एवमेतेहिं भेएहि अणेगहा पन्नविज्जति गतहा उनञ्चंतकह उग्गुग्गथरघोरतवचरणाई अणेगवथनियमोववास. नाणाभिग्गह विसेस संजमपरिवालणसम्मंपरीसहोबसमा / हियासणेणं, सबटुक्वविमोक्रवं मोकवं साहयतित्ति साहयो / अयमेव इमाए चलाए भाविज्जइ-ए. तेसिं नमोक्कारो एसो पंचनमोक्कारो, किं करेज्जा? ! सव्वं पावं-नाणावरणीयादिकम्मविसेसं तं परि-1 (अपरिसे)सेणं दिसोदिसं णास यह सवपावध्यणा. सणी, एस चलाए पढमो उसओ 9 / एसो पंचा। नमोक्कारी सधपावप्पणासणी किंविहो उ ? मंगो ! - निवाणसुहसाहक्क खमो सम्मईसणाइआराहओ अहिंसालकखणो धम्मो तं मे लाएजत्ति मंगलं,ममं भवाउ- संसाराओ गलज्जा-तारेज्जा वा मंगलं,बद. / पुनिकाइयरप्पगारकम्मरासिं मे गालिज्जा-विलिज्जवेज्जत्ति वा मंगलं, एएन्सिं मंगलाणं अन्नेसिंच मंगलाणं सवेसिं किं ? पढमं- आदरीए अरहंतागं / धुई चेव हवई मंगलं, इति एस समासस्थो 10/ वित्थरत्थं तु इमं तंजहा- तेणं कालेणं लेणं समएणं गोयमा! जे केई पववान्निथसंहत्थे अरहते भग. वंते धम्मतित्थयरे भज्जा से णं परमपुज्जाणंपि पूज्जयरे भज्जा 11 / जओ णं ते सव्वैवि एय. लक्षण समन्निए भवेज्जा, तंजहा. अचिंत अय्यमेयनिरुवमाणण्णसरिसपवरवरुत्तम गुणो हाहिरिठय FFEREFREEFFES Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRE sii महा निशीपसूत्र :: अध्ययनं 3] / 53 तेणं तिण्हपि लोगणं संजणियगुरुयमहंतमाणसाणंदे, तहा य जंमंतर संचियगळ्यपण्ण पभारसंवि. उत्ततित्थयर नामकम्मोदएणं दीहगिम्हायवलंतावकिलंत सिहि उलाणं व पदमपाउसधारा भरवरिसंतधण संधायमिव परमहिओनएसपथाणाइणा घणरागदोन. मोडमिच्छत्ताविरइपमाथठकिलिम्ज्झवसायाइसमज्जियासुहघोर पावकम्मायनसंताबस्स णिण्णासगे भब सत्ताणं सम्वन्द्र अणे गजम्मंतरसं विठत्तगुरुययुन्न. पभाराइसंथबलेणं समज्जिया उलबलवीरिएसरियसत्तपरस्कमाहिरिव्यतण सकंतरितचारुपायं. गुग्गरूवाइस एणं सथलगहनकवत्तचंदपंतीणं सूरिएइव पथंड प्ययावदसनिसिपथासविष्फरंतकिरण पडभारेणं णियतेयसा विधायगे सयलाणवि विज्जा हरणरामीणं सदेवाणविंदाणं सुरलोगाणं / सोहगतिदित्तिलावन्नरूवसमुत्यसिरीए साहारिय. कम्मकखयजणिय-दिव्वक्रयपवरनिरुनमाणन्द्रसरिः सविसेसाइसथाइसयलक्षणकलाकलावविधइड- . परिसणेणं भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणियाहमिंदसइंदरछराकिन्नरणरविजाहरस्स ससुरासुरस्सा विणं जगस्स अहो 3 अज्ज अदिठपुव्वं दिलमम्हहि इणमो सविसेसाउलमहंताचिंतपरमरछे. रयसंदोहं समग्गलमेवेगठसमुश्यं दिउँति तकरखण उत्पन्न घणनिरंतरबहल प्यमोया चिंतयंतो सह. रिसपीथाणुरायवसप वियंभंताणुसमयअहिणवाहिण परिणामविसेसण महमहंतिपिरपरीप्यराणं . विसायमुबगयहहहधीधिरथुमधन्नाऽपुन्भावयमिइणि दिर अत्ताण गमणतरसरात्यहिथयमुछिरसुलद्ध-: चेयण सुपुण्णसिटिलियस गत्तारंचणं पसण्णो 3 * $$$$$$$$$$$$$$ Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PLEXERRRRRRY 54 . श्री आगमसुधासिन्धुः। शामो विभागः [ मे सनिमेसाइसारीस्थिवावारमुक्ककेवल भणीवल रखक्वलंतमंदमंदरीह हुँहुंकार विमिस्समुक्करीहउहबहलनीसासगत्तेणं अईअभिनिविदबुद्धीसुणिच्छि. यमणास्स णं जगस्स, किं पुण तं तवमगुचिठेमो जेणेरिसं पवररिद्धि लभिज्जत्ति, तरगयमणस्सणं सणं चेव गियणियवछत्थल नि हिज्जंतंतकरयलु। प्याइयमहंतमाणसचमक्कारे 12 / ता गोथमा !णं . एवमाअर्णत गुण गणा हिदिज्यसरीराणं तेसिं सुगस्थि. मामधेज्जाणं अरहताणं भगवंताणं धम्मतित्थग'राणं संतिए गुणगणोहरथणसंघाए अहन्निसागु-! समयं जीडासहस्सेणंपि वागरंतो सुरवईवि अन्नथरे वा कई चउनाणी महाइसई य उमत्धे सयंभुरमगोयटिम्स इव वासकोडीहिपि णी पारं गच्छेज्जा 13 / / जओ णं अपरिमियगुणश्यणे जीयमा ! अरहने भगः / अंते धम्मतित्थगरे भवंति, ता किमित्य भन्नउ ? अन्य यणं तिलोगनाहाणं जगशुरुणं भुवणेस्कबंधणं, ते ! लोकतगुणवंभपवर धम्मतित्थंकराणं केई सुरिंदाइ पायंगुग्ग एगदेसाउ अणेगगुणगणालंकरियाउ भतिभरनिभरिक रसियाणं सम्वेसिंपि वा सुरीसाणं अणे गभवंतर संचियभणि दुपटकम्मरासिजणियः दोगच्चदो मणरसारिसथल दुखदारिकि लेसजम्मंजरा. मरणरोग-सोजसंताब्वेयवाहियणाईण स्वयदगए एगगुणस्साणंतभागमेगं भणमाणाणं जमगसमगमेव दिणथरकरे इव अणेग गुणगणोहे जीहग्गे विरति ताइंच , न सम्का सिंदावि देवगणा समकालं भणिमणं, किं पुण अकेवली मंसचक्खुणी 14 / ता गोथमा! णं एस इस परमत्धे वियाणेथव्वी, जहा णं जर तित्यगराणं सांतए गुणगोटे शिल्पयरे चेव बायरंति, ण उण अन्ने, " से V4 A 64646404 कर Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免密免受免染染免強免免染染染 sii महानिशीपसूत्र :: अध्ययनं 37 - जोगं सातिसया तेसिं भारती, अरवा गोयमा ! किमित्य पभूयबागरणेणं ? सारथं भन्नए 15 // सू०१३॥ तंजहा नामपि सथलकम्मरठमलकलंकेहिं पिप्प. मुक्काणं / तियसिंदच्चियचलणाण जिणवरिंगण / जो सरह / / 16 तविहकरणोव उत्तोखणे श्वणेसील. / संजमुजुत्तो। अविराठियवयनियमो सोऽविभइ. रेण सिज्जा // 17 // जो पुण दुबउबिजो सुह। तण्हालू अलिब कमलरणे थयथुइमंगल जय. सहवावडो इसणसणे किंचि // 18 // भत्तिभरनिभरी जिणवरिंदपायारविंदजुगपुरी। समिनिटनवियर्सिरी कयंजलीवावडी चरित्तदा // 17 // एक्कं. पि गुणं हिथए धरेज्ज संकारसुखसम्मत्ती / भवसं. व्यवयनियमो तित्ययरताए सो सिझे // 20 // जेसिंचणं सुगहियमामगहणाणं तित्यय____ राणे गोयमा ! एस जगपाथडमहरछेरयभूष भुवणस्स विथड पायडमहंताइसथपवियंभो। तजहा - रवीणदपायकम्मा मुक्का बडवुक्खगभवसहीणं / पुणरविअ पत्तकेवलमणपज्जवणाणचरितता // 21 // महजोड़णो विविहरवमयर भवसायरस्स उ. ब्बिग्गा। दणऽरहाइसए भवत्तमणा खणं अंति .) अहया चिउ ताव सेसवागरणं गोथमा। एवं चेव धम्मति स्थगरेति नाम सन्निहियं पवर' स्वकव्वर्ण सिमेव सुगहियनामधिजाणं भुषण| बंधुणं अरहताणं भगवंताणं जिणवरिंदाणं धम्म-1 तित्यंकराणं छज्जे, ण अन्नेसिं / जो य योग CARE MMMMMMMमाजर पूस Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免免染染免密免密免染染染免免 (56]ii आरामसुधारि-धुः:: दशमो विभागः / मंतरपुदमोहोवसमसंवेगनिवेयगुकंयाभत्थिताभिवती सलवण यवरसम्महंसगुल्लसंतबीरिया णिगहिय-उगकधोरदुम्करतबनिरंतरज्जियउत्तुंगपुन्भखंघसमुदयमहप भारसंविउत्त- उत्तमपवरपक्तिविस्स कसिणबंधुणाह सामिसाल-अणंत. कालवत्तभवभावणछिन्नपावबंधोक्क अबिजतित्थयर नामकम्म गोयणिसिथ-सुकंतरित्तचालकवा इसरिसिपथासनिरुवमलस्वणसहस्समंडियजगुत्तममुत्तमसिरीनिवासवासवावी इव देवमणुय- . दिठमेततक्खणंतकरणलाश्यचमक्कनयणमाणसाउलमहंतविम्हयपमोथकारथा भसेसकसिण पावकाममलकलंकषिप्यमुक्कसमधउरंस-पबर पठमवजरिसहनारायसंघयणाहिरिय-परमपवितुत्तममुत्तिधरे 3 / / ते चेव भगवंते महायसे महासत्ते महायुभागे परमिट्टी सधम्मतित्थंकरे भवंति // 15 अन्नं च सयलनरामरतियसिंदसुंदरीरूवतिलावन्नं / सन्वंपि होज्ज जइ एगरासिण संपिडियं कहवि॥२३॥ तं च जिण चलणंगुरकोडिंऐसेगलकवभागस्स / संनियमि(वि)न सोहर जह' धारउर्ड कंचणगिरिस्स ॥॥ति. अब्बा नाऊण गुणंतराइं अन्नेसि ऊण सम्वत्थ / तित्ययरगुणागमगंतभागमलभंतमन्नाथ ॥२५॥जतियणंपि समलं ए. (गीहोऊणमुभमेगदिसिं। भागे गुणा हिओऽम् तिस्थ| यरे परम पुज्जे // 26 // ति. तेच्चिय अच्चे वंदे पूर | अरिहे गमइसमन्ने / जम्हा तम्हा ते चेव भारओ / णमह धम्मतिथियरे // 27 // लोगेवि गामपुरनगर.) / विसयजणवयसमगभरहस्स / जो जित्तियम्स ! सामी तस्साणति ले करेंति // 28 // नवरं गामाहि- / Marachar 40? CPMM.. वरपरका S परका Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 मी महानिशीथसूत्र :: HENनं 3 5 7 बई सुहा सुतुढे एक्कगाममझाओ। कि देज ? जस्स नियंगे तेलोए एत्तियं पुत्वं // 29 // चम्कनरी लीलाए सुरह सुधैवंपि देव न इ मन्ने / तेण य कमाजयगुरदरिनाम समासे // 30 // (सथलबंधुबग्गस्सन्ति), सोमंता चन्कहरं चक्कहरो सुरवातणं कंखे। इंदो तित्थयरे उग जगस्स जहिरियसुट-लए // 31 // तम्हा जे इंदेहीवि कंस्विज्जइ पगबद्धलम्चे. हिं / अइसाणुराग हिथएहिं उनमें तं न संडेही // 32 // तो सथल देवदाणवगह रिकवसुरिंदचंदमादीणं / तिथि: यरे पुजयरे ते चिथ पावं यणासंति // 33 // तेसि य तिलोजमहियाग धम्मतित्थंकराण जगगुरूगं / भारचणदवच्चणभेदेण उहचणं भणिथं // 34 // भावच्यण चारित्सागुडाणकग्गधोरतवचरणं / / दबच्चण विश्याविरयसीलप्यासक्कारागाही।। 35 // तागीयमा / णं रसेऽत्थे परमत्थे, तंजहा। भाव चणमुगविहारया यदवच्यणं तु जिगपूथा। पटभा जईण दोन्निविगिहीण पटमरिचय सत्था // 36 // एत्थं च गोयमा / केई अमुणियसमयसम्भाव। मोसन्नविहारी पियवासियो अदिपिरलोगयच्या बांए सयंमतीइढिरस सायगारवाश्मुच्छिएरागहोसमोहाहंकार-ममीकारासुपस्बिलो कसिण- ! संजम सद्धम्म परंमुडे नित्यनितिंसनिधिणभकलुणनिक्किचे पावापरणेस्कअभिनिविदबुद्धी एगंतेणे अइचंडरोदकराभिग्गहिए मिच्छहिरिठणी कयसवन्सावज्जजोगपच्चक्रवाणे विप्यमुस्कासेससंगारंभपरिग्गहे। तिविहंतिविहेगं पडियन्न सामाइए य इव्वत्ताए,न भावताए / नाममेव मुंडे अणगारे महबयारी समणे. Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5] .....श्री आगम मुमा सिन्धुः दशमी बिभा वि भक्त्तिाणं एवं मन्नमाणे सम्वहा उम्मळ / पवतंति जहा- किल अम्हे अरहंताणं भगवंताणं : गंधमल्ल परीव संमजणोवलेवणविचित्तवत्यबलिधुवाइएहि प्रयासक्कारेहि अणुदियहमभ यणं पकुबाणा तिथुछप्पणं करेमी / तं च णो णं तहत्ति. गोयमा ! 2 गाथाएवि णो णं तहत्ति समाजाणेजा। से भय केणं अठेणं एवं बुच्चइ-जहा णं तं णो णं तहत्ति समाजाणेज्जा 1 गोथमा। तयत्यागु- . सारेण असंजमबाहल्लेणं च मूलकम्मासवाभीय / अज्झवसायं पडुच्च भूलेयरसुहासुह कम्मपथडी. बंधी सबसावज्जविरयाणं च क्यभंगो, क्या / भंगणं च आणाइक्कमे , आगाइक्कमेगं तु उम्म. जगामितं उम्मग्गणा मित्तेणं च सम्मग्गविप्पलो( वणं, उम्मग्गपवत्तणसम्मग्गविप्पलोवणेणं च जुड़णं महती आसाथणा, तओ अ अगंत संसारा हिंडणं, एरणं अहणं गोथमा / एवं उच्च जहा If गोधमा! णी गं तं तहत्ति समाजागाजा॥१५० 15 / / दवत्थवाभो भावत्यवं तु दबत्यो बह. गुणी भवर तम्हा / अबुहबहुजागबुद्धीयं धक्का. यहिथं तु गोथमाऽणुठे // 37 // अकसिणयक्त( गाणं विस्थाविरयाण एस वलु जुत्तो जे कसिण सजमविक पुम्फाहीयंन कप्पए तसिं तु // 38 // कि : मन्ने गीयमा! एस, बत्तीसिंदाणुचिरिठयजम्हा / तम्हा उभयपि, अणुज्जेत्थ नु बुन्ससी // 39 // विणिभोगमेवेतं तेमि भावत्थवासंभवो नहा / भाव चणा य उत्तमयं सन्न भहेण पायडे जहेव) उधाहरणं तहेव य॥०॥ चम्कहरभाणुससिदत्तपमगादी िनि Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , महानिशी धसूत्र:: अध्ययनं 3, 59 णिहिसे। पुछते गोथमा! ताव, जं सुरिहिं भसा / ओ // 41 // सबिडिए अगण्णसमे, पूयासम्कारे / य कए / ता किं ने सव्वसावज्जै? तिविहं विरहिगुठितं // 42 // उयह सबथामेसुं सवहा अविर. एसु उ / णणु भयवं! सुरवरिवेहि सव्वधामेसु / सबहा // 43 // अविरएहि सुझतीए, पूयासका. रेकर। ता जइ एवं तनो बुज्झगोयमेमनी. सेसयंदेसक्रिय अविश्थाणं तु. विगिओगमु. भयन्धवि॥४४॥ सयमेव सव्वतित्थंकरोहिंजे गीयमा ! समायरियं / कसिणठकम्मरखयकारथं तु भावत्ययमणुठे // 15 // भवती उ गमागम. जंतु फरिसणाईपमहर्ण जत्य। सपरऽहिओवरयाणं ण मणंपि पवत्तए तस्य // 46 // ता सपर हि.) ओवरएहिं उनएहि सव्वहा णेसियव्य सुविसेरसं / जे परमसारभूयं विसेसवंतं च अणुठेयं // 47 // ता परमसारभूयं विसेसवंतं च अणण्णबगस्स। एगंतहियं पत्य सुहावहं पथडपरमत्थं // 48 // तंजहा- मेरूतुंगे मणिगणमंडिए. क्ककंचणमए परमरंमे / नयणमगाणंदरे पमयविनाणसाइसए // 49 // सुसिलिठविसिठसुलदसुविभत्तसुखसुणिवेसे / बहुसिंघयत्त. घराधयाउले पवर तोरणसणाहे // 50 // सुबिसाल-सुविच्छिन्ने पए पर पत्थियसिए / मध. मधमघेतज्झतअगरुकप्यूरचंदणामोए // 5 // बहुविहविचित्तबहपुग्यमाश्पूयारहे सुपूर यायधपणचिरणाड्यसयाउले महरमुरवसदाले // 12 // करतरासयजणसयसमाउले जिणकहावित्तचित्त। पकहंतकहगणच्यंतच्छताधरा) गंधव तूरनिग्योसे / Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... 6074 श्रीआमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: // 53 // एमादिगुणोवेए पए पर सव्व मेइणीवटे।निअभयवित्तपुन्नन्जिएण नायागपण अत्यंग // 54 // कचणमणिसोमांणेभसहस्ससिए सवगतला.जो काखेज्ज जिणहरे तभीवि तवसंजमो भगंतगुणी // 55 // ति. नवसंजमेण बहुभवसमजिथं पावकम्ममलले / नि. छोविमण अइरा अगंतसोकरवं वए मोनोक्खं // 56 // का. उपिजिणाययणेहि मंडियं साव मे इणीवह / दाणाइचउम्नेणं सुहाव गरछज्ज अच्य गं ॥१७॥ण परओ गोयम! गिहिति ।जइ ता लवसत्तमसुरविमाणवासीवि परिवडंति सुरा / सेसं चिंतिज्जंतं संसारे सासयंकय? B5 // कह तं भन्नइ सुकवं सुचिरेणवि जन्य दुखमल्लिथइ / जं च मरणावसाणेसु धेवकालीय. तुच्छतु // 56 // सम्वेणं चिरकालेण जं सथलनरामराण हव सुहं / तं न घडइ सुषमणुभूय, मोकवसुस्वस्स भणंतभागेवि॥६०॥ संसारियसीक्वाणं सुमहंताणंपि गीथमा ! णेगे / मझे। टुक्यसहस्से धोरययंडेय पुज्जति // 6 // ताईच! साथीथएण ण थाणंति मंदबुदीए / मणिका णगसेलमथलोडगंगली जह व वणिया // 62 // मोक्रव सुहस्स उधम्मं सदेवमणुथासुरे जगे इत्थं / तो भाणि ण सम्का नगरगुणे जडेय पुलिंदो // 63 / / कह तं भन्नइ पुन्नं सुचिरेणवि जिस्स वीत अंतं / जं च विरसारसाणं जं संसाराणुबंध च // 14 // तं सुरविमाणवि'हवं चिंतिथचरणं च देवलोगाओ / अइसिक्क चिय हिययं जं नवि सथसिक्करं जाइ // 65 // / नरएसु जाई अइदुस्सहाइंदुक्खाइं परमतिक्षाइं। को बन्नेई ताई जीवंती बासकोडिपि // 6 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशीप सूत्र :: अध्ययनं 3] 61 " सा गोथम ! इस विह धम्मघोरतवसंजमागुरठाणस्स भावत्यवमिति नामं तेणेव लभेज्ज अक्खयं सोम्खं / / ६७॥ति. नारगभवतिरियभवे अमरभवे सुरनइत्तणे वावि ।नो तं लभ गोथम! जत्थर तत्य व मयुयजम्मे // 6 // सुमहच्चंतपहीणेसु संजमावरण नामछज्जेसु। ताहे गोयम ! पाणी भावत्थयजोगायमुवेइ ॥६॥जम्मंतरसंचियगुलथपुन्नप भारसंविठतेणं / माणुसमेण विणा णी लाभइ स्तम धम्म . 190 // जस्साणुभावभो सुचरियरस निस्सल्लभरहियस्सर भइ अउलमगंतं अक्लयसीक्वं तिलोयग्गे // 7 // बहुभवसंचियतुंगपावकम्मदरासि उहणलं'। लई माणुसजम्मं विवेगमाईहिं संजुतं // 72 // जो न कुगाइ अतहियं सुथाणुसारेण आसवनिरीह छतिग. सीलंगसहस्सधारणेणं तु अपमत्ते 1737 सी दीहरअबोछिन्नघोरम्परिंगदावपज्जलिभो / उच्चो वेथसं. सत्ती भणंतहत्ती सुबहकालं // 4 // दग्गंधामेज्म विलीणखारपितोज्झसिंभपडिहत्येविसजलुसपूर्वहिणचिल्लि. चिले कहिरचिक्खल्ले // 7 // कटकटकटंतचलचलचलस्स टालटलटलस्सरज्जंतो। संपिडियंगमंगो जोगीश्वसे गन्मे।एस्केकगभवासेसु.जंतियंगो पुणरवि भमेज्ज ॥६॥ता संतावुवयगजम्मजरामरणगडभवासाई। संसारियदुक्रवाणं विचित्तरूबाण भीएण // 7 // भावत्यवाणुभावं असेसभवभय वयंकरं नाउं। तत्येन महता उज्जमेण दटमचं. तं पश्यब्वं 7 // इय विज्जाहरकिन्नरनरेण ससुरासुरेणवि जगेण / संघुवंते दुविहत्यवेहि ते निदुयणुक्कोसे ! 79 // गोयमा! धम्मतित्थंकरे जिणे अरिहंतेत्तिाहता. रिसेवि इड्टीपवित्थरे सथलतियणालिए। साहाणे जग Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 627 - श्री भागमसुधा सिन्धुः दशमी विभागः बंध मणसावि में रख लुः // 0 // तेसिं परमीसरियं सबसिरीवण्णबल पमाणं च ।सामन्य जसकित्ती सुरः लोगचुए अहह अवयरिए // 1 // जह काकणानभवे उरगत देवलोगमणुपत्ते तित्ययरनामकम्मं जह बद्धं एगाइनीसदधामेसु ॥२॥जह सम्मन्तं पत्तं सामन्नाराहणा य अन्नभवे / जह त्रिसलानो सिद्धस्थघरणी चोदसमहासुमिणलंभ ॥३॥जह सुरहिनधपक्रदेव गभसहीए असुहमवहरणं / जह सुरनाही अंगुलपवणसियं महंत भत्तीए // 4 // अमयाहारं भ.. तीए देह संधुणइ जाव य पसूओ। जह जायकम्मविणिोगकारियाभो दिसिकुमारीओ // 5 // सत्वं नियकतवं निव्वतंती जहेब भत्तीए / बत्तीससुरवरिंदा गरुयपमोएण सबरिदीए ॥६॥रोमंचकंधुपुलाय. भत्तिभरमाइयस्सगत्ता ते / मन्नते सकयत्य में अम्हाण मेरुभिरिसिहरे॥॥ होही क्षणमप्कालिय. सुसमभीर दुंदुहिनिधोसं / जय-सहमुहलमंगलकयं जली जह य वीरसलिलेणं बसुरहिगंधवासियकंचणमणितुंगारयण) कलसेहि / जम्माहिसेय. महिमं करेनिजह) जिणवरो गिरिचाले ॥"ज. ह इंवायर भयव वायर भदवारिसोवि। जह गम कुमारतं (परियो बोहिति) जहरीजनिया वा // 10 // जहग्यानिवखमणमहं कति सम्वे सुरा / सूरा मइया / जह महियासे घोंरे परीसहे बिमाणसतिनिछे / / 11 // जह घणघाइचउक्त (कम्म) हाई घोरतवझागजोगभरगीए। लोगालोगपधारन याए जह व केवलं नाणं॥२॥ केवलमहिमं पुणरवि का. ऊणं जहसुरासुराईया। पुच्छति संसप धम्मीतवचरणमाईए॥१३॥ जहर कहे जिणिती सरकय Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - श्री महानिशीधसूत्रं :: मरने 0 .63 सीहासणोनविदठी थातंचविहदेननिकानिमियं जह पर समवसरणं तुरियं करंति देवा, जं रिखीपू ! जगं तुला॥६॥ जत्थ समोसरिभो सो भुवर्णक्क गुरु महायसी अरहा। अदमत्याडिहेरथसुधिधियं हवा य तित्थियं नामं ॥९॥जह नि लइ असेस मित्तं चिक्कणंपि भल्वाणं / पडिबी.' हिऊण मरगे उमेश जह गणहरा दिक्खं // 46 // गिण्हति महामहणी सुत्तं गंधति जहर य जिणिंही। भासे कसिणं अत्ध अगंतगमपजवेहि तु॥९७॥ जह सिज्झइ जगनाहो महिमं निवागनाभियं जहय! , 'सव्धेवि सुरमरिंदा असंभवे तह विमोचंतिम 98 // सोगत्ता पगलंत सुधोयगंडथलसरसत्यवाह / कलणं विलारस हा सामि! कथा अनाहति। 9 // जह सुरहिगंधगम्भीणमहंतगोसीसचंदणदुमा : करहिं विहिपु-वं सस्कारं सुरवरा सवे 1300 काऊणं सौगता सुन्ने सरिसिपहे पलोयंता।। : जह वीरसागरे जिणवराणं अदठी) पक्वालिझणं च / / 101 // सुरलोए जेऊणं आलिंपेमण पनरचंदणरसणं / मंहारपारियाययसथक्त्तसहस्सपत्तेहिं // . 1302 // ज़ह अच्छण सुरा नियनिथभरणेसु जहवय धुणंति (तं सम्वं मत्था वित्थरणभरहतचरिया/भहाणेअंतकडदसाणं तं, मम्झाउ कसिण कि। न्नेयं // 103 // एत्थं पुण जे पगयं तं मोतुं जा भणेज्ज तावेयं / हवई असंबद्धरुथं गंधस य बित्यरमणतं // 10 // एथपि अपत्याचे सुमहतं कारणं समुवइ / जे बागरियं तं जाण भवसत्ताणाऽगुग्गह'हठाए ॥१०॥जह वाजती जत्ती भक्खिज्जा मोथगो सु। -संकरिमी / जसो नसोविजणे अइगुरुयं माणसं पीर। 變變變變變變變變變變變變變 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64' [ आगमसुदासिन्यु: :: दशमो विभाग: 106 // एवमिह अपत्यावेवि भत्तिभर निःभराण परिभोसं जणथइ गुरुयं जिणगुण होस्करसवित्तचित्ताणं 13031 पयंत पंचमगलमहासुथकखंधरस नक्वाणं तं महथा पंबंधेणं अणंतगम पज्जवेहि सुत्तम्सय पिहभूयाहि निज्जुत्ती भासचुण्णीहि जहेब अांतनाणईसणधरेहि तित्थयरेहि वकवाणिय तहेव समासी वक्वाणिज्जतं नासि / / अह नया काल परिहाणियो. सेणं ताउ निज्जतीभासचुन्नीओ वोरिपन्नाको 2 // सू०१६॥ इभो य तेणं कालसमय मा हड्डी पत्ते पथाणुसारी वइरसामी नाम दुबालसंगसुथहरे समुप्यन्ने, तेणेयं पंचमंगलमहान्सुयकाबंधस्स दारो मूलसुत्तस्स मझे लिहिभो / मलसुन्तं पुण सुतत्ताए गंणहरीहि अत्यत्ताए अरहते हि भावनेहि धम्मतिथिगरेहि. तिलोगमहिएहि वीरजिणिंदेहि पन्नवियंति एस वुड्ढसंपया. ओ // 2017 // एत्य य जत्य पयंपएणाणु लणं सुत्तालानग नसंपज्जा तत्थ तय सुयहरोहि कलिहियद्रोमो ने दायवो. ति। किंतु जो सो एयस्स अचिंतचिंतामणिकप्यभूयम्स महानिसीहसुयक्षंधस्स पुब्वारिसो भारसी तहि चैव खंडाखंडीए दहियाइयहि हैहि बहवे पत्तगा परिसडिया तहावि अध्यंत सुमहत्याइसथति मं महानिसीहसुयंकरवं. धं कसिणपश्यणम्स परमसारभूयं पर तत्तं महत्पति कलिमणं पवयणवच्छल्ललणणं बहुभवसत्तोक्यारियं च / काउं नहा य आयहियग्याए आयरियहरिभणं जेत. न्यायरिसे दिलं तं सब्वं समनी साहिणं लिहियति. / भन्नेहियि सिक्षणदिवाकर-बुधवाइ-जामसेण - देवगुत्त जसबदणबमासमण सीसरविगुत्त-मिचंद जिणाबास- : गणिश्वमगसध्यसिरिपमुहेहि जुगप्यहाण सुथहरेहि बदु मन्त्रि. Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 / श्री महानिशीथ सूत्रं :: अध्ययनं 20 6 5 यमिणति 3 // सू०१८॥ से भयवं! एवं जतविणओवहाणेणं पंचमंगलमहासुथक्वंधमहिज्जित्ताणं पुव्वागुपुवीए पछाणुयुबीए अणाणुपुव्वीए सरवंजणमताबिन्दुपयक्रवरविसुद्धं घिरपरिचियं काऊणं महया पबंघणं सुत्तत्यं च विनाय तो य गं किमहिज्जेज्जा ! ! गीयमा ! ईरियावहियं / / से भयवं! केणं अहणं एवं बुध्धा- जहा णं पंचमंगलमहासुयक्षंधमहिन्जित्ताण पुणो ईरियावहियं अहीए 1 गोयमा। जे एस माथा से ण जया / गमणागमाइपरिणामपरिणए अणेगजीव पाण भूयसताणं अगोवउत्तपमते संघहरणभवदावणकिलामगं काऊणं भणालोइयअपटिक्कते चेव असेसकम्मस्वयहठयाए किंचि चिह. वरणसआयज्माणाइएसु अभिरमेज्जा तया से एगचित्ता समाही भवेज्जा ण वारा जओ णं गमणागमणाइभोग'अन्नवावारपरिणामासत्तचित्तयार कई पाणी तमेव भावंतरमरडिय अदरदुहरटझवसिए विचि कालखणं विरवत्तेज्जा ताहे तं तस्स फलेणं विसंवरज्जा राज. / या उण कहिंदि अन्नाणमोहपमायोसेण सहसा एगि दियादीण संघटणं परियावणं वा कयं भवेज्जा तथा य परछा हाहाहा दुर कयमम्हेहि घणरागहीसमोह. मित्त अन्लागंधहि अदिग्परलोगयरचनाएकिकम्मनिधिणे हिंति परमसंवेगमावन्ने सुपरिफुडं आलीश्ताणं निहिताण गरहित्तागं पायरिछत्तमणुचरित्ताणं पीसल्ले भ. गाउलचिते असुहकम्मरक्या किंचि आयहिय चिद. बंदणाइ अणुज्जा सया तथर व उस्ते से भनेजा 4aa जया णं से तयत्धे उउत्ते भरेन्जा तथा तस्स . णं परमेगग्गचित्तसमाही हवेज्जा, तथा चेव सजग| जीरपाणभूयसत्ताणं जहि फलसंपत्ती भवेज्जा५। ता / गोयमा ! णं अपरिककताए ईरियावहियाठ न कप्परपेष REEEEEEEEEEEEEEEES Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Bచసి మీకు 18] ___ श्रीभागनसुधासिन्धुः:: दशमो विभागः . काउं किंचि चेक्यबंदणसज्झायाइयं फलासार्थमभिकंखुगाणं. एरणं अटेणं गोथमा ? एवं बुध्यर-जहा णं गोथमा! ससुत्तत्योभयं पंचमंगलं घिर परिधियं काऊणं तओईरियाबहियं अज्झीए 6 // सू०१९॥ से भय! कर्यगए विहीए तमिरियावस्थिमहीए? गोथमा ! जहाणं पंचमंगलमहासुथवरबंधस०२०॥ से भयअमिरियावस्थिमहिमित्ताणं तओ किम. हिजेशीयमा सक-शयायचेज्यनंदयानिहाणं णवरं सबकात्यायंएगेणाइटमेण बत्तीसाए आयबिलेहि अरहतत्ययं एगेण चरणं पंचहि आर्थबिलहि, चउधीसत्वयं एगेणं घटेणं एगेण चउत्येणं पणवीसाए आयंबिलेटि, णाणत्ययं एगेणं चउत्थणं पंचति आयंबिलेहि / / एव सरवंजणमत्ताबिंदुपछयपथकवर विसुद्ध अविच्चामेलियं अहिन्जिताणं गोथमा? तभी कसिणं सुत्त-यविन्नेयं,जस्थ य संदेहं भवेज्जा तं पुणो 2 वीमंसिय मीसंक्रमब..। 'धारेमगं गीसंदेहं करिजा 2 // सू०२१॥ . एवं सुत्तत्योभयत्तगं चिश्वंदगाइविहायं अहिज्जेत्ता तो सुपसत्थे सोलणे तिहिकरणमुटुजनवखत जोगलग्गससीबले जहासतीए जगणुकणं संपाइयपूओवयारेणं पडिलाहियरसाबरणे. ण य भतिभनिन्भरेयां रोमंचकंचुथपुलरज्जमाणतणू सहरिन्सविसिठवथणारविन्देणं सद्धासंवेगविवेग परमवेरगमलविणित्ययणरागदोसमोह मिरछत्तमलकलंकण सुविसुद्धसुनिम्मलविमल. सुभन्नुभयर गुसमयसमुल्लसंतसुयसन्सव. सायगएणं भुवणगुरुजिगइंदपडिमा विनिवेसियणयणमाणसेणं अगाण्णमाणसेणमेगरगचित्तयार Parace R Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SRARSHARE श्री महानिशीधसूत्र :: JAN 13 घण्णोऽहं पुन्नोऽहंति जिणबंदणाइसहलीकर्यजम्मोति इ मन्नमाणेणं निरक्यकरकमलंजलिणा हरियतणबीयजंतुविरहियभूमीए निहि भीभयजाणुणा ! सुपरिपुडसुविइयणीसंकीकयजहत्यसुत्तत्योभयं पए पए भारेमाणेणं दृढचरित समयन्नु अय्पमायाइभणे. गगुणसंपओबएणं गुरुणा साहिं साहुसाहुणीसाहम्मिथनसेसचंधुपरिवग्ग परियरिएणं चेव प. टमं चेहए रियो / तयणंतरं च गुणाढ़े यसाहुणी तहा. साहम्मियजणस्स aaN जहासत्तीए पणि. बायजाएणं सुमहग्घयमउयचोकरयत्पपयाणाइणा वा महासंमाणो कायव्वी 2 / एंथावसमि सुवियसमयसारेणं गुरुणा पबंधणं अवेवनि. कवेवाइएह पबंधोहि संसारनिवेथजणणं सहासंवेगुय्याथगं धम्मदेसणं कायब्वं 3 // सू०२२॥ .. तभी परमसद्धासंगपरं नाणं आजम्माभि. गह चहाथवं / जहा णं सहलीकयसुलड़मगुस्सभवा भो भी देवाणुप्यिथा तर अज्जरपभिइए जावजीवं तिकालियं अणुहिणं भयुत्तावले. मगचित्तेणं चेए वंयन्वे, इणमेव भी माय. ताउ असुझमसासयरवणभंगुरानी सारंतिरातत्य पुलवण्हे ताव उदगयाणं न काय जाव चेडए साह यण बंहिए, तहा मल्याण्हे ताव असणकि नियन कायचं जाव चरण वंदिए, तहा अवररहे चैव तहा काथव्वं जहा अहिएहि चेयहि गो समाथा. लमहक्कमेज्जा ३॥सू०२३॥ एनं चाभिग्गहबंध काऊणं जावजीबाए,ता. है य गोयमा! इमाए चैव विजाए महिमंतियार संत गंधमुहीओ तरसुत्तमंगे नित्थारगपारगी भवेजा RRRRRRRRRRRESS Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी आगमसुधारिसन्यु::: दशमो विभाग: खित्ति उचारेमाणेण गुरुणा खेतव्याओ 1 / अउमणमा भगवी अरहमी सज्म ए भगनती महाविन्म आनईए / महावई! जयअन्ईए स्एणवईरए वदमा. णम् ईरए जथए जयए जअंतए अपनाए' स्वाहा / उपचारो चउत्थभत्तेणं साहिज्जइएथा. ए विज्जाए सम्वगभी नित्थारगयारगो हो।३। उवठावणाए वा गणिन्स वा अणुनाए वासतमारा परिजवेयवा नित्थारगपारगो होरा उत्तमहठ। पडिवणे वा अभिमंतिज्जइ आराहगो भव। विग्यविणायगा उवासमंति / सूरो संगामे पविसंतो; अपराजिओ भवइ। कय्यसमसीए मंगलबहणी रवेमबहणी हवs.॥ सू०२४॥ तहा साहुसाहणीसमणोवासगसढिगासेसा.. सन्नसाहम्मियजणचविणपि समणसंघेणं नित्या. रगपारगी भज्जा / धन्मो सयुभसलवणोऽसि तुमंति उच्चारमाणेणं गंधमुरीमी घेत्तवानी 2 / / तभी जगगुरूणं जिणिंदाणं एगदेसाजी गंधइमा मिलाणसियमल्लदाम गटाय सहत्येपोभयवं." धसुमारोश्यमाणेणं शुरुणा णीसंदेहमेवं भाणियब्ध -जहा भी भी जम्मंतरसंचियशुरुयपुनप भार! सुलदसुविदत्तसुसहलमणुयजम्म ! देवाणुयिया! / ठइयं च णरयतिरिथगइदारं तुझति, अबंधगो य अयसऽकितीनीयागोत्तकम्मविसेसाणं तुमंति, / भवंतरगथस्साविउ णदुलही उन्झ पंचनमो. / भकारो भाविजम्मतरे पंचनमोस्कारपभावभी / यजत्य जत्थोववन्जिज्जा तत्थ तन्त्तमा जाई" उत्तमं च कुलरूवारीग्गसंपयंति, एयं ते निख भी भवेज्जा, अन्नंच-पंचनमोक्कारपभावभी म/ కన్య Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथसूत्रं :: URनं 15 . ल, भवद दासत्तं ण दारिददोहग्गहीणजोणियत / णू विगलिंदियतंति३। किं बहुएणं? गोथमा! जे केई एयांए निहीए पंचनमोक्कारादिसुयमाणमहिन्जित्ताणं तयत्थाणुसारेणं पथभी सवा वस्सणाइणिच्चायुदाणिज्जैन्सु अगरससीनंग-। सहस्सेसु अभिरमज्जा से गं सरागत्ता जर -ण ग.निवुडै तनो रोवैज्जणुत्तराहासु चिरमभिरमेऊोह उत्तमकुलप्पसूई उक्किरठलदग्स'बंगसुंदरतं सव्वकलायत्तहठजणमणांणेदयारियत्तणं च पाविऊणं सुरिंद्रोवमाए रिटीए एगंतेणं चट्याणुकंपापरे निबिन्नकामभोगे सम्ममणुठेऊणं विहथरथमले सिज्ोज्जा ४ासू०२५| से भय! कि जहा पंधमंगलं नहा सामाझ्या। इयमसेसपि सुचनाणमहिन्जिणेयवं? गोथमा !तहा। चैव विणीवहाणेणमहीएथव्वं, णवरं अहिन्जिणिंउका. मेहि अठविहं चेव नाणायारं सवपर्यतेणं कालाही रविज्जा, अन्नहा महयाssसायणत्ति / अन्नं च-द्वालसंगस्स सुचनाणस्स पढमचरिमजामभहन्निसम-! ज्झयणज्झारणं पंचमंगलस्स सोलसरजामियंच 2 / अन्नं च पंचमंगलं कयसामाइए वा अकयसामाइए वा अहीर, सामाश्थमाइयं तु सुर्य चत्तारंभपरिगहे 'जावज्जीवकयसामाइए अहिन्जिणइ. य उण सारंभपरिग्गहे अकयसामाइए / तहा पंचमंगलस्स आलावगेर आयंबिलं, तहा सक्कल्पवाइसुबिटुवालसंगस्स पुण सुयनाणस उद्देसगळ्ययणेसु॥सु०२६॥ ' से भयवं! सुटुक्करं पंचमंगलमहासुयकधस्स विणभोवहाणं पन्नत, महती य एसा णियंतणा कर मालहिं कज्जा ? गोथमा! जे णं कई ण मजा एवं RepalREFERES Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRRER श्री भागमसुधासिन्धुः : देशमा विभाग मियंतणं, अनिणसोबहाणेणं चैव पंचमंगलाइसुरानाणं अहिन्जिणे अज्झाइवा अन्झावयमाणस्स वा अन्नं वा पयाइसेयं भबिज्जा पियधम्मे ण हवेज्जा दृढ़ से भरेज्जा भतीजए. डीलिज्जासत्त लेजा अत्यं हीलिज्जा सुत्तत्यउभये हीलिज्जा गुरु / मेणं हीलिज्जा सुत्तत्योभए जाव णं गुरु से पां आयाएज्जा अतीताणागयवरमाणे तित्ययरे आसाझज्जा आयरिथविज्झायसाहो / जेणं आसाइज्जासुराणाणमरिहंत सिद्धसाह से तस्स णं सुहीहयालमणंतसंसारसागरमा हिंडेमा. णस्स तासु तान्सु संवुडविगडासु चुलसीइ लक्खपरिसंखाणासु सीओसिणमिस्सजोणीसु तिमिसंध्यारगांधऽमिझक्लिीण खारमुत्तोइससिंभ-पडिहाथवसा. जलुलनापूयहिणचिलिचिल्लरुहिरचिल्ल दुईसण. जंबालपंकबीभरघोरगल्भवासेसु कटकटकतचल. चलचलस्सरल लरलस्स-रज्जंतरज्जंतसंपिडियंगमंगस्स सुरं नियंतणा / जे उण एयं विहिं फासेज्जा जी णं मणयपि अश्यरेजा जहुत्तविहाणं घेव पंचमंगलपभिसुथनाणस्स रिणओवहाणं करेज्जा से गं गोथमा ! नो हीलिज्जा सुतं णी हीलिज्जा भय णो हीलिज्जा सुतायोभए,सेणं नी आसारज्जा ति. कालभावी तित्थकरण आसाइजा तिलोगसिहर वासी वियरयमले सिडे, नो आसाइजा आ. यरियावज्झायसाहयो / सुइयरं चैव भवेज्जा पियधम्ने धम्मे भतीजुत्ते, एगतेणं भवेज्जा सुत्त त्या रंजियमाणसे सासंवेगमावन्नो / से एस ण ण लभेजा पुणोर भवचारगे गभवासाश्यं अणेगहा जंतणंति // 27 // णवरं गोथमा! जे गं बाले जाव अविन्नाथ FREEEEEEEEEEE Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमहानिशीधसत्रं:- अध्ययन उन्नयावार्य विसेसी ताबणं से पंचमंगलसणं गो. यमा : एगंतेणं 3-3मोजो, ण तरस पंचमंगलमलासु. यस्वास्स एगमनि लावगं रायव्यं / जी अणाइभवंतरसमन्जियासुहकम्मरासिदहणः - मिण लभेत्ता.णं न बाले सम्ममाराहेज्जा लहत्तं च आणेहता तस्स केवलं धम्मकहाए गोयमा, असीममुभ्याइज्जइस तओ नांझणं पियधम्मं दधम्म भ. त्तिजुत्तं ताहे जावइयं पकवाणं निव्या है। समत्थो भइ तावश्यं कारज्जर, राहभोयणंच दुनिहातिविह चउबिहेण वा जहासत्तीए पच्चक्याविज्जर 3 ॥सू०२८॥ तो गोथमा ! णं पणयालाए नमोस्कारसहि. याणं चउत्थं, चवीसाए पोकसीहि,बारसहि पु. रिमड्ढेहि दसहि अवहि तिहि निनीइएहिं चउहि एगठाणगेहि ट्रोहि आयंबिलेहिएगणं सुद्धच्छायंबिलेणं / अब्बावारत्ताए रोद्ददरज्झाणबिगहाविरहियस्स सज्झाएगग्गचित्तस्स गोथमा! एगमेनायंबिलं मासखमणं रिसेसेज्जा 2) तनो य जावश्यं तवोगहाणगं वीसमंतो क. रेज्जा तावश्यं अणुगणेऊण जाहे जाणेज्जा जहा णं एनियमित्तेयं तवोवहाणणं पंचमंगलस्स जो. गीभूओ ताहे उत्तो पाडेजा, ण अन्नहति // 50 29 / / रने भयवं, पभूयं कालाइक्कम एयं जा कयाइ अरंतराले पंचत्तमुवगर तो नमोक्कार. विरहिए कहमतिम साहेजा? गोथमा ! जैसमयं चेव मुत्तोवयानिमित्तेणं असदभावत्ताए जहासत्ती किंचितवमारभेज्जा तंसमयमेव तरही सुत्तत्योभयं ददन् / जभी णं सोनं पंधनमो. FERREEEEEEEEEE Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7 श्री आणनसुयासिन्धुः : दशमो विभाग स्कार सुत्ताभयं ण अनिहीए गिण्ट, किन्तु तह गेहे जहा भक्तरेसुंपि ण विय्यणम्से, एयझ.. बसायत्साए आराहगी भरे जा 2 ॥सू०३०॥ से भयवं! जेण पुण अन्नेसिमहीयमाणाणं सुयाधरणक्खोवसमेण कण्णहाडितणेणं पंचमंगलमहीयं भरेज्जा सेऽविथ किं तवीवहाण करेजा जीथमा ! करेज्जा 1 से भय! केणं अहोगगोयमा / सुलभबोहिलभिनिमित्तणं 2) एवं चेयाइं अनुनमाणे पाणकुसीले ए 2 मू०३१॥ तहा गोथमा! णं पन्चज्जादिवस प्याभिईए जत्त विणीवहाणेणं जे कई माह वा साहुणीवा भावनाणगहणं न कुज्जा तस्सासयि विराहियं सुत्योभयं सरमाणे एगगचित पदमचरमपोरिसीसू दिया शी थणाणुगुणेज्जा से गं गोयमा? णाणकँसीले जेए / से भयवं! जस अइगरूथनाणावरणीदएणं अनिस पहोसेमाणस ण संवधरणावि सिलीगद्धमवि घिरपरिचियं ण) भजा (रने कि मुज्जा", तेणावि जानज्जीवाभग्गलेणं.स. मायसीलाणं थावरचं तहा अणु दिगं अढाइज्जे सहस्से पंचमंगलाणं सुत्तत्थीभर सरमाणेगरगमाणसे पहोसिज्जा 2 से भयवं, केणं अरठेय? गीयमा ! जे भिक्ख जारज्जीवाभिगो चाउक्का लियं वायणा जEAT से णं णाणकुसीले णए २॥सू०३२॥ .. एच.पायणाइ जहासत्तीए समायं न करेज्जा अन्नंच-जे केई जावजीवाभिगण अपुब्ध नाणाहिंगमं करेज्जा तस्सासत्तीए पुजाहियं गुणे. ज्जा, तस्सावि यासत्तीए पंचमंगलाणं अढाइजे सहस्से परावले सेवि आराहणे, तंचनाणा ఇక వర వరకు Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथसूत्रः अध्ययन बरणं खत्ताणं तित्थयरेइ वा गणहर वा भवेता. 4 सिज्जा ॥सू०३३॥ से भयवं? के अठणं एवं उच्च-जहाणं चाउक्कालियं सज्झायंकायब्वं. गोथमा ! 'मणवयणकायगुत्तो नाणावरणं खवेइ भएसमयं / सज्झाए नहतो पणे वयो जाइ रग्गं 13001 उड्ढमहे तिरियंमि थ जोइसवेमाणिथा य सिद्धी या सव्वो लोगालोगो स-यायवि. उस्स परचकत्वं / / 109 // दवालसविहंमिवितवे सब्भितरवाहिर लसलाद। गवि अस्थि वि य होही सज्झायन्सम तोकम्मं / / 110 // स एगतिमासक्स्चमणं संवरघरमविय भणासि. ओ होज्जा / सम्झायमाणरहिमी एगोवासलंपि ण लभेज्जा // 11 // उगमउयायणएसणाहिं सुद्धं तु निच्छ मुंअंतो। जन तिविहेगा उत्तो अगुममय भवेज्ज सज्साए // 12 // ता तं गोयमा एगगमाणसत्तं ण उरमित सक्का / संवरधर रखवणेगविजे-- ण तहिणिज्जराणंता // 43 // पंचसमिभो तिगुत्तो खती तो थनिज्जरापही। एगग्गमाणसो जो करज्ज सन्साय सी) मुणीभत्ते(धन्नो)(सुणि भंतो) // 114 // जो बारे पसत्यं सुयनाणं जो सुणेर सुहभावो / उझ्यासवदारतं तरकालं गोथमा होण्हं // 11 // एगंधि जो दुल्तं सत्तं पूडियोहि ठवइ मगे। ससुरासुरंमिविजगे तेणेह धोसिओ अमाधाओ६ धाउपहायो कचणभावं न य गरधई कियाहीणो / एवंसव्योवि जिणोवएसहीणो न बुझज्जा / / 11 / / गयरागदीसमोहा धम्मकरंजे कति समयन्नू।। अणुस्थित्मवीसंता सावध्यावाण सुरचति // 4 // "$$$$$$$$ $$$ $ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SARDARSHADERS G87 श्रीभागमसुधासिन्धुः दशमो विभाग.', निस भभणिजिय)ज्नं एगंतं निज्नरं कांताणं, जा अन्नहा ण सुत्तं अत्यंवा लिंचि वाएज्जा // 119 / / * एएणं अदठेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जहा णं - जावज्जीवं अभिरगहणं चाउम्कालियं सयाराका. यति / तहा अ गोथमा ! जे भिक्खू विहीए सुप. सत्यनाणमहिज्जेऊण नाणमयं करेज्जा सवि नाणकुसीले, एवमाइनाणसीले अगेगहा पन्नविज्जति / 2 // सू०३४॥ से भय ! कतरे ते सणकुसीले ? जा. यमा ! ते सणकुसीले विहे नए, आगमओ अ गोभा। गमभी अ। तत्य आगमभो सम्मईसणं संकंते कं. वंते विदुगुरछते दिट्टीमोहं गर/ते, अणोववहा परि. वडियधम्मसद्धी सामन्नमुन्झिउकामाणं अधिरीकरणणं साहम्मियाणं अवघल्लत्तणेणं अय्यभावणार. एताह अहह धाणतरीह मुसीले गए॥सू०३५।। गोभागमओ य ईसणकुसीले अणेगडा, तंअहा। चक्खुकुसीले घाणकुसीले सरणकुसीले जिल्भालुसीले सरीरकुसीले / तत्प चक्रघुकुसाल तिविहे गए, तंजहा। पसन्यन्यासकसीले पसत्यापसत्यच खुकुसीले अपसी। चक्कु सीले / तत्य जे कर पस उसमाहितित्थयर बिंब पुरभी चम्खुगोथरम्भिं तमेव पासेमाणे अण्ण कं. ! पि मणमा पसत्यमझवसे सेणं पसरीचरखुकुसीले ३।तहा पसत्यापसत्यचक्कु सीले नित्ययरविंबंहिथएणं अच्छीहिचासेमाणे) अन्नं विष पीहिज्जा से गं य.. सत्यापसत्यचक्खुकुसीने, तहा पसत्यापसत्थाई हव्वाई / कागबगदंक तित्तिरमयूराइं सुकंतरितत्थियं वा हडवर्ण / तयल्तं चरखं विसज्जे सेवि पसत्यापसत्यचक्सकुसीले / तिहा अपसत्यचक्षुकुसीले तिसहि पाहि अयससा / सरागा चम्फुत्तिशसे भयवं! कथरे ते भयंसत्ये तिसदी' HA PREPRESS Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 莎莎莎莎莎莎莎莎免空*** श्री महानिशीधसून :: Muvi23 चम्बुभेए! गोथमा ! इमे तंजहा- सइदु कक्खडहरवा (क्खा) तारा मंदा महलसा का विवंका कुसीला भरिक्तिया काणिक्विथा 30 भामिया उत्भामिया। चलिया बलिया चलवलिया अडुमिल्ला मिलिमिला / माणुस्सा पसबा पक्रया २०.सीसवा असंता भपसंता / अधिरा बहविगारा सागुरागा रोगोईरणी रोगजन्या. ऽऽमयुप्यायणी मयणी 30 मोहणी भउईगी भयजन्ना भयंकरी हिथयभेइणी संसथावहरणी चित्तचमक्कुप्पायी णिबदा अतिवडा 40 गया आशया गयागयय्यधागथा निद्राडणी अहिलसणी अरक्षकरा रक्षकरा हीणा दयारणा सूराधीशहणणी 50 मारणी तामणी सं. तागणी कुद्धा पकुद्धा धोरा महाघोरा चंडा रुहा सुद्दा : हाहाभूयसरणा 60 रुक्या सणिदा मणिति 63,6 / महिलाणं चलणंगुइठकोडिणहटकरसुनिलिहियं हिन्नालतं गार्थ च णहं मणिकिरणनिबलसक्कचाकु. ममुन्नयं चलणं संमरगनिमगवर जाणुजंघा पिटल. कड़ियड भीगा जहणणियंबणाहीधणगुझंतरकहाभुथलठीनी अहरीहन्दसणपती-कन्ननासनयानुयलभमुंहानिलाऽसिरकत-सीमंतयामोठ्यपेटतिलयकुंडल. कवोलकज्जल-तमालकलावहारकडिफ्युत्तगणेउरबाह. रक्वगं-मणिरयणकांगकंकणमुहियाइसुकतान्तिाभरण-दुगुल्लमसणवत्या कामगिसंधुक्खणी निरयतिरियगइ अणंतकवायगा एस साँहिलासमरागदिइडत्ति एस चक्खुकुसीले ॥सू०३६॥ . तहा धाणसीले जे केई सुरहिगंधसु संगंग४ दुरहिगंध दुगुंछ सेणं घाणकुसीले / तहासवण कुसीले दुबिहे णेए पसन्धे अप्पसत्ये यश तस्यै जे भिक अध्यसत्थाई कामरागसंधुकवणुष्ट्रीवणु ESSEREERSSESSES Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RAHARA / "76) श्री आगमसुधासिन्धु::शिमो विभाग: ज्जॉलणयरछालासहीवणाई गंधवनहटणुधेयरशिसिम्खाकामरनीमन्या सुणेऊणं णालोएज्जाजावणंगो पायरित्नमणुचरेज्जा से गं अपसत्यसवणकुमीले ए॥ तहा जे भिवस्तू पसाई सिद्धंताचरियपुराणधम्मक। हाओ य अन्नाईच धम्मसत्थाई सुणेत्ताणं न किंचिभा. यहियं अणुरठे णाणमयं च करेड़ से णं पसत्यसवणकुसीले ए। नहा जिन्भाकन्सीले से अणेगहा नजहा- जितकत्यकसायमविललनणाई रस्सा आसायंते अदिवासुथाई इहपरलोगोभयविलहाई सदोसाई मयारजयारुच्चारणाई अयसऽभकवाणासंताभिोगाई वा भ. गते असमयन्नुधम्मदेसणापवतणेण य जिम्मानुसीले गेए से भयवं! कि भासाएवि भासियाए कुसलतं . भवति / गोयमा भवड़ा से भयवं! जब एवं ताव : धम्मदसणं न काथवं गोथमा ! 'सावज्ज व जाणं वयणानं जो न जाण विसं / वुत्तुंपि तस्स न खमं किम पूण देसणं कायं ॥१०॥७॥म०३७॥ तहा सरीरकुमीले दुविहे गेय-धैदगमुसीले विभूमामुसीले य / तत्प जे भिकाबू एवं किमिमुलनिलयं मर. पाभ्यागादत सड्यापारिहंसाधम्म अन्सुई अन्मासयं असारं सरीरगं आहाराहीहणि चेहज्जा णो णं इ. . णमो भवसंयमलदनाणदसणासमन्निएणं सरीरेणंभस्चतघोरवीणकरधोरतवसजममणुहडेजा सेयं चेतनाकुमीले / तडा जेणं विभूसाकुसीले सेऽवि अगता,जहानेल्लाभंगणविमण संवाहणमिणावरणपरिहसणनंयो. लधूनणनासण-दसणुग्घसणसमाललण-पुथ्फोमालणकेससमारणसोवाहणविथड्ढगमणिरट सिर-उवविदिव्यमनिबन्नक्षियविभूमावतिसविगारणीयंसणुत्तरीय-पारणदंडणमहामाई सीनियून्साकुसीले गए / एतेय यवथण FREERasapRE Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREAKER 9. महानिशीयसूत्र : आयरने। उडाहमरे दुरंत पंतलक्षणे अदरवये महायावकरम: कारी विभूसामुसीले भवंति, गयु सानुसीले 5 / सू.३०॥ तहा चास्तिमुसीले अोगटा मूलगुणउत्तरगुणेसू, सत्य मूलगुणा पच महत्वयाणि राइभोयर डाणि, नेसु जे प्रमते भवेज्जा / तत्य पाणारवायं पुढवीनगागणिमास्यवणस्सबितिचापंचिंदियाईणं संघटणारथावणकिलामणोदवणे, मुसाबायं सुमं बाथरंपती सुङमे 'पयलाउल्ला मरूए' एवमाही बाहरी कन्नालीगाति, अहिन्नाहाणं सुदुम बाबरंच, तत्प सुद्धम तणड-गलधारमल्लगाहीणं गहणे, बाथरं हिरण्णसुबण्णादीण, मेहणं दिवोरालियं मणोवयकायकरणकारावणागुमइभदेय अनारसहा, तहा करकम्मादीस चित्ताचित्तभेदेणे, णवत्तीविराहणेण वा, विभूसावतिएण वा, परिरहं सुहम बायरं च, तन्थ सुडम कप्प. इगरक्षणममतो, बाहर हिरणमातीण गहणे धा. रंगेवा, ईभीषणं हियागहियं दियाभुतं पूर्वमादि। उत्तरगुणा- पिंडस्स जा विसोही समितीओ भारणा तवो दुविहो / पडिमा अभिग्गहावियसर. गुणसो वियाणाहि / / 121 // तत्थ पिंडविसोही-सोलस उगमोसा सोलस उपायणायोसा माइस एसणाथ दोसा संजोयणमाइ पंचेव // 12 // तत्थ ऊ संगमदोसा-'आहाकम्मुद्देसिय ईकम्मे य मीसजाये या उवणा पाडियाए पाभोयर कीथ पामिध्ये // 123 / / परियटिए अभिह उन्भिन्ने मालोहडे इय। अछि. ज्जे अणिसठे असोथरए यसोलसमे // 12 // इमे उप्पा राणाहीसा- “धाई दई निमित्ते आजीव वणीमणे तिमिछाए / कोहे माणे,माथा लोभे य हवंति इस एए।' Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . .. श्री आगमसुधासिन्धुः दशमो विभाग: 125 // पुगिपरासंधव विज्जा मते य चुण्णजोगे य। उध्यायणाय दोसा सोलममे मूलकम्मे य॥ 126 // एसणादोसा-'संकियमक्खियनिरिखत-पिहियसाहरियदायशुम्मीसे। अपरिणयलितधडिय एसणदोसा इस हवंति // 12 // - तन्धुगमदोसे मिहत्यसमुत्थ, उप्पाथणावोसे माहुसमुन्थे, एसणादीसे उभयसमुत्था। संजोयणा पमाणे इंगाल धूम कारणे पंच मंडलीयोसे भवति, नत्य संजोयणा उपगरणभत्तपाणसभिंतरबहिभएणं 4 / पमाण-'बतीसं किर कवले आहारो युरिपुरमी भणिनी। रागेण सइंगाले ट्रोसेज सधूमगति नाथ // 18 // कारणं- 'यण यावच्चे शरिय गए य संथमाए। तह पाणवतियाए छठं पुण धम्मचिंताए // 129 // नपि धुहाए सरिसिया बियणा भुंजिज्न तय्यसमणहता / छानी वेथावधं ण तर कार्ड अभी भुजे // 30 // इरियपि न सोहिस्सं पहाईथं च संजमं काउं। धामो वा परिहाय३ गुणणSणुप्पेहासु य असत्ती // 13 // . . पिंडविसोही गया / क्याणि समितीओ पंच, नंजहा-ईरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आहाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई उच्चारपासरणखेलसिंघाणजल्लपारिठावणियासमिई। तहागुतीउ तिन्मि-मणशुत्ती अयगुत्ती कायगुत्ती. 7 तहा भावणामी दुधालस, तंजहा- आणिच्चत्तभावणा असरण भावणा एगत्तभामणा अन्नत्तभाबणा असुइभावणा विचित्तसंसारभावणा कम्मासनभावणा संवरभारणा विनिज्जरभावणा लोगवित्थरभावणा धम्मं सुयक्वार्थ सुपन तित्ययरेटिंति तत्तचिंताभावणा बोही सुकुल्लभा PRE OROPOA $$$$$$$$$$$$$ଙ୍କୁ Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G eegeeases 34 मोमबनिशीथसूत्रं धनं३० 7] जम्मतरकोडीहिनित्ति मावणा / एवमारियाणंतरंसु जे यमायं कुज्जा से णं चास्तिकुसीले 'ए 9 // मू. 39 // तहा नल कुसीले दुवि णेए बज्झतवपुलीले अभिंतरतबकुसीले य त जे केइ विचित अणतणऊणोदरियाक्तिीसंवेवण-रसपरियायकायकि. लेलसंलीयत्ति छठाणेसुं न उज्जमेज्जा से गंध ज्झतवसीले 2 तता जे कर विचित्तपरिधत्तवि. माययावच्चस झायमाणउत्सरामि चेएमुं.ध. ठाणेन्टुं न उज्जमज्जा से णं अन्भितरतवकुसीले 3 // सू००० तहा पडिमाओ वारस तंजटामासासी स संता एगगतिग-सत्तराइणि तिन्नि / अहराती ए. गराती भिक्यू पडिमाण बारसगं // 43 // नहा अभि गहा-दृव्यमी खेतओ कालओ भावनओ, तशदव्वे कुम्मासाइयं द्रव्यं गहेयर, वेत्तओ गामे बहिवा गामस्स, कालभो पढमपोरिसीमाईसु, भावजओ कोह. माइसंपन्नी जं देहि तं गहिम्सामि / एवं उत्तर. गुणा संस्थेवी समत्ता, समत्तो य संस्खेवेगं रस्सिायासे 3 // तवायारोऽपि संवेवणेहतरगमो.४ा तहा कीरिथाथारी एपसु चेव जा महरीश एएम पंचसू आयाराहयारेसुंजं आरिटयाए इय्यानो पमाया कप्येण या अजयणाए ना जयणाए वा पडिमेनियं तं तत्वालोरत्ताणं जम गविऊ गुरु उवासंति तंतहा- मायधिसं नाणुचरेइ,ए. वं भल्गरसण्ड सीलगसहस्साणं जं जपए पमले भने। ज्जा से गं तेणं तेणं पमाथदीसे कुसीले गए // 1 // तहा ओसन्सु जाणे, पित्य लिहिज्जर, पासयेणायामाहीणं साधं उन्मुत्तमम्यगामी सबले पस्थंलि. हिग्जाति, गंथवित्थरभयाओ, भगवया 3 एत्य - EXSE4 C करमरकर . .. . Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीआगमसुधासिन्धुः शमो विभागा' त्याचे कुसीलाही महापबंधेयं यन्नविए, एत्थं च जा जा कथइ अण्णण्णवायण सा सुसुणियसमयसाहितो पउंसेज यन्वा / जओ मूलादरिसे चेन बहगंधं विप्पण, तहिचजत्यसं. बंधाणुलग्गं संबज्झइ तत्थ तत्थ बदएहि सुथहरोहि संमिलिऊणं संगोवंगदुवालसंगाओ सुथसमुहामी अन्नमन्न अंगउवंगसुयक्वंधअन्झयणुद्देसगा समुच्चिणिऊण किंचि किंचि संबझमा एवं लिहियंति, ण उण सकव्वे कयंति // 2012 // .... पंचेए सुमहापावे, जे ग वजेज गोयमा!। संलावाहीहि कुसीलाही, भमिही सो सुमती जहा // 33 // भवकायाठितिए संसारे, धोरदुक्खसंमोत्यभो / अलहती इसविहे धम्मे, बोहिमहिंसाइलम्वणे एवं तु किर हिंटलंत, संसगीगुणदोसभो। रिसिभिल्लासमवासेणं, णिमण्णं गोथमा ! सुणे // 25 // तम्हा कु. सीलसंसरणी सम्वोवाएहिंगोथमा ! / वज्जियाऽयहियाकंची, अंजदितजाणणे 136 // महानिसीहसुयक्खधस्स नश्यमझयणं // 3 // ॥अथ कुशीलसंसर्गवर्जनास्थ चतुर्थमध्ययनम् / / से गं भयवं कहं पुणा तेण सुमइणा कुसीलसंसामी कायव्या आसी जाय अपुयारिसे अश्वारूणे / भवसाणे समक्रवाए; जेणं भवकायरिठईए अणोरपारं भवसायरं भमिट्टी से बराए दुक्खसंततें अलभने, सवण्णुबरसिए अहिंसालक्खणे खंतादिदस . करमरकर का परभर Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 श्री महानिधिसूत्र नं 'विहे धम्मे बोहिति? गोथमा! णं इमे,तंजहा-अस्थि | इहेव मारहे वासे मगहा नाम जणवाभी, तत्थ कुंसत्थलं नाम पुरं, तंमि य उवलपुन्भयावे सुमुणियजीवा। जीवापियत्थे सुमणा३लणामधेजे हवे सडोयरे महड्डी. ए सड्ढगे अहेसि / अन्नया अंतरायकम्मोदएणं वि. अलिथं विहवं तेसिं, ण उण सत्तपरक्कमे, एवं तु अचलिथसत्तपरकमाणं तेसिं अच्चंतं परलोगभीरूणं विस्थडकवडालियाणं पठिवन्नजहोवइदाणाइचउरखंधउवासनधम्माणं अपिसुणामधरीणं अमायावीणं, किं बहणा ? गोयमा! तेउवासगाणं आवसहा गुणरयणाणं पभवा खंतीए निवासे सुयणमेत्तीणं,२। एवं तेसिं बहुवासरवन्नणिज्जगुणरयणाणंपि जाहे अन्सुहकम्मोएणं ण पप्पए संपया, नाहे ण पहुय्यंति अगहियामहथामहिमादमी इट्ट'हेवयाणं जहिछिए पूयासक्कारे साहम्मियसंमाणो बंधुयणसंववहारे य ३॥सू०१॥ - अहनिया अचलंतेसु अति हिसक्कासु अपूरिज्जमाणेसु पणश्यणमणीरहेसुं विडतेसु य सुहिसयणमित्तबंधवकलत्तयुत्तणत्यगणे, विसायमुरगाह गीयमा? चिंतियं तहि सड्ढ़गेहि, तंजा-'जॉ विहवो ता पुरिसस्स होइ आणापछिओ लोभी / गलिउदयं घणं विजुलावि दूरं परिचय॥१॥१॥ एवं च चिं. तिऊय परोप्परं भणिउमारदे, तत्थ पदमो-'पुरिसे। ण माणधणवन्जिgण परिहीणभागधेज्जेणं / ते देसा गंतव्वा जत्थ सवासा णदीसंनि // 2 // तहा बीभो- जस्स धणं तस्स जणो जस्सत्यो तस्स बंधवा बहवे / धणरहिओ उ मयसो होइ समीदासपेसेटिं // 3 // अह एवम परोप्परं संजोज्जेइ, संजोजेकण 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 हो . *o आगमसुधासिन्धुः: शामी विभाग: गोयमा कर्य देसपश्चिाथानाध्यं तिजहा बच्चामो देसंतरंति / तत्थ ण कमाई पुज्जति चिरचिंतिए मणीरहे हवद पव्वजाए सट संजीगो जहिलवी बह मन्नेज्जा, जाव ण उम्झिऊणं तं कमागयं कुसत्धलं पडियन्नं विदेसगमण ॥सू०२॥ . अहन्नथा अणुप्पणं गच्छमाणेहि दिन तेहिं पंच साहुणों छठं समगोवासगंतितओ भगियं णाइलेण-जहा भो भो सुमती! भदमुह! पेच्छ करिसी साडसत्यो 1 ता एएणं चेव साहसत्धेणं गधामो, जा पुणोविणं गंतव्वं, तेण भणियं-एवं टोउत्ति, नओ सं. मिलिया तत्य सत्ये। जाव णं पयाणगमेगं वहति ताव णं भणिओ सुमती णाइलेणं, जहा णं महमुह ! मए हरि. वसतिलयमरगयरविणो सुगहियनामधजस्स बावीसइमतियगरस्सणं अरिनेमिनामस्स पायमूले सुनिसण्णणं एवमवधारियं आसी / जता जे एवंविहे अण गाररूवे भवेति ते य कुसीले, जे य कुसीले ते दिडीए वि निरिम्यिाउंन कति, ता एते साडणो तारिसे, मणागंन कम्पए एतेसिं समं अम्हारा गमण संसरगी, ता - यंतु एते, अम्हे अय्यसत्येण चेव वइस्सामो,नकीर तित्थयरवयणस्सातिक्कमो. जओ णं ससुरासुरस्सावि जगन्स अलंधणिज्जा तिव्ययरवाणी 3 / अम्नं च- जाव एतेहिं समं गम्मंइ ताव ग चिउताव हरिसणं, आलावाही णियमा अवांते, ताकिमम्हेहिं तित्ययवाणिं उल्ललंधित्ताणं गंतव्वं एवं त. मणुभाविऊणं तं सुमतिं हत्थे नहाय निव्वडिओ : नॉइलो साहुसत्याओ 4 // 203 // ... निविरगे य चम्युविसौहीए फासुगे मपयु'से, तओ भणियं सुमइगा, जहा- 'गुरुगो माया. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - श्री महानिकीय-सूत्र :: अययनं 4 वित्तस्स जहभाया तहेव भरणीणं / जत्युत्तर न" दिज्जइ हा देव ! भणामि किं तत्थ?॥४॥ भाएसे ऽवि इमाणं पमाणपुवं तहत्ति जा(का) यवं। मंगुलममंगुलं वा तत्थ विचारी नकाथवो // 5 // गंवरं एत्य य मे अज्ज हायब्बं अज्जमुत्तरमिमस्सा खरफरुसकक्क साणिवुदानितर सहि तु॥॥ अहवा कह उरलउ जीहा मे जेहभाउणो पुरओ ? / जस्मरण विणियंसणोऽहं.रमिभोऽसूईविनिसो॥७॥ अहवा कीस य लज्ज एस सयं चेव एवं पभणंतो" जंतु कुसीले एते दिडीएवीण दहाव्वे॥॥साहणोत्ति / जाब न एवश्यं वायर तावणं इंशियागारमुसलणं मुणिथं माइलेणं, जहा णं अलियकमाइभी एस मणगं समती ता किमहं पडिभणामिति चिंति समाढतो जेहा- कज्जेण विण अकंडे एस' पविओ दुताव संचिठे / संपइ अणुजिंती / ण याणिमा किं च बहु मन्ने ? // 1 // ता कि अणुणमिमिणं उयाह बोला पण तालं वा / जेणुवस-1 मियकसाओ परिवज्जर तं तहा सन्वं॥30॥ अहवा पत्थानमिणं एयस्सवि संसथं अवहरेमि। एसग। याणइ भहो जाव विसेसं णऽपरिकहियं ॥११॥ति चिंतेमणं भणिउमादत्तो- 'नो देमि तुम दोसंण यावि कालस्स ट्रेमि होसमहं / जं लियबुद्धीए सहोथरावि भणिया पकुप्यति // 12 // जीवाणं चिय एत्यही सं कम्मजालकसियाणं / जं चउगइनिरिठउणं हि ओवएसं न बुझंति // 13 // घणरागहोसकुगहमोहमिछत्तववलियमणाणं / भाइविसं कालउडं हमीवरसामथप्पइभराति, 2 / एवमायन्निकण तओ भणियं सुमणा,जहा Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आगमसुदासिन्युः:: दशमो विभाग: | तुर्म चेव सच्चवादी भणसु एयाई, णवरंण जुत्तमेथं जं साधणं गवन्नवायं भासिज्जा,अन्नं तु कि तं न पेरघास तुम एसिं महाभागाणं चिठि ? हरदग्दरा मदरामदुलालसमारासमणाई हिं आहारगहणं गिम्हासु पावणदता वीराम कड यासण नाणाभिग्गधारयां च करतबोडणुधरणणं च पसरवं मंससोयिंति. महाउवासगो. सि तुम महाभासासमिती विझ्या तए जेणेरिस-1 गुणोवउत्ताणंपि महाभागाणं साहण कुसीलति नाम संकापयति / तओम नाइलेणं - जहा मा रछ ! तुम एतेणं पागोसमुवायु, जहा अहयं आसवारे परामसि ओ जज, कामनिज्जराएवि किचि कम्मस्वयं भवन,कि पुणजे बालतवेणं 1 तापते बालतवस्सिगो रदतन्य। जिओ णं कि किदि उस्मुत्तमगामित्तमेएसिन पइसे ? अन्नंच-वर सुमड़ णन्धि मम 3. मागोवरि कोनि सुमोवि मगमावि उपा.। सो जेणाहमेएसिंदोरा गहणे कशम, जिंतुमए, अगरओ तित्थयरस सगासे एरिसमरधार जहा- कुसीले अव / ताहे भाषियं र. मइया,जहा जारिसो तुम निडीओ तारितो सोवि विल्यायो, जग उज्झमेय वायरियति / तओ एवं भामाणस्स सहनं शपियं मुहलहरं सुमइस्स पाइलेणं, भशिडगे यजहा- म / मुह! मा जरोस्क गुरुयो लिटायरस्सासारणं कुणसु, मए पुणा भासु जहिच्छियं, नाहं ते कि चि पमिणामि तभी भणियं सुमहणा, जहा-0 'जा एतेवि साहुयो कुसीला ना पुल्य जो कोई 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री महानिधन:: धन 7 सुसीनो अस्थि 7) तओ भणियं णाइलेणं, जहा. भमुह! सुमर इत्थं जयालंघणिज्जवक्कस्स / भगवओ बयणमायरेथवं जंचऽत्यिकथाएन विसंवाज्जा, गोणं बालनवस्सीयं चैम्ग्यिं, जो णं जिणवंयोग नियमओ ताव कु. सीले इमे सीसंति, पबज्जाए पुण अंधपि को हीसए एसिं / जेणं पिर४२ तावेयस्स साहयो बिज्जयं मुटणंतगं हीसह ता एस तान हिगपरिग्गहदीसेणं कुसीलो, ण एवं साहा भगवथाऽऽइटलं जमहियपरिग्गहविधरणं करे, / ‘ता वरछ! हीणसत्तेहि नो एसेवं मणसा-स.' 'वसे जंहा- जद ममेयं मुख्यंतणं विप्पणसि-। 1.हि ता बीयं कय कहं पावेज्जा! नो एवं चि. / तेई मूढी जहा-अहिगाणुवोगावहीधारणेणं | / मसं परिग्रहवयस्य भंग होही, अहवा कि / संजमेऽभिरओ एक्स मुड़गंतगाइसंजमविभोग-1 'धम्मोबगरोण वीसीएज्जा! नियमओ - 'विसीए, गवरमत्ताणयं हीण सत्तोऽडमिश्पायडे उम्मगायरणं च पयंसेश पवयणं च मालेइति / एसो उा पेसि सामन्नवत्तो, एएणं कल्लं तीए विणियंसगाइ इत्यीय अंगठिं | निझाइऊण जं नालोश्ययक्किंतं तंतिए ण विनायं? एस पिजेसि पदविको गविम्हियाणटा ? एतेणं संपयं चेव लोथए संहत्थेणमहिनधारमहणं कर्य, तपविदिमेअंति, एसो उ ण पे-धर्सि संधायि कल्ले एः। एणं अणुगए रिए उदह वच्चामो गयं, 'सूरियतिलहा बिहसिथर्मियं एसोसी . / Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ "श्री आगमसुधासिन्यु::दशमी विभाग: मेसि जिससेहो एसो अज्ज रयणीए अगोवउत्ती पसुत्तो विजम्काए फसिओ, ण एतेणं कागहगं करा, तहा पभाए हरियतणं नासाकपंचलेणं संघटिटयं, नहा बाहिरोगस्स णं परिभोगं कयं, बीचकायम्सोयरेणं परिसस्किओ, अविहीए. एस वारसंडिलाओ महरं डिलं संकमिभो १०/नहा पहपडिबन्नेणं साहणा कमसयाइस्कमे ईरियं पडिनकमियत्वं, नहा चरयवंतहा चिरयन्वंतहा भासे यब तहा सराय जहा धनकायमगथाणं जीवाणं सुहमबाथरपज्जत्तापज्जत्तगमागमसत्वजीववाणभूयसता. णं संघहणपरियारणकिलावणोद्दवणं ण भवेज्जा,ता एतेसिं वझ्याणं एसस्स एक्कमविण एन्य थीसर 11 / जे पूण मुहणनगं पहिलहमाणो अज्जमए एस धोइओ जहा परिसं पहिलेहणं करोमि जेण वाउस्कायं महफडसम संधदरेज्जा, मरियं च पडिलेरणा 'ए संतिथं कारणति, जम्भेरिसं जयणं एरिसं सोवो. गं ब९ काटिसि मंजमंण संदेहं जस्सेरिसमाउत्ततणं 'तुझांति, gali च तए विणिमारिभी जहा- मूगो गर्हि, अम्हाणं साहहि समं किंचि भोयन्वं करये, ता रिमेयं तं रिसमरियं ! 14 ता भइमुह! एएण सं| में संजमामाणंतराणं प्रगवि जो परिरक्सिय, ता कि. मेस साह भन्नेज्जा जयरिमं ममतत्तणं ण पुससा / जस्सेरिसं णिहदम्म संपल(वानं, भामुह। पेश 2 सुयो इन मितिसो धक्काथानमहणो कटाभिरमे एसो! 'महवा वरं सूगो जस्स सुन्युहममवि नियमवय. भंगं णो भवेज्जा, एसो उनियमभंगं करमाणो केणं उरमेज्जा 1 13 / ता व सुमइ भहमुह ! ण एरिसकत्तनाथरणाम्रो भवति साह, एतेहि च कत्त 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशीधसूत्रं मयनं 87 . ब्वे हि तित्थयरवयां सरेमाणो को एतेसिंबं। दणगमवि करेज्जा 1 अनं च-एएसिं संसग्गेणं कयाई अम्हाणंचि चरणकरणेस सिटिलतं भवेज्जा, जेणं पुणो 2 आहिंडेमो घोरं भर परंपरं 4 / तओ भणियं सुमइणा, जहा अब एए कु. सीले जइ वा सुसीले तहाविमए एहि समं / पव्वज्जा कायवा, जं पुण तुमं करेहासि तमेव धम्म, णवरं को अज तं समायरि सक्को? ला मुयसु करं, मए एतेहि समं गंतव्वं लावणं णो दूरं वयंलि ते साहणोति 15 / तओ भणियं णाइलेणं- महमुह ! सुमह जो कल्याण एतेहि समं" गरछमाणम्स तुमंति, अहयं च तुभ हियवयण भगामि एवं ठिए जं चेव बहगुणं तमेवाणुसेक्य, शाह तड़ें दक्वेण धरेमि१६। अह अन्नया अणेगोगरहिंथि निवारिज्जंतो ग ठिओ, गभी सो मंदग्गो सुमती गोयमा! पव्वइभी च 17 / अह अन्नया वच्चंतेणं मासपंचगेणं आगओ महारोरवो दवातसक्छ-' रिओ दुन्भिन्स्यो, तओ ते साहुणी तालमोसेणे अणालोयपडिक्कंता मरिऊगोववन्ना भूजिकल रक्खसायिसायादीणं वाणमंतरदेवाणं वाहणत्ताए, ती चविणं मिरजातीए कुणिमाहारकरज्झः वसायदोसओ सत्तमाए, तभी उव्वाट्टऊण तक्याए चावीसिगाए सम्मत्तं पाहिति / तभी यस म्मत्तलंभभवाओ तश्यभवे चउरो सिज्झिहिर्ति, एगीण सिम्झिहिइ जो सो पंचमगो सबजेरी / / जओ णं सो एगंतमिच्छदिही अभवी य से भयवं!जेणं से सुमती से भन्ने उयाई अभये? गोथमा भन्वे, से भयवं! जइ भब्वे तामए समाय' Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आगमसुदासिन्धुः। दशमो विभाग: किहि समुप्यन्ने ? गोथमा! परमाहमियासुरेसु सासू०४ से भय / कि भले परमाहम्मियासुरेसु समुष्य ज्ज! गोयमा / जे केई घणरागदोसमामिछलीद| एणं सुबवसि(कहियाय परमहिओवएसं अवम नेत्ताणं दुवालसंगं च सुचनाणमध्यमाणीकरि य अथागिताण य समयसभावं अणायारं पसंसि. थागं तमेव उधोज्जा जहा सुमइया उछप्पियं, न भवति एए कुमीले साहुणो, अहा णं एएऽविकु. पीले ती एत्य जगे न कोई सुसीलो, अस्थि निछि. 'यं मए एतेहि समं पवज्जा कायब्वा, नहा जारिसो ते निबद्धीओ तारिसो सोऽवि तित्थयरी'ति. एवं उच्चारमाणेणं, से गोयमा! महतंपि तवमगु'ठेमाणे परमाहम्मियासुरेसुं उववजेज्जा / सेभ. यवं। परमाहम्मिथासुरदेवाणं उबटे समाणे कहिं उववज्जे? भयवं। परमाहम्मियन्सुरदे : वाणं उबरे समाणे सें सुमती कहि उववज्जेज्जा ? गोयमा! तेणं मंद भागेणं अणायांरपसं. सुधस्थणं करेमाणेणं सम्मग्गपणासर्ण अभियंदियं, नक्कम्मदीसेणं अयंत संसारियतणमजिथे, तो कत्तिए उवाए तस्स साटेज्जा ? जस्स' र्ण अणेगपोग्गलपरियहसुवि णात्थि चउगइसं। साराभी भवसाणंति तहावि संखेवओ सुणसु 2 गोथमा! इणमेव जंबूट्टीवट्टीवं परिस्विविमणं रिए जे एस लवणजलही एयरस णं जंगम सिं। धूमहानदी पविदा तप्यएसाओ दाहिणेणं दिसाभाएणं पण पन्नाए जोयणेसु वेड्याए माझंतरं अस्थि परिसंतावदायगं नाम अड़तेरसजोधणप-. माणं हथिकुंभायारं धलं, तस्स थ लवणजलो Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीथसूत्र :: यरनं 87 हागणं अदुजोयणाणि उस्से हो, तहिचणे अध्यंतघोरतिमिसंधयाराउ घडियालगसंगणाउ सीयालीसं गुहाभो, तासुं च णं जुग जुगं अंतरंतरे जलधारिणो माथा परिवसंति, ते थ वज्जरिसहनारायणसंघयणे महाबलपरक्कमे अडतेरसरयणीयमाणेणं संस्खेज्जवासाक मङमज्जमंसप्पिए सहावओ इत्थीलोले परमवन्न सुउमा. लअणिदरखरयरुसिक्विायतण मायंगरक्यमुह सी. हधोरदिदी कयंतभीसणे अहावियपहठी असणि बनि खरपहारी दृय्युदरे य भवति, तेसिंति आओ अंतर. गगोलियाओ ताओ गहाय चमरीणं संतिएहि सेय. पुच्छवालेहिं गुंथियां जे केई उभयकन्नेसु निबंधिऊय महग्युत्तमजच्यश्थणी साशरमणुपविसेज्जा, सेणं जलहत्यिमहिसगाहगमयरमहामछतंतुसुंसुमारपभितीहि दुसावतेहिं अभेरिसए चेव सव्वाप सागरजलं भाहिंडिझण अहिरवार जच्चरयणसंशहं करिथ भहयः सरीरे आगरछे, ताणं च अंतरंगोलियाण संबंधण ते वराट गोथमा! अणोषमं सुधोरं दारुणं चुकवं पुष्कजियरोदरकम्मवसगा अणुभवंति।से भय। केणं अदउगं ? गोयमा ! तेसिं जीरमाणा को समज्जे तभी गोलियाओ गहे जे ! जथा उण ते घेप्पति तथा पविहाई * नियंतणाइं महथा साहसेणं सम्ब द्धकरवालकुंतच. क्काइपहरणाडोवेहि बसूरधीरपुरिसेहिं बुदिपुब्बगेणं सजीवियडोलाए पेप्पंति, तेसिं च पिप्यमाणाणं जाई सारीरमाणसाइं दुकमाई भवंति नाइं सजेसु नारय. दुकवेसु जइ परं उनमेज्जा / से भयवं! को उण ताओ अंतरंड गरेलियाउ गेण्हिज्जा ? गोथमा / तस्येन लवणसमुह अस्थि रयणही नाम अंतरडीवं,तसेव पडिसंतावदायगाओ थलाओ एगतीमाए जोयणसहि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90] श्री आगमसुधासिन्पुः दशमो विभागः नं निवामिणो माया // भयवं ! कयरेणं पओगेणं ! खेत्तसभावसिडेण पुष्वपुरिससिद्धेणं च विहाणेणं से भय! कयरे उण से पुधपुरिससिद्ध विही तेसिंति? गीयमा! तस्विं रथणीने अस्थि बीसएग्णवीस गरसदृसहस्तक्ष्णूपमाणाई घरदृसंगणा परिरतवरन्सिलासंपुडाई, तारं च विधाडेऊयं ते रयणदीवनिवासियो मण्या पुसिद्ध खेत्तसहावसिद्धणं चैव जोगे. पभूध मरिध्या महभी अन्झंतरे अध्यंतलेवाडाई काऊणं नओ तेसिं पक्कमंसखंडाणि बहणि जच्चमढमज भंडगाणि परिसवंति 7. तओ एयाई करिथ सुरुंदरीहमह दुमकरहिं भारुभत्ताणं सुसाउपोराणमज्जमन्जिगामरियामयपडिपुन्ने बहुए लाउरो ग. हाथ पडिसंतावदायगथलमागच्छति, जानणं तम्यागर समाणे ते गुहावासिणो मणुया पेति नाव णं तेर्सि रयणदीवगणिवासिमायाणं वहाय परिधावति दातओ ने तेसिं महपडिपन्नं लाउगं. पथरिणं अब्भत्थपभोगेणं तं करजाणं जणाथरवेगं तु खेविकर्ण र. यणहीवाभिमुहे वच्चंति, व्यरे य गं तं महमांसाहीयं, पुणो सुनुयरं तेसिं पिट्टीए विम्विरमाणा) धाति, ताहे गोथमा ! जाव ण भच्यासन्ने भवंति ताव णंसुसाउमगंधरवसस्कारिय पोराणमजलाउगमेगं पमुत्सूण पुणोवि जणथरवेगोणं रयणसीवडसीक्वंति, इथरेय ते सुसाउमड़गंध व्वसमकरियं पोशणमज्जमांसाश्य, पुणो सुरक्षयरे तेसिं परीए धावनि, पुणीनि तेसिं मत्पडिपुन्नलाउगमेगं मुंचंति / एवं ते गोयमा ! महमज्ज लोलिए संपलणे तावाणथंति जाधणं ते घरटसंठाणे वरसिलासंपरेता जावणंतावरचं भूभागं संपरायंति तावणं जमेवासन्नं वारसिलासंपुढे Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री महानिशीधस्त्र यय-." जंभायभागपुरिसमुहागारं विहाडिय चिरक तत्व जाई महमज्जपरिपुन्भाइं समुद्धरियाई सेसलागाई ताई तेसि पिरमाणाणं ने तत्य मोतूणं नियनियनिलएस् वध्याति 10 / इधरे 4 मढ़मजलोमिए जाय गं तन्य परिसंति ताव गं गोयमा / जे ते पुबमुम्के पकमंसख ने यते मङमज्जपरिपन्ने भइगे जंच महए चेवालितं सव्व तं सिलासपूर्ड पेक्वंति ताव गं ते. सिं महतं परिभोर महई तुरी महंत पमीदं भवइ 11 / एवं तेसि. महुमज्जपक्कमस परिभुजेमाणाणं जाव णं गधंति सत्तर दसपंचेव वा दिणाणि साव ते रचणदीवनिवासी मणुया एगे सन्नदसाउहकरग्गा तं वससिल वेटिकणं सत्तदम्पतीहिणं मंति, अन्ने तंघ रसिलासंयुडमालित्ताण एगर मेलति, नार्म भ मे. लिजमाणे जोयमा / जहणं कहिचि तुहितिभागमओ नेसिं एक्कस्स होण्हपि वा पिके भवेज्जा,नभो तसिं रयणदीवनिवासिमपुयाणं सरिडविपान्मायमंहिरस्स्स उप्यायणं नम्वणा चेव तेसिं हत्या संघार. काल भवेज्जा 14 एवं तु गोथमा / तेसि लेग वज सिलाधररसपुडेणं गलियाणपि तहिय चैव जारणं सावठिए इलिका ण संपीसिए सुकुमालिया य ) जाव.. तेसिं णो पाणाइस्कनं भवेज्जा, ते.य अट्ठी वहरमिव दुहले, तेसिं तु तत्प य बहरसिलासपूर्ट कण्हगः गोणगेहि आउत्तमाररेणं अरह घरहस्वरसहिगचम्कमिव परिमडल भमालिथ तावण ईतिजावणसंवरहरं नाडे तं नारिसं अच्चतघोरदारूगं सारीरमाणसं महारकमसन्निवाय समणुभवमाणाणे पाणाइक्कम भवार तहावि ते तेसिं अदीउ णो फुडति, नो दोफले भवंति, णी संहलिग्जनि. णी परिसंति, नवरं जारं काहवि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - श्री भागमसुधासिन्धु: :: दशमी विभाग संधिसधाणधणा ताई सवाई विछुतागवि जजरीभवंति 13 / तभी णं इयरूवलघरहस्सेव परिसवियं चुण्णमिव किंचि अंगुलाझ्यं अदिखिंडं दरगं ते रयणहीबगे परिमोसमुन्वहंतो सिलासंपुडाई धियाडऊगं ताओ अंतरंगोलियाभी गहाथ जे तत्थ तुछ हणे ने अणेगरित्यसंघाएणं विक्कियांति. एतेणं विहाणेणं गोथमा! तेश्यणहीवनिवासिणो मणुया ताओ' अंतरंडगोलियाओ गेण्हति 18 / से भय कहं तेवराए तं नारिस अच्यंतधोरदारूणसुदुस्सहं दुक्यनिथरं विसहमाणे निराहारयाणगे संबरधरं जान पाणे विधारयति / गोथमा ! सकयकम्माणुभावाओ सेसंतु पण्डवागरणवुद्धस्विरणादवसेयं 5 // 0 // से भयवं! तोऽवीस मए समागे से सुमती जीवे कहिं उपवायं लभेजा ! गोथमा ! नत्थव पर्डि संतावदायगथले, तेणेव कमेणं सत भवंतरे, तभीविदु. इम्साणे, नभीति कण्हे, तभीवि वाणमंतरे, तभीवि लिंबताए वणम्सईए, तमोवि मणुएसुं इत्थिताए, नोवि वीए, तोवि मगुस्ताए कुरी, तोकि बाणमंतरे, तभीवि महाकाए जूहाविती गए, तभोवि मरिंकणं मेहुणासत्ते अणंतवणयानीए / नीति भणंतकालाभो मणुएसु संजाए, तओविम. गुए महामिती, तओवि सत्तमाए, तोवि महामछे चरिमोयहिंमि, तभी. सत्तमाए, तभोवि गोणे, तभीवि मणुए, नीवि विडवकोइलियं, तोविजलो. थ, तमोवि महामन्छ, तभोवि तंतुलमरछे, तोविससमाए तमोवि रासहे, तओवि साणे, तमोवि किमी, तभोवि गहरे, नभोवि तेउकार, तमोवि कुंय, तओर्वि मथरे, नमोवि चड्यु, तभोवि उदेहि, तभोवि वूणा Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 靈靈爽爽爽爽爽爽爽爽聽聽聽 93 . श्री महानिधिसूत्र :: यय- 4 . इए / तोवि अणंतकालाभी मणुएसु इत्थीरयणं, * तओ छठीए. ती कगेक, तओ बेसामंडियं नाम प वणं तत्योवआयगेहासन्ने लिंबापत्ततेण वणस्सई, तोवि मगुएन्सुं खुज्जित्थी, तोवि मगुयत्ताए पंडगे, ' तभीवि मगुस्तेणं दुग्गए. तओवि दमए, तओवि पुठनाहीसुं भरका यदिईए पत्तेयं, तओ मणुए, तो वा लतवस्सी, तमो नाणमंतरे, तमोवि पुरोहिए, तओवि -सत्तमीए तो मच्छ, तभी सत्तमाए, तोरि गोणे 3 // तओवि मणुए महासम्मदिरी अविरए चरकहरे, न. ओ पदमाए; तओवि इभेन ओवि समणे अणगारे,त. मोवि अगुत्तरसुरे, तभोनि चक्कहरे महासंघथणे भवित्ताणं निबिनकामभोगे जहीवार संपुन्नं संजमं काऊण गोथमा सेणं सुमइजी पडिनिन्डेजाराम 6 // तहा य जे भिक्खू वा भिम्खुणा वा परयासंडोणं पसंसं करेजा, जे याविणं गिगाणं पसंसं करेज्मा,जे णं किण्हगाणं अणुकलं भासेज्जा. ॐ गं निण्ह गाणं भाययणं पवेसेज्जा, जेणं निण्हगाणं गंथसत्यपथम्वरंवा पसज्जा, जेणं निग्रहगाणं संतिए काथमिलेसाइए तवेरवा संजमेर वा जाणे वा विन्नाणेश्या सुरक्षा पंधेिरा अभिमुहमुदपरिसामझगए सलाहेज्जा सेऽवियणं परमाहम्मिएस उववज्जेज्जा, जहा सुमती॥०७॥ . से भयवं! तेणं सुमाजीरणं तम्कालं समणतणं अणुपालियं तहावि एवंविहिं नारयतिरियनरामरविचित्तोवाएहि एवश्यं संसारा हिंडणं ? गोथमा! ji आगमबाहाए लिंगरगहणं की तंभमेव केवलं सुहीहसंसार हउयं, णो णं तं परियायं संजमे लिखइ. तेणेव संजमं दुक्कर मन्ने / अन्नं च समणताए से थ(सेयं) परमे संजमपए. जं कुसीलसंसरगीणिरिहरण, Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 爽爽爽聽聽聽聽聽護爽爽爽爽 9] श्री आगमसुधासिन्धुः:: दशमी विभाग: महागं जो णिरिहरे ना संजममेव ण गएज्जा,ता नेणं सुमड़णा तमेवारियं तमेव पसंसियं तमेव उम्स. प्पियं नमेव सलाहियं तमेवाणुरिग्यति / एवं चसुतमाक्कमिसाणं एवं पए जहा सुमती तहा अन्नेसिमवि सुंदररिसुईसणसेहरणीलभहस भोमेयरवरगधारितेणगसमणदुहंतदेवरक्खियमुनियामाहीणं को संखाणं करेज्जा , ता एयम विस्ताणं कुसीलसंभोगे सम्वहा वजीए सू०८॥ . से भयवंकि ते साहको तस्स णं गाइलस. गम्स छोण कुसीले उया आगमजुत्तीए ! गोथमा। कहं सटगरस वरायम्सेरिसो सामन्यो ? जेणं तु स. चंदनाए महाणुभावाण सुसाहणं अवन्नवार्थ भासे / नेण सइट हरियंसनिलयमरगयविणो बावीसहमधम्मतिथियअरिटरनेमिनामस्स सयासे वंदणवत्तियाए गएणं आयारंगं अणंतगमपज्जवेहि पन्न. विजमाणं समवधारियं, तत्थ य छत्तीसं आधारे पन्नान्जिति, तेसिं च णं जे केश साह वा साढणी वा भन्नयरमाथारमझम्कमेज्जा से णं गारस्थीहि उपमेयं, अहऽन्नहा समणुहठे वाऽऽयरेज्जा वा पण्णनिज्जा वा त. ओ णं अणसंसारी भरेज्जा 2, ता गोथमा ! जे गंतु मु. हणंतगं भहिगं परिग्गहियं तस्स ताव पंचममहब्वयस्स भगो, जे णं तु इत्थीए अंगोवंगाई गिज्साइझण पालोश्यं नेणं तु बंभघरगुत्ती विरात्थिा, नन्धिराहोणं. जहा एगदेसदइदो पडो दइदो भन्नइ तथा चउत्थमहव्ययं भग्गं, जण य सहत्येप्याइमणादिन्ना भूई पडिसाहिया तेणं तु तश्यमहत्वयं भग्गं, जेण य अणुगजी सरिनो उगभी भणिभी तस्स य बीयरयं भणं, जण 37 अमासुगीदगेण अच्छीणि पहोयाणि तहा 聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎獎 Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (95 श्री महानिशीथरसूत्र :- ययनं87 अविहीर यह पंडिल्लाणं संक्रमणं कयं बीयकायं च / मतं वासा कय्यस्स अंघलगेणं हरियं संधारित्यं विजए / फुसिओ मुहणंतगणं अजयणाए फडफडस्स वाउकाथमुदीरियं तेणं तु पटमवयं भग्गं, तभंगे पंचग्रहवि महबयाणं भंगो कमओ, ता गोयमा ! आगमजुत्तीए एतेकु. ) सीला साहणो. जो गं उत्तरगुणाणार्य भंग इहलं,किं युण जे मूलगुणाणं 12 से भयवं! ता एयणाएगंवि. यारिऊगं महब्बए घेतब्वे 1 गोयमा / इमे अहवे समझे, से भय के अहरेणं ? गोयमा ! सुसमयाइमा / सुसावएड वाण तइयं भयंतरं अहवा जहोवइ सुसमगत्तमामालिया, अहा णं जहोवइ सुसानगत्तमायालियां, णी समणो समणत्तमश्यरेजा नो सावए साव यत्तमझ्यरेज्जा, निरत्यारं वयं पसंसे तमेव य समारठे, णवरं जे समणधम्मे से गं अच्छतधोरचरे तेणं असेस. कम्मर खयं, जहन्नेपि अहठ भवभतरे मोक्खो, इय रेणं तु सुरेणं देरग सुमाणुसतं वा सायययरेणं मोनखो, नवरं पुणोनितं संजमाओ / / ताजे से स. / मणधम्मे से अवियारे सुविचारे पण(पुण्ण) रियारे तात्तिमणुपालिया, उवासणा पुण सहरसाणि वि. धाणे जो अं परिवाले तस्साश्यारंवण भने तमय गण्हे ५॥सू०९॥ से भयवं! सो उग जाइलसइगो कहिंसमुप्यग्नो! गोयमा ! सिहीए, से भयवं कट गोथमा। तेणं महागुभागेणं तेसिं कुसीलाणं गिउटेऊगं तीए चेव बसावयतरुसंउसंकुलाए धोरताराईए सम्रपाव कलिमलकलंकविप्पमुक्कं तित्ययरक्यणं परमहिथं सुहल्लहं भवसएसुंपित्ति कलिऊणं अच्तविसुडासएणं फायदे.. संमि निप्पडिकम्मं निरत्यारं पडिबन्नं पायवोवगमणाम Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88 . श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमी विभाग: नसणेति / अह अन्नया तेणेव परसेणं विहरमाणो समागी तित्थयरो अरिठनेमी, तस्स अ अणुगगहा एतें नेणेव अघलियसत्तो भवसनोत्तिकाऊणं, उत्तिमहरपसारणी कथा साइसथा देसणा तमायनमागी सजलजलहर'निनाथदेवहुंदुहीनग्योसं तित्यथरभार सुल्ज्यवसायपरो आरुळी रमवगसेटीए अवकरणेणं, अंतगड केवली जाभो, एतेणं अहठेणं एवं बुच्चा जहा गं गोयमा ! सिजीए 3) ता गोथम ! कुसीलसंसरगीए नियडियाए एवइयं अंतरं भवति // स० 10 // महानिसीहास चउत्थम- .. ज्झ यण // , अत्र चतुर्थाध्ययने बहवः सखांतिकाः विगला. सकान्न सम्यक अधत्येव, तैरअधानेरस्माकमपिन सम्यक् प्रधानं इत्याह हरिभद्रसूरिः, न पुनः सर्वमेवेदं चतुर्याध्ययनं, अन्यानि वा अध्ययनानि, अस्थैव कति पथैः परिमितेगलापकै र श्रद्धानमित्यर्थः, यत् स्थानसमवायः जीवाभिगमप्रसापनादिषु न कपंचिदिदमा चरख्थ यथा प्रति संतापकस्थलमस्ति, तहगुहाबासिनस्तु मनुजास्तेषु च पर. माधार्मिकाणां पुनः पुनः सस्तारवारान् यावदुपपातः तेषा च नै र्वजशिलाघरटसंपुरैगिलितानां परिपीड्यमानानामपि संवत्सरं यावत्प्राणत्यापत्तिर्न भवतीति, वृद्धबादस्तु पुनर्थथा तावदिदमार्घसूत्रं, विकृतिर्न ताबइत्र प्रविष्टा, प्रभूतामात्र श्रुतस्कंधे अर्थाः, सुवतिशयन सातिशयानि गणधरोक्तानि चेह वचनानिवदवास्यानि), तरेवं स्थिते न किंचिदाशंकनीयं रति ' स०११/. . Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARRARY ॥अथ जवनीतसारनामं पश्चममध्ययनम्॥ एव मुसील संसगि. स.यो राह पछि उम्म गपहिग्यं गच्छ, जे वाले लिंगजीरियं // 1 // शेणनि. विग्यमकिलिदलं. सामन्नं सजम तवं / ण लभेज्जा ते सिया भावे, मोक्रये दूरधरं उिए // अन्धे गो यमा / पाणी, जे ते उम्मग्गपदिग्य / ग संवासइ. ताणं, भमती भरपरंपर // 3 // आमजजाम दिणपक्रवं, मासं संक्रयि वाासम्मग्ग परिग्ए गच्छे संरसमा.. स्स गोयमा / // लीलायलसमाणस. निरुरधाहस्स धीम। पम्वोरेखीय यन्नए, महायुमागाया साहुणं // 5 // उज्जम सम्बधामेसु धोरवीरतवाड्यं। ईसकवासंकभयलज्जा, तस्स वीरिथ समुन्धले वीरिएणं तु जीवरस, समुन्धलिएण गोथमा / / जमनरकए पावे, पाणी हियएण निवे॥७॥ तम्ता निवर्ग निभालेउ, गर सम्मपरिग्यं / निवसेज्ज तप / भाजम्म, गोथमा। संजए मुणी / / .से भयव! करणं से गर जे णं वासेज्जा एवं तु धस्स पुच्छा जावज वयासी. गोयमा ।ज. यणं सममनु मित्त परखे अत्चत सुनिम्मलासुदंतक. रणे रासायणाभीक सपरोवधारमभुज्जए अध्यंत धज्जीवनिकायवाले सवालंबावियमुस्के अध्यंतमप्यमादी सविसेसचेतियसमयसमावे रोहवस्टज्झाशक्षिप्यमुक्के सवत्य आणिग्रहियबलवीरियपरिसकारपरस्कमे एगतेण सजईकप्य परिभोगविरए एगंत 1: వంక Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ as •भी भागमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: धम्मतरायभीर एलेणं सु(तत्तलाई एगणं इत्यि. कहाभत्तकहातेण कहा रायकहाजणवथकहापरिभरा थारकहा एवं तिन्नितियारसक्तीसविचित्तमप्य. मेयसवगिहाविप्पमुक्के एगंतेणं जहासत्तीए महरा रसण्ड सीलंगसहस्साणं आराहणे सयलमहन्निसाए, समयमगिलाए जहोबइठमग्गपरूपए बहुगुणकलि ए मग्गदिग्ए भरवलियसीलंग महायसे महासत्ते महाभागे नाणसणचरणगुणोनवेए गणी // 0 // से भयवं। किमेस वारो जाएगोधमा अन्धेगे जे गं पो वासेज्जा. मगे जंगंणो वासेज्जा / से भरखं! केगं अहटेणं एवं रचइ जहा गं गोथमा! अन्धेगे जेणं वासेजा अत्यगे जंग नो वासेजा गोथमा। मायने जेणं आणाए लिए अधिगे जेणं आणाशिहगे राजेणं आणाग्एि रेणं सम्मदसणनाण चरिताराहगे,जेणं सम्मसेकमोथमा अच्चतविक सुथह (पवरकडुज्जए मोक्खमग्गे जेय उण आणाविराहगे से गां अणंताणबंधी कोहे से यां अ. गंतानुबंधी मागे से णं अयंतागुबंधी कश्यवे से अ. गंतागुबंधी लोभे / जेणं अताएबंधीकोहाइकसाथचउम्के से णां घणारागोसमोहमिच्छत्तपुंजे जे गंघ. णरागहोसमोहमिरतपुंजे से णं अणुत्तरयोरसंसारसमुद्दे / जे णं अणुत्तरपोरसंसारसमुहे से णं पुणोर जमे पूणोर जरा पूणो 2 मरघुजेणं पुणो 2 जम्म. जरामरणे से णं पुणो 2 बहुभवंतरपरावते / / णं पूणो र बनभस्तर परावते से गं पुणो र चुलसी. 'इजीणिलकवमाहिंडणं / जे गं पुणो र चुलसीइजो. पिलक्षमाहियां से पुणो 2 सदसटे धोरतिमिसं. / धयारे सहिरञ्चिलिचिले वसपथक्तपित्तसिंधि'खल्ल राधासुरिलीजबालकैयकिदिवसरबरंट. Pata Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 298220 श्री महानिशीधसूत्रं * 3यनं 57 पडिपुन्ने अणि उजियाणज्जरघोर चडमहारोह दुम्वदासणे गठभपरंपरा पसे 10/ जेणं पुणो 2 घालणे गाभपरंपरापवरी से दुम्से से गं कैसे से रोगायके। सेणं सोजसंताबुलेयाले 11 से इमर केस रोगायंकसोगसंतालेयरी में कुत्ता 12 // जे अ. णिनी से अहटिग्यमारहाण असंपत्ती णं जहहिंग्यममारहाण असंपनी से नाव पंचप्पया. संतरायकम्मोदए 14. जत्य पंचपचार भतरायकम्मो दए तत्थ णं सतत्कवाय अरए पटमे ताव दारिह 15 जेण दगार से समस्याण किर्तिकलंक रामोटा मेलापागले ने अयस56भक्खाया अकिर्तिकलंकापसी मेलावगागमे सेणं सयलजणलज्जयिने निंदाजे जे विंस. ,णिज्जे दुगंधणिज्जे पवपरियजरिये 17 / जे सन्न परिझ्यजी/ए से या सम्मान 'टाचारिताइ. गुणहि सदरयां वयमुक्के चेव मणुयजम्मे अन्नहा वा सपरिभूए चेव भवेज्जा 18 जे सम्म / इसपनायाचारिता इगुणहि सुदरयां विप्यमुक्के चेव, , न भये सेयां अणिमहासवाए चेव 19 जे अनिरुहासवदारते चेव बहल'लपारकम्माययो / जेणं बहललपारकम्माययो सेबी से बंधी सेयां गुत्ती सेणं चारजे से रकमकालाण मगल. जाले विमोम्ये कबडघा बद्धपुरनिगाइएकम्मगंठी 2 // जे कामघणाबद्ध पुरनिगाइयकम्मगंटी से एजिदियनाए ३रियनाए तेइंदियनाए च. उरिदियताए पंचि त्यत्तार नारयतिरिरमाणुसेसु रोगविहं सारीरमायास दुम्ममणुभवमानं वेश्यध्ये 22 // एएणां मरणं गोथमा। एवं रचइ जहा भयो AAPPACaca 5453 Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRRY 100] / श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग जेणे वासेज्जा अत्धेगे जे गं जो वासेज्जा 23 / 02 / / से भय। किं मिलेणं उच्चाइए के गरछे भज्जा-१ गोथमा। जेणं से आणाविराहगे गच्छे भज्जा से गं निरयो चेव मित्तेणं उरछाइए भवैज्जा / से भथवं कचरा उण सा आणा जीए ठिए गरछे भाराहरी भवेज्जा 1 गोथमा ! संस्खाइएहिं थाणं. नरेहि गरछस्स गं आणा पन्नत्ता जाए पिए गरो आराहगे भज्जा // 3 // से भयवं? कि तेसिं संवातीताणं गरछमेराथा.' गंतराणं अस्थि केर अन्नथरे धाणंतरे जेणं उस्सग्गेण वा अपवाए वा कहिंवि पमाथहोसेणंभसई अइक्कमेज्जा, अश्मकतेण वा आराहगे भवेजा! गोथमा' fणरधयो नत्थि॥से भय केणं भरठे एवं उधर जहा गं निध्यो नत्थि 1 गोथमा। . तित्ययरेणं ताव तित्थयरे नित्ये पुण चाउच्चन्ने स. मणसंधे, से गं गच्छेसु पइदिए, गधेसुरिगंस. म्मसणनाणचरिसे पहरिठए,ते य सम्महसणनाया. चरिते परमपुज्जाणं पूजथरे परमसरण्णाणं सरयण। घरे परमसेब्याणं सवथरे, ताईचजत्थ णं गच्छे अन्नथरे गणे कत्थर विशहिज्जंति से गं गछे सम्मगपणासए उम्मग्गसए / जेणं गच्छे सम्मायणासए उम्मग्गदेसए सेणं निरण्यओ घेष आणाविरा. गे। एएणठेणं गोथमा! एवं बुध्ध जहा गंसं. खाट्टीयाणं गच्छे मेराठाणंतराणं जेणं ग एगम- / नयररगणं अक्कमेज्जा से गं एगंतेणं घेर आणाविराहगे // 6 // से भयेवं! केवश्यं कालं जाव गच्छरस गं मेरा पन्तरिया। केवइयं कालं जाव गंगधस्स मेरा पाइ. వు Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRR | मी महानिशीथसूत्र : शयनं 2051 8101. ककमेथव्वा ! गोथमा / जार णं महायसे महारस्ते महामुभागे दुप्पसहे अणगारे ताव णं गच्छमेरा पन्नक्यिा जावणं महायसे महासते महाणुभागे टुप्पसहे अण गारे ताव गं मेरा नाइक्कमेथव्वा // 05 // से भयवं, कयरोहिणं लिंगहिवइस्कमियमेरं / आसाथणाबहलं उम्मगपडिग्यं गच्छवियाणेज्जा! गोयमा! जे असंगवियं सत्यारि अमुणियसमय. साभावं लिंगोरजीविं पीटफलंगपडिवळे अफासुवाहिरपाणपरिभोई अमुणियसत्तमंडलीधम्म सम्बाबस्स. गकालाइक्कमयारि आवस्सगढाणिकरं ऊगारित्ताव। स्सगपवतं गणणापमाणऊयाइरित्तरथहरणपसदंडगमु. हणंतगाउवगरणधारि गुरूवगरणपरिभोई उत्तरगुणविराहगं गिढत्पधंदाणुवित्ताइसम्माणपवत्तं पुठवीदगाग| णिवाऊवणफईबीयकायतसपाणवितिचउपंचेंदियाणं कारणे वा अकारणे वा मसती पमायदोसओ संघर; गादीघ्र अदिग्दीसं आरंभपरिग्गहपवितं अनिमालो' यणं विगहासीले अकालयारि अविहि संगहियभरिक्खियपव्वाविमोषदारियभसिक्ववियदसविहविणय. सामाधार लिंगियां इढिरससायागारवजाथाइमयचक्कसाथममकार अहंकारकलिकलह झझा उमररोहऽज्झागोवगथं अराविथबहुमथहरं देहित्ति 'निछोडियकरं बहुँदिवसकयलोयं विज्जामंततंतजोगजारगंज)णाहिज्जणिक्कबद्धककरवं अबूढम्लजोगगणिओगं दुक्कालाइआलंबणमासजे अकप्पकीयगाइपरिभुजणसीलं किंचि रोगार्थकमालंबिय तिगिच्छाहिगंदणसीलं अंकिंचि रोगार्थकमासीय दि. / या तुयटणसील कुसील संभासणाणुवित्तिकरणसीळ अगीथत्यमुहविणिग्गयअगदोसपाहिठ-, FRRRRRRRRRRRRE Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PAREERARA 1024 Aभागमसुधारि-युः दामो विभाग: वयणाणुाणसीलं असिधगुरव गगगंडीवकुंत धक्काइपहरणपरिगहिया हिंड एसोनं साहसुन्शियभ. नवेस परिवत्तकथाहिंडण-सोलं एवं जाव णं अधुर्गी पयकोडीओ ताव गोयमा ! असठिय वेब वाथरेजा॥०६॥ . तहा अंग्णे इमे बह प्यगारे लिंगे गरछस्सj गोथमा समासी पन्नाजति / एते यणं एकार: सेयण गुरुगुणे बिन्नेए, तजहा- गुरू ताव सध्वजगजी५ नपाणभूयसत्ताणमाया भवइकिं पुग गरछस्स रासे, णं सीसंगणा एगंतणं हि मियं पत्य इहपरलोगसुहावह आगमाणुसारेणं हि ओवएसं पथाइ / से देविंदरिदरिद्धीलंभाणपि पवरूतमे गुरूवएसपक्षा. गलं तं चा(सत्ता) गुमाए परमक्खिए जन्मजरमरगाहीहि इमे भगवसत्ता कई गु णाम सिरसुहं पार्वितितिकाऊणं गुनगएसं पचाइ, णो णं वसणाहि.. भए जहा णं गहग्घल्थे उम्मले 4aa अधिएक वाजला णं मम इमेणं हिजोबएसपथाणेणं अमुगलाभ भवेज्जा, णी गं गोथमा। गुरू सीसाणं निम्नाय संसारमुत्तरेज्जा, णो णं परम्कएहिं सबसुहापुढेडिं कासइ संबई अस्थि // 50 // - ता गोयन! एन्ध एवं ग्थिमि जइ टचरितगीयथो। गुरुगणकालिए य गुरुणा भणेज्ज असमंबयां // 9 // मिण गोणसंगुलीए गणेति वा इंतचम्कलाई से। तं तहमेव करेजा कजं नु नमेव जाणनि // 30 // आगमविऊ बयाई सेयं का भणिज्ज आयरिथा ।नं नहाइटियवंशनिय कारणे तहिं / 114o गेहा गुरु वक्षणं भन्नंत भावमओ पसन्नमणो / ओसहमिव पिज्जल तं तस्य सुहावह होइ॥१२५ पुन्नेहिं चोड़या पुरसम्पएहि . कार Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 92292022* "श्री महानिरीधरसूत्रं :: मध्ययन 17. 103 सिरिभायणं भरियसत्ता / गुरुमागमेसिभद्दा देवयमिक पज्जुवासंति // 13 // बहुसो कखसयसहस्साण दायंगा मोयगा दहसथा। आयरिया उमेयं केसिपएंसीयते हे 30 नरयगइगमणपरि हत्या कर तह पए. सिंणा रन्ना। अमरनिमाणं पत्तं तं आथरियप्पभावणं // 42 // धन्समझएहिं असुमडरे हि कारणगुणावणीए. / पल्हायंतो हिययं सीसं चोइज्ज आधारिओ॥१६". एवं चायरियाणं.पणयन्नं होति कोडिलक्रयाओ। कोडी सहस्से कोडी सए य तह एत्तिए चेव // 17 // ए. : तेहि मसाभो एगे निम्बुडइ गुण(क) गणाइन्ने / सव्वुत्तमभंगेणं तित्ययरस्सऽणुसरिस गुरु // 3 // सेऽविथ गोयम! देवयवयणा सूरियणाई सेसाई। तं तह आराहेज्जा जह तित्ययरे चरबीसं // 19 // सध्यमवी एथपए दुबालसंगं सूर्य तु भणियवं। भबनहा भविमिणिमो समाससारं परं भन्ने // 20 // तंजहा मुणिणो संघं तिथं गण पश्यण मोरयमग एगा। इंसणनाणचरिते घोरुगनचेव गरछणामे य // 2 // पयलंति जस धगधगधगस्स गुरुयोनि चोइए सीसे। रागहोसेणं अह अणुसएण तं गोयम! ण गर॥२२ ग ई महागुभागं तस्य वसंताण निजरा विउला / सारणवारण चोयणमाहीटिंण होसपडिबत्ती // 23 // गुरुणो धावने सुवि। जीए जियपरीसहे धीरे / णनि बजे णवि लुढे गवि गारविएन विगहसीले // 6 // संते ते मुत्ते गुने वरणमग्गमल्लीगे। इसविसामाधारीआवस्सगसंजमुज्जुत्ते // 25 // वरफलसकरकसाणिदग्दुनिरनिराइ सयौ / निमछणानिदाडणमादीहिन जे पोसनि // 26 // जेय ण अकितिजणए णाजसजणए कज्जकारी यान य पश्यणुइडाहकरे कंग्गथपाणसेसेवि // 7 // सम्माथझायनिरए घोर maranthan F REEFFFFFES Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免密免染染染免染染染 - 107ii आगमसुधासिन्धुः : दामो विभागः तबच्चरण सोसियसरीरे। यकोहमाण कइयव दूळन्झिथरागहोसे य॥२०॥ विणभोवधानसुमले सोलसविहवयम भासणाकुसले / गिरवजयण भगिरे सय बहुमणिरेण पुणभगिरे॥२९॥ गुरुणा कज्जमवाजे खरककसफरूसनिठुर-। मणिहर / भणिरे तहति इच्छ भनि सीसे नयं गई // 30 // . इन्मिय पत्नाइसु ममन निप्पहे सगरेवि / जायामायाबारे बाचालीसेसणाकुसले // 3 // तंपि_ण सरसत्य मुंजं. नाणं न चैव रम्पत्य / अन्योवगनिमित्त सजमजोगाण. वरण.॥३॥ वेयनवेयावच्चे इरियरगए य सजमहताः ए। तह पाणवतियाए घर पुण धम्मचिताए // 33 // भपु. बनाणगहणे घिरपरिचियधारणेस्कमुज्जते / सुतं अर्थ | भय जाणंनि अणुरायंति सथा // 34 // अहम नाणदंस चास्तिाथार णवचउक्रमि / अणियहिय |ए धणियमाउत्ते // 35 // गुरुगा रखरमरुसाणिदुनिट गिराए सयदत्त / भणिरे यो पडिसूरिति जन्य सीसे तय गच्छं // 36 // तवसा अचिंत ज्य्यन्नलदिन्माइसरिद्धिकालएवि / जत्य न हीलंति गुल सीसे न गोयमा / गच्छ॥३॥ तेसरित निसयपावाप्रयाण विजथा वित्तजसपुंजे / जन्धन हीलति गुर सीसे तं गोयमा गध // 38 // जत्थावलिय। ममिलियं अचाइदं पयस्वरविसुद्धं / विणओवहाण| पु०व दुवालसंगपि सुचनाणं // 39 // गुरुचलणभतिभरनिभरिक परिभोसलमालावे / अज्झीयंनि सुसीसा - ! गमणा स गोयमा ! गर, // 10 सागलाणसेवालालरस गधस्स दसविहं विहिया / कीरत वेथावरचं गुलाण त ग ॥दसविहसामायारी अभिनिए भवसत्तसंघाए / सिम्सति यदुइति / स य रजिइ तगर, इछामि छा तहकारो, अबल्सिया. य निसीलिया / आपुरक्षा REFERRRRRRRRRES Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免受免免免密免強免染染免染染 श्री महानिशीथरसूत्र :अययन५ , 105 य परिपुरधा, चंद्रमा यनिमंत्रणा, उपसंपया यकाले सामाधारी भरे इसविहा उ // 53 // जत्थ य जिदम्कणि. ना जाणिज्जइ जेदविणयबदमागं / दिवसेणवि जो जेवो णो हीलिज्जद तयं गर॥४४॥ जत्थ य अजाकप्यं पाण. प्चाएविरोरभिरखे। ण य परिभुज्जइ सल्सा गोधमा गई तथं भणियं // 55 // अन्ध य अजाहि समं पेशविण उल्लवंति गयदसणा / ण य णिज्झायंति भंगोवंगाईत ग४६जत्थ य सन्निहि उखडआहउमादीण जामगहोऽवि। पूई-कम्मा भीए आता कप्पनियमि // 4 // जत्थ य पच्चगुठभडदुज्जयजोवणमरदरदप्येणं वाहिज्जंतारि मुणी विखंति तिलोत्तमपि तं गर वा. यामेतेणवि जत्थ भदग्सीलस्स निग्गहं विहिणा / अहल. दिजुयसेहस्सबी कीर शुक्रुणा नयं गच्छ॥४९॥ मउए नियसहावे हासहवविवजिए विगहमुन्ने / असमंजसमकरेंते गोथरभूमऽहठ विहरंनि // 5 // मुणिणो णाणाभिगह दुक्करपरिधत्तमणुचरंता जाय चित्तचमक्कं देविंदापि तं गर॥१अन्य य वंदणपडिनकमणमाइमंडलिविहायनिउणन्नू। गुरुणोभ. खलियसीले सययं कहा गतवनिरए॥३२॥ जत्थय उसभाहीणं तित्ययराणं सुरिंदमहियाणं कम्महविष्य. मुक्काण आणं न रखलिज्जइस गरछो॥३॥ तिन्थयरे तित्थय नित्यं पण जाण गोथमा ! संयं / संघे याठिए गरछे गच्छठिए नाणसणचरितं // 5- णासयम्स नाणं सणनाणे भवंति सत्य / भयणा चारित्तम्स तु सणनाणे धुवं अधि ५५नाणी सणहिमोचस्तिरहिमी य भमइ संसारे जो पूण चरित्तनुमोसो सिझर नत्यि संदेहो // 56 // नाणे पगासयं सोही नयो संजमो य युतिकरो। तिण्हपि समाओगे मोक्सो "FFERRRRRRRRRE Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BARBARRRRRRRE 10167 Est श्री आगमसुधा सिन्धुः। दशमो विभागः मेस्कस्सवि अभावे // 7 // तस्सनि यसकंगाई नाणारितिगम्स खंतिमाहीणि / तेसिं चेमकेम्पयं जन्यागुजह स गरछी // 5 // पुटविंदगीगणि ऊषण कर नह नसाय निविहार्ग। मरणंतेऽविण मासा कीरद पीतयं // 56 // जन्म य बाहिर पाणस्स बिंडमेतंपिगेम्हमाहीसुं। नण्हासोसिथपाणे मरणेवि मुणी ण छति // 6on ". जत्थ यसलविश्य नभयरे वा विचित मायके / उय्यन्ने जलयुज्जालगाई ण करेंति मुणी तयं गच्छ॥६॥ जत्थय तेरसहत्ये मज्जाओ परिहरंति णाणहरे / मणसा सुथदेवयमिन सब्वमवित्थी परिहरति // 62 // इसतिहासखेड्डदप्पणाहवाई ण कीरए जत्था धारण डेवण लंघण ण मयारजथाउत्थरणं // 13 // जत्पिन्धीकरफरिसं अंतरियंका वि उप्यन्ने। दिस्तीनिसास्तिग्गीविसंगजिजइ सो ॥६॥जत्थित्पीकरफरिसं लिंगी भरहावि सयमवि करज्जा / तं नियओ गोयस! जाणिज्जा मूलगुणबाहा // 65 // मुलगुणहिउ खलियं बटुगुणकलिपिलदिसंपन्नं। उनमकुलवि जायं निदाज्जिइजहि तयं गरजं // 66 // जय हि.पणसुब्वणे धणाधन्भे कंसदसमलिहाणं / अयणाण आसणाण यन य.परिभोगो सेतयं गच्छ॥1॥ जय हिरण्यसुव. एणं हत्यण परागपि नो हिरो / कारणसमप्पियपि हरवणनिमिसटुंपितं गरgin६॥ दुद्धरबंभव. थपालगदर अजाण चवलचित्तागे / सससहस्सापरिहारगणवी जत्पत्थितं गर।६९ जत्युत्तरपतिउत्तरेहि अजा उ साहुणा साहिं / पलवंति सुधावी गोयम ! किं तेण गण 2011 ssssssssssssss Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免密免***免染染染染免染染 श्रीमहानिशीसत्र::अध्ययनं 5 जत्थ य गोथमा बहुविहाधिकय्यकल्लोलचंचलमंणाणा अज्जाणमगुरिटज्जा भणियं तं केसिं गर?॥१॥ जत्थेक्कंगसरीरा साट्र सह साहुणी हि हत्यसया। उइट गरछे. ज्ज बहि गोयम गच्छमि का मेरा 192 // जत्थ अ अज्जाहि समै संलापुल्लावमाइवहारं। मोत्तुं धम्मुपएसं गोथम / तं करिस गर; 1 // 7 // भयनमणियतविहारं गिययाविहार ण ताव साहणं / कारणनीयावासं जो. सेवे तस्स का क्सा! निम्ममनिरहंकारं उजुत्ते नाणसणचरिते। सयलारंभविमुक्के अप्पडिबडे सदेहेवि // 7 आधारमायरंते एगक्षेत्तेवि गोयमा ! मुगियो / वाससपि वसंते जीय-धे राहणे भणिg // 6 // जत्थ समुहेसकाले माहणं मंडलीए अज्जाओ / गोयम / नवंति पाहे इत्थी रज्जनतंग-. छ॥॥ जत्यय हत्थसएविय रयणीचारं चउपहमूगाओ : उइदं दृसहमसइ से (ण) करेंति अजा तयं गच्छं॥७॥ अववाएणवि कारणवसेण अज्जा चउपहमूणा. उ / गाऊयमवि परिसककंति जत्थतं केरिसं गछ ? // 79." जत्थ य गोयम! साह अज्जाहिं समं पहंमि अळूणा / अववारणगिछज्ज तत्थ गच्छमि का मेरा॥ron जन्य य तिदिउभेयं चक्रायगिदीरणि साहू , जाउ निरिक्षेज्जा तं गोथम ! केरिसं गछ ? // 1 // जत्थ य अजालद्धं पडिग्गहरंडादिविविन्मुनगरयां / परि भुज्जइ साहहिं तं गोयम ! कैरिस गरछ // 2 // अइदुलहँ भेसज्जै बलबुद्धिविवद्धयपि पुदिठकर / अज्जालद्धं भुंज का मेरा तत्य गछमि ? // 3 // सोकमा गई सुकुमालि. थाए सह ससमभसमभीए / ताव न वीस सियनवं गाव 4 // दढचारितं मोनं आयरियं मयहरं च गुणरासि / अज्जा बहटावेई तं अणणारं न त छ 24 घणज्जिययकुडकुड्यावेजदुरीजमढहिययाउ, BREERSFREE Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免密免染染免密免决定免 107 आगमन्सुधासि दशमो भाग: होजा वावासियाओ इत्थीरजं न गर्छ पच्च करवा सुयदेवी तबलदीए सुगहिवणुयावि / अन्य रिए. ज्जा कज्जार इत्थीरजंन तंग // गोथमा पं. चमहत्वय गुती तिराह पंचम्ममिई / इसविहधम्म. स्सिनक कहवि थलिज्जन तं गच्छनिणनिक्सियस्स दमग स्स अभिमुहा अज्जचंद्रमा अज्जा / निरह आसणगहणं सो विणओ सव्व अन्जा 1 वाममयनिविधयाए अज्जाए अज्जदिक्षिमो साहू / भनिभर निभराए वंरगणएण सो पुज्जो // 30 // _अस्जियला शिद्धा सएण लाभण जे असंतुदया। भिक्स्पायरियाभग्गा अभियउत्तं गिरा, हेतिराहा गयसीसगणं ओमे भिक्खायरियाअपचलं धेर। गणिहिति ण ते पावे जियलाभ गवसंता॥७॥ीमै सीसपवासं अप्पडिबद्धं अजंगमत्तंचा ण गणेज एगरवले गणेज वासं णिययवासी // 43 // आलंबणाण भरिओ लोओ जीवन्स भ. जउकामस्स। जज पिछलोए तं तंभालंबयं कुमइ // m जत्यमुणीण कसाए चमढिज्जतवि परसाएटिंछेज्ज समुळे सुणिविदो पंगुलध्व तयं (ग)॥१५॥६. ममंतरायभीए भीर संसारगाभवसहीणं / णोडीरिज्जकमाए मुणी मुणी तयं गर/ सीनतवाणभाषणचाविहधम्मतरायभवभीए। जत्थ बटू जीयस्य गोयम! गध तयं वासे // 9 // जत्थ य कम्मविवागस्स चिठिर्थ चउगईए जीवाणं। णा णमवरद्धेऽवी नी पकुय्यंनि तंगधे // 9 // जत्थ य गोयम! पंचण्ह कहविस्णाण एक्कमवि होज्जा। तंगधं तिविहेणं वोसिरिय वज्ज अन्नत्य // 9 // सूणारंभपक्तिं गच्छ सुज्जलं वा वसेज्जा चारित्त तू उज्जलं तं निवासजा 1/100 // तित्यथरसमी सूरी दुज्जयकम्मदठमल्लपडिमल्ल, गोहिं तु उस RRRRRRRRRRRRRs Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2222222222252525 106 मी महानिधिसूत्र ययनं 23. आणं अश्क्क मले ले कापुरिसे न सम्पुरिसे॥१०१ भत्ताधारी सूरी भरगयाराविक्खो सूरी। उम्मगरिमी सूरी ति. पिणवि मग पायासंनि // 1025 उम्मगरिए सिंमिनि यं भवसत्तसंघाए / जम्हा त मरगमणु सति सम्हा का तं जुतं // 13 // एक-घि जी दत्तं सतं परिबीहि उम। ससुरासुरंमिवि जसे तेणेहंघोशिसं अमाथा / / 206 // भए अस्थि भविस्संति कई जगवंदणीथकमजुयले / जेसिपहिय करणेक्कबजलक्या वोलिही कालं / / 105 // भूप भगाइका. लेण केई होति गोयमा ! सरी। जामगणेलिजेसिं होज नियमेया पतिं / / 106 // एवं गजवथ दुरचराहाणां (वंतरं तु जो खंडे / तं गोयम ! जाण गणिजियोऽणंतसंसारी // 10 // जं सचलजीवजगमंगले चलकल्ला णपरमकललारे / सिदिपा वीन्धिो पत्रितं होड़ तं गणिती // 10 // तम्हा सोयनात मित्तपतो ण पहियरए किल्लामखुणा अथ्य आणा ण लंधया / 19 एवं मरमाधयाना एयं ग. छववत्य लंधे तिगारोह पवि। संभाईए गणियो अज्जरि बोहि न पावंति // 16 // ण लभेहिनि य अन्ने अतहकोवि परिम नि. स्थं / चउगइभवसंसारे चिटिज चिर सुकवते // 111 // चोदस रज्जूलोगे जोयम' वालाको उमेरपि / तं नाथ पएसजन्य असमरटो संपन्न .. मोहोणि. लक्सा जोणी नशि गोयम' / उहाले ? तो सनो जीवा समयन्जा 25 गन्नाहि सं.भन्न निरंतरंजडा गोमा दमन र गुदां जयं. 114 / आगे जाक नस्म सोपतानपीलणे / / कोडीगुणं जयं दुकस कोडाकोरिगुणाय वा // 12 // जायमा / णाय जं टुक्वं मरमाणाण जंतणं / तेण दुक्पविधागे (नि ssssssssssssss Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免染染染免免密免染染免 10 . श्रीआगमसुधासिन्यु::: शमी विभाग: होगाणं जाईन सरति अतणि // 116 // नाणा विहामु जोणीसु परिभमंतेहि गोयमा। तेण दुक्ख रिवागेण सभरि एण णवि जिवए // 117 // जम्म जरामरण होगच्चवाहीओ चिट्ठंतु ता / लज्जेज्जा गब्भवासे को ण बुद्धो महामई! // 12 // बहरूतिरपूजंबाले. असुईकलिमलपूरिए / भणिते यदभिगंध, भे को घिई लभे॥१९॥ ता जन्य दुक्त विविखरणं, एगंतसुहपारणं / से आणा नो खंडेज्जा,आणा. भंगे कुओ सुहं // 12 // से भय / रण्ड साड्यामसई उस्सरण वा प्र. ववाएण वा चरहि अणगारे समं गमणमागमणं निशेडिय तहा इसण्हं संजईयां हेटता उत्स्सग्गेणं चउग्हं तु अभावे अ वबाएणं इत्यसथाउ उद्धं गम णाणुण्णायं आणं वा अइक मंते साडू साहणी 1 3 तसंसारिए समस्याए ताण से दुप्यसहे अणगारे अमहाए भवेज्जा सास्थि पिण्ड सिरी अणणारी असहाया चेव भवे जा एवं तु ने कहं भाराहगे भ. वेज्जा? गोथमा / दुम्समाए परियंते ने चउरो जुगय्य. हाणे स्वागसम्मन नागामाचरित्तसमन्निए भवेजा / . तत्य णं जे से महाराने महाभागे दुप्यमहे अणगारे से या अच्यंतरिसुद्धसम्मसागर चरितगुणेहिं उक्वए सुदिइटसुगइमग्गे आसाथ पीस पतपरमसदासंवेगवेग्गसम्मग्गारिए णिरामा मलसरयकोमुईसुनिम्माइंदुकर. विमल परयरमजसे परम पुज्जाणं परमपुज्जै भ. वेज्जा 2 / तहा सारिय सम्माननाणचरितपडागा महायसा महामना महाभासा रिप गुया जुत्ता. चेव सुगहियनामधे. ज्जा विण्डसी भारी भरेजा 3 / नंपिणं जिणास्त. फगुसिरीनाम नाकामिह बहु बास्सर वन्नणिज्जगुणं व नयेज्जा 4aa तहा तेसिं सोलस संवरधरा परमं भा भव य परियाओ सालोइरानी सल्लाणं च पंचनमोक्कारपरा Sssssssssssss Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22RRRRRRRRRE भीमहानि. ] घउत्धभत्ते जाहम्मे मध्ये विवामी तयणंतरं चहिदिवमगमणं, तहाविने वन्य जो विलंधिमु॥२॥ .. से भयवं। 57 अटेणं एवं दुश्चइ जहा गं तहावि एयं गच्छविय णो विनंघि 1 गोयमा! इओ आसन्न कालेणं चेव महायसे महासते महाणु भागे सेज्ज भरे णामं अणणारे महततरसी महामई वालसंगसुयधारी भवेजा, से णं HUNTलाएणं प्याउथे भवसत्तेसु य अतिसएणं विस्तार रस्कारपण्डं अंगाणां चउदसण्ह पु. वायं परमसारलीधभूय सुपर सुपद्धलजशे. ज्जी)यं सिरिमा हरयालिय शाम सुथकसंध णिमहेज्जा.से भयवं। किं पड़च गोधमा। मणगं पहुच्या १जहा कहं नाम एयरसण मणजस्स पारंपरिणं घेवकाले. णेव महंतघोर दरवागरायो चउगइसंसारसागराओ जिप्सेडो भवतु ' सेविण विणा सम्वन्नुवएसेणं, से य सब मुव. एसे अगोपारे दुरवगादे गणंतगमपज्जवेटिनो सका अप्ये. णं कालेणं अवगाह, तहा णं गोयमा ! अस्सएणं एवंचि. तेज्जा / एवं सेणं सेज्जभवे, जहा. . . अणंतयार बढ़जाणियवं, 17 प्यो अ कालो बले अविधे / जं सारभूतं तं गिहिय, हंसो जहा वीरमिवंबुमीसंग 121 // तेणं इमस्स भवसत्तस्स मणगस्स नत्तपरिन्नाणं भवत्तिकाउण जाव णं दसवेयालयं सुथक्रबंध गिरु (हेजा 3 / तं च वोग्नि तत्काल वालसंगेणं गणिपिडणं जावणं / इसमाए परियंते दुप्पसहे अणगारे तारणं सुत्तत्थेणं बाहुज्जा, से अ सयलागमनिस्संदे दसवेथालियसुथकसंध सुत्तओ अमीडीय जोयमा ! से णं दुप्पसहे अणगारे, तो तस्स दसयालिय. सुत्तस्सागुगयत्याणुसारेणं तहा चेव पवतिजा, णो गं सछंद-. यारी भवेज्जा 1 // तत्थ अ दसवेथालियसुयक्बंध तक्काल मिणमो दुवालसंगे सुथकांधे पज्ञपिए भवेज्जा, एणं अटेणं .. ssssssssss Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免会论会免染染免密免治免染染 श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: एवं तुच्या जहा तहावि गं गोयमा / ते एवं नववत्यनो विलंधिसु 5 // 09 // से भथवं ! जणं गणिणोवि अध्यंतविसुनपरिणामस्सवि केरदुम्सीले सच्छंदत्ताएर वा गारवत्ता एश्वा जाथाइमयत्ताए वा आणे अश्वमेज्जा से या किमाराटगे भजा ? गोयमा! जे गं गुरू समसत्तुमितपक्खो गुरुगुणेसुं ठिए सथयं सुत्ताणुसारेणं चैव विसुहासए विहरेज्जा तस्साणमइमळतेहिं गवणउटहिं चाहिं सयुटि साणं जहा तहा चेव अणाराहगे भज्जा // 20 // से भय! कयरे गं ते पंचसए एस्कविवज्जिए साहण जेहिं च गं तारिसगुणोनवेयम्स महाणुभागस्स गुरुणो आणं अइक्कमिडं गाराठियं ? गोधमा! णं इमाए चेव उस. भचाउनीसिगाए अतीताए तेवीसझमाए चउबीसिगाए जाव णं परिनिम्बुड़े चउवीसइमे अरहा ताव णं अइकतणं केवइएणं कालेणं गुणनिप्फन्ने कम्मसेलमुन्सुमूरणे महायसे महासत्ते महाभागे सुगहियनामधेज वइरे णाम गच्छाहिवई भूए / तप्स णं पंचसयं गछनिगंधीहि विणा, निग्गंधीहि समं दो सहस्से य अहेसि,ता गीयमा ! ताओ निग्गंधीओ अच्यंतपरलोगभीकथा सुविसुद्धनिम्मलंतकरणाभो संताओताओ मुत्ताओ जिई. दियाओ अच्यंतभणिनीओ निययसरीरस्साविय छक्कायवरलाओ ज़होवइ अच्चंत घोरवीरतवचरण सोसियसरीरामओ जहा णं तित्यथरेणं पन्नविध तहाचे. व अहरीणमणसाओ मायामयहंकारममकार३(२)तिहासखेड्डकंप्यणाहवायविप्पमुक्कामोतस्सा यासे सामन्नमणुचरंति / तेय सातयो स. बेवि गोयमा ! न तारिसे मणागा 3/ अहऽनया गोयमा! ने माणो तं मायरियं भगति जहा- जदणं भयातुमं FREEFFERREFRES Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ' मी महानिशीथासूत्र :: अध्ययन .. ....... 1913 आणवेहि ता गं अम्डेहि तित्ययसं करिथ चंदप्पसामियं बंदिय धम्मचक्कं गंतूणमागच्छामो 4 / ताहे गोथमा! अहीणमणसा अणुत्तावलगंभीरमराए भारतीए भणियं तणायरिएंणं जहा-इच्छायारेणं न कम्पइ तित्यस्तं गं. तुं सुविहियाणं, ता जाच गं बोलेइ जत्तं ताव णे अहंतुम्हे चंदप्पटं वहावेहामि, अन्नं च-जत्ताए गएटिं असंजमे, पडिज्जइ, एएणं कारणेणं तित्थयत्ता पडिसेहिज्जर तओ सेहि भणियं जहा- भयवं! केरिस उण तित्थयताए गच्छमागाणं असंजमो भवई? सो पुण इच्छाथारेणं, विइज्जवारं एरिसं उल्लावेज्जा बजणेणं बाउलग्गो भन्निहिसि, ताहे गोथमा! चितिथं तेणं आयरिएणं जहा गं ममं वइक्कमिथ निछयो एए गठिं. ति तेणं तु मए समयं चावात्तरेटिं वयंति, अह अन्नया सुबहुं मणसा संधारेणं चेव भणियं तेण भायरिएणं-जहा णं तुभे किंचिवि सुतत्थं रियाणह धिय तो जारिसं ति. त्ययत्ताए गच्छमाणाणं असंजमं भवइ तारिस सयमेव विथा. गेह, किं एथ बहुपलविएणं ? अन्नं च- वित्यिं तुम्हेडिसिंसारसहावं जीवाइपयत्यतत्तंच। महन्नया बहुउवाहि णं विणिवारितस्सनि तस्साथरिथस्स गए व ते साड्यो कुद्धणं करतेणं परिथरिए तित्थयत्ताए, तेसिं च मध्यसा. गाणं कथइ अणेसणं, कत्थर हरियकायसंघटणं, कत्थर बीयक्कमणं, कत्थ पिपीलियादीणं तसाणं संघहरणपरि. तारणोहवणाइसंभवं, कत्थर बइपडिक्कमणं, कत्थर ण किरए चेव चाउक्कालियं सज्झायं, कत्य३ण संपडिया मत्तभंडोवयरगस्स विहीए उभयकालं पेहपमज्जणपडिले. हणयम्वोडणं, किं बहुणा ? गोथमा! कित्तियं भन्नितिज्ञा अगरसण्हं सीलंगसहस्सायं सत्तरसविहस्स णं संजमस्स दुवालसविहस्सणं सब्भितरबाहिरस्स तवस्स जावणं. Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 / श्री आगम-सुधासिन्धुः दशमो विभागः ! खंताइअहिंसालक्खणस्सेव य इसविहस्साणगारधम्मस्स जत्थेक्केक्कपथं चेव सुबहुएणपि कालेणं घिरपरिचएण दुवालसंगमहासुथरखंधणं बहुभंगसथसंउत्तणाए दुक्खं निरस्यारं परिवालिकण जे, एवं च सव्वं जहाभणियं निरक्यारमणूठेयंति / एवं सं. भरिकण चिंतियं तेण गच्छाहिवणा-जहा गं मे वि. / परुकत्येण ते दुर सीसे माझं अणाभोगपच्चरणसु. बतं असंजम काहेति तं च सव्वं ममच्छतियं होही जओ गं हं तेसिं गुरू ताहं तेसिं पीए गंतणं पडि. जागरामि जेणाहमित्य पए पायच्छितेणं णो संसेज्जति रिथरियऊणं गभी सो आयरिमी तेसिं पीए जावणं हि तेणं असमंजसे गच्छमागे / ताहे गोथमा! सुमदरमंजुलालावेणं भणियं तेणं गच्छाहिबश्या-जहा भो भो उत्तम कुलनिम्मलवंसविभूसणा अमुगअमुगाइ महासत्ता साद पन्पडिवन्नाणं पंचमहब्बयाहिरिग्यतणूणं महाभागाणं साहुस्सारणीत सत्तावीस सहप्साई पंडिलाणं सबसीहि पन्नता, ते य सु उवउत्तेहिं विसोहिज्जति, ण 'उणं अन्धोष उत्तेटिं, ता किलोयं सुन्नासुन्मीए अ. गोवउत्तेहि गम्म, इच्छाचारेणं उपभोग देह ।भनं च-इणमो सुत्तथ किं तुम्हाणं विसुमरियं भवेज्जा अं सारं सवपरमतत्ताणं जहा.एगे बेइंदिए पाणी एग / सयमेव हत्येण वा पाएण वा अन्नधया वासलागाइ. अहिंगरणभूभोवगरणजाएग जेणं केई संघरटेज्जा वा / संघरावेज्जा वा, एवं संधरिट यं वा परेहिं समणुजा. ज्जा से णं तं कम्मं जया उदिन्नं भवेज्जा तथा जहा उच्छुखंडाइं जंते सहा निप्पोलिज्जमाणा धम्मासेणं ख. वेज्जा, एवं गादेवालसहि संवरछरेहिं तं कम्मदेजा, एवं अगाढ परिथावणे वामसहस्सं, गाउपस्थिावणे 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽幾護 Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री महानिसीयसूत्र :: अधयनं 1 दसवाससहस्से, एवं अगाटकिलामणे वासलकरवं, गाउकिलामणे इसवासलक्वाइं, उवणे वांसकोडी, एवं इंदियाइसुंयि गेयं, ता एवं च पियाणमाणा मा तुम्हे मुज्झ. हत्ति 10 // एवं च गोथमा ! सुत्ताणुसारेणं सारथन-सा. वि तस्साचरियस्स ते महापावकम्मे गमगमहल्लकले. णं हल्लोहलीभूएणं तं भावरियाणं क्यणं असेसपावकम्मदग्दुक्खारिमोथगं णो बढ़ मन्नति, ताडे गोयमा ! नुणियंते. गायरिएणं जहां निरवयी उम्मग्गपस्ठिए सव्व पगारेहि चेव इमे पावमई दुरउसीसे, ता किमहमहमिमेसिं पीए लल्लीवागरण करमाणोऽधमाणो यसक्रवा. ए गयजलाए गए उबुज्झं, एए गच्छंतु इस दुवारेटिं; अयं तु तावाहियमेवाणुचिदमी,. किं मशं परकरणं (परिगएणं सुमहंतएणावि पुन्नपंभारेणं थेवमवि किंची यरित्ताणं भवेज्जा ? सपरक्कमेणं चेव मे आगमुत्ततव. संजमाणुटठाणेणं भबोथही तरेयो 11 / एस उग तिस्थयराएसो जहा- 'अय्याहियं कायध्वं जग सम्का परहियं च पयरेज्जा / अत्तहियपरहियाणं अत्तहियं चेव कायबं // 12 // अन्नं च-जई एते तवसंजमकिरियं अणुपालिहिंति त.. भो एसिं चेव सेयं होहिइजइ ण करेटिंति तो एएसिं चेन बुग्गरंगमणमगुत्तरं हवेज्जा, नवरं तहावि मम गच्छो समप्यिो गधाहिवई अयं भगामि 12 // अन्नंच-नित्ययहिं भगवंतेहि छत्तीस आयरियगुणे समाइरठे तेसिंतु अयं एक्कमरिणाइक्कमामि जंइनि पाणीवरमं भवेजा, जं चागमे इहपरलोगविरुद्धं तं गायरामिण काश्यामि ण कज्जमाणं समगुजाणामि, ता मेरिसगुणजुत्तस्सावि जइ भणियं ण करेंति ताऽहमिमेसिं वेसग्गहणं उद्दालोम / 13 / एवं च समए पन्नती जहा-जे केई साह वा साइली 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 पीआगमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: - वा वाथामित्तेणावि असंजममणुचेरठेज्जा से गं सारेज्जा चोएज्जा पडिचोएज्जा, से णं सारेज्जते वा चोइज्जंते वा पंडिचोरजंते वा जे णं तं वयणमवमन्निथ अलसायमाणे वा अभिनिविर गाण तहति पग्विन्जिय इथं पउंजिताणं तत्थ णी पडिक्क मेज्जा से णं तस्स वेस गहणं उ. हालेज्जा 14 / एवं तु आगमुत्तणाएणं गोथमाजावते. गाथरिएणं एगस्स सेहस्स सांगणं उहालियं तावणं अवससे दिसोदिसं पणदरे, ताहे गोयमा ! सोय आथरिओ सणियं 2 तेसिं पहलीए जाउमारधी णो णं तुरियर,से भय. वं! किमुठं तुरियं 2 को पथा? गोयमा ! खाराए भूमीए जो मडुरं संकमज्जा, महुराए वारं किण्हाए पीयं पीया. भी किम्हें जलाओ पलं पलाओ जलं संकमज्जा तेणं विसी. ए पाए पन्जिय 2 संकमेयवं, णो पमज्जैज्जा तो हु. / बालससंधरियं पच्छितं भज्जा, एएणमडठेण गोथमा! सी भायरिभी ण तुस्थिर गच्छे 15 // अहन्नथा सुथास्तविहीए धंडिलसंकमणं करमाणपस गं गोथमा तस्साथरिथरस आगओ बड़वासरखुहापरिशयसरीरी विथडदाना करालकयंतभासुरो पलयंकालमिव घोररूवी केसरी,मुणियंच तेण महागुभागणं गच्छाहिवाणा जहाज दुर्थ ग छज्जता चुस्किज्ज इमस्स, णवरं द्यं गच्छमाणाणं असंजमं, ता वरं सरीरवीरछेयं ण असंजमपवत्तणंति चिंतिऊण विहीय उबदिग्यस्स सेहस्स जमुदालियं वेसग्गहणं तं दाऊण ठिओ निप्पडिस्कम्मपाययोवगमणाणसणेणं,सोवि सेही तहेव 16 / महन्नथा अच्चंतरिसुखंत करणे पंधमंगलपरे सुह झवसायत्ताए दुण्णिवि गोथमा! बाधाए . तेण सीहेणं अंतगडे केवली आए अहम्प्पयारमल कलंकविय्यमुक्के सिदे य 17 / ते पुण गोयनो! एकूणपंचसए साहणं तनकम्मदोसेणं जं दुस्वमणुभवमाणे चिदति,जं 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. ... . Aam. मी महानिशीथसूत्रं : यरनं 7 / चाणुभूयं जं चागुनिहिति अपतसंसारसागरें परिभमले। ।..तं को. अगंणपि कालेणं भणि समत्थी ? एए ते गोय. मा! एणे पंचसए सराहणं जेहिं भयं तारिसगुणोत्रवेत.. . स्सणं महागुभागरस गुरुयो आणं अइक्कामियं णो आ. / 'राहियं अर्गतसंसारिए जाए ॥सू०११॥ . से भथर्व! किं तित्यथरसंतिथं आणं गाइक्कमेज्जा / उथा मायरियसंतिथं! गोथमा! चम्विहा आयरिया भिवंति, जहा- नामामरिया उरणाशरिया इन्चायरिया भावायरिया, तत्पणं जेले भावायरिया ते तिन्थयरसमा चेव रव्या, तसिं संलिथामा माइक्कमेज्जा / / सू०१२॥ से भय कमरे से भाबायरिया भिन्नति ! गोयमा ! जे अज्जयवइएनि भागमबिहीएपथं पएमाणुसंधरंति ने भावायरिए, जे उण वासः सयदिनिषएवि उत्ताणं यामेतेमंयि आगमभो बाहि. | कति ते णामयणाहि गिओझ्यव्ये 10 से भयो ! आयरियागं केवइयं पायनिं भवेजा जमेगस्स साहुणी में आथरिथमथहरपवत्तिणीए सत्तरसगुणं, अहामं सीलस्खलिए भवंति तो तिलस्वगुणं,ज अदक्करं जन सुकरंश तम्हा सनहा सबडा था- / रेहि णं आथरियमयहरपवत्तिणीए अ अत्तागं पाय धित्तम्स संरकरखेयानं अवलियासीलेहि च भने। था / सू.१३॥ . . से भय! जेणं गुरु सहसाकारण अन्नथर गणे चूकज्ज बारवलेज्ज वा सेणं आराहगे .. मा 1 गोयमा! गुरूणं गुरुयुणे सुबमाणो अस्थलि यसीले अपमाही अगालस्सी सव्वालंबणविप्यमुक्समसत्तुमेतपस्ने सम्म गपक्खवाए जावो कहाणिरेसदम्मडने भज्जा णो में उम्मग्गसए अहिमाणरए भ. Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ San nागमसुधासिन्धुः दशमो विभाग: / कजा, सत्यहा सव्वपयारेहि गुरुणा ताव अध्यम। सेयो भविय, णो णं पमले; जे उण पमादी भनेजा / सेगं दुरंतपंत लक्खणे अंदरखचे महापावे ।जइ सबीए हवेन्ला ता गं नियथटुच्चरियं जहावतं सपरतीसगणाणं परवानिय जहा दुरंतपंतलखणे अददग्व्व महापाष. कम्मकारी सम्मम्गपणासो अत्यनिएनं निंदिताया गहिसाणं आलोत्तागं च जराभणियं पायरिधत्तमगुच जा से गं किंचूसेग आराहगे भनेज्जा 2 / जइण जी. सल्ले निथडीविष्यमुक्के, न पुणो सम्मगानी परिभसेज्जा, / महापं परिभरसे तभी णाराहे३३॥०१५॥ से भय। केरिस गुणजुत्तम्स णं गुलयो गछ| निक्लेवं काथवं ? गोथमा ! जे गए जे सुसी ले जेणं ददनए जेणं ददारिते जे गंभणिदियंगे ले / अरहे जेणं गयरागे जे गं गयडीने जे निरिन्यमोहमिरसमलकलंके जेणं उवसंते जे सुनिन्नाथजगठितीए जेणं सुमहावेरगमग मल्लीगे जेणं इत्यीकहाडिपीए भत्सकहाडिपीए जे गं तेणगकहाडिगए जेणं, रायकहा पडिणीट जे जणश्यकहापाडणीए जेणं अच्चं. लमणुकंपसीले जे परलोग पध्यायनीक जेणं कुसील. पडिपीए जै णं विन्नायसमयसम्भावे जेणं गहिथसमयपेथाले जेणं अहन्निसाणुसमयं लिए रवंतादिअहिंसाल. कखणदासविहे समणधम्मे जे गं उसे अहन्निसागु. समयं वालसनिह तवोकम्मे जेणं सुनउत्ते सध्यं पंचसमिसु जे यं सुमुते सध्यं तीन गुन्तीसुं जेणं भाराहगे सस्तीए अहवारसग्रह सीलंगमहरमाणं से गं अविराहगे एगंतणं सससीए सत्तरसविहरसणं संजमन्प्स जेणं उत्सांगलई जे तराई जे गं समसत्तुमेतपकच्चे जे गं सत्तभयवाणाचप्पमुक्के जेणं नट Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथरसूत्र: नययनं . मथरठाण विप्पजढे जे गं नवण्ठं भरगतीशिल जे गं बड़-मुए जेणं आयरिथकुलुप्पन्ने जणं अहीणे जे गं अकिविणे जेणं अगालसिए जेणं संजईवग्गस्स यहिवकवे जेण सद्ययं धम्मोवएसदायगे जेणं सययं ओहसामाधारीए परवगे जे गं मेरावरिगए जेणं असामा. थारीभील जे णं आलीयणारिस्पायजितदाणपयछणक्ख. मे जेणं बंदणमंडलिविराहणाजाणगे जे पडिक्कमणामंडलिविराहणजाणगे जे सज्झायमंडलिरिरायाजाणगे जेणं वक्रवाणमंडलिविराहणजाणगे जेणं आलोयगामंडलिविराहयाजाणगे जेणं उडेसमंडलिविराहणजाणगे जे गं समुहेसमंडलिरिराहणंजाणगे जे गं पव्वज्जाविराहणाजागरी जेणं उवरावणाविरायाजाणगे जे णं उद्देससमु. देसाणुन्नादिराहणजाणगे जे गं बव्वक्वेत्तकालभावभावंतरं. तरवियाणागे जे णं कालवेत्तर भावालंबणविप्यमुक्केजे गं सबालबुडगिलाणसेहसिक्समसाहम्मिगअज्जावराव. णकुसले जेणं परूवगे नाणदंसाचारितनयो गुगाणं जे ण वरए घर पभावगे नाणसणचरिततवोगुणाणं जे. णं ददसम्मले जेणं सरायं अपरिसाई जेणं धीमं जेणे गंभीरे जे णं सुसोमलेसे जे. गं दिगथरमिव अभिभवणीए तवतेएणं जेणं ससरीरोंवरमेऽविछक्कायसमारंभविव जी जेणं तवसीलदाणभावणामयचविल्धम्मंतरायभील जेणं सवारसायणामील जे गं इडिटरससायागारव. रोहटज्झाणविष्पमुक्के जेणं सव्वावस्सगमुजुत्ते जेणं सवि. सेसलखिजुत्ते जेणं आवडियापिल्लियामंतिओविणायरेजा अयज्जे जण नो बनिहो जेणं नी बहभाई जेणं सवारराजसज्झायज्माणपडिमाभिरगहघोरपरीसहोवसरणेसु.जिय.. यशसमे जेणं सुपतसंशहसीले जे गं अपत्तपरिठावणविहिन्नु जे. या अणहवाणुरायवोंही जेणं परसमयससमय: 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120) श्री भागमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग सम्मंदियाणगे जे गं कोहमाणमायालीमममकारादितिहासरयड्कंदप्पणाहवायविप्यमुक्के धम्मकही संसारवासनिसयाभिलासादीणं वेरगुप्पायगे पडियोहगे भबसतागं, से गं गनिक्स्पेवणजोग्ग से गं गणी से ण गणहरे से तिसे णं नित्ययरे से अरहा से णं केवली से जिणे. से णं ति-भासगे से वंदे सेट पुज्जे से गं नमः सणिज्जे से दहब्बे से णं परमपवित्ते से णं परमकल्ला णे सेणं परममंगले से गं सिद्धी से गं मुत्सी से सि. .वे से गं मोक्खे से गं नाथा सेणं संमरगे से गं गती से गं सरन्ने से गं सिटे मुत्ते पारगए देवे देवदेवे। एयरस णं शोयमा ! गणनिकवेवं कुज्जा एयरस यं गणनिम्खेवं कारवेजा एयरस णं गणनिकलेवकरण सम गुजाणेज्जा, अन्नहाणं गोयमा! आणाभंगे सामू०१५।। . से भयवं! कश्यं कालं जाव एस आणा पवे. ईथा ? गोथमा ! जावे णं महायसे महासत्ते महाणुभागे सिरिय्यभे अणगारे 10 से भगवं! केवएण कालेणं सिरिप्यभे भणगारे भवेज्जा ? गोथमा / होही दुरंतपंतलम्रवणे अ ब्वे. गेटे चंडे पर्थडे उग्गययंडरंडे निम्मेरे निक्किवे निग्धिणे नितिसे करयर पारमई अणारिए मिरहिटी कक्की नाम रायाणे, से पाये पाठियं भमानिसकामे सिरिसमणसंधं कयत्येज्जा 2 / जाव या मयत्येइ ताव गो. थमा ! जे केई तस्य सीलड्ढे महाभागे अचलियसते तवोहणे अणगारे लेसि च पाई हेरियं कुच्चा सोहम्मे कुसिल. पाणी एरावयागाम सुवरिंदे, एवं च गोयमा / रेविंद वं दिए दिपया या सिरिसमणसंघे गिटिवज्जा लुगए पासंडधम्मे / जावणं जोयमा! एगे अबिज्ने अहिं. सालक्खारवंतादिदसविहे धम्मे एगे अरहा देवाहिदेवे / एगे जिणालए एगे वंदे पूए दरले सक्कारे सन्माटो Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशीयसूत्रं असर महायसे महासो महाणुभागे दृढ सीलबथनियमधारा तवोहणे साह ४ातत्य गं चंदमिव सोमलेसेसरिए इव तवतेयासी पुडवी इव परीसहोवसमसडे मेम्मरधरे इव निप्पकंपे लिए अहिंसालकवण रवंतारिदसविहे धम्मे श सेयं सुसमयमणपरिवुडे निर भगथणामलकोमुईजोगजुत्ते इव हरिकरखपस्थिरिए गहवई चंदे अहिययरं सिाइजा, गोयमा! सेणं सिरियपभे अणगारे, तो गोयमा! एतियं कालं जान-एसा आणा पवेझ्यासू०१६॥ से भयवं! उझं मुच्छा, गोयमा ! तो परेण उड्टें झयमाणे कालसमए / तत्य गंजे केई छक्काथसमारं. अविवज्जी से णं धन्ने युन्ने वंदे यूएनमंसपिज्जे सुजीविय जीवियं तेसिं॥सू०१॥ से भयवं! रामन्ने पुच्छा जावणं क्यासी गोयमा ! अत्धेगे जेयं जोगे अत्यगजेचं नो जोगेश से भयचं! णं अयं एवं वुच जहा मं अत्धेगे जाव जेणं नो जोगे? गोयमा ! अन्धेगे जेसिं गं सामन्ने पडिकुठे अत्धेगे जेसि चणं सामने नो यडिकरने, एपण अणं एवं बुच्च-जहा गं अत्येगे जे मंजोगे अत्येगे जे णं नी जोगेश से भयवं ! ऊपरे ते जेसिं णं सामन्ने पडिकुरो ! कयरे वाले जेसिंचणे सामन्ने नो पडिकुल 1 एएणं अट्ठेणं एवं वुध्य-जहा गं अत्यगे जेणं विसहे अत्यगे जे जो विरुद्ध जेणं से विरुदे सेणं पडिसेहिए.जेणं से णो विकटे से गं नो पहिसेहिए 31 से भयवं! के णं से विरुद्ध केवा णं अविरुद्ध गोयमा! जे जेसुं देसेसुं दुगुणिज्जे जे जेसुंदेसेसुंगंछिए जे जेसुं देसेसुं पडिकुटने से गं नेसुं देसेसु विरूदे, जेय जेसुं देसेसुंणो दुगुंछणिज्जे जे यणं जेसुं देशसु नो दुछिए जेवणं जेसुं देसेसु णो पडिकुरने से गं तेय देसेस नो विक. दे तन्य गोथमा! जे जेसुंर देखें विरुदेणं नो पत्या 獎獎獎獎獎獎獎聽聽聽聽聽聽 Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री आगमसुधासिन्धुः: दशमो विभाग: पए जेर्ग जैसू२ देसेर्मु णो विकटे से णं पन्नावर ४ासे भय! से कत्य देसे के विरुद्ध के का णो विदे 1 गोयमा। जे णं के पुरिसेइ वा थिए वा गगेणा वा होमेणा वाम गुसए वा कोहेण वा लोभेण वा अवराध्या वा समणं वा माहणं वा माशांना पिथरं वा भायरं वा मणिं वा भाइहोयं वा गुयं वा सुयमुथं वा धूयं ना णतुर्थ वा सुण्हता जामाउयं वा दाइयं वा गोतियं वा सजाइयंबा विजाइयं / / सयमा असरण वा संबंक्षियं या असंबंधियंांस. णाहं वा असणार्ट वा इटिमंतं वा अगिढिमंतं वा सएमयं वा विएसियं बा आरियं वा भणारियं वा हटोज वाहणा वेन्ज वा निज वा उमाविज्ज वा से गं परिसाए अओरणे से पावे से गं निदिए सेणं गरहिए से गं दुषिए सेणं गडिकल से या पडिसेहिए से गं आवई से गं दिग्धे सेणं म यसे से अकित्ती से णं उम्मग्गे से यां अणायारे / एस. यठे, एवं तेयो, एवं परजुवइपसते, एवं अन्भयरे का केईवसमाभिमए, एवं अइसंकिलिट्ठे, एवं छहाणगाडिए.एवं रणोवदुए अविनायजाइमुलसीलसहावे, एवं बवाहिवेणीपरिगय सरीरे, एवं रसलोलुए, एवं बदुनिदे, एवं इतिहासखेड्कंदप्पणावायवजरिसीले, एवं बहु कोहले एवं बहुपेसवरगे जाव णं मिरधादिविपरिणीयकुलुप्पन्ने वा 6 // से गंगोथमा। जे केई आयरिए वा मयहरए वा अथित्थेद का अभीयत्थे वा आयरियगुणकालिएइ वा मथहरगुणकलिएइ वा भविस्सायरिएइ वा भविस्समयहरए वा लो भेग वा गारवेण वादीग्रहं गाउयसथाणं आमंतरं पावावेज्जा / से गं गोयमा' वक्कमियमेरे से यं यश्यणमोनियत्तिकारए से णं तित्यवोधिनिकारए से ण संधवोधितिकारए से गं वसणाभिभूए सेणं आरिटरपरलोगपत्चवाए संणं अणणायारपक्ति सेणं अकज्जयारीसेणं पावेसे पावपावेसेणं महा. Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथसत्रं : अध्ययनं 1 . याव पाने से गं गोथमा ! अभिग्गहियचंड रुकमिणदिती ॥सू०१८॥ स भयनं केणं अगं एवं वरचरागोयमा? आयारे मोक्ष मरगे, णो णं अणायारे मोक्षमारगे, सणं अगं एवं वुच्चर से भयवं! कयरे से गं आयारेकपरे वा सेयं अायारे.! गोयमा! आयारे आणा, अणायारे णं तप्यविक्खे, तत्थ जेणं आणापडिवखे से गंएगंग सत्वपयारेलिंगंस वहा वजणिज्जे, जेणं णो आणायडि. वस्खे सेणं एगंतेणं सम्वययारेहि सव्वहा आयरणिज्जे 2 / तडा गं गोथमा : जं जाणिज्जा जहा एस सा. मन्नं विराज्जा से णं सहा विजेजा // 2011 // से भयवं! कह परिकरवा ! गोयमा! जे के युरिसेइ वा इत्वियाभी का सामन्नं पडिवजिउकामे कंपेज्जा वा धरहरेज वा निसीएज्ज वा धडिंना एकरे. ज्ज सगणे वा परगणे वा आसाए३ वा साएश्वा तद हतं गरजा वा अवलोकजा पलोइज्ज वा वेसगहणे टोइम्जमाणे कोई उय्याएइ वा अन्सुहे ट्रोन्निमितेवाभ. वैज्जा से गं गीयत्ये गणी अन्जयरे वा मथहरादी महया उन्नेणं निस्वेज्जा 1 / जस्म णं एयाइं परं तन्कज्जा से णं णी पवावेज्जा, सेयं गुरुपडिपीए भनिज्जा,से गं निम्मसबले भवेज्जा, सेणं सब्वहा सन्नपथारेसुण केवलं एगंतेणं अयज्जकरणुज्जए भरज्जा,से जे वा तेणं वा सुरण वा निम्नाणेण वा गारनिए भवेज्जा, से णं संजईनगरस चमत्थवयसंडासीले भनेजा, से णं बहुम्वे भवेज्जा 2 // 20 // से भयवं! कथरेणं से बहुवे बुच्चइं! जेणं ओसन्नविहारीणं ओसन्ने उजुयरिहारीयां उज्जुयाविहारी निदम्ममबलाण निदम्मसबले बदरवी रंगगए चारण इव णडे, क्षोण रामे य सोग लावणे, खणेण इस Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽囊囊變變變變變 श्री आगमसुधासि देशमो विभाग: गीवरावणी खणे] / रय्यथरकनदंतुरजत्रानुगत्तपंडुरक्खे, सबहुपवंचभरिए विदलगे // 13 // यो तिरिय च जाती, वाणरहणुमंतकसरी / जहा णं एल गोयना!, नहा णं से बलरूवे // 19 // एनं गोथमा! जे गं असई कथाई ले चुम्लखलिएणं पबाजा से गं अदाणधवाहिए करेजा,से गंसनिहिरा णो धरेज्जा, सेणं आयरेणं णो आलज्जा, सेणं अंडमनोवगरणे नो परिलेटाविज्जा,से गं तस्य यसर्थ नो उहिसेज्जा, से गं तस्म गंधसत्वं नो अगुजाणे ज्जा, से णं तस्स साहिं गुज्झं रहस्सं वाणो मंतिजा एवं गोथमा! जे केई एयदोसविष्णमुक्के से गं पब्बावेजा, नहा गं गोथमा। मिहेसुप्यन्नं अणारियं णी पवाबेज्जा, एवं बेसासुयं नो पब्बावेज्जा, एवं गणियं नोपबावेज्जा,रा एवं चविगलं,एवं विकप्पिथकरचरणं, एवं छिन्नकन्ननासालं, एवं मुहवाहीए सलमाणसडहतं एवं पंगुं अयंगम मयबहिरं, एवं अच्थुक्कड़क.सायं, एवं बहुपासंउसंसदा, एवं घणरागहोसमोहमिछसमल स्वबलियं, एवं उन्मिय उत्तयं, एवं योराणनिक्षुडं, एवं जिणालगाइबहेवबलीकरणभीइयं चक्करय परं), एवं गडगहनामल्ल)पारणं, एवं सुयजइडं चरणकरणजड जड़कायं गो पब्वा ज्जा एवं तु जारणं नामहीयं धामहीयं राइटीयं मुलंहीणं लिहीणं पन्नाहीणं गामडमयहरं वा गामउडमायहरसुयं वा अन्नयरं वा निहियाहमहीणजाइयं वा अविनायनुलसहावं गोथमा! सबला णो विकले योपयानिज्जा 4aa एयसिं तु पयाणं अभयरपए सलेज्जा जो सहसा हेमणपुब्बकोडीववेण गोयम ! सुसेज वाया वावि // 2021 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीथसूत्र :: अध्ययनं 1 एवं गरववत्वं तहत्ति पालेतं तं तहेव जहा भणियं। रथमलकिलेसमुक्को गोयम मुक्खं गए. ऽणतं / / 125 / / गच्छति गमिस्संति र ससुरासुरजगणमसिए वीरे। भुवणेस्पायडजसे जहभणियगुणरिए गणिणो // 16 // से भयनं / जे केई अमुणियसमथस भावे होत्था विहीए वा अविहीए वा कस्सई गावारस्सम मंडलिधम्मस्स वा घम्सीसइविहसणं स"प्यभयनाणसणचरिततनवीरियायारम्स वा मणसा वा वायाए वा कागुण वा कहिंचि अन्नथरे ठाणे के गच्छाहिबई आयरिए वा अंतोनिसुद्धपरिणामेति हो. ताण असई चोक्केज्ज वा स्वलेज ना परवेमायो का अणुठेमाणे वा से णं आराहगे उयाहु अणाराहगे ! गोथमा ! अणाराहगे। से भयवं! केणं अदरेणं एवं . बुध्ध जहा णं गोथमा! अणाराहगे / गोथमा ? या इमे दुवालसंगे सुयनाणे अगाप्यवसिए भवाइनिहो सन्भूयत्यपसाहणे अणाइसंसिद्ध से यं देविंदवंदवंदाणं अतुलबलवीरिएसस्थिसत्तपरक्कममहापूरिसायारतिदित्तिलावण्णरूवसोहरगाइसयकलाकलाबविच्छड्डमं. डियाणं अणंतनाणीणं सर्थसंबुदाणं जिणवराणं अगा डाण अणताण वहटमाणसमयसिझमाणाणं अजे. सिंच आसन्न पुरकडाणं अयंताणं सुगहियनामधज्जा णं महाथसाणं महासत्ताणं महाणु भागाणं तिढयणिकतिलयाणं तेलोम्चनाहा, जगपवराणं जगेकबं. jणं अगगुरुगं सम्वन्नूर्ण सव्वदस्स्सिीणं पवरवरधम्म तित्यंकराणं अरहताणं भगवंताणं भूर्यभरभविस्साइथाणागयवमाणनिरिबलासेसक सिगसगुणसपज्जयसवनत्युविनियस भावाणं उनमहाए पबरे एकमेकमणे, Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1421/ 126] भी आगम-सुधासिन्यु::: दशमो विभाग: से णे सुत्तत्ताए अत्यत्साए गंधताए, तेसिपि णं जहठिए चैव पन्नवणिज्जे जहरिगए चना गुणिज्जे जहरिए चेन भासणिज्जे जहटिठए चैव यणिजे जहरिठए चेन परूवणिजे जहरिगए चैव बायराणजे जहरिए चव कहणिज्जे से गं इमे दुनालसंगे गणिपिडगे, तेसिपि ण देविंदचंदनंदाणं णिखिलजगविदिय सव्वसपजवगागइ(इति) हासबुद्धिजीवाइतत्ते जाणए व.धुसहावाणं अलंघणिज्जे अणक्कमणिज्जे अणासायणिज्जे तहा चैव इमे दुवालसंगे सुयनाणे सन्नजगज्जीवपाणभूयसनाणं एणं. तेणं लिए सुहे खमे नीचे सिए भाणुशामिए पारगामिए पसत्ये महत्थे महागुणे महाणु भावे महापुरिसाणुचिन्ने / परमरिसिदेसिए दुम्सक्खयाए कम्मरक्याए मोक्खया वसंपन्जिताणं विहरिसु. किमुतमन्ने सिंति, ता गोथमा! जे के अमुणियसमयस.. भावे वा विश्थसमयसारइ वा अविहीएइ वा गछाहिवई वा आयरिएइ वा अंतोनिसुजपरिणामेति होत्या,गछायारमंडलिधम्मा छत्तीसझविही आयारादि जाव गंभनयरस्स वा. आवस्सगाकरणिज्जस्स णं पवरणसारस्स असती चुक्नेज्ज वा श्वलेज वा ते णं इमे. दुवाल. संगे सुचनाणे अन्नहा पथरेजा, जे णं इमे दुवालसंगसुथणाणनिबद्धंतरोवनयं एक्कं पयअक्बरमवि अन्भहा पयरे सेयं उम्मरणे पयंसेज्जा, जेणं उभ्मग्गे पयंसे से णं अणाराहगे भज्जा , ता एएणं अटेणं ए वं बुच्च जहाणं गोथमा। एगंते अणाराहगे 2 // 022 // से भयवं! अस्थि केई जण मिणमो परमशुकपंथि अलंषणिज्ज परमसरपणं फुडं पथर्ड पथड पहुं / परमकल्लाणं कसिणकम्मरराडक्वनिरठवणं पक्थणं Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिरीधसूत्रं :: 36427 8127 भइसकमेन्ज वा परक्कमेज वा लंबेज ना खंडेज का विराईज्ज वा आसाइज्ज वारेमसा वा वयसा वा कायम वा जाव णं वयासी गोयमाणं भयंतेणं कालेणं परि वद्रमाणेणं संपर्य इस अच्छेर भर्विसु 1 / तत्य असं वेज्जे अभब्वे असंजे मिधादिही असंवेज्जे सामाया दृध्यालिंगमासीय सच्छंदताए भेगं सम्मारिजंते एए धम्मिगतिकाऊणं बहवे अदिदठकल्लाणे जाणं पश्यणमाभुवगंम्मति तमभुवगमिय रसलोलत्ताए विसयलोलताए दुईतिरियदोसणं अणुदियहं जहरिग्यं मग्गं निदरवति उम्म चं उस्सप्पयति / ते य सब्वे ते कालेणं इम परमशुरुगंपि अलंघणिज्जं पक्षणं जाधणं आसायति शास०१३॥ से भयवं। कयणतेणं कालेणं दस अच्छेरगे. भविंसु ? गोधमा! णं इमे तेणं कालेणं ते अणं दस छे. रगे भवंति, तंजहा- नित्ययराण उवसरणे, गामसंकामणे, नामातित्थयरे, तित्यथरस्स णं हेसणाए अभवसमुदा एणं परिसावंध, सविमाणाण चंदाचागं तित्यथरसमवसरणे आगमणे, वासुदेवाणं संवयुगीए अन्नथरेग वा रायकरहेणं परोप्परमेलावगे, वह तु भारहे खेत्ते हरिवंसकुलुपतीए, चमरुप्याए एगस. मरण असथसिद्धिगमणं असंजयाणं पूथाकारगेति // 2024 // से भयवं! जे णं कई कहिंचि कथाई पमायहो सभी पवयणमासाएज्जा से णं तिं आथरिथपथपावेज्जा। गोथमा! जे या कोई कहिंचि कथाई पमायदोसओ असई कोण वा माणेण वा मायाए वा लोभ वा रागेण वारी. सेण वा भएणवा हासय वा मोहेण वा अग्नाणदोसण वा परयणस्सणं अन्नयरगणे नमित्तेणंपिं अणायारं असमाधारिं पलवेमाणे वा अणमन्नेमाणे वा पवयणमा 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12-7 - श्री आगमसुधासिन्धुः :: दशमो विभाग साएज्जा सेणं बोहिंपि णो पावे,किमंग पुण भायरियपथलंभ 11 / से भयवं! कि अभन्ने मिरछादिली आयरिए भवेज्जा! गोथमा ! भज्जा, एत्वं च णं इंगालमहगाई नाए / से भयवं! किं मिधादिदी निवमज्जा' गोयमा / निक्रवमेज्जा से भयवं! कयरेणं लिंगणं से वियाणेज्जा जहा णं पुवमेस मिररिस्ठी 1 गोथमा ! जेणं कथसामाइए सव्वसंगविमुने भक्त्तिाणं भमासुथं पाणां परिभंजेज्जा,जेणं अपगारधम्म पडिव. न्जित्ताणमसई सोईरियं वा परोयरियं वा उकायंसे. वेज्ज वा सेवाज्जि वा सेविज्जमाणे अन्ने समाजाणे आ वा तहा नवण्हं बंभचेरगुत्तीणं जे केईसाह वा साहुणी बा एक्कामवि खंडिज्ज वा विराज्ज वा खंडिजमाणं वा विराहिज्जमाणं वा बंभचेरगुती परेसिं समणुजा ज्जा वा मणेण वा वायाए वा काएण वा से णं मिरछादिली, न केवलं मिरछारिटी अभिगहियमिछादिद्वी वि / थाणेज्जा 4 // सू०२५॥ से भयवं! जेणं कई आयरिएइ वा मयहरएश्वा असई कहिचि कयाई तहाविहं संविहाणजमा सज्ज णमो निरगंधं परयणमन्नहा पन्नवेज्जा सेणं किं पावेजा 1 गोथमा। जं सारज्जायरिएणं पारियं / से भय ! कचरे णं से सावज्जायरिए 1 किंवा तेणं पारियंति' गोय. मा! णं इओ थ उसभादितित्थकरचउवीसिगाए अणंतेणों कालणं जा असीता अन्ना चउवीसिंगा तीए जारिसो अर्थ तारिसी चेव सत्तरयणी पमाणेणं जगच्छरभूमो देविंदविंद वंदिओ पवरवरधम्मसिरिनाम चरमधम्मतित्थंकरी भहेसि / तत्थ यातित्थे सत्त अरगे पभूर, अहऽभया प. रिनिबुडस्स णं तित्यंकरम्स कालक्कमेणं असंजयाणं सरकारकारवणे णामछरगे वहिउमारडेतत्यणं लोगा. 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीथसूत्रं : अध्ययनं 5 गुवत्तीए मिळतोवहय असंजय पूधाणुश्यं बढुंजणसमूहति विद्याणिकग तेणं कालेणं ते समएणं अमुणियस- . मयसमावेहिं निगावमश्रामोहिए िणाममेत्तआयरि- / यमयहरेहि सड्ढाईणं सवासाओ दविणजायं पडिगहिथर भसहस्सूसिए सकसके ममलिए चेझ्यालगे काराविकणं ते चेव दुरंतपंतलक्खणाहमाहमेहिं आसईएहि ते चेव चेश्यालगे जीसीय गोविऊणं च बलवीर. यपुरिसक्कारपरक्कमे संते वले संते वीरिए संने पुरिस क्कारपरक्कमे चइऊणं उगाभिग्गहे अणियविहारं णीयावासमासस्ता सिटिलीहोकणं संजमादन्यु ठिए 4 / पच्छा परिचिच्चाणं इहलोगपरलीगावार्थ अंगीकारुण य सुहीहं संसारं तेत्सुं चैव मददेवरलेसुं अयत्वं गघिरे मुछिरे ममीकाराबंकारेहिं णं अभिभए स. यमेव विचित्तमल्ल हामाईहिणं देवच्चणं काउमभुजए 5 / पुग समयसारं परं इमं सचन्नुवयणं तं इरसुदूर. यरेणं उल्झियंति, तंजहा- सब्वे जीवा सव्वे पाणा सब्वे भूया सव्वे सत्ता ण हतवा अज्जावेयबा ण परियावेयवा ण परिघेत्तव्वा ण निराहेयवा ण किलामेयब्बा ण उद्दवेधवा, जे केई सुदमा जे केई बाथरा जे केइ त. सा जे केई धावरा जे केई पज्जत्ता जे केई अपज्जता जेकेई एगिदिया जे कई बेंदिया जे केई तेरिया जे कई चर्शिद या जे केई पंचिंदिया तिवितिविहेणं मगेणं वाथाए काएणं 6 / ज पुण गोयमा! मेहणं तं एगतेणं 3 णिच्य भो 3 बादंइ तहा आउतेउ समारंभं च सवहा सवपधारेहि सयं विवज्जेज्जा मुणीति एस धम्मे धुवे सासए णिए समिध्य लोगं खेयन्नहिं पवेशएत्ति // सू०२६॥ से भयवं! जे णं केई साह वा साहुणी वा निगांधे अणगारे दम्वत्ययं कुज्जा सेणं किमालवेज्जा! / 1Essssssss Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRRREE 130] - श्री भागमसुधासिन्युः .. दशमो विभाग: | गोधमा! जेणं कई साह वा साढणी वा निग्गंधे अागार हवल्ययं कुज्जा से गं अजयए वा असंजएइवा देवभोइए वा देवच्चगेर वा जाब णं उम्मपठिएइ वा दूरुन्झियसी लेइ वा कुसोलेइ वा सध्दधारिएक्वा आलवेज्जा ॥सू०२३॥.. एर गोयमा! तसिं गाथारपबित्ताणं बढ़ ' आयरियमयहरादी एगे मरगयछवी कुवलयप्पहाभिहाणे णाम अणगारे महातबस्सी अहमि, तस्सणं महामहंते जीवाइपयत्ये सुत्तस्थपरिन्नागे सुमहतं चेव / सत्सारसागरे तासुं तासु जीणीसुं संसरणा भय सध्वहा / सबपथारेहि णं अत्यंत आसाथणामी यत्तणं,तम्का लं तारिसेऽवी असजमे अणाधारे बहुसाहम्मियपव। तिए तहावी सो तित्यथराणमाया माइक्कमे 1 / अह(उन्नया सो अणिमूहियवलवीरिययुरिसरकारपरक्कमे : सुसीसगणयरिथरिओ सम्वन्नुप्पणीयागमसुत्तत्योभया. | गुस्सारणं ववगयरागोसमोहमित्तममकारा कारो सम्वत्य अपडिबहो, कि बहुणा ' सगुणगणाहिटि' यसरीरो अगेगगामागरनगर खेडकब्बडमउंबदोणमुहाइसन्निवेसविसेसेसं भोगेसुं भवसत्ताणं संसारचार गविमोस्वणिं सम्मकहं परिकहे तो विहरिन्मु, एवंचव. 'चंति दियहा 2 / अन्नया या सो महागुभागो विहरमा। णो भागभी जोयमा। तेसिं पीयविहारीणमावासगे,तेहिच महातबस्सी काऊग सम्माणिओ किकम्मा-सण पधाणाइणा समुचिएणं (मुविणएणं), एव च मुहनि सन्जो 3 / : चिडिम्त्ताणं धम्मकहाणाविणोएणं पूठो गंतुं पयत्ती, नाहे भाणी सो महागुभागो गोथमा' तेहि दुरंतपंतलकवणेहि लिंगोरजीवीहिं गं मढाथासम्मग्णपक्तग. ऽभिगहीय मिच्छादिदीटिं, जहा णं भयचं ! जइ तुम 1 d ay r Preparat . Cit. NMSMS Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 923222 को महानिशीयसूत्र. धन 20 मिहई एक्लं वासारतियं चाउम्मारियं पजियंती' णमेत्थं एतिगे वेश्यालगे भवंति प्रणं तुज्माणत्तीए, ता कीरओ अणुगंगहत्यमम्हायणं इहेव चाउम्मासियं / साहे भणियं तेण महाभागेणं गोथमा। जहा भो भो पि. संवए। जइव जिणालए तहाचि सारज्जमिणं णाहं वाथामितेणंऽपथं आयरिजा, एवंच समयसारपरंततं जहदिव्यं विवरीयं णीसंक भणमाणेणं तेसिं मि87. दिीलिंगीयां साहवसधारीणं मझे गोयमा। आस. कलियं नित्थपरणामकम्मगोयं तेणं कुवलयप्पभेणं / एगभवावसेसीको भवोयही। तत्थ य दिदगे अगु. ल्लविज्जनामसंघमेलावगी अहसि. तेसिं च बहहिं पान मईहिं लिगिणियाहिं परोप्यरमेगमयं काऊणं गोयना' तालं हाऊण विप्यलोइयं च तं तस्स महागुभाग- / सुमहतवस्सिणो कुरलथप्यहाभिहाणं कयं च से मा. ज्जायरियाभिहाणं, सहकरणं, गयं च पसिद्धीए / एवं सहि-जमायोऽनि सो तेणापसत्यसहकरयो / तहानि गोथमा। ईसिंचि ण कुथ्ये ७॥सू.२८॥ अहनिया तेसिं दुरायाराम सम्मपरंमुहाग अगारधम्माणगारधम्मोभयभरगणं लिंगमेतनामप. व्वइयाणं कालक्कमेणां संजाओ परोप्यरं भागमवि. यारो- जहा णं सड्ढगाणमसई संजया व मददेउले पीड. जागति खंडपडिए य समारावयंति / अन्नं च जान करणेज्जतं पड़ समारंभे कज्जमाणे जइस्सानिणं णत्यि दोससंभव, एवं च केई भणंति- संजमं मोरखनेयार, अन्ने भयंति-जहा णं पासायवसिए पूयासम्कारबलि. विहागाईन्सु णं तित्पुछप्पणा चेव मोक्षगम 2 / एवमसिमविश्थपरमत्यागं पावकम्मा जंजेण सिठं सोते चेतुडामुस्सिंखलेणं मुहेणं पलवति, ताहे समुहिठयं वारसंघहट RasERRE Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभागः नधि य कोई तत्थ आगमकुसलो तेर्सि मज्झे जो तत्य जुत्ताजुत्तं वियारे जो य पमाणपुवमुवइसइ 3 / तहा एगे भणंति जहा. अमूगो अमुग त्यामि चिरे, अन्ने भयंतिअमुगी, अन्ने भणेति- किमित्य बहुणा पत्तविएणं? सन्चे. सिमम्हाणं सावज्जायरिओ एत्य पमाणंति, तेहि भणियं जहा-एवं होउत्ति हक्कारावेह लडं, तो हक्काराविओ गोथमा ! सो तेहिं सावज्जायरिओ, भागभी डरदेसाओ. अप्पडिबद्धताए विहरमाणो सत्तहि मासेहिं ।जावणं दिगे एगाए अज्जाए, साय तं कलुग्गतवचरणसोसियसरीरं चम्मरिउसेसतणं अच्चंतं तवसिरीए दिप्तं सारज्जायरियं पेच्छिय सुविम्हियं तक्कर(वखाणा वियक्किउं पयत्ता- अहो कि एस महाणुभागो णं सो भर हा कि वाणं धम्मो चेव मुत्तिमंतो ? कि बढणा? तियसिंदृवंदाणेपि बंदणिज्जपाथजुओ एसत्ति चिंतिमगं भतिभरनि भरा आयाहिणपथाहिणं काऊणं उत्तिमंगेणं संघट माणी झडिति णिवाडिया चलोसु,गोयमा! तस्स गंसावज्जायरियस, हिट्ठी य सो तेहिं दुराचाहि पणमिज्ज. माणो 5 / अन्नया णं सो तेसिं तत्ध जहा जंगगुरूहि उवइठं नहा चेव गुरूवएसाणुसारेणं आणुपुल्लीए जहरिठयं सुत्तत्यं वागरे। तेऽवि तहा चेव सद्दति 6 / अन्नधाताव वागरियं गोयमा! जांच णं एक्कारसग्रहमंगाणं चोदसगृहं पुबाण दवालसंगरम्स य सुचनागरप्स यानीयसारभूयं सथल पारपरिहारद्वकम्मनिम्महणं आगयं रण. मेव गच्छमेरापन्नवणं महानिसीहसुयम्बंधस्स पंधममज्झयणं / एत्येव गोयमा! ताव णं वक्पाणियं जाव णं आगया इमा गाहा जत्थित्पीकरफरिसं अंतरिय कारणेवि उप्पन्ने / अरहानि कज्जलयं गच्छ मूलगुणमुल्कं // 12 // PRESS Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीथसूत्र. आयरनं 2) तभी गोयमा। अप्पसकिएण चेव चिंतियं तेन / सावजायरिएणं- जइ इह ए यं जहदिग्य पनवेमि तो जं मम वंदणगं दाउमाणीए तीए अजाए तिम. जण चलणगे पुरठे तं सब्वेहिपि रिठमेएहिति ता ' जहा मम सावज्जायरियाभिहाणं कयं तहा अन्नमनि किंचि एत्ममुरकं काहिति जेणं तु सबलोए अपुलो भविम्स, ता अहमन्नहा सूत्तत्प न्नवेमि! ताणं म. हती आसायणा, ती किं करियबमेत्यति। कि एथे. गाह परूवयामि किंवा अन्नहा वा पन्नवेमि१. अहवा हाहा न जुत्तमिण उभयहावि अच्छतगरहियं आ यहियदठीणमेयं जमी णमेस समयाभिप्यामओ जहागं •जे भिम् दुवाल सगस्स णं सुयनाणस्स असई छ खलिययमाया सकाहीसभयत्तेणं वयम्वरमत्ताबिंदुमवि एक्कं परूविज्जा अन्नहा वा पन्नवेज्जा संदिवं वा सुत्तत्यं मम्खाणेज्जा अविही अभोगस्स वा अन्रवाणेज्जा से भिक्य अणंतसंसारी भवेज्जा, ता किं एवं ' ज होती तंव भवन, जहरियं घेर गुस्वएसाणुसारेण सूतत्थं पवस्वामि ति चिंतिकणं गोयमा। पवस्खाया णिविलापयनविसुद्धा सा तण गाहा 9 / एयावसामि चोमो गोथमा / सो तेहि दुरंतपतलम्पोहि जहा जइएव तातुमपि जाव मूलगुण. हीणो जार ण संमरतुयु त ज तदिवस तीए मजाए तु-मं वंदणण बाउकामाए पाए उत्तमगेण पु.ताहे / इहलोमायसमीर वर सत्य(मच्छरोहो गोयमा। सो सावजारमओ विचितिमी जहा ज HR साबजार याभिहाण कय इमेहि जहा न कि पि सपय माहिति / जेणं तु सब्बलोए अपुज्जो अविस्से 10 ता किमिः त्य परिहारगं दाहामिति चिंतमाणे संभरियं तिल. यरवयणं जहा मं जे केई आथरिएड वा मयहरएडवा AradAach Par ace Fact काकाकर P . . Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *ARRRRRRRE 168] श्रीआगमसुधासिन्धुः:: दशमो विभागः गच्छाहिबई सुयहरे भज्जा से णं किंचि सम्बनणं. तनाणीहिं पावावगायाणं पडिसेत्यिं तं सावसुथा. णुसारेण विन्नाथ सव्वहा सत्वपथारोहिणं णो समा. थरेजा णो णं समायरिज्जमाणं समगुजाणेज्जा,सेकी. हेण वा माणा वा माथाए वा लोभेण वा भएण वा हा. सेण वा गारवेण वा दय्येण वा पमारण वा असती धुकर लिण्या वा दिथा वा राओ वा एगओवा परिसाराओवा सुते वा जागरमाणे वा तिविहंतिविहेणं मणेणं वाथाए काएणं एतेसिमेव पयाणं जे केई विराहगे भवेज्जा से गं भिवसू भुज्जो 2 निंदणिज्जे गरहणिज्जे विंस. णिज्जे गुंधणिज्जे सवलोगपरिभूए बहुवाहिथणापारगयसरी उक्कोसग्ईिए अणंतसंसारसागरं परि. भमेज्जा, तत्पणं परिभममाणे स्थणमेक्कंपिन कहिंचि कदाइ निम्बूइं संपावेज्जा 11 / तो पमाथगोयरगथस्स णं मे पावाहमाहमहीणसत्तकाउरिसस्स इहरं चैव समु हिंग्या एमहंती आवई जेण ण सम्को अहमेशं जुत्तीखमं किंचि पडिउत्तरं पथाउं जे, तहा परलोगे य अणंतभनपरंपरं भममाणो धोरदारुणागंतसी यदुक्खस्स भा. गीभविहामिऽहं मंत्भगोत्ति चिंतयंतोऽवलक्षिामो सो सावज्जायरिओ गोथमा। तेहिं दुराचारपावकम्मदुइटसोयारोहिं जहा णं अलियखरमच्छरीभूओएस तो संखुजमणं खरमरीभूयं कलिऊणंच भणियं तेहि दुर्लसोथारोहिं जहा जाव णं नो छिन्नमिणमो संसयंता. वणं उठं वक्माणं अस्थि, ता एत्थं तं परिहारगंवा. थरेजा जं पोटजुत्तीखमं कुग्गहणिम्महणपचलति १३.तो तेण चितिथं जहा-नाहं नदिनेणं पारकरगेण चुक्किमो मेसिं, ता किमित्थ परिहारगं दाहामिति चिनयंतो पुगोवि गोयमा ! भणिभो सो तेहिं दुरायारेटिं AAAAA PORPcracrac मारकर Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YEARREARS श्री महानिशीथसूत्र अध्ययन / जहा- किम चिंतासागरे णिमन्जिऊ ठिो ? सिग्यमेयं किंचि परिहारगं वयाहि, णबरं तं परिहारगं भ. णिज्जा जं जलतत्थीकि धिक्काथाए अव्यभिचारी 141 ताहे सूइरं परितप्यिऊणं हियएणं भणियं सागजायरिएणं जहा. एएणं अत्धेणं जगगुरूहि वारियं जं अभोगस्म सुत्तत् न वायब्वं 15 / जओ आमे घडे निहितं जहाजलं तं पड विणासेड़।। एवं इय) सिद्धंतरहस्सं अय्याहारं विणामेइ॥१४॥ ताहे पूणोवि तेहि भणियं जहा किमेया भरडवरहाई असंबद्धाइ दुभासियाई पलवह ? जब परिहारगं ण दाउं सक्ने ता उपिकड मुयसु भासयं ऊसर सिम्यं / इमाओ गणाओ, किं हवस्स रूसेज्जा जय तुमंपि पमा. गीकाऊणं सबसंघेणं समयसाभावं वायरे जे रामाइठो ! 16 / तओ पुणोवि सुइरं यरितप्पिऊणं गोथमा 'भ. न्नं परिहारगमलभमाणेणं अंगीकाकणं हीहसंसारं भाणयंच सावज्जायरिएणं जहा गं उम्सग्गाववायेहि आगमो हिओ, तुम्भे ग थाणहेयं एगंतो मितं, जिणाणमाणामोगंतो, एथं च वयणं गोयमा! गिम्हाथवसंताविएहि सिहिउलेहिं व अहिणवपाउससजलधणोरल्लिमिव सबहुमागं समाधियं तेहि दुहासोथारेहिं 17 / तभी एगवयणडोसेणं गोथमा! निबंधिऊयाणंतं संसारियतणं अपडिक्कमिळणं च तस्स पावसमुहाथमहावंधमेलावगम्स मरिकम उकवन्नो वाणमंतरेसु सो सावज्जायरिओ 38 / तओ चुभो समायो उववन्नो पवसियभत्ताराए पडिवासुदेव पुरोहि. यधूयाए कुच्छिंसि, अहजया विथाणि तीए जगणीए पुरोहिय भज्जाए जहा णं हा हा हा दिन्नं मसिकुच्चयं सव. नियकुलप्स इमीए दुराधाराए मज्झ धूयाए साहियं च पुरोहियस्स, ती संतय्यिमय सुबहुं च हियएव्य साहा FREERSESSESss Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRASARARESS श्री आगमसुधा सिन्धुः: शमी विभागः ! रे निविसथा कथा सा तेणं पुरोहिएणं, एमहंता / जसज्मदुन्निवारभयस भीलया 19 / अहन्नथा धेवकालं. तरेणं कहिंचि धाममलभमाणी सीउण्हवायज्झिडिया / युरका मत7 दुभिरख दोसेणं पविदठा दासत्ताए रसवाणियगस्स गेहे, तत्य य बणं मज्जमाणगाणं संघिय साहरेश अणुसमयमुच्चिगति 20 // भन्नथा अणुरिणं साहरमाणीए तमुच्चिदगं दणं च बहुमज्ज पाणगे मज्जमाविथमाणे पोग्गलं च समुदिसते तहेव तीए मज्जमंसस्सोवरि होहलगं समुप्यन्नं जाव जंतं बहुमज्जमाणगं नड. नहरछत्तचारणभडीड्डचेड तस्करासरिसजातीसु सुज्झियं सुरसीसपुंधकन्नलिमयगय उच्चिर वच्छू उल्लूरस्थंहै तं समुसिउं समारला 21 / ताहे तेसु चैव उचिदरकीडियगेसु अंकिंचि गाहीए मन्स रिवकं तमेवासाइझमारखा, एवं च कश्वथनिगाश्क्कमेणं मज मंसस्सोपरि दठं गेही संजाया, ताहे तसेव रसवाणिज्जगस्स हाउ , परिमुसिऊणं किंचि कंसदसदविणजायं अन्नत्य निक्कि। णि णं मज्जं समंसं परिभुज तारणं विनायं तेण ) रसवाणिज्जगेण, साहियं च नरवणो, तेणावि वझा पमादिहा 22 // तत्य य राउले एसी गोथमा! कुजपम्मो जहाणं जा का भावन्नसत्ता नारी अपराहदोसणं सा जावणं नी पसूया ताव णं नी वावाएथब्बा, तेहि विणिउत्तगणिजिंतगेहि सगेहे नेऊण पसबसमर्थ जार णिनिया रकमेयवा 23 / अहनिया गाथा तेहिं हरिएस. जाईटिसगेटिं, कालकमेण पसूचा य दारगं तं सावज्जाथरियजीवं, तो पसूथमेता येवं तं वालथं उज्झिऊयायपहा मरणभथाहित्था सा गोथमा! दिसिमेक्कं गंसूणं, रियाणिथंच तेहिं पावहिं जहा पणा सा पावकम्मा, साहियं च नरवणो सूणाहिरईहिं जहा गं देवा पणट्ठा సహా దకు Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎獎獎 मी महानिशीथसूत्रं :: यरनं 22. 1110 सा दुरायारा कयलिगभोवमं दारगमुन्झिऊणं हा रक्षावि पडिभणियं-जहा. णं जइ नाम सा गया ता गाउ तं बालगं पडिवालेज्जासु, सब्बहा तहा काथवं जहा तं बालगं ण वावज्जे, गिण्हेसु इसे पंचसहस्सा इविण. जायस्स, तओ नरवणो संदेसेणं सुथमिव परिवालिओ सो पंसलीतणओ 25 / अन्नथा कालकमेणं मओसोयावकम्मी सूचाहिवई, तओ रन्ना समाजाणिओ तस्सेव बालगम्स घरसारं, कभी पंचण्ह सथागं अहिवई तत्य य स्याहिवइपए ठिओ समाणी ताई तारिसाइं अकर. गिजाइं समात्तिाणं गओ सो गोथमा / सत्तमाए पुढवीए अयइराणनामे निरथावासे सावज्जायरियजीवी 26 / एवं तं तन्ध तारिसं घोरपचंडरोई सुहारुयां दोमवं तित्तीसं सागरोवमं जाव कहकहवि किलेसेणं समणुभवि / ऊयां रहागओ समायो उववन्नो अंतरहीवे एगोस्यजाई, तोरि मरिफणं उनवन्नो तिरियजीपीए महिस. ताए, तत्थ य जाई काइंथि णारगटुम्वाई तेसिंतुस. रिसनामाई अणुभरिऊगं छब्बीसं संवरराणि तो गोथमा / मओ समायो उवरन्नो मगुएन्सु, तभी गओ वासुदेवताए सो सावज्जाथरिथजीनो, तथावि महाऊयंप. रिवालिऊणं अणेगसगामारंभपरिगहदोसे मरिण गो / सत्तमाए 27 / तमोवि उबहिट ऊय सुइरकाला उपवनो / गयकन्नी नाम मणुयजाई, तोवि कुणिमाहारदोरसेणं करज्यवसायमई गओ मरिफयं पुणोवि सत्तमाशु तहिं चव भयइहाणे निरयावासे 28 / तओ उज्वस्टिकणं पुणोवि उरन्नो तिरिएसु महिसत्ताए, तत्ववियं नरः गोवमं दुम्खमणुभवित्ताणं मी समायो उववन्नो बा. लविहवाए पंसुलीमाहणध्याए कुच्छिंसि, अहऽन्नया नि उत्तपन्नाभसाडणपाडणारवारजुण्ण जोगरोसेयां अणेग Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎獎 श्री भागमसुदासिन्धुः दशमो विभाग: वाहिवेयणापरिगयसरीरी सिडिहिडतो कुठवाहीए परिगलमायो सलसलंतकिमिजालेणं खर्जतो नीहरिओ नरवमयोरक्वनिवासाओ गाभवासाभी गोयमा। सो सावज्जायरियजीवी 29 / तभी सन्रलोहि निरि. ज्जमाणो गरहिज्जमाणी दुगुंछिज्जमाणो विसिज्जमा णी सवलोगपरिभो पाणखाणभोगावभोगपरित्रजिओ गाभवासपभितीए व विचित्तसारीरमाणसिंगधोरतुम्खसंततो सत्त संवच्छरसयाई रो मासे य. चउरो हिण य जाव जीविऊणं मी समाणो उपवन वाण मंतरेखें 30 नभी चुभो उपवन्नो मणुएसुं पुणोषि सूणाहिवताए तभीवितंचकम्मदोसेणं सत्तमाएको वि उव्वरऊणं उपवन्तो तिरिए \ चम्कियघरंसि गो. पत्ताए, तत्य थचक्कसगडलंगलाथरणेणं अहन्निसं जुयारोवणेणं पश्चिमण, कहियरब्दियं बंधसं. मुछिए य किमी ताहे अक्खमी हयं बंध जुयधरणस्स विण्याय प्रहठी वाडिमांरटी यां निकरणं मह उन्नया कालक्कमेणं जहा बंध तहा पश्चिऊंण कु. हिया पट्टी, तथावि संमुरिछए किमी, सडिझण विगयं च पश्चिम्म, ता अकिंचियरं नियमओयणांति णाऊण मीस्कलिओ गोथमा! तेणं चक्किएणं तं सलसतिकिमिजालेहिं गं खज्जमाणं बल्लं सावज्जायरियजीवं 21 // तो मोस्कलिओ समाणी परिसडियपठिचम्मो बहु. कायसागकिमिकुलेहिं सबझाभतरे विलुपमाणो ए. गतीसं संवराई जाव आउयं परिबालेमा मो समायो उरवण्यो अणेगवाहियणापरिगयसरी मणुएखं महाधण्ण-प्स णं भस्स गेले, तथ य वमणवि. रेथणरवारकडुतितकसायनिहलागुग्गलकाटगे आवीथमाणरस निच्चविसोसणाहिं च असझाणुवसम्मघोरवारुण Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशीधसूत्र धरना 'दुम्वेहि पज्जालियम्सेव गोथमा। गओ निष्फलो तरस मणुयजम्मो 32, एव च गोयमा। सो साबजायरियजी। वो चोइसर-जुथलोग जम्ममरणहिणं निरंतरं यस्थिरि हि जयं सुदीहाणतकालामी समुप्पन्दो मणुयत्साए भव. रविदेहे, तत्य व भागवसेणं लोगाणुक्तीए गभी नित्य यरस वणवतियाए पडिबुद्धी य पवइओ, सिडोयबह तेवीसहमतित्यथरस्स पासणामस्स काले,एयंतंगोथमा। | साबजायरिएण पावियं 33 / से भय। किंपच्चइयं तणाणुभूथं एरिसं इसहं घोरदारुणं महादुकरवसंनिवायसंघदरमितियकालति / गोयमा! जं भगियं तत्काल समयंमि जहा गं 'उस्सगाववाएहि आगमो हिओ, एगंतो मिरछत्त, जियाणमाणा अरोगतीति' एयश्यणपत्यश्थं 10 से भयना कि उस्सग्गाववाएहिं गं नो ठियं आगमं एगंतं च पन्नविज्जइ गोथमा। उम्सग्गाववाएहि चेव प. वयणं ठियं, अणेगंत च पन्नरिज, णो गं एगंतं.णवर आउक्कायपरिभोगं तेउकायसमारंभ मेलणासेवणं च एतं तओ धाणतरे एगतेणं 3 नियो३ बाट 3 सम्वदा / सम्वपयारोहिणं भायहियदठीणं निसिद्धंति, एत्यंच सुत्ताइस्कमे सम्मरणनिप्पणासणं उम्मग्णपयरिसणं त. भो. य आणाभंग आणाभगाओ अगंतसंचमारी 331 से भयवं! कि तेण साधज्जायरिएणं मेहणमासेवियंजोधमा! सेवि. थासेविय, यो सेविय णो असेरियंसे भय / केणं अणं एवं बुध्यद / गोथमा ! जे तीए अज्जाए तरकालं उलिमंगेणं. पाए फरिसिए, फरिसिज्जमाणे य गो तेण आउंटियसंवरिए. एरणं अटेणं गोथमा ! एवं बुधइ 36 से भयवं? एह. मेत्तस्सावि णं एरिसे घोरटुब्विमोक्मे बद्धपुटनिकाइए कम्मबंध? गोथमा! एबमेथं, ण अन्नहति ३७असे भयवं! , तेण तित्ययरणामकम्मगोयं आसकलियं एगमवावसेसी 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 140] श्री भागम-सुधासिन्धुः शमो विभाग. कओ आसी भवोयही ता कि मेयमणतसंसाराहिंडणति! गीयमा। नियथपमाथदीसेणं, तम्हा एयं विथाणित्ता भवविरहमिरमाणे गोयमा' सुरिदउसमयसारेणं गध्याहिवइया सव्वहा सावपयारेहिं गं सावत्यामेसु अध्य। तं अय्यमत्तेणं भविय-वंति बेमि 30 ॥सूत्र 29 // महानि-सीह मुयधस्स टुवालसंगसुचनाणम्स | णवर्णीयसारनामें पंचमं अज्झयणं // 5 // भय गीतार्थव्यवहारनामषष्ठमध्ययनम्। भयत्रं / जी रतिदियह सिहंतं पटर सुर वक्सा. णे चिंतए सततं सोविं अणायार मोयरे ! 'सिदतगया मेगंपि, अखरं जी विधागई। सो गोयम! मरणं तेविऽणाचारं नी समायरे // सू०१॥ से भयता कीस इस' वी गरिसणे महायसे पव्यजं चिच्चा गणिकाइ गेहं पविरोध दुर्धा गोथमा। 'तस्स पसिहं मे भीगहलं स्खलियकारणं। भवभयभीओ तहावितुर्य, सो पब-जमुनागी // 1 // पायालं अवि उटमुहं सगं होना अहोमुहं। ण उणो केवलियन्नन्तं बयणं अन्नहा भये // // अन्न सो बहुबाए वा, सुथनिबडे वियारि। गुम्यो पामूले' मोनूगं, लिंगनिधिसभी गभी // 3 // तमेव भणं स. रमाणी, दंतभरगो दत्तभंगो) सकम्मुणा / भोगहलं कम्म वेद, बछ पूठनिकाइयं ॥४भयनं ने करि.. सोवाए, सुथनिबडे विद्यारिए / जेणुब्सियसुमा. मन्नं, अनि पाणे धरेइ सो 1 // एते ते गोथमो. नाए, केवलीहिं पवेइए / जहा विसयपराभोसजा Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * श्री महानिशीधसून . तमिमं मुणी // 6 // तंजहा- तनमुद (मठ) गुण पोरं, आयेज्जा सुदुम्करं / जथा विसए उदिति, पडणामण वि. सें पिबे उबंधितणं मस्थिव्यं, नीचरितं विराहए। अह एथाइं न समज्जा , ता गुरुयं लिंगं समरियया। // विदेसे जय नागरछ, पत्ती तत्थ गंतण / अगुब्ब. “थं पालेज्जा, गोमं भविया णिबंधसे // 9 // ता गोयम! दिसेणे, गिरिपडयां जाव प.धुयं / तावायासे इमावा. मरिज्ज नं // 20 // / दिसामुहाई जा जाए, ता येछ चाणं मुर्णि। . 3नकाले नस्थि ते मध, विसमविसमानितुं गओ // 11 // ताहेवि अपहियासेहि, विसएहिं जाव पीडिओ। ताव चिंता समुय्यन्ना, जहा नि जीविएण मे 1 // 12 // कुंरेन्दुनिम्मलराग, तित्थं पावमती अहं। उड्डाहितोऽह सुल्झिम्सं, कत्थ गंतुमणारिओ॥१३॥ अहया सलंधणी चंगे, कुंदस्स उण कायहा / कलिकलुसमलकलंकीहि, वन्जियं जिणसासणं | // 14 // ता एवं सचल दारिदुहकिलेसम्पयंकरं / पत्थयं खिंसावितो, कत्थ गंबूण सुन्झिहं ॥१५दुग्गरंकं गिरिरो. ढुं, ताणं चुन्निमो धुवं / जाव विसयवसो याहं,किंचिऽत्युइंडाह करं // 16 // एवं पुणोवि आरी, रंकुन्निं गिरी. थई / संबरे किल निरागारं, गयणे पुणरवि भागि 1 जयाले नन्धिते मधू, चरिम तुम इमंतj।ता बद्ध युदळे भोगडलं वेना संसमें कुरु // 1 // एब तुजा बेवारा, चारासमोहि मेहि को,। ताहे गंतूण सी लिंग, गुरुपामूले नि: वेदिउं॥१९॥ तं सुत सरेमाणे, दूरं देरानरं गओ। नत्था- ... हारनिमित्तेणं, बेसाए घरमागमओ // 20 // धम्मलाभं जा भणई, अत्यलाभ विमगिभो / तेणावि सिलादि जुत्तेणं, एवं भवउत्ति भाणियं // 21 // न तेरस. कोडीओ, दविणजाथस्स जो वह हिरण्याविदितं दावे,, Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6.14Jii आगमसुधोसिन्धुः दशमो विभागः / मंदिरा पलिंगच्छा // 22 // उत्तुंग थोरपणवदा, गणिगा ! आलिंगि दटं। भन्ने कि जासिम दविणं, अविहीए दा. उ' चुल्लगा / // 2 // तेणवि भवियत्वयंए, कलिऊगे. य पभाणिथं / जहा जा ने विही इठा, तीए दृव्वं पा). / यसु // 2 // गहिऊ णाभिरगहं ताहे, पविठो तीन मंदि. 2 एवं जहा न ताव अहथं, भोथणयाणविहिं करेशा दस दस ण बोहिए जाव, दियहे 2 अणूणिगे। पन्ना-जा 'न पुन्नेसा, काश्यमोक्खं न ता करे॥२६॥ अन्नं च न मेलायव्वा, पवज्जोवठियस्सवि। जारिसगं तु गुरुलिंग, भने सीसपि तारिसं // 27 // भैरवीगन्ध निहीकाउं,लुचिभो 'खोसिभोवि सो। तहाशहिभी गणिगाय,बहो जहयेमपासेहि // 28 // आलावाओ पणो यणथाउ रती रती वीसंभो। बीसंभाभी हो पंचविहं बदए पेम्म / / 29 // एवं सो पेम्मपासेहि, बद्धोऽविसावरतणं / जहो. / वठं करेमायोदस अहिए वा दिणे दिणे // 30 // पडिबी. हिऊया संविग्गगुरुयामूले परसई। संपयं बीहिभो सोविनी), दुम्मुहे हमणे) जहा तुम // 3 // धम्म लोगस्सं साहेसि, अत्तकज्जमि मुन्झसि / गुणं विक्केगथं धम्म, सय णाणुचिदसि॥३२।। एवं सो वयां सोचा, दुम्मुहस्स। सुभासियं / धरयरधरम कंयंती, निंदिर गरहिं चिरं। 33 // हा हा हा हा अफज्जं में, भदउसीले कि कयं जेणं / तु सुतोऽप्यसरे, गुडिभोऽसुड़ किमी जहा॥३॥धीधी भी थी | अहनेणं, पेज मेडगुचि दिव्यं / जच्चकंचणसम उत्ताणं, 'असुइसलिम मए कयं / / 35 // स्वणभंगुरस्स देहस्स, जा | विवनी ण में नये। ता तित्ययरस्स पामूलं पायतिं चरा मिऽहं // 36 // एसमागती एल्य, चिलंतागेव गोथमा' 'घोरं चरिमग पायरिधत्तं, संवेगाऽम्हेहिं भासियं // 3 // ' घोरवीरनवे काउं, असुहकम्म खवेत्तु य। सुस्कायां Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीथसूत्र :: ययन 60 समारुहिउं. केवलं पय्य मिज्झिहीं // 3 // ता गोधमेधणाएणं, बहू उवाए रियारिया। लिंग गुरुम्स अध्येउ, नंरिसेणेण जह कयं // 39 // उस्सग्गं ना तुमं बुज्झ, सिहदंतेयं जहठियं। तवंतरास्दयं तस्स, महंतं आमि गोयमा। 1800 तहावि जो विसरशन्ने, तवे घोरमहान। अहागणं तेणमणचिन्न तावि विसरण णिज्जए॥४१॥ जाहे विसभक्खणं पडयां, अणसण नेया इच्छियं / / एथयि चारासमोहि, बेवारा जान सहिओ wom गाव य गुरुस्स रयहरण अप्पिय तं देसंतरंगओ।एते ते गोयमोवाए, स्थानिबद्ध वियागए ॥३॥जहा. | जाव गुरूणी न रथहरण, प-व-जायन अल्लिया। तावाकन्जंन काथवं लिंगमति जिणटेसियं/en. अन्नत्थ ण उम्झियवं, गुरुणो मोतूण अंजलि / जइ. सो उवसामिउं सक्को, गुरु ता उवसामई॥४५॥ अह / अभी उक्समिउं सक्को, तोऽवी तस्स कहिज्जई। गु. रुणावि तयं णऽन्नस्स, गिरा वेयचं कथाइडवी नदी / जो भवियो बीयपरमी, जगठिइवियांणगो।एचाई •तु पाइं जो, गोथमा णं विडबए। मायापञ्चांभे। णं, सो ममिही आसडो जहा। भय / न याणिमो को ऽवि,मायारसीलोह आसडी 18 किंवा निमितमुबंचेरिओ, सो भमे बहुदुहहिटओ / चरिमस्सऽन्नस्य तिथिमि, / गोयमा। कंचणवी // 9 // आयरिओ आसि भूश्क्खोत. स्स सीसोस आसडो / महत्वयाई धेच्या, अह सुनत्थं अहिन्जिया // 50 // नाव कोकहलं जायं, यो यां निसएहि पीडिभो। | चिंतेइ य जह सिद्धते, एरिसो इंसिओ विही॥५१॥ तो सम्स पमाणेणं, गुरुयणं रंजिउ दढं तवंचऽ गुणं काउं. पडणाणसणं विसं // 52 // करेहामि जहाऽहंचि. देव Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9867 श्री आगमसुधा संन्यु: मोवि - / थार निवारिभो। दीहाऊ णस्थि ते मत्यू, भोगे मुज जहिछिए।।२३। लिगं गुरुम्स अपेठ, सन्न देसतरबय / भीगहलं वेश्या 487, घोरवीरतरं चर॥ अहवाहा। हा अहंमदी आयसल्लेण सल्लिओ। समणाणं रिस जुत्त, समयमवी मणसि धारि॥५५॥ पछा उमे परिधतं, आलोएसा लह धरे। अहरण णं आलोउं, मायावी। भन्निमी पूणो // 6 // तादृसवासे आयाम,मासंक्षमा णस पारणे / वीसायंबिलमादीहि दो ही मांसाया पारणा // 5 // पणवीसं वासे तत्य, चंद्रायणतंवेण / य। हम्म दसमाइं, अ वासे यऽणूणगेम घोरेरिपरिजल, सयमेवे भाणुचरं। गुज्यामूलेऽविएथेयं, पायच्छितं मेण अालें॥९॥ अहवा तित्ययरें। गेम, किमट वाइओ विही, जेणेयमहीयमाणोऽह,पा.. मच्छित्तप्स मलिओ ? // 6 // . अहवा. सोधिय जाणेज्ज सन्वन्त, परितं / अणुचराम्यहं। जमित्वं दवचिंतिययं, तस्स मिरछामि दुवकां // 61 / / एवं ते कदठं घोरं, पायतिं समती।। | कायामि सरसल्ली सो, बाणमंतरियं गभी॥६॥हिरिठ. मोरिमोथरिमाणे तेण गोथमा।। वयंती आलोइ.. ता, पञ्छितं कविया // 63 // वाणमंतरदेवता, / चाकागामा155सडी। रासहत्तार तिरितमं.नरि.. घरमागभो / / 64 // निरचं तस्य वडवाण, संघटणदौसा / ताहि वसणे वाही समय्यण्णा, किमी एत्य संमुछिए . // 6 // नमो किमिएहि व-जंती, वसणदेसंमि गोथमा। मुस्काहारी विलेदे वियानो ताव सराहुयो // 6 // / अदरेण बोलेते दणं जाइं सरेनु य / निदिउंगर. हिउ आया, अगसणं परिन्जिया॥७॥ कागसा। हि रमजतो, सुद्धभावेणां गोयमा ! / अरहताणति ! Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री महानिशीथसूत्रं धन, [142 सरमाणो, संमं उझिय सं तणू॥६॥ कालं काऊण दोविंदमहाघोससमाणिओ। जाओ तं दिवं इडिटं, समगुभोगें तभी चुओ॥६९॥ उरवन्नो वेसत्ताए,जा सा निथडी ण पथडिया। तभीवि मरिझगं बहू, अंतपंते कुलेऽडिओ 11001 कालक्कमेणं महराए. सिवइंद्रस्स दियाययो / सुओ होऊयं पडिबुद्धो, सामन्नं काउं निव्वुड्डो ।।७१एच त गायमा सिट, निधडीजं तु आसडं। जे यसव्वन्नु मुहमणिए, वयण मणसा विबए // 72 // कोउहलेगा विस याां. ण उणं दिसएहिं पीडिए / सरधंदयाथच्छि. नेण; भमिओ भरपरंपरं॥७३॥ एवं नाकामिक्क्रपि,सि. दंतिगमालावगं / जाणामाणो हु उम्मगं, कुज्जा जे सेवि. या गहि॥७९॥ जो पूण सवसूयन्नाणं,'अ वा वयणंपि वा / णच्या वएज्ज मग्गेणं, तस्स अहो ण बज्झई, एयं नाऊया मासारि, उम्ममा नो प-वत्तए // 7 // तिबे. मि, 'भयवं! अकिच्छ काऊणं, पच्चित्तं जो करेज्ज वा। तस्स लहठधरं पुरसओ, जं अकिच्छ न कुबई? // 6 // ताजुसं गोथमा! मिणमो, रयणं मणसाविधारिलं, जहा काउनकत्तवं, पच्छितेयं तु सुन्झिहं।।७।। जो एवं वयणं सोध्या, सहहे अणुचरे वाभिहसीलाणं सब्वेसिं, सत्यवाहो स गोयमा! // 7 // एसो का. उपि परिधनं, पाणसंदेहकारयणं / आणाभवराह दीनसिहं, पविसे सलभी जहा // 79 // भय जो बलं विरियं, पुरिसथारपरक्कमं / णिमूहतो तरं चर३, परिधत्तं त. स्स किं भवे?on तस्सेयं हो पञ्छितं, असदभावस्स गोथमा: / जो तं धामं रियाणेत्ता, वेरी सन्तिमवेस्पिथा॥१॥जो बलं वीरियं सत्तं पुरिसथारं निमूहए। सो सपच्चित्तपच्चित्ती, सदसीलो नराहमो // 2 // नीथागोयं उहं धोरनर. Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎楚獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री भागमसुदासिन्धुः: शमो विभागः ए सुक्कोसियदिति / वेतो तिरिजोणीए, हिंज्जा चउगईए सी // 3 // से भयवं। पावयं कम्म, परं वे३य समुहरे / भणणुभूएण यो मोक्वं, यायच्छितेण किं नहिं ? // 4 // गोथमा। वासकोडीहि, अणेगाहिसं. चियं / तं परिछत्तरपीपुलं, पावं तुहि व विलीय // 5 // घणघोरंध्यार तमतिमिस्सा, जह सूरन्स गोयमा।। पायच्छित्तरविन्सेयं, पावं कम्मं पणस्सए।। ६॥णवरं जातं परितं, जह भणिय तह समुदरे। असदभावो अणिमूहियबलवीरियापुरिस थारपरक्कमे von अन्नं च काउ पच्छितं, सम्वधे णमगुच्चरे / दरूदियसल्लो याप्पेसो, ही चाउगइय अडे // 8 // भयवं! कस्सालोएज्जा' पछित्तं को बटेज वा' कस्सव पच्छित्तं देज्जा' आलीयावेज्जना कहं?॥९॥ गोथमालोधणं ताव, केवलीणं बरसुवि। जोयणसएहिं गंतूण, सुद्ध भावेहि दिज्जए // 10 // ___ चउनाणीगं नयाभाने, एवं भोहि मईसुए 'जस दि मलयरे तम्स, तारतम्मेण दिज्जई॥५१॥ उम्साग पन्नावनस्स, उस्सरी पदिग्यम्स या उस्सगकइणो चेवसक भावंतरोहिंगं // 2 // उवसंतम्स दंतस्स, संजयम्स तसि. यो / समितीगुत्तिपहाणरस, दढचारित्तस्सासहभावियोग आलोएज्जा पछिज्जा, दिज्जा दानिज्ज वा परं / महन्निसं नदिर, पायरितं अणुधरे // 94aa से भय। किनियं तक्स, पच्छितं हवद निम्वियंपायरिछत्तस्स नाणाई, केरझ्याई कहेहि मे // 9 // गोथमा। जं सुसीलाणं,सम. णाणं इसण्ह उ। वालियागयपरिछतं, सजईतं नव गुण // 6 // एक्का पानइ पछितं, जइ सुसीला दटव्वया / अह सीलं विराज्जा, तातं हवा संथगुणं // 9 // तीए पंचेहि था जीवा, जोणीमज्झे निवासियो / सामन्नं नव लवाई, 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिसीयसूत्रं :: HEAVERTE R सवे यासंति केवली // 5 // केवल नाणस ते गम्मा.गो. केवली ताई पासती / ओहिनापी विधागए, जो पासे मणपज्जवी // 8 // ता पुरिसं संघटती, कोण्हगंमितिले जहा / सम्वेन्सु सुसरावे,रंतुं मता महन्निान्तिाया। ' // 10 // चंकम्मतीय गाढाई, काश्यं योसिरेतिया। वावा. इज्जा य हो तिन्नि, सेसाई परिथावई // 10 // पायम्तिस्स गाइं, सवाईथा गोयमा / / अणालोइयंतो हुँ एक्कंमि, ससल्लमरणं मरे / / 102 // सयसहस्सनारीणं, योर फालिन्तु निरिघणो / सत्तलमासिए गम्भ, चडप्य. उते.णिजिंतई // 103 // जं तस्स जतियं पावं, तित्तियं तं, नवं गुणं / एक्कासि त्वीपसगेणं, साढू बंधेज मेहुणे // 10 // साहीए सहस्सगुणं, मेडणेकसि सेरिए / कोडीगुणं तु विजेणं, तइए बोही पणस्सई॥१०॥ जो साहू इ. त्वियं हरतुं, बिसयी रामेहिई / बोहिलाभा परिमठो, कहं ग्राओं स होहीइ 1 // 106 // अबोहिलाभियं कम्म,संजओ अह संजई / मेडणे सेलिए भाऊतेक्काए पबंधई।।। 107 // जम्हा तीसुर्वि एएसु, अवरमंती हु गोथमा।। उम्म. गमेव ववहारे, मग्गं निवः सव्वहा // 10 // भगवंता एएण नाएगंजे गारथी मउम्कने / रतिदिया .. इति, इत्यीयं तस्स का गई ? 109 // ते सरीरं सहत्येयं / छिदिमां तिलंतिलं / अरगीए जवि होमंति, तोऽविसुड़ी ण दसई॥११०॥ - तारिसीवि गिविति सो, परदारस्य जड़करे। सावजधम्मं च पालेश, गई पावेश मन्झिमं // 111 / / / मथ सहारसंतोसे, जाभवे मज्झमं गई। ता सरीरेऽवि होमतो, कीस सूटिंग पावई ? // 12 // सहारं यरदारं जा, इत्पी पुरिसोव गोयमा!!रमंतो बंधए यावं.यो 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 ( श्री भागमसिन्धु:: दशमो विभागः णं भवइ अबंधगी // 113 / / सावधम्मं जहुतंजओ, पालि परदारगं चए / जावज्जीवंतिविहेणं, तमाभावेण सा गई // 14 // व नियमविहारस,परद्वारगमण(ग). रस थ। अणियत्तस्स भवे बंध, णिदिनी महाफलं // 115 // सुधेवाणपि निविति, जो मणसावि विराहए।सो मी दुरगइ गरछे, मेघमाला जहऽनिजथा // 116 // मेधमालज्जिय नाहं, जागिसो भुवणबंधव! मणसावि अणु. निव्वति, जाखंडिय दुग्गइं गया // 117 // वासुपुज्जम्स लि. त्यमि, भोला कालगरवी / मेघमाला जिया आसि, गो. थमा। मणब्बला // 118 // सा-नियमोगासे परवं दाउं काउंभिक्वा य निगया / अन्नओ एस्थिणी सारमंदिरो. वरि संठिया // 119 // आसन्न मंदिरं अन्न, लधित्ता गंतुमिरछगा। मणसाऽभिनंदेनं जा, ताव पज्जलिथा दुवे / / 120 // नियमभगं तयं तुडम, नीए तत्थ ण किंदिय। तं. नियमभंगदोसेणं, डज्झिना पदमियं गथा // 123 // एवं ना. उं सुद्धमंपि, नियमं मा विराहिह / जच्छिया अयं सो. कसं, अणतं च अगोरम // 222 // तवसंजमे वएवें च, नि| यमी दंडनायगो / तमेव खंडमायरस, ग वएणोव संजमे // 123 // भाजम्मेणं तुजं पावं, बंधेजा मरबंधगो / क्य। भंग काउमणरस, तं घेवाणं मुणे // 124 // सयसम्म सलदीए, जीवसामिनु निकषमे / वयं नियमवंडतो,जं सो तं पुन्नमज्जिणे // 12 // परित्ता थनिवित्ता थ, गारथी संजमे तवे। जमगुखिया तथं लाभ, जान दिक्खा नगि. पिहथा॥१६॥ साहसाणीवग्गणं, विन्नयनमिह गोथमा।। जेसिं मोत्तूण ऊसासं, नीसासं नाणुजाणियं॥१२७॥ तमवि जयणाए अणुन्नायं, विजयणाए ण सम्वहा / अजयणाउ ऊससंतस्स. की धम्मो कभी तवो // 12 // भयव! | जावदयं दिखें, तावश्यं कहणुयालिया। जे भने अबीय 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1388 मामहानिसायसूत्रं यvi६7 परमत्थे, किच्यानिध्यमथाणगे ! // 229 // एगणं हियं वयणं, गोयम ! हिस्संति केवली। गो बलमोडीइ कारें ति, हत्ये धेचूण जंतुणो 130 // तित्यथरभासिए क्यणे, जे तहति अगुपालिया। सिंदा हेरगणा तस्स, पाए पणमंति हरिसिथा।।१३१॥ जे अविश्यपरमन्थे, किच्याकिच्चमजाणगे। अधोसंधीए तेसिं समं, जलथलं गडठिक्करं // 132 // गीयत्यो य . विहारो,बीओ गीयत्थमीसओ। समगुन्नाभो सुसाहणे, नस्थि तश्यं रियल्याणं // 133 // गीथत्ये जे सुसंदिग्गे, अणालस्सी दृढव्बए अरबलियचारिते सययं, गगहोस. विवज्जए॥३४॥ निविथमयाणे, समिथकसाये जिइंदिए / विहरेज्जा तसिं सद्धिं तु, ते उमस्येवि केवली // 235 // सुडमस्स पुटवीजीवरस, जत्गस्स किल्लामणा अप्यारंभ तयं बैंति, गोथमा! सबकेवली // 13 // सुहमस्स परवीजीवरस वावती जत्य संभवे। महामंत थं विति, गोयमा! सबकेवली // 13 // पुटवीकाश्यं एक्कं, दरमलेंतस्स गोयमा!। अस्सायकम्मबंधोह, दु. विमोक्रले ससल्लिए // 138 // एवं च आळतेकवाऊ तहव. यस्सती / तसकाय मेहुणे तह, चिक्कणं चिण पावगं // 139 // तम्हा मेहुणसंकय्यं, पुटवादीण विराहणं। जाबज्जीवं दुरंतफलं, तिविहतिविहण जए // 10 // ता जेऽविदियपरमत्थे, गोथमा! णो य जे मुणे।त. म्हा ते विवज्जेज्जा, दोगगईपंथदाथगा // 141 // जीयत्यास उ वयोग, विसं हालाहले पिये। निजिकय्यो पमको ज्जा, तक्रूणा जं समुहवे // 14 // परमत्मभी निसंतोस (नी तं), अमयरसायणं खुतं / णिविकय्यं णं संसार, मओनि सो.अमयस्समो // 143 // अगीथत्यत्सवयणे. णं, अमयंषि ण घोटए / जेण अथरामरे हनिया, Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आगमसुदासिन्धुः:: दशमो विभागः. जह कीला गो मरिजिया // 144 // परमत्यो गतं अमर्य संविसं तं हलाहलं। ण तेण अयरामरी होज्जा,भरवणा निहणं ए१९५॥ अगीयत्यमुसीलेहि, संगतिविहेण रजए। मोबस्वमसास्सिमे विग्ये, पहंमी तेणगे जहा // 16 // पज्ज. लियं हृयवहं इर्छ, गीसको तत्य परिसिउं। अत्तापि डहिज्जासिनी कुसीले समल्लिए // 147 // वासलकवंपि सूलीए, संभिन्नी अरिध्या सुटं। अगीयत्येण समएमकं, खणदपि न संवसे // 148 // विणावि तंतमंतेहि, घोररिस्ठी विसं अहिं / उसंतंपि समलतलीय, णागीय कुसीलाहमं // 149 // विसं खाएज्ज हालाहलं, तं किर मारेर तकस्था ण करेगीयत्यसंसग्गिं, विठवेलखंपि ज तहि // 15 // सीह वग्धं पिसायं वा घोररूवभयंकरं। भोगिल| माणपि लीएज्जा, ण कुसीलमगीयत्वं तहा॥१२॥ सत्तज|म्मतरं सत्, अवि मन्निज्जा सहोथरं / वयनिथमं जोवि. राहेज्जा, जणयं पिक तयं खिं॥१५२ वरं पवितो जलि. / यं हृयासणं,न यावि नियमं सुहम विराहियं / बरं हि मध्य | सुविस्पुकम्मणो न थाविनियम भंतूण जीलियं // 13 // | जगीयत्यत्तदोसण, गोयमा / ईसरेण उजे पत्तं तं निसामेत्ता, लह गीयत्यो मुणी भये 154 // से भयवं। णो रियाणेऽहं, ईसशे कोनि मणिवशे। नि वा अगीय पदोसेणं, पत्तं तेण ' कहे. हि गो // 155 // चाउमीसिगाए अन्माए, एत्य भरहमि गोयमा।। | पटमे तित्थकरे जड्या, विहीवेण निम्बुडे // 156 // तइया निना णमहिमाए, कंतर मुरासुरे। निवर्थते उम्पयंते व ढुंप. च्वंतवासि // 157 // अहो अच्छरथ अज्ज, मचलीथमि पेधिमो / ण इंदजाल सुमिणं मावि, दिलं कत्थई पुणी 150 // एवं नीहापोहाए, पुब्धि जाइं सरितु सो / मोहं गं। मणमेक्वं, मारुयासासिभो पुणो // 259 // धरयर, रस्स कंपतो, निदि गरहिउँ चिरं। अत्तानं गोथमा' Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथसूत्रं यरनं धनियं, सामन्नं गहिउमजोman - 1 अह पंचमुठियं लोथं, जावाढव महायसो। सविणयं देवया तस्स, रथहरणं ताव ठोयई // 162 // उज्यं करवं तव चरणं, तस्स दठण ईसरो। लोओ पूर्व करे. मागो, जाव उ गंदण पुच्छई // 16 // केय तं दिविवाओ। कत्थ , उप्यन्नी 1 को कुली तव / सुत्तत्य कस्स या मूले, सासयं हो समन्जियं?॥१६३॥ सो पच्चएगबु. दूधी जी, सव्वं तस्स वियागरे। जाइं कुलं दिकवा सुतं. अत्यं जह य समन्जियं // 164 // तं सोऊण अहन्भो सो, इमं चिंतेइ गोथमा।। अलिया अणारिंभी एस, लोगं डंभोग परिमुसे // 16 // ता-जारिसमेसं भासेर, तारिसं सोऽविजिणवरी / किंचित्य रियारेणं, तुहिमकेई चिनारंठिए // 166 // अहवा णहि णहिसो भगवं!,देव. दाणवपणमिओ। मणोगयंपि जमझ, तंपि छिनि संसयं / / 167 // तावेस जो होउ सो होउ, किं विधारण एन्थ मे / अभिणंद्रामीह प०वज्ज,सम्वदोपव(स). विमोक्रयणि 168 // ता पड्डियाओ जिणिंदास,सथासे जा तं मवई / भुवणेसं जिणवरं ताव, गणहरसामी पढिओ॥१६९॥ परिनिन्बुमि भगवंते, धम्मतिथंकरेजि गे। जिणाभिहियमुत्तत्थ, गणहरी जा पळवई॥१०॥ . . तावमालावगं एयं, वस्स्वाणमि समागथं। पुटवीकागमेगं जो वावाए सो असंजओ // 17 // ता ईसरो विचिंतेई, सुडुमे युविकाइए / सव्वत्थ. उद्दविज्जति, को ताइं रक्खि तरे ? // 12 // हलुलहाईकरे। अत्तायां, एवं एस महायसो / भन्सदेयं जेणे सहलंदयलेट, किमत्येयं परम्पई // 173 // अरचंतकडयर्ड एणं, रक्षवा. णं तस्सवी फुडं। कण्ठसोसो परं लाभे, एरिसं कोऽणुचिठए ? // 11 // ता एवं विप्यमोत्तूणं, सामन्नं किंधि Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी आगमसुधासिन्धुः दशमो विभाग: मन्झिमं / जंवा तं वा कहे धम्म, ता लोउ म्ला ण उरई 1) 175 / / अहवा हा हा अहं मूढी, पावकम्मी गराहमी / गव जइ पाणुचिट्ठामि. अन्नोऽणुचेम्ती जणो ॥१७॥जेणेयमेणंतनाणीहि, सम्वन्नहि पवेरियं। जो एहि अन्महा पाए, तस्स अट्ठी ण बज्(विजाई॥१॥ ताहमेयस्स परिछत्तं घोरं मदुक्करं वरं। लह सिग्धं सुसिध्ययर, जाव मधू ण में भवे // 18 // आसाथणाकयं पावं, आसंजेण विकुम्वहति)ती। दिवं वाससथं पुन्न, महसी परित्तमाचरे। 179 // तं तारिसं महाघोरं, पायरिधत्तं सयंमई। काउं पतेथबुद्धस्स, सयासे पुणोरि गओ // 10 // तथावि जासुणे वाखाणं तावऽहिगारमिमागथं। पुढ़वाहीण समारंभ, साह तिविहा वज्जए॥१॥ दृढमूढो हाथ जोई ता, ईन्सरी मुस्खम भुभो। चिंते. तेवं जहित्य जए, कोण ताई समारभे // 12 // पुढवीए ताव एसेव, समासीणोवि चिट्ठाई। अगीए रक्ष्य रखायइस बीयसमुभवं // 13 // अन्नं चविणा पाणेणं, वणमेक्कं जीए कहं / ता किंपितं पचम्पेस, जे पच्युयमत्यतिथं॥१४॥ इससेव समागच्छे, ण उणेयं कोइ सदहे। ना चिठउ ताव एसेन्यं, बरंसी चेय गणहरो // 15 // अहवा एसो नसो मज्झं, एक्कोवि भणियं करे। अलिथा एवंविहं धम्मं, किंचुसेणं तंपिय // 16 // साहिज्जई जो सुवे किंचि, ण तुणमचंतकडथडं। अहवा चिदगंतु तावए,भहयं सयमेव वागर // 18 // सुहंसुहेणं धम्म,स-वोवि. अणुए जणो / न कालं कड़यडस्सऽज्ज, धम्मस्सिति / जाव चिंत॥१८॥धडहक्तिोऽसणी ताव, शिवडिओ तस्सोवरिं। गीथम! निहणं गओ ताहे, उबवन्नो सत्तमाए सो. // 19 // सासणामण्णा सुथनाणसंसरगपडिणीयत्ताएइनगे। तस्य तं दारुण चुकलं, नरए अणुभसिंचिरं // 10 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औमहानिशीथसूत्र :यशने 60 16. इहागभी समुदमि, महामन्छो भवेषण पुणोनि सत्तमाए थ, तितीसं सागरीवमे // 19 // दुन्विसह दारुणं दुकावं, अणुहविकगिहागो। तिरियपस्वी उबरन्नो कागताएस ईसरी॥१९॥ जीवि पमियं गतु, उन्वहिस्ता इहागओ। दु. इंटसाणो भक्ताण. पुणरवि पदमियं गभी ॥४९३उवरिटत्ता तओ इहई, खरी होउं पुणी मओ / उपबन्नो रासहत्ताए,उन्मबगहणे निरंतरं॥१९४ाताहेमणस्सजाईए.समप्यन्नी पणो मी / उबरन्नो वणयरताए, माणुसत्तं समागभो // 19 // नोवि मरि. समुप्यन्नो, मज्जारते स इसरी पुगोवि नि. रए गंतु. इह सीहत्तेणं पुणो मभो // 196 // बजिउंचउत्थीए, सीहत्तेण पुणोऽविह। मरिमण पर पीए, गत इस समागओ // 1971. तोवि नरयं गंतु, चक्कियत्तेण ईसरी / नओवि कुठी होऊगं, बहदुम्वदिभो मओ // 17 // किमिएपिज्जमाणस्स, पन्नासं संबछरे / जाऽकामनि जरा जाया,तीए देवेसू उववन्जिउं॥१९९॥ तओह नरीमतं, लणं सत्तमि गी। एवं नरगतिरिच्छे मुं, कुरिध्यमणुएसु ईसरी // 2 // गोयम! सुरं परिभमिउं, घोरदुमयसुटुक्खिभो। संपइ गोसालो जाओ, एस सच्चेवीसरजिनी // 20 // तम्हा एवं वियाणेत्ता, अचिरा गीयत्ये मुणी। भवेन्जा विदियपरमन्थ, सारासारपरिन्नुए सारासारम. याणेत्ता, अगीयत्यत्तदोसओ। वयमेतेयाविरुजाए,यापगं जं समन्जिथं // 20 // लेणं नीर अहभाए,जा जाही ही नियंतणा / नारयतिरियकुमाणुस्तं सोच्या को दि. इं लभे? // 24 // से भय! का उण सा रज्जज्जिया किंवा तीए अगीयोसेणं वयमेगापि पावकम्मं समन्जियं जम्स M विवाग यं सोऊणं णो घिई लभेज्जा ? गोथमा! गं इहेब भारहे वासे भही शाम आयरिभो अहेसि, तस्स Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎, 118] श्री आगमसुधासिन्धुः दशमो विभागः थ पंचसए साहणं महागुभागाणं हवालससए निगंधीयं, सत्य थ गरछे चरत्यरसिथं ओसाबणं तिरंडो वित्तं च कठिउद्गं विप्यमोचणं चउत्थं न परिभुज्जरा अन्नथा रज्जानामाए भजियाए पुवकयअन्सुहयावकम्मोदएणं सरीरगं कुम्वाहीए परिसजिणं किमिएहि समुहिसिउमारईश अहन्नथा परिगलंतपूरसहिरतणू तं जजिथं पासिया ताओवसंजो भणति-जहा हलाहला टुक्करकारगे। किमेयंति ताहे गोथमा। पडिभणियं तीए महापावकम्माए भग्गलक्खणजम्माए रज्जन्जिथाए,जहा-एएणं कासुगपाणोण आज्जिमाणेणं विणठं मे सरीरगति 3 // जायं पलये ताव णं संखुहियं हिययं गोथमा! सबसंजईसमूहस्स,जहा णं विवज्जामो फासुगपाणगंति, तो एगाए नत्थ विंतिथं संजईए-जहा णं जर संपयं चेव ममेयं सरीरगं प्रगनिमिस मंतरेणेव पडिसकिणं खंडखंडेहिं परिसडेज्जा तहावि अमासूगोदगं इस्य जमे ण परिभुजामि, फासुगोदगं न यरिहामि / अन्नं च. किं सध्यमेथं फासुगीगेणं इमीए सरीरगं विणठं ? स. बहाण सच्चमेयं,जओ णं पुवकयअन्सुह पावकम्मोदएणं सब्वमेवंरिह हवइति, सुदनुयरं चिंतिययत्ता, जहा णं भी पेच्छ२ अन्नाणदोसोनहयाए इसमूठहियथाए विगतलजाए इमीए महापावकम्माए संसारधीर दुख हाथगं करिसं दुग्वयणं गिराइयं मम कविवरेसुपिणी पवि-सज्जति, जभी भयंसरकएणं भसुहपावकम्मोदएणं अंकिंचि हारिहदुकरबदोहरा-भपसभामाणकुदगइवाहिकिलेससन्निवार्थ देहंमि संभव३.न अन्मही जणं तु एरिसमागमे पटिज्जद, नंजहा. को देश कस्स देजा विहियं को हर हीनए कस्स!! ME परिमानिमिजला जातो Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री महानिशीथसूत्र: जययने / 1125 सयमप्ययो विदत्तं अल्लियइ दुहेपि सुक्यपि // 20 // . चिंतमाणीए चेव उध्यन्नं केवलनाणं, कथा य देवहि कलिमहिमा, केबलिणावि परसुरामुराणं पणासियं संसयतमपडलं अजियाणं घ ओ अलिभरनिभराए पणामपुत्व पूडो केबली रज्जाए, जहा-भ. यवं। किमहमहं एमहताण महावाहियणायां भायण संयुत्ता / ताहे गोथमा। सजलजालहर-सुज्ञहिनिग्धोसमयोहारिगंभीरसरेणं भणिय केवलिणा- जहा सुगान्यु टुक्करकारिए। जं तुझ सरीरविहरणकाराति. तए रत्तसिसिए - तरी सरीरंगे सिणिताहारमाकंठगए कीलियगमीसं परि. भुक्त, अन्नं च- एत्य गच्छे एतिए सए साहुसाहणीयां नहाविजावईपणं भरधीणि पक्रयालि जति तामयि बाहि. पाणगं सागारियलाइनिमित्तेणावि णो ण कया परिभुजइ.तए पुण गोमुत्तपरिगहणणयाए तस्स मच्छियाहि भि. णिहिणित सिंघाणगलालीलिथग्यणस्स ण सइठगसुयम्स बाहिरपाणगं संघटिऊण मुहं पक्वालियं, तेण य बाहिरपाणयसंघहरणविराहणेयं ससुरासुरजगवंदाणपि # लंघणिज्जा गरछमेरा अइक्कमिया, तं च ण रवर्मियं तुज्य पवयणदेवथाए, जहा साहणं साहणीणं च पाणीवरमेवि ण छि(क)प्ये हत्येणावि जंकूवतलायपुरख रिणि सरिथाइ. मनिगयं उदगंति, कोवलं तु जमेब विशहियं वरगयसयल. दोस फासुगं तस्स परिंभोगं पन्नतं वीयराहिता सिम्यवेमि एसा ह दूराथारा जेणाभावि काविण एरिसमा. यारं पवतेति चिंतिकणं अमुगं 2 घुण्णजोगं समुहिसमागा. ए पक्वित्तं असणमझमि ते देवयाए, तंच ते गोवल - विश्वउं सक्कियंति देवयाए चरियं, एएण कारणेणं ने सरीरं विडियंति, ण उण फासुगपरिभोगेणंति / गह गोयमा! रज्जाए विमावियं जहा-एवमेयं या अन्नहति, Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमों विभाग:: चिंतिण विनविभी ऊबली - जहा भय अभई जहुतं पायरिंधनं चरामि ना कि पन्नप३मज्म एवं तj सभी कोवलिणा भणियं-जहा - जद की पायधित पयह ना पन-- प्पड़, रज्जाए भणियं. जहा भय। जहा तुम चिय पायच्छिसं पयसि, मन्नी की परिसमहप्याली कवलिणा भ. णिय- जहा दुक्करकारिए। पथच्छामि अहं ते पच्छितं नवरं परितमेव णन्धि जेय ते सुद्धी भरज्जारज्जाए मणिः यं-न्यवं, कि कारणति केवलिणा भणियं-जहाजं ते. संजइवरपुरओ गिराश्यं जहा मम फासुथपाणगपरि भीगेटा सरी विडियंति, एयं च दुटपावमहासमु.. दाएक्कापिंड तुह अयणं सोप्या संवुद्धाभी सवाओ चेव इमाओ सजईओ चिंतियं च श्याहिजहा-निछ. यो विम-धामो फासुगोरगं, तयझवसायस्सालो इयं निहिय गरहियं चेयाहि हिन्नं चमर एयाण' पायतिं 9 / एचएण तयणदीसे ते समः जिय अध्यतमविरसदाला बद्ध युट्ठनिकाइयं तुंग पावरासि त च नए कुठभगदरजलोदरवाउगुम्मसासनि. रोहहरिसागडमालाहि भोगवाहिवेयणा परिंगयसरीमाए हारिद्ददुक्रवद्रोहगमयसमस्याणसंनाबुवेगस डीवियपजालियाय भणहि भवाहणेहि सुरीह कालेणं तु अ. हन्नि साणु भनेय , एएणं कारणेणं एसेमा गोथमा सा सजजिया जाए अगीय पत्त दो से वाथामे तेव ए महत दूवाबापावकम्म समन्जियति 11.0 // भ.गायधनोसेण भावसुदिप पानए, विणा मा वावसुदोए सकसुरमयसो मुणी भत्रे ...6 // अगुथरेकलुख हिययत्त, अगीययनदोसो। काऊण लक्षण - ज्जाए, पत्ता दुक्म परंपरा // 207 // तम्हा तं णा बुद्धेहि, सबमाण सम्वहा / गीयत्येण भविताणं, कायनं Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमहानिशीधसूत्र अध्ययन निकलुसं मणं / / 20 / / भय! नाहं विधाणामि, लम्षणदेवी हु अज्जिया। जा सकंलुसमगीयत्यत्ता, काउ पत्ता दु. क्ख परंयरा // 209 // - गोयमा' पंचसु भरहेन्तु एरचएसु उस्स रियणीओ. सप्पिणीए एगेगा सव्वकालं चावीसिया सासयमवोरिछत्तीए, 'भूया तह 27 भविस्सई अगाइनिहणाए सुधु. एत्थः। जगनि एव गोयम / एथाए चळवीसि गार' जा गया / / 210 / / अतीयंकाले असीइमा, नाथं जारि सगे अहयं। सत्तरयणी पमाणेणं, देवदाणवपणमिमी / / 211 // सारिसओ चरिमो तिपयरो. जया तथा जंबुदाडिमो / राथा भारिया तस्स, सरिया नाम बहस्सूया // 212 / / अन्नथा सह दइएणं, धूयत्ध बहु उवाइए करे। देवाण कुलदेवीए, चंदाइचगहाण य॥२१३॥ कालक्कमे अह जाथा, धूया कुवलयलोयणा / तीए तेहिं कथं नाम,लम्वण देवी अहन्नथा॥२१४॥ जाव सा जोगनणं पता, तावमु का सयवसावरियतीवर पवर णयणाणंदक. लालयं // 215 // परिणियमेतो मओ सोवि भत्ता, 'सा मोह गया पथलं तं, सूथयो परियोण य / तालियरवाएणं, दुम्वेण आत्मासिया // 216 // ताहे हा हाऽऽकर करेऊण, हियथं सीस च पिल्टि उ / अत्तामा चोटर के दाहि, धरित्यू इसदिसासु सा / / 21 / / तुहिक्का बधुग्गरम्म वयोहि तु सरसम्झसं। ग्यिारह कड़वयदिोन्न, जन्नथा तित्थ. करो // 21 // बोहितो भन्बकमलवणे, केवल नाणा दिवायरो। बिहरतो आगो तत्व, उज्जामि समोसढी // 219 // तस बंदणभत्तीए, संतेउरबलवाहणो / सविड़ढीए गओ राया, 'धम्मं सोऊण प-वइओ // 220 // . नहि तेउर सुयधूओ, सुहपरिणामो अमुशिओ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15] श्री आगमसुधासिन्यु:: दशमो विभाग: उरग कठं तब धोरं, दुम्करं अणुचिठई // 221) / अजया गणिजोगेहि, सब्वेऽवी ते पसिथा। असझाइ. ल्लियं काउं, लस्रवणदेवी ण येसिया // 222 // सा एगंते. वि चिट्ठंती, कीडते पक्षिसल्लए। रणथं विचिंतेह सहलमेयाण जीवियं // 223 // जेणं पेश चिडयम्स,संघ. ती चिडल्लिया। सम पिययमंगेसुं, निबुरं परमं जो // 224 // अहो तिथंकरेणऽम्ह, किम चमखुदरिसणं, पुरिसेपीरमंताणं, सवहा विणिवारियार 25 / / ता गिदम्खो सो अन्नेसिं, सुटुकरवं ण याणई। अरगी दहणसहाओवि, दिदिडगे ण गिड्डहे // 26 // अहवा नहिं न हि भगवं / तं, आणार्वितं न अन्नहा / जेण मरम्ण की पकरी पम्खभियं मणं // 27 // जाया पुरिसाहिलासा मे, जाणं सेवामि मेढ़यां / जं सुविणेवि न कायन्वं, त मे अज्ज विचिंतिय // 228 // तहा य एत्य जम्मंमि, पूरिसो तार मणेणवि। णिरिओ एलियंका. ल, सुविणतवि काहिंचिनि // 229 // ता हा हा हा दुराधारा, पावसीला अहन्निी / अहटमटाई चिंतती, तित्ययरमासाइमो / // 230 // तिघयरेणावि अत्यंतं, का कड्यड वयं / इ. इधरं समादिदर, उग्णं घोरं सुधरं // 231) / ता निवि हेण को सक्को, एवं अणुपाले ऊर्ग। वाथाकम्मसमायर णवि, रक्खं गो तइय मयं // 232 // अहया चिंतिज्जइ दु. क्वं, कीर पृणा सुहेण या ता जो मणसावि कुसीलो, स मुसीलो सब्वकज्जेसु // 233 // ताजं एन्थम स्थलिय, सहसा तुडिवसेण मे। आगय तरस पच्छित्त, आलोत्ता लहं चरं // 234 // सईण सीलवंतीणं, मझे पदमा महा. sऽरिया / धुरंमि हीथए रेहा, एवं सरगोवि धूसह 235 // तहा य पायधूली मे, सम्वोधी वदर जणो / जहा बिल 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 मी महानिशीथसूत्र:: ययनं 159 सुझिज्जएमिमीए, इति पसिद्धा अहं जगे ॥२३६ाता / आलोयणं देमि, ता एवं पथडीभवे। मम भायरो पिया माया, जाणिस्ता इंति स्विए // 237 // अहया कहविपमा. एणं, जं मे मणसा विचिंतिथं / तमालोक्यं नधा,मझ वग्गस्स को दुहे 1 // 238 // जायेयं चिंति गरछे, तावुठंतीए करणी फुड़ियं दसति पाथयले, ता णिसत्ता यड़ ल्लिया // 239 // चिंते अहो एत्य जम्मंमि, मज्झ पायंमि के. रगं / ण कयाइ खुत्तं ताकि,संपयं एत्य होहिई 1 // 24 // अहवा मुणियं तु परमत्थं, जाणगे (मए) अणुमती कया। संघरतीए चिडल्लीए, सील तण विराहियं // 25 // ' मूर्यधकारबहिरंपि, कुठं सिडिविडियं विडं / जाव सीलं नखंडे, ता देवहिं धुवई२१२॥ कंटगं चेव पाए मे, खुत्तमागासगामियं। एएणं जं महं चुक्का, तं मे लाभं महंतिथं // 243 // सत्तवि साहाउपायोले, इत्थी जा मणसाविय। सीलं खंडेई साणे, कहं जगणीए में मं? // 254 // ताण णिवडई वज, पंसुविट्ठी ममोरिं। सयसम्करं ण फुहर वा हिथयं महरिगं वरं जा मंथमालोयं ता लोगा एत्य चिंतिही। जहाऽमुगरस ध्याए, एथं मणसा. अन्झवसिथं // 256 // तं नं नहवि पओगेणं, परववयुसेशालोमो / जहा जड़ को एयमझवसे, परिधत्तं तरस हो कि ? // 27 // चिय सोडण काहामि, तवेयां तय का. रणं। अंपुण भयवयाऽऽइदलं, घोरमच्यतनितुरं॥२०॥ तं स०वं सीलचारितं. तारिसं जाव नो कथं तविहंतिविहंगणीसम्लं, ताव पावेण वीथए // 29 // अह सा परवएसेणं, आलोएता तवं चरे। पायच्छितनिमि. तण, पन्नासं संवरछरे // 25 // छठ मइसम दुवालसेटिं, लथाहिं जेई इस बरिसे। अकयमकारियसंकप्पिए हिं, परिभूया भुज्ज) भिनख Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110 भी आगमसुधासिन्धुः: शमो विभाग: पहिक्कमेत्ताण पक्किमणकालं जाव सम्झायं न करेज्जा दुबालसं, पमुत्ते दुसुमिणं वा कुन्सुमिणं वा उरणहेज्जा सएण ऊसासाणं काउन्सग्गं 42 // रयणीए डीएज्ज वा खासेज्ज वा फलहगपीढगदंडगेण वा खुटुक्कगं पउरिया समणं, दिया वा राभोवा हासखेड्ड. कंदप्पणाहवायं करेजा उवारण एवं जेणं भि. क्खू सुताइक्कमेणं कालाइक्कमेणं आवासगं कुव्वी था तस्स णं कारणिगस्स मिरधुम्कडं गोयमा पाथछितं उवइसेज्जा,जे य गं. अकारणिगे तेसिं तु गंजहाजोगं चउत्थाइ उवएसे,जे गं भिक्खू सहे करेज्जा सङ्के उवइसेज्जा सहे गाढागाटसहे य सम्वन्ध पापयं पत्तेयं सबपएसुं संबल्यावेय-वे 44aa एवं जे गंभिक्कू आ- .. उकायं वा तेउकायं वा इत्थीसरीरावयवं वा संघरजा नो णं परिमुंजेज्जा से गं तस्स पणुवीसं आयंबिलाणि उवासेज्जा,जे उग परि जेज्जा से गं दुरंत पंतलम्सणे अदब्वे महापावकम्मे पारंचिए, अहा णं महातबस्सी हवेज्जा तो सत्तरं मासखमणाणं सयरिं अदमासवमणाणं सरि दुवालसाणं सयरिं दसमागं सम्मिट्टमाणं संयरिं छगणं सयरि चऊत्याणं सयरिं आयंबित लाण सरिएगाणाणं पयरिं सुदायामेगासणाणं सथरि निधिगइयाणं जाव णं अघुलोमपडिलोमेणं नि. हिसेज्जा 45 / एयच पायचित्तं जे यणं भिक्खू अवि. स्संतो समगुरज्जा से णं आसण्णपुरम्खडे नेये 1 भय। इणमो सय सयरिं अणुलोम पडिलीमेणं केवश्यं कालं जाव समाहि ?, पोथमा। जाब णं आधारमग्गं वा(गाएजा 1 / भयवं। उड्ढं पुरहा, गोयमा / उड़दं केइसमणुहेज्जा Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 श्री महानिधिसूत्र :: अययन पज्जले रदं / शेखणा फुरफुरंती सा, जातिथहे के चिराइ // 267 // निसाए निभरं सायं, खंडोठी ताव पिछ / तं ददई या चुल्लिं, दित्तं घेत्तुं समागथा // 26 // तं परिघरियां गुज्झते, फालिया जाव हियययं / जाव दु. क्वभरमकता. चलघुलेबील्ल करेसा // 29 // नासा पुणो विचिंते, जावजीवं ण उड्डए / ताव देमी से दाहाई, जा मे भवराएऽवि // 27 // . न नई पिथथमं काउं. इमामो पहिसभरंति था। लाहे गोयम / आणे, चक्कियसालाउ अरामयं // 27 // तावितु मुलिंगमेल्लंत, जोगीए पक्चिन फुलं / एक दुख. भरमकता, ती मरिऊण गोयमा / // 272 // उखन्ना चक्कवहिररस, महिलारयणतेण सा। इओय रंडपुत्तस्य,महिला ते कलेवरं // 273 // जीवन्झियंपिरोसेण, धेनुं सुसु. हमयं सा / साणकारामाही, जाव पत्ते दिपो दिन // 21 // तार रंडापुत्तोविबाहिरभूमोउ आगी। सोय पशुणे णाउं, वह मणसा रियायि। गंतण साहपामल पन्ना काउ नि हो // 20 // अह सो लम्वयादेवीए, जीवो मंडो. दतीयत्तगा। इत्थीरयणं भक्तिाणं, गोथमा! अदिउथ सो // 276 // तन्ने रइयं महादुकावं, अघोरं दारयंत. हिं। निकोटो निरयावासे, सुचिरं दुल्वेण वे // 20 // इहागओ समपन्नो, तिरियजोगीए गोथमा।। साणलेणाह मथकाले विलम्गो मेहणे तहि // 27 // माहिसिएणं कानो घाओ, विच्चे जोणी समुच्छला / तत्य किमिएहि दस वरिसे, स्वदो मनिऊण गोथमा ! ॥२७६॥उवबन्नो सत्ताए, तोनि मरिण गोथमा।। एगणं जाव सथवार, आमगठमेन्सु पच्चिभो // 20 // . जम्महरिहस्स गेहमि, माणुस समागओतत्य दो मासजाथम्स, साया पंचत्तमुबगथा // 20 // ताहे 28TRESSEEEEEEEE Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BRAHERROREA २ातत्यथ / श्री आगमसुधासिन्धु: :: दशमो विभाग: महया किले सेणं, धन्नं पाउं घराधरिं। जीबायेऊणजणगे, गोउलिस्स समल्लिओ // 28 2 // तहियं नियजणणिरछीरं, आश्यिमाणे निबंधिउं / (छावरुए) गोणिो हमाोणां, जं बदं अंतराश्यं // 283 // नयां सो लवण. उजाए, कोडाकोडीभवंतरे। जीयो धन्नमलहमायो / (बसंती उज्झंतो नियलिज्जती हम्मतो दम्मतो) विछो इज्जंतो यहडिओ // 24 // उरवन्नी मणुजोगीए , डागिणितेण गोथमा।। तत्थ य सायायपालेह, कीलिउं डिउं गया // 25 // तओ उव्वरिटमणिहइं, लर्दु माणुसत्तां / जत्य य सरीरोसेणं, एमहतमहिमंडले // 26 // जामडजामघडियं वा, यो लदं वेरतियं जहिय। पंचव उ घरे गामे, नगरपुरपरयोसु गीयम। मणुयत्ते, गारयदुक्याण सरिन्मए / अयोगे रणरण्णेयं, घोरे दुक्वेऽणु भोत्तुणं // 28 // सो लक्षणदेवीजीवी, सुरोदज्झागदीसओ / मरिऊया स्तमि पुढवि, उनबन्नी वडोहणे // 29 // तत्थ यतं तारिसं दुकरवं, तित्तीसं सागशेवमे / अणुभविकणं उववन्नो, वंशागोणितणेय य // 29 // स्वेत्तवलगाइं चमती,भंअंती य चरंति या सा गोणी बहुजणोहेहि मिलिऊयागाहपंकवलए य. वेसिया // 291 // तत्य खुत्ती जलीयाहि, लसिज्जंती तहेव य / कागमादीहि लप्यंती.काहाविरठा मरेउणं // 292 // ताहे विजलधन्ने रण्यो, मलहेसे दिठीविसो सध्यो होङया पंचमगं, पुढवि पुणरवि गओ // 293 // एवं सो लक्षणज्जाए, जीवो गोथमा / चिरं। घण घोर. टुक्रुसंतत्तो, चउगइससारसागरे // 294 // नारयतिरियः कुमणुए मुं, आहिंडिता पुगोविहं / होही सेणियजीवस्स, नित्य पउमरस युजिया // 295 // तत्यय दोहा या FREE Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथसूत्रं ययन मा, गामे नियजगणीओविय। गोथम, दिटठा न कम्मा. वि, अरीय रइहा तहिं भवे // 29 // ताहे सत्वजणेहिंसा, विथगिज्जसिकाउणं / मसिगेलयविलितंगा, खरेलढा भमाति // 27 // गोयमा। ओ परख पक्रयेहि, वाइयवरवि. रसडिमिं / निहाडिहिईण अन्नत्य, गामेलहिहिर पविसि॥२९॥ नाहे कंदफलाहारा, रन्नवापे संति था। दहा) मधुदरेण वियणता, णाहीए मझदेसए॥२९९॥ तभी सव्वं सरी से भरिपुत्राण या तहि तु विनुप्पमाणीसा, इसहघोरदुहाउरा // 30 // विथाणिता परमति पयरं, तप्पटसे समोस] / पेच्छिही जाव ता तीए, (अन्ने सिमवि बवाहिथणापरिगयसरीराणं तद्देसविहारिभवसत्तागं नरनारिगणाणं तिथियरसणा चेव ) सम्बद्रक्वं विणिठिही // 301 // ताहे सो लक्वणज्जाए, नहियं खुन्जियति जिओ। जोयम! घोरं तवं चरिउं, दुम्वाणा अनं गछिही॥३०२॥ एसा सा लक्षणदेवी,जा अगीयत्वदोसओ / गोथम। अणुकलसचितेणं, पत्ता दुस्वपरंपरं // 303 // जहा गं गोयमा / एमा, लक्षणदेविजथा त. हा। सकलसरिने अगीयत्धेऽणते पत्ते दुहाबली ॥३०४॥त. म्हा एवं विद्याणित्ता, सवारी सव्वहा / जीयत्यहि भ थव्वं, काय-वं तु (सुविसुद्धमूनिम्मल विमलनीसल्लं)नि. कलुसं मांति बेमि // 30 // पणयामरमरुयमधुठच. लणसथवत्तजयगुरू!। जगनाह / धम्मतित्यथर, भूयभः विस्स वियागय / // 36 // तवसा निकम्मंस वंमहरइरविधारण / चउकसायनिदवण, सव्व जगजीवनरल // 30 // घोरंधचारमिततिमिसतमतिमिरणासण। लोगालोगपगासगर मोहनरिनिसुंभण // 30 // इन्झिथराग. दोसमोहमोस सोमसतसोम सिवकर / अतुलिथबलविरिथमाह प्यथ, तिहुयणिक्कमहायस // 309 // निरुबमस्व अ. KAREERRRRRRE Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ పోలిక కు కు కు भी आगमसुधासिन्धुः:: दशमो विभागः / णग्नसम, सामयमुहमुस्यदायग / सव्वलक्षण संपन्न, लिहुयणलच्छिवि भूसिया / / 310 / / - भय। परिवाडीए, सव्वं जंकिंचि कीरए / अ. धक्के हुँडिदुद्धेयं, कज्जतं कत्थ लगभई 1 // 311 / / सम्मरणमेगंसि, वितिथे जम्मे अणुब्बए। ततिए सामाश्थं जम्मे, चउत्थे पोसह करे // 312 // दुद्धरं पं. चमे बंभ, छठे सत्चित्तवजणं / एवं सत्तठनव- . इसमे जम्मे उहिटठमाड्यं॥३१३ चिरस्कारसमे जम्मे, समणतुल्लगुणो भवे / एथाए परिवाडीए,सं. जयं किं न अक्वासि 1 / / 314 // जे पुण सोया मइवि. गलो, बालथगो उब्विथा केरिसस्सव सई जगइ, जउइसिनासे दिसोदिसिं // 315 // तमीरिसं संजमं नाह!, सुदल्ललिथा 3 सुमालया। सोऊयपि नेरछति, तणुदी. सू कहं पूण // 316 // गोयम। तित्थंकरे मोत्तुं, मन्नो दुल्ललिओ जगे / जई अन्धि कोई ता भणउ, अहाणं सुकुमा. लओ 1 // 317 // जाणं. गल्भत्थाणंपि देविंद्रो.अमयमंगु. यं कयं / आहारं देइ भत्तीए, संथवं सययं करे . // 31 // देवलोगचूए संते, कम्मा से गं जहि धरे। अभि. जाएंति तहि सययं, हिरण्णवुटली परिस्सई॥३१९।। गल्भावनाण नसे, ईई रोणा य सत्तुणो / अणुभावेया खथं जति,जायभित्ताण तकवणे // 320 / / . आगंपिथासणा चउरो, देवसंघा महीहरे / अभि. सेयं सब्बिडडीए,का सत्थामे गया // 32 // अहो। लावन्नं कंती, दित्तीसवं अगोवमं। जिणाणं जारिसं याथों. गुटरगं ण तं इहं // 322 // सन्चेसु देवलोगेसू,सबदे. वाण मेलि / कोडाको गुणं काउं, जइवि उपहालिजए // 323 // भह जे अमरपरिगहिया, नायालयसमन्निया। कलाकलाबनिलभा जणमणायांकारया // 324 // सयणबंध SSSSSSSSSSSSSS . Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRRRRR मी महानिशीधसूत्रे अपयन वपरियारा, देवराणवपश्या। पणइयण रियासा, मुगु- / समसुहावया // 32 // भोगिस्सरियं रायसिरि,गोथमा! तं तवज्जियं / जा दियहा केई मुंजंति, ताव मोहीए जाणिउं // 326 // स्वणभंगुरं अहो पयं, लच्छी पावविव. टणी। ता जाणंसावि किं अम्हे,चारितं नाणुचिरिखमो 1 // 327 // जायेरिस मणपरिणाम, ताव लोगंतिगा सुरा। मुणि भणंति जगज्जीवहियर्य तित्थ पवतिहा // 3 // ताहे वोसह चनदेहा, रिहवं सवजयुत्तमं / गोथमा ! तणमिव परिचिच्चा, जं इंदाणवि दुल्लहं॥३२९॥ नीसंगा उरगं कट्ठं, घोरं अदुस्करं तवं / भुयारसवि उस्कदलं, समुप्पायं चरंति ते // 330 // जे पुण खरहरपुरसिरे, एगजम्मसुहेरिणी। तेसिं दुल्ललिथापि, सुविनी हियरिज्यं // 331 गोयम! महुबिंद्रस्सेच, जावइयं तावश्यं सुटं। मरणंतेपीन संपज्जे, कथरं दुल्ललियनणं ? // 332 // अहवा गोयम! पचक्रखं, पेय जारिसर्थ नरा' दुल्ललियं सुहमणुति, जं निसुणिज्जा न कोइवी // 333 // कई का. ति मासलिलं, हालियगोवालत्तणं। दासतं तह पेसतं, गीतं सिप्पे बह // 334 // ीलग्ग किसिवाणिज्य, पाणयायकिलेसियं / हालिहऽविहवत्तणं कई, कम्म कारण घराधरिं // 335 // अत्ताणं विगोवे, दिणिरिणिते अहिंडिलं.. नग्ग्ग्घाडकिले सेणं, जो समजति परिहारmaan जरजुन्न फुरसछिलई कहकहवि ओटणं / जा अज्जा कल्लिं करिमो, फरटं ता तमवि परिह (पहिरणं॥३३॥ तहा. वि गीयमा ! बुज्झ, फुडवियपरिकुडं / एतेसिं चेव मज्झाउ, अणंतरं भणियाण कस्सई // 33 // लीयं लोथाचारंच, चिच्चा सयणकियं तहा। भोगोगभोग दाण च, भोत्तणं करसणासयं // 329. धावि गुप्पि सुइरं, विजिऊण अह.. Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2RRRRRRRARY 87 श्रीभागमसुधासिन्धुः दशमो विभागः। निसं / कागणि कागणीकाओ, अवं पाथ विसोहगं // 30 // कत्थइ कहिचि कालेणं, लम्वं कोहि च मेलिउं। जा एतिरछा मई पुग्ना, बीथा जो संपज्जए॥३४॥ एरिसयं द्वल्ललियतं, सुकुमालतं च गोथमा।।धम्मारंभंमि संपडइ, कम्मारंभे न संपडे // 342 // जेणं जस्स मुहे कवलं. गंडी अग्नेहि धज्जए। भूमीए न हवए पाथ, इत्थी-- लक्रयेसु कीडए // 343 // तस्मावि भवे इच्छा, अन्नं सोऊण सारियं / समुहामि तं देस, अह सो आणं पडिछ3 // 34 // सामभेभीवपथाणाई, अह सो सहसा पनि / तस्स साहसतुलणदठा, गूढचरिएण वयइ // 345 // एगाणी कम्पडावीओ, दुगारन्नं गिरीसिरी / लंछित्ता बहुकालेणं, दुम्ब दुमरखं पत्तो नहि // 346 // दुवं युवामकंगो सो, जा भैमडे घराघरिं। जायंतो छिमस्साइं,तत्य जइ कहवि ण णज्जए // 347 // ता जीवंतो चुम्केज्जा, अह पुन्नेहि समुद्धरे। तो णं परिवत्तिय रे,तारियो स मिहे विसे // 34 // को तं सि परियणो सन्ने, ताहे सो असणादसू / नियचरियं पाथडेऊय, जुझसज्जो भवेउण // 349 // सबबल (जाण) थामेणं, संडावंडेण जुन्झिउं। अह तं नरि निजिणिइ, अहवा तेण पराजिए // 30 // . . बहुपहारगलंत हिरंगो, गथतुरयाउवह) अहोमुहो। गिवड रणभूमीए,गोयमा' सो जथा तया // 35 // तं तस्स दुल्ल लियतं, सुकमालतं कहिए जो केवलं सहत्येणं, अहोभागं च धोविर 352 // निच्छतो पायं उवि, भूमीप न कयाइवि। एरिसोऽवीस टुल्ललिओ, एथानन्थमुवागओ // 33 // जइ भन्ने धम्मचिठे ना, परिभण न सक्किमो। नी गोथमा। अहन्नाणं, पावकम्माण पाणिणं // 35 // धम्मदताणमि मई न कयानि भबिस्सए। एएसिसी धम्मो, शक्कजं- . मीण भासए // 3 // जहा स्वंतयियंताणं, सबं अम्हाया हो. BREEEEEEEEERE Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GREE महानिधिसून:: हि। ताली जमिछे तं तस्स, जद अगुकलं पवेयए / 356 // ता थनियमविहणावि, मोकवं इति पाणिणो। एएएने या रूसंति, परिसं चिय कहेयन्वं / / २५॥णवरं ण मोक्यो एयाणं, मुसावायं च आंबई। अन्नं च रागं हीसं च मोहंच, भयरधंदाणवर्तिणं॥२५॥ तित्थंकराणं णो भूयं, गो भवेज्जा उ गोयमा।। मुसावार्थ या भा. संते, गोयमा ! तित्थंकरे // 259 // जेणं तु केवलनाणेणं ने पच्चस्यगं जगं। भूयं भवं भविस्सं च, पुन्नं पापं / नहव य॥३६०॥ . जंकिंचि निसुवि लीएम, तं सव्वं तसि पाथर्ड / पाथालं अवि उन्मुहं, सणं एज्जा अहोमुहं ॥३६॥.पूणं तित्थयरमुहमणियं वयणं होजन अन्नहा। नाणं ईसण चास्तिंन. वंबोरं सुदुम्करं // 362 // सोगदमग्गो फुडो एस, पलबंती जहथि / अन्नहा न तित्यथरा, वाया मणसा यकम्मणा // 363 // भगति जइवि भुरणस, पलयं हवा तस्व. णे। जं हियं सबजगजीवपाणभूयाण केवलं, तं अणुकपाए तित्यथरा, धम्म भासंनि अक्तिहं // 364 // जेणं तुस मणुचिन्नेणं, दोहादुक्खदारिदारोग-सोगबुगइभयं / ण भविज्जा उ विएणं, संतो-वेवगे नहा // 365 // भयवं. को एरिस भणिमो, जर घंई अणुवसय / वरमेयं पु. रछामो, जो जसम्के सनं करे? // 366 // गोथमा! रिसे जुतं, खणं मणसा विचिंति। अह जर एनं भवेणार्थ,ता, वं धारे हअं बलं // 36 // धयरे खंडरबाए, एस्को स. क्कर खाइयं / अन्नी समंसमज्जाई, अन्नो रमिऊण एसि. यं॥३॥ अन्नो एथपिनो सम्के, अन्जो जोपर पम्पयं / अमो चडवडमुहे एसु (अन्नो एपि) मणिऊण ण संस्तुणोई // 36 // चोरियं जारियं अन्नो, अन्नो किंचिण साकुणोई भी सु. भोत्तुं सपत्पारिए, सम्के चिदमेतु मंचगे // 30 // RESEREEEEEEEEE Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YADRAPARDA भी आगमसुधारिसन्यु::: देशो विभाग: मिरामि दुक्कडमियं हत, एरिसं नो भणामऽहं। गोथमा ! अन्नंपिज भणसि, तंपि तुज्य कमऽहं // 37) एन्थ जम्मे नरी कोई कसिणुगं संजमं तवं जी सक्का काउंजे, तहवि सोगइपिवासिओ॥३७२॥ नियम परिवरवीरस्स, एगं बालग्प्याडयां। रथहरणस्से गियंदसिर्य, एसियंत पाशिधारियं ॥३७३॥(सकुणोइ) एथपिन जावजीवं, पाले ता इमस्सनी / गोथमा। तुभ बुद्धीए, स.. दि वेत्तस्साओ परं॥ 34 // मंडवियाए भवेयर, दुक्करकारि भवेत्तु थ। णवरं एयारिसं भक्थिं, किमठं गोथमा! पथं 1 // 37 // पुणी तं एवं पुरधमी, निधिको चउन्नाणी, ससुरासुरजगपूडए / निच्छियंसिम्झियब्वेऽवि, तमि जन्मे न अन्नए,जम्मे // 376 // (तहावि) अणिहिला बलं विरियं, पुरिसथारपरम्तमं / उरणं कठं तवं घोरं, सक्करं अणुचरंतिते // 37 // ता अन्ने सुर्वि सत्तेसुं, चउगइसंसारक्खभीएसु (जं जहव तिथयरा भति) तं तहेव समयुठेय, गोयम / सव्वं जटिग्यं // 37 // जे पुण गोयम' ते भणियं, परिवाडीए कीरत / अथक्के झुन्डेिणं,क ज्जतं कत्थ लभए ? // 37 // तत्थरि गोथम! दिठंतं, महासमुहंमि करछभो / अन्नेसि मगरमाहीणं, संघट्टा भीउवटरो // 30 // बुडनिब्बुड करेमाणो, (सबलीसल्लो भली) पेल्लापल्लीए कत्थई। ( उल्लीरिती) तो णासंतो धा. तो, पलायंती दिसोदिसिं // 31 // उछल्लं परछल्लं हीलण बनविहं नहिं / सहतो धाममलहतो, सणानिमिसं. पि कत्थई // 32 // कहकहवि दुक्खसंतनो, सुबहुकालेहि / तंजलं। अवगाहिती गी उवरिं, परमिणीसंडसंघणं / / / 3.3 // छिडई महथा किलेसेणं, लद्धं ता तत्थ पेछई। गहनम्वत्तपरिथरिथं कोमाचं खहेमले // 34 // PatarPAPMAP DochaPage Pac M Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीधसूत्र :: अध्ययनं० दिप्यंतकुबलयकल्टारं, कुमुथसयम्सवणप्फ कुरुलियंने हंसकारण्डे, चम्चबाए सुगइ थ // 35 // जमटिठं, सप्तसुचि साहासु (अब चंद्रमंडलं)। तं दृटुं विम्हि. मो खणं, चिंते एयं जहा होही // 36 // एयं सगं . ताऽहं, बंधवाणं पसिमी। बहकालेणं गवेसे.ते थे. तूण समागओ // 37 // पण घोधियाररयणीए, भव. कियह चनहसीहि तु / ण पेच्छे जाव तं रिद्धिं, बहुकाल. निहालि // 388 // पूण करछभो नु जह उ, तहावितं रिविं न पेरछा / एवं चउगईभवगहणे, दुल्लहे माणुसत्तो। 389 // अहिंसालकवणं धम्म, लहिऊ जी पमाथई।सोपु. ण बहुभवलम्वेन्यु, दुकवेहि माणुसत्तण, लद्युपि न लभई धम्म, तं रिद्धि करछमी जहा // 390 // दियहाई हो व तिन्तिव, अद्धाणं होई जंतु लगे ण। सव्वायरेण तरसवि, संवलयं लेइ पविसंतो // 31 // जी पुण रोहपासी घुलसाईजोणिलकवनियमे / तस्स ... तवसीलमइयं संबलयं किं न चिंतेह 1 / 392 // जहर पहरे . दियहे मासे संक्रछरेय वोलंति। तहर गोयम जाणसु ट्रम्पले आसन्नर्थ मरयां // 36 // जर न नज्जइ कालं न य ओला नेय दियहपरिमाणं / नाराव नाथ कोवि जंगमि अजरामरी एत्य // 394 // पावी पमायसी जीवो संसारमज्जमुज्जुत्तो। दुस्खे हिं न निचिन्नो सुकवेहि न गोथमा। तिप्पे // 395 // जीवेण जाणि उ विसज्जियाणि जाईसएसु देहाणि / धेहि तभी सचलपि तिडयां होज पडिहत्य // 396 // नहदंतमुह भमुहल्लिकेस जीवेणा विप्पमुम्केसुवि। तमुवि हविज्ज कुलसेलमेश गिरिसन्निभेकडे // 397 // . हिमवत मलयमंदर दीवो दाहिधरीणसरिसरामीओ। अहिथयरो आहारी जीवेणाहारिभो भतहतो // 39 // गुरुक्य- . भक्त रस उन सुनिवाए जं जलं गलियं / तं अगड. Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 120] श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: तलायनईसमुहमाईसु णवि होजा // 399 / / आवीयं धगधीरं सागरसलिलाउ बहुथरं होज्जा। संसारंमि अणेते अबलाजोगीए एस्काए // 400 // - सत्ताहविवन्न सुकुहियसाणजोगीए मज्झसमि। किमि यत्तण केवलएण जाणि मुक्काणि देहाणि / / 401 // तसिं सत्तमपुढबीए सिडिवेत्तं च जान उक्लुरुडं / बोहस. रजं लोग व अणंतभागेणवि भरजा // 10 // पत्ते य कामभीगे कालमणं इदं सज्वभोगे / अपुर्व चिय मन्नाजीवी तहवि य विसयसोक्वं // 603 // जनकल्लो (कछु) कंड्यमाणो दुहं मुणइ सोकसं / मोहाउरा मगुस्सा नह कामदुहं मुहं विति / / 404 // जाणंति अणुभवंति य जम्मजरामरयासंभवे दुक्थे / न य विसएसु विरज्जति गोथमा) दृग्गगमणपतिथएजीने // 10 // सवगहाणं पभवो महा गही सवठोसपायट्टी / कामगहो दुरय्या जेण/भभूयं जगं सवातप्स वसं जे गथा पाणी)/०६॥ जाणंति जडा भोगिड्ढि संपथा सबमेर धम्मफलं / तहवि दटमूढहियए पावं काऊगा दोगाई जति / / 809 // वरचइ खणेण जीवो पित्तानलधाउसिंभवोभेहि। उज्जमहमा विसीयह तरतमजोगी इमो दुलहो। 60 // पंचिंदियत्तणं माणुसत्तणं आयरिए जो सुकुलं / साहुसमागम मुणणासहहणाऽ रोग. पवज्जा // 10 // मलअहि विसविसूइयपाणियसत्यारिंगसंभमेहि च / देहंतरसंकमणं करे जीवो मुहत्तेण // 10 // न जावाउ सावरसेसं जाव घेवोवि अधि वसाओ। ताव करेज अप्पहियं मा तयि हहा पुणो परधा॥४१॥ सुरधगुविज्जुषणदिदग्नसंयागुरागसिमिण समं देखेंति तु रियल मम्मथभडं व जलभरियं // 12 // इय जाव ण चुक्कसि एरिसस्स खणभंगुरस्स देहम्स / उग्गं कट्ठं घोरं चरन्सु तनधि परिवाडी // 413 // गोयमोति Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीधसूत्रं : शयनं ‘वाससहरसंपि जई काऊगं संजमं सुविउलंपि। अंते किलि भावी नविज्झ कंडरीब // 414 // अध्येयवि कालेणं केर.जहाँगहियसीलसामन्ना / साहंति निययकज्जं पडरियमहारिसिव्व जहा / / 415 // य संसामि सुहं जाइजरामरण दुकखगहियस्म / जी. वस्स अस्थि जम्हा तम्हा मोक्यो उवाएभो // 4 // सम्वपयारेहि सव्वहा सव्व भावभावंतहिणं गोयमोति मि // महानिसीह-सुथम्बंधस्स छठमझयणं गीयत्ववनहारं नाम समन्तं // 6 // ॥अप सप्तमध्ययनामिका एगंतनिर्जराख्या प्रयमा धूला // भयवं। ता एपनाएणं, जे भणियं आसि मे तुम जहा / परिवाडीए (तच्छ) किन अम्लसि, पायचितं तत्य मन्त्री // 1 // इनइ गोयम! पच्छितं, जब तुमंतमालंबसि। नवरं धम्म विधारी ते, की सुविधारिओ फुडी // 2 // ण होइ तस्स परिछतं. पुणरवि पुछज्ज जोयमा? संदेहं जाव देहत्य, मित्तं तार नियं३मिलेयावि अभिभूए, तित्यथरस्स विभासियं। मां लंबित वरीयं, वाएत्ताणं परिसंति ॥४॥(घोरतमतिमिरवलं. धयारे पायालं), णवरं सुस्थिारि काउं, तित्थायरा स. यमेव य। भणति तं जहा चेन, गोधमा / समणुहिंग्ए॥ अन्धेगे गोथमा! पाणी, जे पन्जिय जहा तहा। अवि. हीए तह घरे धम्मं, जहसंसारा ण सुचाए // 6 // Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 172] - श्री आगमसुधासिन्धुः: शिमो विभाग: से भय / कयरे णं से विहिीसीलोगो ? जीथमा! इमे णं से विहीसिलीगो, तंजहा चिइवंदगं पडिक्कमणं, जीवाइ तत्त स भावं। स. मिइदियदमगुत्ती, कसायनि गहणमुबओगं॥७॥ नाऊ. ण सो पीसत्यो सामाधारिं कियाकलावंच। आलोइय नीसल्लो आगाभा परमसंरिगो॥॥ जम्मजरमरणभीओ, चउगइसंसारकम्मदहणछा। पइदियहं हियएणं एय अणवरयं झायंती ॥९॥जरमरणमयणपउरे रोग. किले साइबहविहतरंगे / कम्म कसायागाहगहिरभवजलहिमसंमि // 10 // भमिहामि भट सम्मत्तनाणचारि. तलवरपोओ। कालं अणोरपारं तं दुम्वाणमल. भंतो // 13 // ता कश्या सी थिहो जत्था सन्तुमितसमपक्खो / नीसंगो विहरिस्सं सुहसाणनिरंतरी पुणोऽभ. व // 12 // एवं चिरचिंतियभिमुहमणोरहीरु संपतिहरिसुल्लसिओ। भत्तिभरनिभरोणयरोमंचकंचुयपुलइथंगो . // 13 // सीलंगसहस्सारसह धरणे समोध्यकधी। छत्तीसायाक्कंठनिद्वविधासेसमिछत्ती॥१॥ पडिज्जे पबज्ज विमुक्कमयमाणमरणरामरिसो। निम्ममनिरहंकारी विहिणेवं गोयमा! विहरे // 15 // विहग श्यापडि. बद्धी उजुती नाणसणचरिते / नीसंगो घोरपरिसहो. वसग्ग्राइं पजिणंतो // 16 // उग अभिगह पडिमाइ रागदोसेहि हरतरमुस्को / कवटज्माणविवन्जिओ य वि. गहासु से असतो॥१७॥ जो चंदोण बाई आलिंपवा. सिणा व जो नछे। संधुणइ जीभ निंदई समभावो हु. ज्ज दुण्हपि // 18 // एवं अणिरहियबलविरिपुरिसक्कारपरक्क. मी समामण) तणमणि लिकंचणी चेन परिचत्तकल. तपुत्त सुहिसयण मेतबंधव धणधन्न सुवन्नहिरण्य मणि * Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 13 श्री महानिरीधसूनं : अध्ययन रयणसारमंडारी अंचंतपरमरगवासणाजणिय पवरसुहज्झवसायपरमधम्म सद्धापरी अकिलिटठ निक्कलुस. अहीणमाणसो वय (पथ) नियमनाणचारिततवाइसथलभु. वणिक्क मंगल अहिंसालकवण खंताश्ट्सविहधम्माणु गणेक्वंतबद्धलम्चो सम्बावस्सगतम्कालकरणसञ्झायज्झाणमाउत्तो संवाईथअणेगकसिणसंजमपएसु अविश्वलिओ संजय विरयपडित्यपरचकवा. थपॉवकम्मी अणियागो मायामीसविवन्जिी साडू वा साहुणी वा एवंगुणकलिओजइ कहवि पमायहीसेणं असई कहिंचि कत्था वाथाइवा मण: साइवा. कायेणे वा तिकरणविसुद्धीए सबभा. वंतरहिं चैव संजममायरमाणी असंजमेणं उले. ज्जा तस्स णं विसोहिपयं पायच्छित्तमेव, तेणं पायच्छितेणं गोयमा! तरस विसुर्हि उवदिसिज्जा, न अन्नहन्ति, तत्थ णं जेतुं गगन्यु जन्य जत्थ जावश्यं पच्छित्तं तमेव निटकिय पछि भन्नइ 1 / से भयवं! कामठेणं भन्नइ जहा गं तमेव निरंकियं भन्नइ ?, गोधमा / अणंतराणंतरक्कमेणं णमो पछित्तसुत्ता, अणेगे भवसत्ता चउगइसंसारचारगाओ बद्धपुट्ठनिकाइयटुबिमोक्षधोरयार. कम्मनिथडाई संचुन्निऊ] अचिरा विमुचिहिति . अन्नं च-इणमो पत्तिसुत्त भोगगुणगणाइन्नस्स दवयचरित्तस्स रंगतेणं जीगरसेव विवक्खिए पएसे चउकन्नं पन्नथनं, (णाकण्णं,तह यजस्स जावइएणं पायधिलेणं परमविसोही भवे. ज्जा तं तप्स णं अणुयत्तणाविरहिएणं अम्मेम्बरसि एहिं वयहिं जहदिव्यं अणूणा हिथं तावइयं चैव ' पायच्छित्तं पय छज्जा, एएणे अणं एवं बच्चड Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ s] श्री भागमसुधासिन्धु: :: दशमो विभागः जहा णं गोथमा। तमेव निकिथं पाछितं भन्नर २॥सू०१॥ से भय। कविहं पायरिछत्तं समुवी गोयमा ! इस विहं पायरिंधत्तं सुवरदठं, तं च अणेगहा जावणं पारंचिए ॥सू०२।। से भयवं। केवइयं कालं जाव मस्स णं पायधित सुत्तस्सागुठाणं वहिली, गीथमा! जाव णं कक्की णामे रायाणे निहणं गरिध्य, एक्काजणाययण मंडियं वसुहं सिरिममे अणगारे भय! उड्ठं पुछा, गोथमा। उड्ढे न केई एरिसे पुण्णभागे होहि जस्स णं इणमो सुथरबंध उवासेजा २॥मा से भय / केवस्थाई पायत्तिस्स गं पधाई गोथमा ! संवाइयाई पायचित्तस्स पचाई से भयवं। नसिं गं संखाइयाणं पायधित्तयथाणं किं तं परमं पा. यरित्तस्स गं पमं? जोधमा / पइदिणकिरियं / से भयवं! किं तं परिणनिरिय' गीयमा। जमणु समथाहन्निसा पाणावरम जावागुठेय वाणि संवजाणि मा. वस्सगाणे 3 / से भयवं। केणं अहठेणं एवं बुध्यक्ष जहा णं आवस्सगाणि ? गोथमा। असेसकसिणठकम्मम्खय. कारि उत्तमसम्मइंसणनाणचारित्तअच्चंतधोरवीगकठए(सुदुक्करतवसाहणठा सुपरविज्जति नियनियवि. भन्तुदिपरिमिएणं कालसमएणं पयंपयेणाहन्निसाणुसमयमाजम्मं अवस्समेव तित्यथराइसु कीरति अगुः दिउज्जति उवइसिज्जति परूविजंनि पनविनंति सययं,एए. णं महणं एवं उच्च गोयमा ! जहा णं आवस्सगाई ४ाते.. सिंचणं गोथमा! जे भिक्खू कालाइक्कमेणं वेला कमेणं समथाइमकमेणं अलसायमाणे अगोवउत्तयमते अविहीए अन्नेसिंच असलं उप्यायमाणो अन्नयरमारम्सगं पमाइय संतेणं बलवीरिएणं सातलेहताए Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिराशयसूत्रं धरन जालंबणं वा किंचि घेण चिराइयं पउरिय णो णं जदतथालं समगुरेज्जा से या गीथमा। मगयायरिती भवेज्जासू०४॥ से भयब कि तं विदयं पारित्तस्स णं पय” गोयमा। बीयं तश्यं चउत्थं पंचम जाव णं संम्वाश्याई पायच्छित्तस्स णं पधाइ तारणं पत्थं चेव परमपाय. जितपए संतरोगथाइसमणविंदा 11 से भयवं। केणं बरठेण एवं वाचन गोथमा। जीणं सब्बावस्सगकालाणुयेही भिकाय गं रोहट्टज्माणरागदोसकसायगावममकाराइस् ण अणेगपमायालंबणेसु च सबभाव भावंतरंतरेहि अच्चतविप्पमुखको भ. वैज्जा, केवल तु नाणसाचारितं तवोकम्मसन्झाय ज्माणसधम्मावसाणे (सगे सु अच्चतमणियस्थिबलबीस्थिपुरिसकारपरक्कमे सम्म अभिरमेज्जा,जाव णं सम्मावस्सगेसुं अभिरमेना नाव ण सुसंकु. डासबहारे हवेज्जा, जॉब या सुसंवुडासवहारे हवेज्जा नाव ण सजीवधीरिए अगाइभवगहणासंचियाणि दुग्द्वकम्मरासीए एगनगिठवणेवक बदलक्यो अणुस्कमेण निसरजोगी भवेत्ताण निहढासेसकम्मणो विप्यमुक्कजाइजरामरणाचउगइसंसारपास्य बधणे य सव्वक्वविमोचवतेलोक्कसिहरनिवासी भवेज्जा, एएया अहण गोयमा एव बुचर जहा णं एत्थ चैव पदमपए अवसेखाइ पायधित्तपथाइ अतरोवगयाइ समाविंदार म०५॥ . से भयव' कयरे से जावेम्सगे ! गोथमा / चिदबंदणादओ 6. से भयर' कहि नावस्सगे अरस ई पमाथदोसेण कालाइस्कमिएइमा बेलाइस्कमिएइ वा समयातिपकमिएइ वा अणीवउत्तपमत्तेहिं अविडीए बा Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 176] श्री भागमसुधासिन्धुः .. दशमो विभाग समगुठिएर वा गोणं जहुनथालं विहीए सम्म अणुठिएइ वा असंपडिठि)एइ वा वित्यपडिए बा भकए वा पमाए वा केवइय पायच्छित्तमुवइसेज्जा ? गोधमा / जे कई भिक वा भिक्षुणी वा संजय बिरयय डिव्यपचक्वाथपावकम्मे दिम्यादिथाप्यभिईओ अणुस्यिहं जावज्जीवाभिग्गहेण सुवीसत्ये भत्तिभरनिभरे जहुत्तविहीए सुत्तत्यमणुसरमाणे अणण्णमाणसेगांगचित्ते तगायमाणससुन झ क्साए भयधुईहि या कालिय चेहए वंजा तस्स ण ए गाए वाराए सवा पायति उवासेजा,वीथाए थ तक्याए उगवणं 2 / अविहीए चेइ. याई वरे तो पारंचिय, जी विहीए चेहयाई वंदेमाणो अन्नेसिं असद्ध सजोईइकाग 3 . जो उग हरियाणि बाबी याणिवा पुकागि वा फलागि वा पूयाए वा महिमरगाए ग सोभरवाए वा सघ. हटेज वा सघदरावेज्ज वा छिदिज्ज वा छिदावेज्ज वा संघरिरज्जनाणि वा छिरिज्जताणि वा परेहि समगुजागेज वा एएसु सम्बेसु उबाग वमों चउत्थं आयंबिले एक्कासंग निविगइय गाढा. गाढभेदेणं जहास्यत्रोणं गेय 4 // 06 // - जे चेहए वदेमाणम्स का मधुणे माणस्य वा पंचप्पथार समाप वा प्रयरंमाणस वा विच करेज वा का. रज्जवा कीरा पति समाजाणेज वा से लम्सए. एसु दुवाल छहर पुम्कामा कारगिस्य 1 . निकागणिगे भवः सन्घर जान पारचिय झाकया बवेजा - स० ण परिमळमा नो परिक्कमे जा से ण नस्सोब। इठावणं नि हे से ज्जा, बबन पडिकलमी या रबमणं, सुन्ना 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免染染免杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 मीमहानिशीथसूत्रं अध्ययनं / ZEGG सुन्भीए अणीव उत्तपमत्ती वा पडिक्कमणं करेजा देवा. लसं, पडिक्कमणकालम्स चुस्कर चउत्थं, अकाल प. डिक्कम करेज्जा चउत्थं, कालेणं वा पंडिक्कमणं णी करेज्जा चत्य, संथारगओ वा संधारगीवविदठो, वा पूडिस्कमगं करेज्जा दुवालसम, मंडलीए पडि. क्कमेज्जा उगवणं, कुसीलेहि समं पस्किमणं 'करेज्जा उवदावणं, परिभदबंभचेरनएहि समं पडि. ककमेज्जा यारंचियं, सबस्स समासंघस्स तिविहंतिविहया खमणमरिमामणं अकाऊण पडिक्कमणं करेज्जा उवठावणं, पयंपएणाविचामलियं पडिक्कमणसूतं ण पयहरेज्जा चढत्य / पडिस्कमणं ण काऊंयां संथारगेड वा फलहगेर वा तुयटेज्जा खमणं, हिया तुयरटेज्जा वालसं, पस्किम काउं गुरूपामूलं वसहि संहिसावेत्तायां ण पच्युप्पेहेर चउत्थ वसाह पञ्चायोगिकण संपएजाजरठं. वसहि असंपरएताणं रथहरणं पचुप्पेहिजा पुरि मधं, रथहरणं विहीए पच्युप्पे हित्ताणं गुरुपामुलं मुंह लगे अपघुम्येहिय उवा संरिमारज्जा पुरिमट, असंदेसावियं उबाहिं पच्चुयेहि ज्जा पुस्विट्ट, अगुवाती उवहिं वा वमहि वा पच्युप्पेहे दुवाल, अविहीए सहि वा अन्नधरं वा भंडमत्तोरणजाय किंचि अयोवस्तपमत्तो पचुप्पे हिज्जा युवालम, वसहिया उहि वा भंडमत्तीवगरणं वा अपडिलेरियं वा दुप्प.डिलेहियं वा परि जे-जा दुवालसंवन्मूहि वा उव. हिना भडमत्तोरगरण वा ण पन्चुपियहिज्जा उव. रावण 2) एवं वसति उहि पच्चयहिताण ज. म्ही पएसे संधारयं जम्ही 3 पाये उवहीए पचुप्पे'तुणं कयं तं धामं पिउणं हलुथहलुयं (लयलय दंडा. RESESSESSSS Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂杂 ३७न श्री आगमसुधासिन्यु:: दशमो विभाग: पुंछगरोण वा श्यहरोण वा साहरेतागं तं च कयवरं पच्युपहिन छप्पथाउ या पडिगाहिज्जा दुवालसं, छापझ्याभी पडिगाहित्ताणं तं च कथवरं परिग्वेकणं ईरियं ण पडिक्कमेज्जा चउत्थं, अपघुप्यतिथं कयवरं परिवेजा उठावणं, जइण छप्पइयाओ हवेज्जा अहा णं नत्थि तओ दुवालसं एवं वसाह उवहिंपच्चीहिऊण समाहि बहरोल्लग चण परिवेज्जा चउत्थ, अणुरगए मूरिए समाहिं वा खयरील्लगं वा परिग्वेज्जा आयंबिलं. हरिय. कायसंसतेइ वा बीयकायसंसतेइ वा . .. तसकायबेइंदियाईहिना संसले पंडिले समाहिंवा खइरोल्लगं वा खरोल्लगंवा परिदम्वे अन्नथरं वा उच्चाराश्यं वा वीसिरिज्जा पुरिमटं एम्कासण. गायंबिल महक्कमेणं, जहां को उडवणं संभवे. ज्जा, अहा गं उद्दवणासंभाविए तभी खमणं,तं च घंडितलं पूर्णरवि पडिजागरिकांनीसंकं काऊ पुणनि आलोएत्ताणं जहाजोगं पायच्छितंण मडिगाहिज्जा तजओ उनठारणं, समाहिं परिदम्येभाणो सागारिएणं संचिकवीथए संचि. नवीयमाणो वा परिवेज्जा खवणं, अपघुप्येहि. यहिल्ले जंकिंचि बोसिज्जा ती उठावणं। एवं वसहि उनहिं पधुध्येहेताणं समाहि खइरोल्लगं च परिवेत्ताणं एगगमाणसो आउत्तो विहीए सुत्तत्थमगुसरेमाणो ईरियं न पडिस्कमेन्जा एककासणगं, मुडणंतगणं विणा ईरियं पडिस्कमेज्जा वंदणं पडिस्कमणं वा करेजा जंभाएज्जवा सन्झायं वा करेजा वायगादी सत्वत्थ पुरिमट 5 / एवंच ईरियं पडिक्कमित्ताणं सुकुमाल पम्हल भचोप्पडअवि ఇక శం Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमहानिसीधसू-स: चिन / 179 क्किट्टेणं अविद्धदडेणं दंडापुच्छणोणं वसहि न प. मजे एक्कासणग, बोहारियाए वा वसहि बोहारि. ज्जा उठावणं, सहीए दंडापुंधणगं दाऊणं कथवरं ण परिवेज्जा चउत्थं, अपच्युपहियं कयवरं परिट्ठ वेज्जा दुवालसं, जहण छच्यइयाउ ण वेज्जा अहनाणं हवेजा तो णं उवगवणं, वत्सहीसंठियंकयवरय चुप्पेहमाणे जाओ छप्यश्याम तत्थ अन्नेसिणं समुच्चिणिय 2 पडिगाहिया ताओ जर ण ण सब्वेसिं भिक्खूण संविभऊणं देज्जा तो एक्कासणणं, जइसयमेवं अत्तणा नाओ छप्पथाओ पडिग्गाहिजा अहणं ण संविभइ हिज्जा य य अण्णाययो पहिगाहेज्जा तओ पारंचियं / एव वसहि रंडापुं. छणगेर्ण विहीए य पमन्जिमणं कयवरं यच्चुप्पेहेमयां छप्पयानो संविभातिकणं च तं कयवरं ण परिबेज्जा परिक्त्तिाणं च सम्मं विहीए अ. च्चंतोवउत्तएगगमाणसेण पथ्य एग तु सुत्तत्योभयं सरमाणे जेणं भिक्खू ण ईरियं पडिक्कमेज्जा तप्स अ आयंबिलं खमेणं पतिं निदेसेज्जा 7 / एवं तु अश्क्कमिज्जा णं गोयमा! किंचूणग हिवढं घडिज पुन्वहिगस्स णं पदमजामस्स, एथावसरम्ह उ गोथमा! जे गं भिक्खू गुरुणं पुरी विहीए सम्झायं सम्सिाविजणं एगणक्तेि सुथाउत्ते दढंधीइए घडिगोणपदमपोरिसी जावज्जीवाभिग्गहेणं अणुदियहूँ अपुवणाणगहगं न करेज्जा तस्स दुवालसमें पछितं निहेसेज्जा, अपुरनाणाहिज्जणस्स असई जमेव पुत्वाहिन्जियं तं सुत्तत्योभयमणुसरमाणो एगणमाणसे न पराक्तेज्जा भतित्पीरायतक्करजणवयाइविचित्तविगहासु अणं अभिरमेज्जा अवं SHREERSHEESE Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRRRRRRRY 10] श्री आगम-सुधासिन्धुः : शमी विभागः दणिज्जे, जेसिं च ण पुवाहीय र पण येव उबनाणगहणस्स णं असंभवो वा तेरिसमरिघडिशूणपठम. पोरिसीए पंचमंगलं पुणो 2 परावंतणीयं, अहाणं णो परावत्तिया विगह कुब्बीथा वा निसामिया वा सेणं अवंरे। एवं घडि गुणगाए पदमपोरिसीए जेणं भिक्खू एगणचिती सज्झायं का ऊणं तसओ पत्तगमत्लगकमठाई भंडीवगरणस्स णं अवक्वित्ताउत्तो विही पच्चूप्येहणं ण करेज्जा तस्स णं चउन्धं प. छित्तं निहिसेज्जा, /भरवसही पच्छितसही अहम सम्बत्य पपयं जीजणीए, जहणं तं मंडोवगरणं भुंजीया अहा णं परिभुजे दुवालसं / एवं अइ. रक्ता पदमपीरिसी. बीयपौरिसीए अत्यगहण न करेज्जा पुरिमइदं, जहणं वक्षाणस्स णं अभावो, महाण बक्वाण जत्न सण सोज्जा अबदन. क्वाणस्सासंभवे कालवेलं जाव बायणाइसम्झा. यं न करेज्जा दुवालसं 10 / एवं पत्ताए कालवेलाए. जंकिंचि अश्यराश्यदेवसिथाइयारे निदिए गरहिए आलोइए पडिक्ले जंकिंचिकाइगं वा वाइगं वा माणसिंगं वा उस्युत्ताधरणेण वा उम्मगायरणेण वा अकय्यासेवणेण वा अकरणिज्जासंमायरोण / वा (दु-झाइएण वा दुन्विचिंतिएमा वा अणाचारसमाचरणेण वा अणिज्यिवसमाथरोग वा. असमण पाउरण समायरोण वा जाणे दंमणे चरिते सुए सामाइए तिण्ह गुनियादीण चहकत्सायाहीण पचण्डं महत्वथाही छयह जीवनिकायाहीणं सतण्ह पिंउमणमाईणं अठण्हं पचय.. णमाइयादीगं जबण्ह बंभचेरगुत्तीर्ण दसविस ण समणधम्मम्स 11 एवं तु जॉर यां एमाइअमेगा REFEREsssss Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ K? भीमहानिशीयसूत्र :: अधरनं 7 लावगमाईणं खंजो विराहणे वा आगमसलेहि गुन्हि पायरिछत्तमुवइट्ठं तं निमितणं जहासतीए अणिहियबलवीरियपुरिसयारपरक्कमे उनसढताए भद्रीणमा. गसे अगसणाइ सबझंतरं दुवालसविहं तवोकम्म गुणमंतिए पुणरवि मिट्टंकिमणं सुपरिपुडं काश्यां तहति अभिनंहिता खंडाखंडीरिभतं वा एगपिंडरिव्य वाण सम्ममणुचेज्जा से गं अवंदे से भयवं? केणं अटेणं खंडाखंडीए काऊगमणुचिठेज्जा गोयमा! जे गं भिक्खू संवरधरद्धं चाउम्मासं मासन्चमा वा एक्कोलगं काऊणं न सम्कुणोइ ते णं घट्ट महसमदुवालसद्धमासक्लमोहिणं तं पायरितं अगुपवेसेइ अन्नमविजंकिंचि पायचित्तायुगयं, एतेण अहोगा पंडावंडीए समणुचिट्ठे 13 / एवं समीगाट किंचणं पुरिमडट एयावसरेमि 3 जे णं पडिक्कमंते वा वहतेइ वा सम्झायं करेंतेइ वा परिभमंतेइवा सं. चरतेश वा गराइ वा ठिएशवा बइठलगेइ वा उदिठयलगेइ वा तेउकाएण वा मुसिल्लियल्लगे भवेज्जा, सेणं आयंचिकणं ण संवरेज्जा तो चउत्थ, अन्ननि तु जहाजोगं जहेव पायश्चित्ताणि पविसंति, तहा सस जीए तबोकम्मं णाणुळे तओ चउग्गुणं यात्छिते तमेव बीयहियो उरईसज्जा, जेसिंच णं वंताण वा पडिक्कमंताण वादीहं वा मज्जारं वा छिदिकणं गयं ल. ज्जा तेनिं च णं लोयकरणं अन्नत्य गमणं तमागं उग. तनाभिरमणं, एयाई ण कुवंति तभी गायबझे, जेणं तु तं महोवसणसाहगं उम्पायगं दुन्निमित्तममंगलावह हविधा, जेणं पदमपोरिसीए वा बीयपोरिसीए वा चंकमणियाए वा परिसक्कएज्जा अगालसन्निहीए वा छड्डीक२३ वा से णं जहचबिहेणं यण संवरेज्जा तो छठं FREERRRRRRRE Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ K7 श्री भागम-सुधासिन्धुः:: दशमो विभागः, -14 // दिया पंहिले पडिलेहिए सभी सन्नं वोसिज्जा समाहीए वा एगासणं गिलाणस्स, अन्नेसिं तु घमेव, जहणं दिया ण धहिलं पच्युयेहियं णो णं समाही मं. जमिया अपघुप्पेहिए डिले अपेहियाए चेव समाहीए रयणीए सन्नं वा काइयं वा वोसिरिज्जा एगास. णगं गिलाणम्स, सेसाणं दुवालसं, अहा गं गिलाणम्स मिक्कडं वा 15 // एवं पदमपोरिसीए बीयपोरिसी-- एवा सुत्तत्थाहिज्जणं मोत्तूणं जेणं इत्यीक वा भत्तकहं वा देसकह वा रायकह वा तेणकहं ना गारत्थिय. कहं वा अन्नं वा असंबद्धं रोद्दटज्झागोटीरणाकहं पत्थावेज्ज वा उहीरेज्ज वा कहेज्ज वा कहावेज वा से गं. बरधरं जाव अवंडे, भहा णं पदमबीयपोरिसीए जहणं कयाई मत्या कारणवसेणं घडिगं वा अघडिगं वान. ज्झायं न कयं तत्य मिरधुम्क गिलाणस्स, अन्ननि निधिगइयं, ददनिठुरतेय वा गिलाणेण वा जाणं, कहिंचि केण कारणेणं जाएणं असई गीयत्ययुरणो भणगुन्नाएणं सहसा कयाही बइठ्ठपडिस्कमणं कयंह वेज्जा तओ मासंजान अवं,चउमासे जार मुणव्वयं च 16 जे णं पदमपोरिसीए अणइमकताए तश्याए पोरिसीए अश्मकताए भत्तं वा पाणं वा पडिगाहेज्ज वा परिभुजेज्ज वा तप्स णं पुरिमड्ढे, चेहएहिं अवंदिएहि उरओगं करेजा पुरिमड्लु, गुरुगो अंतिए णोव भोग करेजा चउत्थं, अकएणं उवओगेणं जंकिंचि पडिगाहेज्जा चरन्थ, अविहीए वोग करेज्जा खवणं 1 // भत्तरगए वा याणगए वा भेसजगए वा सकज्जेण वा गुरुकज्जेण वा बाहिरभमीए निग्गछते गुम्यो पाए उतिमंगेणं संघरलेताणं आवस्सियं ण करेज्जा पविसंते घंघसालाई यो वसहीवारे मिसीहियं ण करेज्जा पुरि Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीयस्: यरनं / मदलं, सत्तण्डं कारगजायाणमस वसहीए बहिनिगच्छे गरछबज्झे, रागा गच्छे ओवावगं 19 // अगीयधस्स गीयत्धस्स वा संकणिज्जस्स भत्तंवा 'पाणं वा भेसज्ज गवत्यं वा पत्तं वा दंडगंवा अविहीए पडिगाहेज्जा गुरूणं च णालोज्जा तइयवय'स्स छे मासं जाव अवंदे मूणध्वयं च, भत्तहाए वा / पाणदगए वा भेसजगए वा सकज्जेण वा शुरुकज्जेण वा पाने गामे वा नगरे वा रायहाणीए वा तिगचउम्लचच्चरपरिसागिहेवा तत्य कहं वा वि कहं वा पत्धाज्जा उबावणं, सोवाहयो परिसके. ज्जा उबटनावणं, उवाहणाउ पडिगाहिज्जा खवणे,तारिसे णं संविहाण उवाहणाउण परिभुजेज्जा खवणं 191. गओ वा लिओ वा केइ पूरो निउणं महुरंधोवं कज्जावडियं अगस्वियमतुरछ निहोस सयलजामणाणंदकारयं इहपरलोगसुहारह वर्ण ण भासेज्जा अवंहे. जइणं नाभिगहिओ, सोलसहोसविरहियंपी ससावज्जं भासेज्जा उवाचणं, बह मा. से उबावणे, पडिनायं भासे उरावणं, कमाएटिं जि(गुज्जे अवंदे 20 / कसाएहिं समुन्नहि मुंजे रयाण वा परिवसेज्जा मासं जाव मूगबए अवंडे य उवद्यावणं च, पररस वा कस्सई कसाए समुहीरेज्जा हरकसायस्स वा कसायबुद्धिं करेज्जा मम्मं वा किंच वाले (आलवे) ज्जा एतेसुंगछबज्झो, फरुसं भासे कु. बालसं, कक्कसं भासे दुवालसं, रखरमरुसकक्कसणिहरमणि भासेज्जा उठावणं, दुब्बोलं देवमणं, किलिकिलिकिधंव) कलह इयंझं डमरं वा क ज्जा गरबज्झो, मगारजगारं वा बोल्ले खवणं, बीय. वाराए अवं.वहतो संघमझो. हयांतो संघबन्झो, एवं ముఖ్యమంతం వంశం వరకు Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRRRRRC श्रीभागमसुधासिन्युः। दशमो विभाग: वणंतो भंजतो हसंतो लडितो जलिंनो जालावंती पयंतो पथावतो, एतेसु सम्बेसु पत्तेगं संघबझो 21 // गुरुंपि पडिमरेज्जा अन्नं वा मयहराइयं कहिंचि हीलेज्जा,ग छायारं वा संघायारं वा वंद्रणपडिक्कमणमाइमंडली. धम्म वा अइक्कमेज्जा अविहीए वा पवावेज्ज वा उवावेज्ज वा अभोगस्स वा सुत्तं वा अत्थं वा उभयं वा पसज्जा अविहीए सारेज वा वारिज्ज वा चोए. ज्ज वा विहीए वा सारणवारणचीयणं ण करेज्जा उम्मग्णपर्दिन्यस्स वा जहाविहीए जारणं सयलजणसन्निन्झं पहिवाडीएणं भासेज्जा अहिय भासंसपक्सगुणावह,एतेसु सन्देसु पत्तेगं कुलगण संघबझो, कुलगणसंघबज्झीकयस्स णं अरचंतघोरवीरतवाणुहँगाणाभिरयस्सावि गं गोयमा ! अप्येही, तम्हाकुलगणसंघबसीकयस्स गं खणखणदघगिधाडगं वा ण चिदयब्बति 22 / अपचुप्पेहिए पंडिल्ले उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंधाणं वा जल्लं वा परिमवेज्जा, निसीयंतो संडासणं ण पमज्जेज्जा निब्धिगड्यायंबिलमहक्कमेणं, भंडमतोवगरणजायं जंकिंचि दंडगाई ठवंतेइना निक्खिवंतेइ वा साहरंतेवा पसिाहरंतेइ वा गिण्हतेइ वा पडिगिण्हतेइ वा अविहीए उवेज्जा वा निक्विवेज्ज वा साहरेन वा पडिसारेज वा गेहेज्ज वा पडिगेण्हेज वा, उतेसुं असंमत्ताधे. ते चउरो आयंबिले,संसत्तचित्ते उवदठावणं 23 / दडगं वा रयहरण वा पायपुंधणं वा अंतरकय्यगं वा चोलपटगं वा वासाकय्यं वा जाव णं मुहणंतगं वा अन्नयरं वा किंचि संजमोवगरणजायं अय्यडिलहियं वा दुप्पडिलेरियं वा ऊगाइस्तिंगणणाए पमाणेण वा परिभुजे खवणं सबस्य पत्तेगंभ. PRAS HAA Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3292222RRERARY महानिशीयस्त्रं :: धरनं 2 विहीए नियंसगुत्तरीयं रथहरणं दंडगे वा परिमुंजे च. उत्पं, सहसा रयहरणं बंधे निक्विवइ उबदलावणं, अंगवा उबंगं ना संवाहावेज्जा खवणं, रयहरणं सुसंघटे चउत्थं 24 // पमत्तस्स सहसा मुहगंतार किंचि संजमोबगरणं विप्पणम्से तत्य शंजाब स्वमगोवरगावणं,जहाजोगं गवेसणं मिरधुक्कडं वीसिरणं पडिगाहणेच, आउकायतेउकायस्सणं संघटटयणाई एगंतेणं निसि ढे, जो उण जोईए अंतलिक्वविदवारहिवा आउ. तो वा अणाउत्तो वा सहरमा फसेजा तस्स गं पकहियं चेवायंबिलं 25/ इत्यागं अंगावयवं किंचि हत्येण वा पाएण वा दंडगेण वा करधरिथकुसरणे. ण वा वलणववएण वा संघ: पारंचियं, सेसंपुणोवि सत्थाणे पबंधेग भाणिहिड, एवं तु भारार्थ क्खाकालं 26 / एयावसरम्ही उगोथमा! जे णं भिम्बू पिंपणाभिहिएणं विहिणा भद्दीगमणसो वज्जैतो बीयरियाई, पाणे य दगमटियं / उववायं विसमं खाणु, रन्नो गवईणं च // 19 // संकगणं विवजंतो पंचसमिइतिगुतिजुतो गो. यरधरियाए पाडियं न पडियरिया तस्स गंचउत्य पायपि उनसेज्जा जडणं नो अभत्तरी,ठवण. कुलेमु पविसे रखवणं, सहसा पस्त्यिवत्पुं) पडिगा. हितं तकथणा ण परिहठये निशेबहाने धंडिले खवणं, अकप्यं पडिगाहेज्जा चउत्थाइ जहाजोगं, कथ्यं वापडि. सेहेर उवहगवणं 27 / गोथरपविगे कहं वा विकहं वा उभयकहं वा पत्यावेज्ज वा उदीरेज्ज वा क. हेज्ज वा निस्सामेज्ज वा धरलं, गोयरमागओ य मतंवा पाणं वा भेसन्जंवा जंजेण नियं जहा य पडिग्गहियं तंतहा सव्वं णालोएज्जा पुरिषड्ढे, इरिथाए FREERREFRESSES Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . 14 . ॐ . भी भागमसुधा साधुः:: दामो मागअपडिताए भत्तपाणाझ्यं आलोएग्जा पुस्विड्ट, सत्सरहिं पाएहि अपमाजिएहिं इरियं पडिक्कमज्जा परिवामाइट, इरियं पक्किमिडकामो तिन्नि वाराउचलणगायां हेरिटम भूमिभागं ग पमज्जेज्जा णिन्विइगं 28 / कन्नोहिग्याए वा मुहणंतगेण वा वि णा इरियं पडिक्कमे मिच्छुक्कडं पुरिमड्ढं वा,पाहुडियं आलोइता सम्झायं पड़ठवेतु तिसराई धम्मोमंगलाईण कड्ढेजा उत्प, धम्मोमंगलगेहि चागं अपरिथठिएहि चेश्यसाहहिं च अवंदिएहि पारावेज्जा पुस्विट, अपाराविएणं भतं वा पाणं वा भेसज्जं वा परिभुजे चउत्थं 29/ गुलगो अंनियं ण पारावेज्जा नी उरओगे करेजा नो ण पादयिं आलोएज्जा ण सम्झायं पठवेज्जा, एतेमुं पतेयं उबदलावणं, गुरूवियजेणंनी उपउने हज्जा सेणं पारंचियं, साहम्मियानं संविभागेणं अविशन्नेणं अनिधि भेसज्जाइ परिमुंजे छठं, मुंजंतवा परिचमंनिए, वा पारिसाडिथ करे-जा छ, तितकड्थकसायबिलमहरलवणाई रसाई आसाइते वा पलिसायंते वा परिभुजे चाय, नेसुचव रसेसुंरागं गरछे खमणमठम बा,भकए. ण काउस्सागो विगई परिभुजे पंचेव आयंबिलाणि होण्हं विगईणं उड़दं परिभुंजे पंच निवस्यगाणि,अ. कारणिगो विगइपरिभोग कज्जा अलम 30! असणं वा पाणं वा भेसज्ज वा गिलाणस्स भइन्नाणुबरियं परिभुजे पारंचियं गिलाणा अपडिजागरिएणं मुंजे उवहगवणं, सामाणियकत्तत्वं परिचिरचाणं गिलाण कत्तत्व न करेजा अवंडे, गिलाण कतबमा: लंबिऊणं निययकत्तन्वं पमाएज्जा अवंरे,गिलाणकयं ण उत्तारेज्जा अदठम, गिलाणेयां सर्वि एगसदेण गंतुं FREEEEEEEEEEEEEE Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREASEARRRRY भी महानिशीय-सूत्रं .: यरनं __ जमाइसे तं न कुज्जा पारंचिए, नवरं जाणं से गिलागे सत्यचिने, अहा गं सन्निवायादीहिं उन्भामियमाणसे हवेज्जा तओ जमेव गिलाणेणमाइठं तं न कायब्वं, तस्स जहाजोगं काय बं, ण करज्जा सं. घबझो 311 आहाकम्मं वा उद्देसियं वा पूईकम्म वा मीसजायं वा उवणं वा पाडियं पाभोयरं वा कीयं वा पार्मिषं ना परिथदिरयं वा अभिह वा उभिन्नं वा मालोहडं ना अच्छेज्जं वा अणिसा वा अन्झोथरं वा घाईइइनिमित्तणं आजीववणीमगतिगिरछाकोल्माणमायालो भेणं पुन्विंसंधन पछासंधवविज्जामंतचुन्नजोगे संकियमक्खियनिस्मितपिहिथसाहरियदायगुम्मीसे अपरिणयलित ड्डिययाए बायालाए ट्रोसेहिं अन्नयरबोसेण इसियं आहारं वा पाणं वा भेसज्ज वा परिभुजेज्जा सम्बन्ध पत्तेगं जहाजोगं कमेणं खमणायंबिलादी उबइसेज्जा 321 छण्डं कारगजायाणमसई मुंजे अट्ठमं, सधूमं सइंजालं भुंजे उबावणं, संजोय 2 जीहालेहजाए मुंजे आयंबिलखवणं, संते बलबीरियपुस्सियारपरक्कमे अमिचरवासी नागपंचमीपज्जोसवणचाउम्मासिए चरन्थहमछले ण करेज्जा खवणं, कय्यं णाविथइचउत्थं, कप्यं परिहठवेज्जा दुबालसं 33 / पत्लगमत्तगंकमरगं वा अन्नयरं वा भंडोवगरणजार्य अतिप्पिऊणं ससिणिदं वा सिणिदं वा अगुल्लेहियं उवेजा चउत्थं, पत्ताबंधस्स णं गंगीउ ण छोडिज्जा ग सोहेज्जा चात्य पछित्तं, समुद्देस मंडलीउ संघर्टज्जा आयामं संघट वा, समुहसमंडलिं छिविऊण दंडापुंछणगंनडेजा निबिइयं, समुद्दस मंडली शिविऊगं इंडापुंछागं चना. ऊगं इरियं न पडिक्कमेज्जा निधिइयं 34aa एवं इरियं पडिम्चमितु दिवसाव सेसियं य संबज्जा आयाम, వ్యత్యస్య Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तु ___श्री आगमसुधासिन्युः दशमो विभाग: गुरुपुरभी संगरेजा पुरिमइटं, अनिलीए संमज्जा आयंबिल, संवरिताणं चैन्यसाट्र बंदगंण करेजा पुरिमइटं, लुसीलस्स बंदणगं रिजा अवंदे, एथावसरम्ही उ बहिरभूमीए पाणिथकजेणं गंणं जावरायामे ताव णं समोगाढेजा किंणा तश्यपोरिसी, तमविजावणं इरियं पडिक्कमित्ताणं विहीए गमगागमणं च आलोइऊणं पत्नगमत्तगकमळगाइयं भंडोवगरण निस्चिवर ताव णं भरणाल्थिा नश्यपोरिसीवेजा 35 // एवं अपक्कंताए तश्यपोरिसीए गोभमा ! जे णं भिक्षु उवहिं धंडिलाणि विहिणा गुरुपुरओ संहि. साविताणं पाणगस्स य संवरेणं कालवेलं जाव स झायं ण करेज्जा तस्स णं छठं पायछि उवइसेज्जा 36 / एवं च भागयाए कालबेलाए गुरुसंतियं उनहि हिलने बंदणपडिक्कमणस झायमंडलीओ वसहि च पच्चुप्पेत्तिाणं समाहीए घरोल्लगेय संजमिऊयां अत्तणगं उवहिं पंडिल्ले पचुप्पेहितु गोथरथरियं पडिस्कृमिमां काली गायरचरियाघोसणं काऊण तओ देनसियाश्याररिसोहिनिमित्तं काउस्सग्गं करेजा, एएसं पत्तेग उठावणं परिमडळे. गासणगीवदावणं जहासंघेणं गेयं 37 // एवं कोकणं का. उस्सग्गं मुहणंतगं पच्युप्ये विहीए गुल्यो निकम्म कामयां अंकिंचि काय सूलगम पभिईए चिरतेण वा गच्छतेण वा चलंतेण वा भमंतेण वा संभमंतिण वा पुठवीरगअगणिमालयवनप्सहरियतणबीयपुष्ठमल. किसलथपवालंकररलनितिचापंचिरियाणं संधदरणपरिथावणकिलावण उद्दवणं वा कयं हवेज्जा तहा तिण्डं गुत्ताहीणं चउण्हं कसायाईणं पंचण्हं महत्वयादीणं छण्हं जीवनिकायादीणं सतण्डं पाणपिंडेसणामां Sssssssssssss Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 免密免免密免染染免染染色免密 भीमहानिशीथसूत्र :: अध्ययनं / अण्डं पवयणमायाही नवग्रहं बंभधेराधीगं दसवि. हस्स समणधम्मरस नाणदंसाचारिताणं च जंषं. डियं जं विराहियं तं निर्दिकणं गरहिकां आलोकणं यायरिंछत्तं च पविजे कणं एगग माणसे सुत्तत्योभ. थं धणियं भावमाणे पक्किमण ण करेजा उठाचणं 38 / एवं तु नसणं गओ सूरिओ, चेहए हिं अहिएहि पक्किमेज्जा चउ, एत्थं च अवसरं चिन्नेयं, पक्किमिकणं च विहीए रयणीए पदमजामं अयणगं सन्झायं न करेजा दुबालसं, पढम. पोरिसीए अणम्ताए संथारगं संहिसावेज्जा छठं, असंहिसाविएणं संधारगेणं संथारेज्जा चउत्थ, अपघुप्पेहिए पंडिल्ले संधारे बुवाललं, अविहीए संधारेजा चउत्थं, उत्तरपटगोणं विणा संधारेर चत्य, होडसं. धारेज्जा चउत्थं, सुसिरं सणथ्यथाही संथारेज्जा सयं आयंबिलाणं 39 / सबस्स समण संघम्स साहम्मिया(णमसाहम्मिथा)णं च सम्वम्सेव जीवरासिम्स सबाभावभावतरेहि णं तिविहतिविहेणं. स्वामणमरिसावणं अकाऊणं घेईएहि तु अवंनिएहिं गुरुपामूलं च उबहिरेहस्सासणानीगंच सागारेणं पच्चकल्याणेणं अ. कएणं कन्नविवरेसुंच कय्यासमवेणं तुट (अ)इएहि संथारम्ही ठाएज्जा, एएसुं पत्तेगं उपहा बण 40 / संधारगम्ही ठाऊयामिमस्स णं धम्मसरीरप्स गुरपारंपरिएणं समुवल हि तु इमेहि परममंतकव रेटिं इससुवि दिसामु अहिहरिदुपंतवाणमंतरपिसायाचीणं रक्खं णकरेज्जा उवछावणं, इसन्सुवि दिसासु रकरवं काऊणं दुवालसहिं भावणाहि अभावियाहि सोविज्जा पणुवीसं आ यनिलाणि 41 / एक्कं नि मीऊणं पडिबुद्ध इरिथ మంకు వ్యవహారము Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110] श्री भागमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: पहिक्कमेत्तागं पहिस्कमणकालं जाव सम्झायं न करे. ज्जा दुवालस, पमुत्ते दुसुमियां वा कुसुमिणं वा उरणहेज्जा सएण ऊसासाणं काउन्सगं 42 / रयणीए जीएज्ज वा श्वासेज्ज वा फलहगपीढगदंडगेण वा खुडुक्कां पारिया खमण, दिया वा गोवा हासखेड्ड. कंदप्पणाहवाथ करे-जा उवारण 43 // एवं जेणं भि. क्खू सुत्ताइक्कमेण कालाइक्कमेणं आवासगं कुब्बी. . . या तस्स णं कारणिगस्स मिरधुक्कडं गोथमा पाथछितं उवइसेज्जा,जे य णं अकारणगे तेसिं तुणं ज. हाजोगं चउत्थाइ उपएसेजे गं भिक्खू सहे करेज्जा सहे उवइसेज्जा सहे गाढागाटसः य सम्वत्थ पपयं पत्तेयं सम्वपएसुसंबन्मावेय-वे 44aa एवं जे गं भिक्यू आ. उकायं वा तेउकायं वा इन्धीसरीराजयवं वा संघटना नो णं परिभुजेज्जा से णं तस्स पणुवीस आयंबिलाणि उवासेज्जा, जे उण परिभुजेज्जा से गं दुरंतपंतलम्खणे भदब्वे महापावकम्मे पारंचिए, अहा णं महातबस्सी हवेज्जा तो सत्तरि मासरखमणाणं सयरिं अदमासवमणाणं सयरिंदुवालसाणं सथ िदसमायण सरि महुमाणं सथरि घराणं सथरिचयाणं सरि आयंबि लागं सरिंएगागाणं सयरिं सुध्दाथामेंग्पसणाणं सथरि निन्विगझ्याणं जाव णं अणुलोमपडिलोमेणं निहिसेज्जा 45 / एयं च पायरिछत्तं जेय भिकर अवि. स्संतो समगुरज्जा से गं आसण्णपुरम्खडे नेये ' भरवं। इणमो सय सयर अपलोमपडिलीमेणं केवश्यं कालं जाव समाठिहिर?, गीथमा! जाव णं आधारमग्गं वा(ठाएज्जा 1 / भयवं! उड्ढं पुछा, गोयमा / उइदं के सिमडेजा FESH Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AAAAAERE kii महानिशीधसूत्रं अययन / कई यो समगुज्जा , जे गं समणुज्जा से गं बंदे / से गं पुज्जे से णं दब्बे से णं सुपसत्यसुमंगले सुगहीयणामधज्जे निण्हपि लोगाणं वंदणिज्जेनि, जे गंतु यो समगुठे से पावे से णं महापावे से णं महायानपावे से दुरंतन लक्षणे आव गंभर वेति 2 // 20 // जया णं गोथमा। इणमी परिधनसुतं वोच्छि. जिहिइ तथा णं हाइधगहरिस्वतारगाणं सत्त अहोरते तेथं णो विफरेज्जा / / सू०१०॥ इमरस गं वोछेदे गोथमा। कसिंगसंजमस्स अभावो, जओ गं सम्वपावपणिरावगे चेयप. चित्ते, सवस्स गं तवसंजमादाणस पहाणमंगे परमविसोहीयए, परयणसावि णं णवणीयसारभूए पन्नते ॥सू०११॥ . इणमो सव्वमवि पायच्छिते गोयमा जाबइयं एगस्य संचिंडियं हवेज्जा तावश्यं चेव एगस्स णं गच्छातिवणो मयहरपवत्तणीए य चम्गुणं उनइसेज्जा, जभी गं सव्वमविएएसिं पयंसियं. वेज्जा, महा णमिमे चैव पमायं संग छज्जा तो भ. न्नसिं संते धीबलबीरियाए)सुतरागम मुज्जमंह. वेण्जाश अहा यं किंचि सुमहंतमवि नओ गुडठा. मब्भुज्जमेज्जा ताणं न तारिसाए धम्मसखाएकि तु मदुच्छाए, मंमयुरेज्जा, भग्गपरिणामस्स या नि. त्यमेव कायकैसे 2 / जम्हा एयं तम्हा उ भविंताणंतनिरणुबंधिपुन्नपभारणं संभुमुज्जमाणेवि साहणी न संजुङ्गति,एवं च सवमवि गछाहिवनयादीणं होसणव पत्तेज्जा 3 / एएणं पयुच्यन गोय. मा! जहा णं गरवाहिवड्याईणणं णमो सबमवि కనుక Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BARRRRRRRRRRA १९ीभागमा सिन्धुः : दशमो विभाग परिधत्तं जावइयं एग-य संपिडिय हवेज्जा तावड्यं चेव चउग्गुणं उवइसेजा 4 // 012 // से भयवं! जे गं गणी अप्पमादी भवेताणं सु. थाणुसारेणा जहुत्तविहारोहिं चेन सययं महविसंग. छ न सारवेज्जा तस्स किं पायरिक्तमुवइमिना? गोयमा। अप्य उत्ती पाराचयं उवासेज्जा,॥ से भयो जस्स उण गणियो सत्वपमाथालंबणनिप्पमुक्कस्सावि णं सुथाणुसारेणं जडत्तविहाणेहिं चेव सययं मह निसं गर, सारवेमाणम्स के तहाविहे दुस्सीले न सम्म गं समायरेज्जा तस्सवि किं परिधत्तमुवइसे ज्जा ? गोयमा! उवइसेज्जा 2 / से भय केण अटेणं' गोथमा जओ णं तेणं अपरिक्खियगुणदोसे निक्खमाविए हवेज्जा एएणं 3 / से भय / कि त पाथ. रिछत्तमुवइसेज्जा 1 गोथमा ! जे यां एवंगुणकालिए गणी से णं जया एविहं पारसीलं गतिवितिविहेणं वोसिस्तिाणं आयहिथं नो समगुठेजा तथा संघ. बज्झे उवइसेज्जा / / से भयवं। जया णं गर्णयागच्छे तिविहतिविहेणं वोसिरिए हवेज्जा तथा यां ने गरछे आदरेज्जा जड़ संविग्गे भवेत्तायां जहुत्तं पछित्तमणुचरेत्ता अन्नस्स गच्छाहिनइयो उवसंपज्जित्ताणं स. ममग्गमणुसरेजा तओ णं आयरेजा, अहाणं स. च्छंदत्ताए तहेव चिट्ठे तमओ णं चरबिहस्सावि समणसंघस्स बज्झत गर, गो आयरेज्जा 5 // सू०१३।। से भयवं। जयाणं से सीसेजहत्तसंजमकिरिचाए उटति तहाविहे य कई मुगुरू तेरिसं दिक परवेज्जा तथा णं सीसा कि समाजा 1 गोयमा! घोरवीरतवसंजमं 11 से भयवं! कहं गोयमा अन्न गरछे पविसेत्ताणं. तरस संतिएणं सिरिगारेणं अ a seaseSSESEREES Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [113 महानिकीय-सूत्रं :: मरने ) लिहिए समाणे अन्नगच्छेसुं पवेसमेव ण लभेज्जा 'लया णं किं कन्विज्जा ? गायमा। सपथारोहिं गं तं तम्स संतिय सिरियारं फुसावेज्जा रा से भथवं! कण पयारेणं तं तस्स संतिय सिरियारं सवप. यारोहिणं मुसियं हवेज्जा 1 गोथमा ! अम्वन्मुं। 3. से भय किंणामे ते अम्रवरे / गोयमा? जह णं अपडिगाहे कालकालंतरेपि अहं इमस्स सीसाणं या सीसणीगाणं (सीसंगणाणं) वा / / से भयवं? जया णं एवंविहे अक्सरे ण पथाही ? गो. यमा! जया णं एवंविहे अक्सरे ण पथाही तथा णं भासन्नपावयणीणं पकहिताणं चउत्थादीहि समक्कमित्ताणं अक्खरे दावेज्जा 5 / से भयवं! जया णं एएणं यथारेणं से णं कुशुक्ल अखरे ण पदेजा तयाणं किं कुज्जा! गोथमा। जथा णं एएणं पथा. मां से णं कगुरू अक्षरे नी पथच्छे तथा णं संघ. बझे उवाइसेज्जा 6 / से भयवं। केणं अट्ठेणं एवं दुरच३१ गोयमा ! सुख पथ इणमो महामोहपासे गेहपासे तमेव विप्यहित्ताणं अणेगसारीरिगमगोसमुत्यचउगइसंसार स्वभयभीए कहकहरि मोहमिनाहीणं खीवसमेणं सम्मग्णं समोवलभित्ताणं निबिनकामभोगे निरगुबंध पुन्नमहिन्जे, तं च तव. संजमाणुलाणेणं, तरसेव नवसंजमकिरियाए जाव. णं गुरु सयमेव विरघं पयरे अहा णं परेहि का. रवे कीरमाणे वा समगुवेकरवे सपम्घेण वा परपम्से ण वा ताव णं तस्स महागुभागम्स साहणो संतिथं विजमाणमवि धम्मवीरियं पणस्ने जार णं धम्मपीरियं पणस्ने ताव णं जे पुन्नभागे भासन्नपुरकबडे चेव सी पणसे, जरणं णो समगलिंगं विप्पजताहे Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 1. 199] ___ . श्री आगम-सुधासिन्धुः:: दशमो विभागः जे एवंगुणोनवेए से गं तं गमुन्झिय अन्नं गरछ समु. प्पयाइ, तत्यवि जाव णं संपवेसण लभे तारणं कयाइ उण उमविहीए पाणी पयह ज्जा कथाइ उण मित्त. भावं गछिय परपासंडिथमासएज्जा कयाइ उण हाराइसंग काऊणं अगारवासै पविसेज्जा अहा णं से ताहे महातवस्सी भवेत्ताणं पुणो अननस्सी होऊणं परकम्मकरे हवेज्जा जावणं एवाई न ह. वति ताव णं एगंतेणं युटि गरछे मित्ततमे / जाव णं मित्ततमधीकए बहुजणनिवहे दुरवणं समणु रज्जा दुग्गनिवारए सौखपरंपरकारए अहिंसालक्खणसमणधम्मे,जावणं एथामवंति. ताव णं तित्थम्सेव वोच्छित्ती, ताव णं सुदूरबवहिए परमपए, जाव णं सुदरखवाहिए परमपर ताव णं अयंतसुदुविवए चेव मवसनसंघाए पुणी चउगईए संसरज्जा, एएणं अटेणं एवं बुच्चदगीथमा! जहाणं जे गं एएगे. व पयारेणं कुशुक अक्षरे णी पएज्जा से गं संघबसे उवाइसेज्जा ॐ॥ सू०१४॥ से भयवं! केवइएणं कालेणं पहे कुशुरू भविहिति? गोथमा ! इ ओ य अडतेरसण्हं वाससथाणं साइरेगाणं समझक्कंतागं परओ भविंसु शसे भयवं! कणं अठेणं ? गोथमा ! तक्कालं इड्डीरससायगारवसंगए ममीकारअहंकार गीए अंतो संपज्जलंतबोंदी अहमहंतिकयमाणसे अमुणियसमयसभावे गणी भर्विसु, एएणं 21 से भयवं! किरणं सब्जेऽवी एवंरिहे तत्कालं गणी भवतु / गोथमा! ए.गंते. णं नो सब्वे, कई पुण दुरंतपंतलकवणे अवदत्वे एगाए जणणीए जमगसमगं पसए निम्मेरे पावसीले दुज्जायजम्मे सुरोहययंडाभिहिथरमहामि हिरनी म. Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिरीधसूत्र :: यनं , विसु 31 से भयवं / कहं ते समुवलम्खेज्जा ! गोयमा! उस्सुत्त उम्मग्गयरत्तणु हिसणभगुमइपच्चएण ॥सू०१॥ से भयवं! जेणं गणी किचियावस्सगं पमाएज्जा' गोथमा ! जे गं गणी अकारणिगे किंची खणमेगमविप. माए से गं अवंदे उवइसेज्जा, जेणं तु सुमहाकारगिगेवि संते गणी वणमेगमवी ग किंचि णिययावस्सगं पमाए से गंवढ़े पूए दृढव्ये जाव णं सिद्ध बुद्ध पारगए वीणठकम्ममले नीरए उवइसेज्जा, सेसं तु महथा पबंधणं सत्थाणे चेव भाणिहि // सू०१६॥ एवं परिधनविहि, सोऊण गाणुचिती अही. णमणो / मुंजइ य जहधामं,जे से आराहगे भणिए जलजलगदुइठसावयचोरनन्दिा हिजोगिणीण भए। तह भूयजक्रवरक्खसखुद्दपिसायाण मारीयां // 21 // कलिकलहवि. ग्घरीहगकंताराइसमुहमज्झे य। दुधितिय अवसउणे संभरियल्वा वह इमा विजा // 22 // पअस्पइजण आमडेण उअन्णज्झाणउम्म्एम्तवइकमउणआहएइम्पव्वाण आगउइहजपहरउचउशहम्महमुउभण्उमवादएउ आणअम्चउपहमइम्सुखक अलअम्घएहपइससअमचउ(प्रत्यंतरे झा. एहजन सम्इन्उजम्न मनउमम् एहइम्तश्व इक्कउन्ह इएहम्प-वान्आगओहइनरयहरउचउदुइममहसउउअणउमघइटए ओअन्अम्तउएहमइम्वधस्व क अउल्अमथएहवइसम्मतउ) एथाए पवरविज्जाए बिहीए अत्ताणगं समहिमंतिकणं इमे. ए सत्तकपरे उत्तमंगोमयखंधकुच्छीचलणतलेसु सं. णिज्जा तंजहानउम् उत्तमंगे कर वामखंधगीवाए उवामकुच्छीए उ वामचलणधले लए दाहिणचलण. यले स्वाँ दाहिणनुछीए हमा दाहिणधीवाए ।सू०१७॥ Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 196] - भी 30 गम मुगसि . देशमो विभाग दुसुमिणदुन्निमिन्ने गहपीडुवसागमारिरिठभए। वासासणिविजए नाधारिमहाजणविरोहे // 23 // जंचयि भयं लोगे, तं सत्व निहले इमाए विज्जाए। सत्यपहे (सद (झ) अण्डे मंगलयरे पावहरे सयलवरऽ करव. यसोक्रवाई काउमिमे ) परिजने, जइ गं तु ण त.भ. वे सिज्झे // 4 // ता लाहमण विमा (जयं) सुकु लुप्पति दुथ च पुण बोहि / खोक्रवपरंपरएण शि.. •झे कम्मबंधरथमलविमुक्के / / 25 / / गोथमोति बेमि / / से भय / कि पायागुमेलमेव पत्तिविहाणं जेणेवमाइम्से' गोयमा / एवं सामन्ने टुवालसह कालमासाण पइदिगमहन्निसाणु समयं पाणो. वरमं जाव सबालवुड्ढसेहमयहररायणियमाईणं, तहा य अपडियमहोऽयहिमण पजवनाणीउ उमत्यतित्ययराणं एगंते अमुरगणारहावस्सगसं. बंधियं घेर सामन्नेणं पछित समाइरठ, नो ए. याणु मेत मेर परिधतं 10 से भयवं किं अपडिवाय: महोऽवहीमणपज्जवनाणी उमत्यवीयरागे सयलावस्त समणुदठीया ? गोथमा। समगुठीया, न केरलं समोरगे या जमंगसमग मेवाणवरथमगुठीया 20 से. भयवं। कह। गोथमा अघित बलवीरियबुद्धिनाणाइसयससीसामत्येण 31 से भयवके अटेण ते समणुठीया 1 गोयमा। माणं उन्मुत्तम्मनापवत्तणं मे भतिकाऊया // 2018 // से भयर :दित सविसेस पायच्छित जारणं क्यासी, गोयमा / वाया रनिय पथगामिय वसहि पारिभागिय परछायारमइक्कमया संघायारमा ककमा गुत्ती भयपथरणा सत्तमंडलीधम्माइस्कमणं अप्रीयत्य मत पयाया जाय कुसीलसंभोगजं Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी महानिशीधसूत्र JEANन 7 अविहीए पत्र जादायोवारयणाजायं उगस्स सुत्तन्धो भयपण्णवणजायं अणाण यगिस्काक्वरवियरणाजाय देवसियं राइयं पक्षिय मासियं चउमासिय संवरियं एहियं पारलीश्य मूलगुणविरहण उत्तरगुणविराहणं आभोगाणा भोगयं आउरिरयमायग्यकारिणयं वयसमाधम्मसंजमत. वनियमकमायदंडगुत्तीय मयभयगारवइदियजं वसगाइकरोदररमाण रागहोसमोहमिच्छत्तठकर. ज्यवसायसमुत्यं ममतमुधापरिग्गहारंभ असमिइत्तपटीमसामित्त धम्मतरायसंताबुवेवगासमा. हागुप्याइयग संवाईथा आसाथणा अन्नचरासाय. णय पाणवहसमूत्भ नसावायसमुत्थ अदत्तादाणगहासमुत्यं महणसेवणासमुत्थ परिगह करणासमुत्य राइभोयण समुत्य माणसियं वाइय काइयं - सजमकरणकारखणअणुमइसमुत्थं जाव णं गाणहंसणचारिताइयारसमुत्थ, कि बहा 1 जावस्याई तिगा. लचिवंदणादओ पायच्छित्तठाणाई पन्नलाइ ताबड्यं च पुणी विशेसे या गोयमा / असंवेयहा पन्नारिजति 11 (अभो) एवं संधारेज्जा जहा णं गोथमा। पायरिछतसु. तस्रणं स वेज्जाओ निजुत्तीओ संज्जाओ सगहीओ सविज्जाइ अणुओगदाराइ संवेज्जे अकवरे अणंते य. ज्जवे जाव णं इंसिज्जति उपसिज्जति आधरिजति पन्नविज्जति परूविज्जति कालाभिग्गहताए दवाभिग्य. हत्ताए वेत्ताभिमहत्ताए भावाभिमहत्ताए जावणं आणुपुवीए अजाणुपुच्चीए जहाजोग गुणगणेमुति बेमि 2014 भधव' एरिसे परिधत्तबाहले सेभयार से पच्छित्तसंघहरे से भय। एरिसे परिधत्तसंगहो मयि केई जे गं आलोइत्ता निहिताणं गरहित्ता जाव Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 爽爽爽爽爽爽爽爽爽爽爽爽楚 भीमागम मुमकिन .. मो विना प अहारिहंतनीकम्मं पायश्चित्तम गुचरिताणं सामन्नमाराहेज्जा पवयणमाराहिज्जा जाव णं आयहियट्याए उवसं. पज्जित्ताणं सकजं तमदलं आराहेज्जा 1 गोयमा / णं चरबिहं आलोयणं विंदा, तंजहा-नामालोयणं ठवणालोयण दबा लोथणं भावालोयणं, एते चउरोऽवि पए अणेगहावि चउधा जीइज्जति / तत्थ ताव समासेण णामा लोथ नाममेसेणं, उरणालोयणं पोत्थयाइसमालिहियं, दल्लालीयणं नाम जं आलोएताणं असदभावत्ताए जहोवहठं पायरिधत्तं नाणुचिरठे, एते तोऽवि पए एगं तेणं गायमा। अपसत्थे / जेणं से चउन्धंभावालो यणं नाम ते णं तु गोथमा। आलोएताणं निहित्ताणं गरहित्ताणं पायरिछत्तमणुचस्तिाणं जाव णं आहियट्ठाए उवसंपज्जित्ताणं सकज्जुत्तममदठं. भाराजा 3 / से भयवं। कयरे णं से चउत्थे पए गोथमा / भावालोयणं / / से भयवं। किं तं भावालोधणं गोयमा? जे गं भिक्खू एरिसे संवेगवेरगागए सीलतवदाणभावणचरखंधसूसमणधम्ममाराहणेक्कंतर. सिए मयभयगारबाहीहि अच्चंतविप्यमुक्के सव्व भावभावंतरेहिं णं नीसल्ले आलोक्ताणं विसोहिपयं पहिगाहिताणं तहत्ति समगुठीथा सव्वुत्तमं संजम. किरियं समगुपालिज्जा 5 / / रसू०२०॥ तंजहा कथाइं पावाई ईसाहिजे हिअट्ठी ण बन्झ. ए / तेसिं तित्थयरवयंणेहि, युद्धी अम्हाण कीरओ // 26 // परिचिच्चाणं तयं कम्म, घोरसंसार दक्ष / मणोवयकाथकिरियाहि, सीलभारं घरेमिऽहं।। २७॥जह जाणइ सम्वन्नू, केवली तित्थंकरे। आयरिए चारित्तड्ढे उवज्झायसुसाडुणो // 28 // *जह . पंच लोयपाले य, सत्ता धम्मे य जाण Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीयसूत्रं भययनं / ते / तहाऽऽलोएमिऽहं सव्वं, तिलमित्तेपि न निण्हवं // 29 // तत्व जं पायरिछत्त, गिरिवरगुरुयपि आवए। तमणुचरेमि दे सुर्दि,जह पावे सति वि. लिजए॥३०॥ मरिऊणं नश्यतिरिएK,कंभीपाएसू कत्थई। कत्थई करवत्तजंतेहि कत्था मिन्नी उसूलिए घंसां घोलणं कहिमि. कत्थई छया भयगंबंधणं लंघणं कहिमि, कत्थर दमणमंकणं // 32 // गत्यणं वाहयां कहि मि, कत्यइ वहणतालणं / गुरुभारम्कमयां कहिच कत्था जमलारविंधणं // 33 // उरपरिठठिकर्डि भगं, परवसे तण्ड छुहं / संतायुवेगदारिदं विसहीहामि पूणोविहं // 34 // ता इहई चेव सव्वाप नियदु. धरिय जहरिग्यं / आलोइत्ता निंदिता गरहित्ता,पा. यच्छिन्तं चरितुणं // 25 // निहामि पावयं कम्म, इसतिसं. सारटुक्खयं / अभुरित्ता नवं घोरं, धीरवीरपरम्कर्म // 36 // अचंतकडयर्ड कठं, दुक्करं दुराचरं / उगुगयरं जिणाभिहियं सयलकल्लाण कारणं ॥३७॥पा. यरिधत्तनिमित्तेणं पारसंधार कारयं / आयरेणं तवंच. रिमो, जेभ सोमवई तणुं // 38 // कसाए विहलीकरहं इंदिए पंच निगह मणोवईकायदंडाणं,नि निगहं धणियमारंभे // 39 // आसवहारे निभेत्ता,चत्तमयमच्छर अमरियो / गयरागहोसमोहोऽहं.नीसंगो निप्परिग्गहो // won निम्ममो निरहंकारो सरीर अच्छतनिरिगहो। महल याई पालेमि, निरक्ष्याराई निधिो // 51 // हदी धी हा अ. हनीऽहै. पावो पागमती अहं। याविदो पावकम्मोऽहं पावाहमाहमयरोऽहं 42 // कसीलो भउचास्तिी, मिल्ल. रणोवमो अहं। चिलाती निक्किवो पावी, करकम्मीह 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 200] , श्री भागमसुधासिन्धुः:: दशमो विभाग: निरिधणी // 5 // इणमो दुल्लभलभिसामन्नं नाण.. सणं / धारितं वा निराहेत्ता, अणालीक्यानिदियागरहिथअकयपत्रिछत्ती, वावज्जती जई अहं॥४॥ ता नियंभगुत्तरे, घोरे संसारसागरे। निवुड्डो भवकोडीहिंसमुत्तरंतो गवा पुणो // 5 // ताजा जरा ण पीडेड,वाही जाव न केई मे। जावित्थिान हायंति, ताव धम्मे चरेतुऽहं // 46 // नहहमारेण पावाइं. निंदिउं गरहिउ चिर। पायच्छित चरिता निक्कलंकी भवामि ॥७॥निअकलुसनिम्कलंकाणं सुखभावाण जीयमा!। तभी नलं जयं गहियं सुरमवि परिवलितुणं ॥८॥ए. वमालीय दाउं, पायरिधत्तं चरितुण / कलुसकम्ममलमुक्क,जाणो सिन्झिज्ज तरूणं 10१॥तावए - देवलीगंमि निन्धुज्जीए सयंपहे / देवदुंदुहिनिग्योसे, अच्छरासथसंकुले // 10 // तजओ चया इहागंतुं सुकुलुप्पर्ति लभेन्चयां / निचिन्न कामभोगा यनवं काउं मया पुणो // 11 // अणुत्तरनिमाणेसुं निवासिऊगहमागथा। हवंतिध. म्मतित्धयरा सयल तेलोक्कबंधवा // 52 // एस गोयमा विन्नेये.सुपसत्थे चउत्प ए)भावालोयणं नाम. अक्षयसिवसोकादायगो ॥५३॥ति बेमि.॥ से मयवं! एरिसं पप्य, विसोहिं उत्तम वरं / जे पमाथा पुणी असई, कत्थर चुम्के खलिज्ज वा ॥५०॥नम्स कि भरे सोहिययं सुबिसुद्धं येवं लक्विए। उपा णी समुल्लिकले ? संसथमेयं वियागरे // 55 // गायमा! निंदिउं गर हिउँ सुरं, पायच्छितं चरितुणं / नियवारियनत्पमिवाएण खंपणं जो न रखए / // 56 // सो सुरहिगंधुधि ण्णगंधोदयविमल निम्मल पविते / मन्जिभ वीरसमुद्दे,भ... सुईगड्डाए जड़ पड३ // 57 // एता पुण तस्स सामग्गी, Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 染免染染染染染染免密免染染染 मी महानिसीधसूत्र धरनं / सावकम्माम्वधमरा / मह होज देवजोग्गा अरइंगध खु दृद्धरि // 50 // एवं कथयरिछते.जेणं छज्जीवकायवयनियमं / इंसानाणचरितं, सीलंग वा भवंगे वा // 56 // कोहण व माणाव, मायालोभ कसायट्रोसेणं / रारोण पोमेण व (अन्माण) मोहमित्त हासेणं (वावि) // 6 // भएणं कंप्पध्येणं. एएहि य अन्नेहिय शारव. मालंबणेहिजोखंडे ।सो सम्वटठविमाणे पत्ते अत्ताणगं निरए॥६१ (विवे) से भयवं! किं आया संरक्वेथम्बी उथाह धज्जी. वनिकायमाइसंजमे संरक्वेय-वो ? गोथमा जे ण धक्काथसंजमं संरक्खे से णं अणंतदुक्रवपथायगाउ हो गइगमगाउ अत्ता संरक्खे, तम्हा धक्काथाइसंजममेव रक्खेय होई // सू०२१॥ . से भयवं कवतिए असंजमदाणे पन्नते 'गोथमा अणेगे असंजमाणे पन्नते, जाव ण काया संजम. डाणा से भयवं। कयरेणं से कायासंजमदागे' जोधमा ! कायासंजमाणे अगेगहा पन्नता, जहा पुरदिगागणिवाऊवणकई तह तसाण विविहाणं। हत्धेणविफरिसणथा वज्जेज्जा जावजीवपि // 625 मी. उह स्वारस्वते अरगीलीस अंबिले गेहे। पुटबादीण परोप्यर खयंकरे बज्यसत्येए // 6 // बहागुम्मण. 'सोभणहत्थंगुलि अदिवसीयकरणेणं / आधीयते भणं. ते आऊजीवे स्वयं जति // 65 // संधुम्कगजलयुज्जालणेण उज्जीयकरणमादीहि वीयणमण उडभावणेहि मिहिजीवसंधार्थ॥६५॥ जाइ वर्थ अन्नेऽविध धज्जीवनिका. यमगए जीवेजलणी सुद्धीविह संभक्खइ इसदिसाणं च // 66 // वीयणगतालियंग्यचामरउक्वेवहत्थतालेहि / धावणडेवणलंघणऊसासाईहिं Sassage Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ఆకలి 202] ...... श्री आगमसुधासिन्धु: :: दशमो विभाग: वाझणं // 6 // अंकुरकुहर किसलयपालपुणफलकंदला. ईण। हत्थफरिसे बहवे जति खयं वणकई जीवे। 68 // गमनागमणा निसीयण सुथाहाणअणुवउत्तय. पमत्ती / वियलिति बितिचउपंचेंदिया गोयम / स्वय नियमा॥६९॥ पाणाइवायविरई सिफलथा गिहिऊया ता धीमं। मरणावयंमि पत्ते मरेज्ज विरइनखंडे - ज्जा / / 70 // भलियवयणस्स विरई सावज सरच. मविन भासिज्जा / परदन हरणनिरइंकरेज्जादिन्नेविमा लो॥१॥ धरणं दडरबंभवयस्स काउंपरि. गह धार्थ / राई भोयगरिइं पचिन्थिनिगह वि. हिणा // 72 // अन्नेथ कोहमाणा रागदोरसे य आलो. यणं दाउ / ममकारनहंकारे पथस्यित्वे पयत्तेणं / ७३॥जह तव संजमसज्झायमाणमाईस सुद्धभावेहि। उज्जमियत्वं गोथम विजलयाचंचले जीवे // 4 // किं बढ़णा' गोयमा। एत्य, दाऊणं आलोयणं / पुढविकाथ विराज्जा , कत्थ गंतुं स सुन्झिही? // 7 // किं.बहुगा गोयमा 'एन्धं, दाऊणं आलोयणं / बाहिरपाणं तर्हिजम्मे, जे पिए कत्थ सुन्झिही 1 // 6 // किंबहुणा गोयमा ! एत्थं, दाऊणं जालीयो / उपहवइ जालाई जाओ, मुसिओवा कत्थ सुन्झिही? किं बहणा गीथमा ! एन्थ, दाऊयं आलोयणं / वाऊकाय उही रेज्जा, कत्थ गंतूण सुमिही? // 7 // किं बढ़णा गोथमा। एत्य, दाऊणं आलोयणं / जो हरि. यतणं पुवा, फरिसे कत्थ स सुन्झिही 1 // 79 // कि बढ़णा गोयमा! एत्थ, दाऊणं आलोयणं / अम्कमईबीयकार्य जो, कत्थ गंतुं स सून्झिही 100 किं बढ़णा गो. यमा! एत्य, दाऊण आलोयणं / वियलेंदी (बितिचउ) पंचिदिय परियावे. जो कत्यस सुन्निहि // 1), कि बहुणा गोयमा ! एत्य, दाऊणं आलोयणं। धक्काए ssssssssss Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिशीथसूत्रं :: यरनं / जो न रखेज्जा, सुहमे कत्थ स सुज्यिही ॥२॥कि बहुणा गोयमा। एल्य, दाऊणं आलोयणं / तसथावर जो न रखे, कत्थ गंतुं स सुन्झिही? // 83 // आलोइयनि. दियणरहिमोवि कयपायश्चित्तणीसल्लो / उत्तमठाणम डिओ पुढवारंभं परिहरिज्जा // 4 // आलोक्यनिदियगरहि ओवि कयपायरिछत्तणीसल्लो / उत्तमठामि ठिी, जोईएमा फुसावेज्जा // 5 // आलोझ्यानिदियगर हि भोवि कयपाछित्तसंविग्गो / उत्तमठाणमि ठिी, मा विद्यावे. ज्ज अत्तायां ॥६॥आलोइयनिदियगरहिओवि कथपायछित्तसंविग्गो / छिन्नंपि तणं हरिय, असई मणगं मा फरिसे // 8 // आलोइयनिहियगरहि ओवि कथयान्छित्त. संविग्गो / उत्तमठाणमि डिओ, जाबजीपि एते सिं // बेंदियतेंदियचउरोपंचिंदियाण जीवाणं / संघट्ट णपरियावयाकिलावणोहवण मा कासी // 9 // आलो. यनिदियगरहिओवि, कथयाथरिछत्तसंविग्गो / उत्तम. गणमि ठिओ, सावज्जं मा भणिज्जासु // 10 // . आलोइयनिदियगरहिओवि कथपायश्चित्तमंदि. गगी / लोयत्या णवि भूई गहिया गिहिनिस्वविउ . पना // 91 // आलोइयनिदियगरहिओवि कथयाच्छितनी. सल्ली / जे इत्थी संलविज्जा, गोयम ! कत्थ स सुन्मिही? // 12 // आलोइयनिदियगरहिमोवि, कथयाछित्त. संविग्गी / चोद्दसधम्मूबगरणे, उड़दं मा परिगडं कुजा / / 93 // तेसिाय निम्ममती अमुरिछओ अगढिा दटं . विया / अहज्जाउ ममस्तं ता सुदी गोयमा नत्थि॥९॥ कि बहुणा गोयमा / एत्य, दाऊणे आलोयणं। रयणीए आवि. ए पाणं, कत्थ गंतुं स सुन्झिही ? // 15 // आलोक्यनिदियः गरहिमोवि कथयाथरिछतनीसल्लो। इक्कमे ण रक्वे जो, कत्थ सुदि लभेज सो ? // 9 // अयसत्ये य जे भावे, RRRRRRRRRRRRRE Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Bes / 204] भी भागमसुधासिन्धु... लामो विभाग परिणामे यदाकगे। पाणावायम्स वेग्मी, एस पठमे अइक्कमे // 9 // तिवरागा यजा भाम्या,निररस्वरमकसकक्कसा / मुसावायम्स वेरमणे, एसबीए अइक्कमे॥८॥ वाहं अजाइत्ता, अचियतमि उवगहे। अदत्ता दाणरस वेरमणे, एस तइए अइक्कमे // 99 / / सहा रवा रसा गया फासाणं परियारणे। महणम्स वैरमणे, एस चरत्ये अइक्कमे / / 10 / / * इच्छा मुग्धा य गेही य, कंखा लोभे य ट्राइयो / परि गहम्स वरमयो पंचमगेसाइक्कमे // 101 // अश्मताहार होता, सूरवितमि संकिरे / राईभीटाणाम्स वेरमणे, एस छठे अइक्कमे // 102 // आलोश्यनिदियगरहिओवि . कयपायरिछतणीसल्ली। जयां अयाणमाणो, भवसं. सारं भमे जहा सुसटी // 103 : भयवं। कोरण सो सुसदो 1 कथरा वा सा जयणा 1 जमजाणमायास्स णं तस्स आलोइयनिदियगरहिओत्यस्मावि कथयायच्छिते(मसावि संसारं जो विणिरिठयति 1 गोथमा। जयणा णाम अठारसण्ह सीलगसह. स्साण पतरसविहस्सणं संजमस्स चोहसण्ह भूधगामा तेरसण्ड किरियाठाणायां सबज्झभतरस णं दुवालसविहस्स तवोऽणुराणस्य दुवालसण्ट भिक्षुपडिमाणां दसविहस्सण समणधम्मस्स णवण्ह चेर बंभगुत्तीण अढण्टं तु पवथामाईण सत्तण्ह चेव पा. णपिंडेसणाण घण्हं तु जीवनिकायाणं पचण्ह तु मह. व्वयाण तिग्रह तु चेव गुत्तीण जागा तिण्हमेव सम्म. इंराणनाणचरिताया भिक्खू कतारभिक्याथका-. ईसु aaN सुमहासमुप्पन्नेसु अंतोमुसा वसेसकंठगययाणे सूचि मणसावि उ खंडण विराहणं ण क. २ज्जा ण कारंज्जा ण समाजाणेज्जा जावणं नार RRRRRRRRRRRRs Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिकायसूत्र : धरन / 203 भेजा न समारंभेजा जावज्जीमाएति,से गं जयाए भने से णं अयणाय धुवे से गं जयणाए व दक्खे से णं जयणाए बियाणएत्ति, गोयमा। सुसदस्य उम हती संकहा परमविम्हथजणणी य॥सू०२२॥ चूलिया पठमा एगंतनिजर / / 01 अ०१॥ ॥अथ द्वितीयचूलात्मकं अष्टममध्ययनम्॥ से भावं। केणं अटेगों एवं धइ ? तेणं कालेणं तेणं समरणं सुसहनामजे अणगारेट भूयः वं, तेण च एगेस्स पक्वरसंतो पभूयाणियाओ आलोधणाओ निदिन्नाओ सुमहंताई च अच्चंतपोरसु. टुक्कराइं पायरिसाई समाचिन्नाइंतहावि तणं वर एयां विसोहियर्थ न समुवलडंति, एतेणं अठेणं एवं वुच्या 11 से भयवं! केरिसा उण तस्स सुसदस्स वत्तव्यथा ? गोथमा' अस्थि इह चेर भारहे वासे अवंती णाम ज़णवओ, तत्थ य संवुमके नाम खेडगे,तम्मि य जम्मदरिद निम्मेरे निक्किवे किविणे गिराणुकंपे अइक्करे निक्कलणे निति से रोहे चंदरोडपथंडइंडे पा. वे अभिगहियामछादिदठी अगुव्यस्थिनामधेजे सुज्जसिवे नाम धिज्जाइ अहेसि, तस्स य धूया सुज्ज. सिरी, साय परितुलियसयलतियणनरनारीगणा लावन्न कतिदित्तिकरसोहागाइसएणं अगोवमा अत्त. ग्गा 2 / तीए अन्नभवंतरंमि इणमो हिथएण दुधितिय PRESENSE Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRRRRA 206J श्री भागमसुधासिन्धुः दशमो विभाग अहेनि जहा गं. सोहण हवेज्जा जइणं मस्स बालगरस माथा वावज्जे तो मज्म असवक्कं भवे,एसो य बालगो दुज्जीविओ भवइ ताहे मन्झ सुयम्स रा. यलच्छी परिणमेज्जति, तस्कम्मरोसेणं तु जायमेनाए चेर पंचत्तमुनगया जगणी 3 / ती गोथमा। तेणं सु. जसिने महया किले सेणं छंदमारहमागणं बहणं अहिणवपसूयजुवती घराघरि पन्नं पाऊयां जीवा विया सा बालिया / / अहन्नथा जागणं बालभानमत्तिन्ना सा सूजसिरी ताव णं आगयं अमायायुतं महारोरवं दवालससंवरियं दृन्भिवति, जाव णं फेटाकेटरीए जाउमारडे सयलेविणं जणस. मूहे 5 / अह नया बहुविसस्नुहलेणं विसाथमुनगएणं तेण चिंतिथं जहा. किमेय वावाइयां समु. हिसामि किंवा गं मीए पोग्गलं विक्किणिकगंचे. व अन्नं किंचिवि वणिमगाउ पडिगाहित्तागं पाणवि. तिं करेमि, णो णमन्ने कई जीवसंधारणोवाएसं. पयं मे हविज्जत्ति, अहगा हन्दी हा हा ण जुत्तमिथति, किंतु जीवमाणिं व विक्किणामिति चिंतियां विक्किया सुज्जसिरी महारिटीजुथस्स चोइसवि. ज्जागण पारगस्स णं माहणगोविंदस्स गेहे / तभी बहुजणेहिं विदीसदोषहओ तं देसं परिचिचा णं गऔं अन्नसंतरं सूजसिवो, तत्थाविणं पयही सी गोयमा! इत्वविन्नाणे जाव णं अन्नेसिं कन्नगाओ अवह रित्ताणं अवहरिताणं अन्नत्य विल्किणिया मेलियं सुज्जसिवेण बहुं दविणजाय 7 / एथावसरंमि उ समस्कंते सारेगे अठसंघरघरे दुन्मिक्खस्स जाव णं विलियमसेसविहवं तस्सा. विगं गोविमाहणस्स,तं च विथाणिकण विसाय. RSERRRRRRRRES Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3RDPREPARE श्री महानिशोधसूत्रं : यरन / 207 मुबगएणं चिंनिय गोधमा / रेणां गोविचमाहरो जहा. णं होही संघारकालं मज्झ कुडबस्स,जाह विमीयमाणे बंधवे खगरमविदररणं सम्कणोमि ना कि काय सपथं अम्हहिति चिंतयमाणस्से भागथा गोउलाहिव. इणो भजा खस्यगविक्कणणा-4 तस्स रोहे जगवणं गोविंदरस भज्जाए नंदुल्लमल्लगेण पहिगाहियाउ च. उरो घणविगईमीस वायगकगोलियाओ,नच पति गाहियमेतमेव परिभुतं डिभेहि भणियच महीय. रीए-जहा गं माहदारिगे। पथरछाहिने अम्हाणं नंदुलमल्ल चिरं वरे जेणऽम्हे गोउल वयामो,तो समाणता गोयमा। तीए माहणीए सा सुज्जसिरीज. हा णं हला / तं जम्हा सरबरणा णिसावयं पहिथं पहिय तत्थ जंत नंदुल्लमल्लगं तं मग्गाहि लहजे. णाहमिमीए पथच्छामि, जान ढंट वसिऊणं नीह रिया में दिसा सुज्जसिरी नोवलडं नंदुलमल्लगं, साहिय च माहीए, पुणोवि भणियं माहणीए-जहा हला! अ. मुगं धाममणुटुथा अन्ने सिमणमारोह 9 / पुणोवि पथट्टा अलिंग जाव णं ण पिच्छे ताहे समुठिया मयमेव सा माहणी जावणं तीएविण दिठं न पुण, सुविम्हियमाणसा पिउणमन्नेसि पयत्ता,जावणं पिच्छे गणिगासहायं पढमसुथं पथरिक्के ओयणं समुहिसमाणं, तेणारि पडिदई जणणी भागमागी चिंतिथं अहन्नेणं- जहा चलिया अम्हाणं ओथणं अवहरिउकामा पायमेसा, ताजइ इहासनमागधिही तओऽहमेथ बावाइस्सामिति चिंतयंतण भणिया दरास. ज्ना चेव महासहेण सा माहणी-जहाणं भरिट दारिगा। जइ तुम इहा समागच्छिहिसि तभी मा एवं तं बोल्लियर जहाणां जो परिकहियं निरयं भयं Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RRRRRRRRE 208] भी भाग मसुदा 31.5 दशमो विभाग. ने वावा एस्सामि 10 // एवं च अणि वयां सोचाणं बज्जासणिहया व धसति मुछिमणं निवाडया धरणि. वरठे गीथमा। माहणिति 11 / तो णं तीए महीयरीए परिवालिकणं किंचि कालवणं धुत्ता सा सुज्ज सिरी जहा णं हला। कन्नगे। अम्हा या चिरंटे ता भणसु सिग्धं नियजणणि जहा णं एह लह पयरछ तुम. मम्हाणं तलमल्लगं, अहा तलमलगं विपणहूं नणं मुगमल्लगमेव पयत्सु, ताहे पविटठा साँ सुज्जसिरी मलिंदगे जावणं दरठण तमवन्धतगयं माही मत्था हाहारवेणं धाहाविउ पयत्ता सा सुज्जसिरी, तं चायन्निऊणं सह परिवरगण घाइभो सो मा. हणो महीयरी अ१२। तओ परणजलेण आसासिऊ ण पुरठा सा तेहिं जहा. भदिदारिगे। किमेयं किमयति तीए भणिय- जहाण मा मा अत्ताग दरमएणदीहेणं रवानेह,मा मा विगयजलाए सरियाए उमेह, मामा अरज्जुएहि पाहि नियंतिए मझ(ज)मीहेणाऽऽणयह,जहा णं किल एस पुते एसा.पू. या एरस णतुणे एसा सुबहा एस जामाउरो एसा णं माया एस जणगे एसो भत्ता एस इठे मिठे पिए कते सुहीसया जणमित्तबथुपरिवणे इह पर चम्समेरेयं विदिहठं अलियमलिया चेव सा बधवासा, सकज्जत्थी चेव संभयए लोमो, परमत्यसो न केही 13 / जारणं सकज्ज तारणं माया ताव जणगे तावणं या ताव जामागे तागण णतुगे तावणं पुत्ते तारणं सुग्रहा तागण कंता तावणं इरठे मिरठे पिए कंते तुहीसथा जणमित्तबंधपरिवसो, सकज्ज. सिद्धीनिरहेण तु ण कन्सई काइमाथा न कसई के जागे ण करसई काइ धूया ण करई केइ FREEEEEEERFREE Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मी महानिशीथसूत्र : JUNE 201 जामाउगे ण कस्सई के पुत्ते ण कम्मईकाइ सु. पहा न कस्सई के मना ग कस्सई केई कता णा कस्सई के इरे मिठे पिए कते सुहीसयाजण. मितबंधुपरिवगे 14 / जे तु पेरछ पेमए अ गोवाइयसउवलढे साइरेगणवमासकुच्छीएवि धारिऊणं च अणेगमिठ महुरउसिण तिकवसुलुसुलियसणिदआहार पयाण सिंणाणु बहरणधूयकर संवाहण (धण) धन्नपयाणाईहिणं एमहंत मणुस्सीकए जहा किल मह पुत्तरजमि पुन्नपुन्नमणीरहा सुहंसुहणं पणइयण पूरिथासा काल गमीहामि, ता एरिसं एथं वश्यरति, पृथं च णाऊण मा धवाईसुं करेह खणदमवि अणुपि पब्बिंध, जहा इमे मम्स सुए संवुत्ते तहा णं गेहे गेहे जे कर भूए जे केइवटीत जे के भविसु एए तहाण एरिसे,सेsa बंधुवणे केवल तु सकज्जलुढे चेव धडियामुइत्तपरिमाणमेवळचि काल भएज्जा वा, ता भी भोजणा। ण किंचि कज्ज एतेण कारिमवधू-संताणेण अणं तसंसार. घोरदुक्खापदायगेणंति, एगो चेव वाहन्निसाणुसमयं सययं सुविसुदासए भयह धम्म 15 // धम्म धण मिढे पिए कते. परमत्यही सयाजणमित्तबधुपरिवग्गे धम्मे थ णं दिढिकरे धम्मे यण पूहिकरे धन्मे य बलकर डा उचाहकर धमेया निम्मलजसकित्तीपसाहगे धम्मे यणं माहय्यजणगे धम्म यग सुहत सोमव. परपरदायगे, सेणं से०वे से ण ाराहणिजे से यण पोसणिज्जे सेयण पालणिज्जे से 4 करणिज्जे सेय णं चरणिज्जे से यण अणुरिज्जे से यण उवइरस. णिज्जे से यणं कहणिज्जे से यण भणणिज्जे से यण गन्नवाणिज्जे से य ग कारणिज्जे से यण धुवे सासये 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210] सी आगमसुधासिन्धुः . दशमो विभाग अम्बए अबए सथलसीकरवनिही धम्म, से य णं अल. ज्जणिज्जरीय अउलबलवीरिएसरियसत्त परक्कमसंजुए पबरे वरे इठे पिए कंते दहए सथल सीक्व दारिदसताव-वेग अयसमक्रवाणलंभजरामरणाइमसे. सभयानिन्नासरी अणण्ण सरिसे सहाए तेलोक्लेम्क. सामिसाले 16 / ता अलं सुहीसयणाजया मित्तबंधुगणा. धणधन्नसुखण्णहिरण्णारयणीहनिहीकोससंचयाइस. म्कचावविजुलयाडोवचंचलाए सुमिशिद जालसरिसाए रणदिनठभंगुराए अधुनाए अन्सासथाए संसार वुढि कारिंगाए णिरथावधारहेउ भूयाए सो गइमरगविग्यदायगाए अगंतदुक्ययथायगाए रिद्धीए 17 / सुदुल्लहाउ वेलाउ भी धम्मरस साहणी सम्मईसणनाणचरिताराहणी नीरत्ताइसामरगी भगवरथमह. न्निसाणुसमएहि णं खंडारयंडेहि तु परिसडइ अदढघोरनिठुरास भचंडाजराणिसणिवायसंचुरिणाए सयजन्जरभडए व उनकिंचिकरे भवइदियहागुदियहां इमे तणू, किसलयदल परिसंठिय. जल बिंद्रमिवाकंडे निमिस भतरेणेव लहुं रलइ जीविए, अविदन्तस्स परलोग पत्षयणाणंतु निकले चर मणुयजम्मे 18/ ता भी या खमे तणुयतरेरि ईसिपि यमाए, जो गं एत्थं खलु सबकालमेव समसत्तु मित्तभावेहि भवेयध्वं, अप्पमतेहि च पंचमह वए धारेयचे, जहा- कसिमपागाइ. वायविरती अणालियभासितं तस्सोहणमित्तस्सावि अहिन्नम्स वजणं मणोवयकाथजीरोहिनु अवडिय. अविराहियणव गुत्तीपरिवोढियम्स णं परमपवित्तम्स सल्वकालमेव दूरदरबंभचेरस धारण वन्यपत्तसंज. मोरगरणेसुंपि जिम्ममत्तथा असणापागाईयां तु च3 Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 211 महानिकीयसूत्रं :: Hधरने / लिहणेव राईभोयणच्याभो उरगमउभ्यायोमणाइसु णं सुविसुद्धपिंडरगहणं संजीयणाइपंचढोसविरहिएणं परिमिएणं काले निन्ने पंचसमिति विसोलणं तिगुत्ती. गुत्तथा ईरियासमिईमाई भावणाओ अणसणाइतो. वहाणारठाणं मासाइभिक्खु पडिमा विक्नेि दब्बाईअभिगह अही (हाणं भूमीसथणे कसलीए निप्पाडकम्म सरीरया सचम्कालमेव गुरुनिओगकरण न्युहा पिवासापरी सहाहियासणं दिवाइउपसगविमभो लहावलदवित्तिया 19 कि बहुणा ? अरपंत दुबह भी वहियध्वे अवीसामंतेहि चेव सिरिमहापुरिसबूडे अला. रसंसीलंगसहस्सभारे, नरिथत्वे अभी बाहाहि महा. समुहे,अरिसाईहिचणं भी भक्खियब्वे गिरासाए वाल्याकवले, परिसक्के यवं च भी जिसियसूति. क्व दारूणकरवालधाराए, पाय-या यणं भी सु. ययवहजालारली, भरिय-वे गं भी सुहमपत्रणको-थलगे, गमिय-वं च भी गंगापवाह पडिसोहेणं,तो. लेथ भो साहसलाए मंदरगिरि जेयत्वे यणं भो एगागिएहिं चेव धीरताए सुदुज्जए चाउरंग बले,वि. Prem गं भी परी भ मंटअटउचम्कोरियामा सिम्मि उंबी (उ घीउल्लिया, गहेयव्याणं भी सथलतिटु. यणविजया णिभ्मलजसकित्ती जयपडागा, ता भी भी जणा एथाओ धम्माणुहठाणाओ सुटुक्कर णधि कि चिमन्नति 20 // उज्जति नाम भारा ते रिचय बुझंति वीसमंतेहिं। सीलभरो अणगुरुओ जारजी अविसामो // 1 // ता उन्सिऊण पेम्म घरसारं पुत्तरविणमाईथ। णीसंगा अविसाई पथरह सबुत्तमं धम्मं ॥२॥णोधम्सस्स भउक्का उक्कंचण वंचणा य ववहारो। णि Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ r25 श्री आगम-सुधासिन्धुः: दशमो विभाग: छम्मो ती धम्मो मायादीसल्ल रहिभी उ // 3 // मासु जंगमत्तं तेसुवि पंचेंदियत्त मुक्की सं। तेसुविन मा. गुसतं मणुयने आरिओ देसो॥४॥ देसे कुलं पहाणं कुले पहाणे य जानमुक्कोसा। तीए रूसमिट्टी वे य बलं पहाण यरं // 5 // होइपले चियजीयं जीए य पहाणयं तु विन्नाणं / विन्माण सम्मत्तं सम्मत्ते सी. लसंपत्ती ॥६॥सीले खाइयभावो रखाइयभावय केवलं नाणं। केलिए पडिपुन्ने पत्ते अपरामरो मोक्खो // णय संसारंमि सुहं जाइजरामरण दुक्षगहियस्स। जीयम्स अत्यि जम्हा तम्हा मोरयो उवाएओआणि सडर अांतहत्तोहजोगिलक्ये. सुं। तस्साहवासामग्गी पता भी भी बह हिं॥९॥ ती एत्य जन्न पतं तदस्य भो उज्जम कणह तुरियाविबुहजणगिंदियमिणं उज्ज्ञयह संसारअणुबंध // 10 // लहि भो धम्मसुई अणेगभवकोडिलक्ख-सुविटुलहं। जब णाणुह सम्मं ता पुणरवि दुल्लह होही / / 13 // ललिलयंचबोहिजोणाणरमणाग पन्ध। सो भो अन्नं बोहिलहिही कयरेण मोल्ले // 12 / / जावणं पुत्वजाईसरणपच्चएणं सा माहणी एतियं वागरे ताव गंगोथमा। परिदमसेसंधिबंधुजणे बहुणागरजणो य 22 / एयावसरेमि उ गोथमा।" भणियं सुविद्रियसोग्गइपहणं तेण गोविंदमाहणयांजहाणं धिदिदि वंचिथा एथावन्त कालं,जनो वयं मूढे अहो गं काठमन्नाणं दुन्नियमभागधिज्जेहिं खु. सत्तेहि अदिदग्धोरूगपरलीगपरवाएहि अतत्ताभिणिविदिठीहि पक्ववाथमोहसंधुक्कियमाणसेहि रागदोसोवहयबुद्धी हि परं परं तत्तधम्म 22 / अहो स. जीवेणेव परिमुसिए एवायं कालसमर्थ, अहो किमेस Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [213 भी महानिरीथसूत्र ययन . णं परमप्या भारियालेणारिसर मझ गेहे उदाहणं जो सो निरिभो मीमंसहि सःचन्न सोधिएस सूरिए इव संसयतिमिरावहारितेण लौगावभासे मोकख मागसंदृरिसण-धं सथमेव पाथडीहए, अहो महाइस यत्ययमाहगाउ मज्झ्य दइयाए वाथाओ,भो भी जग्णयत्तविण्यत्त जण्णदेवविस्सामित्त सुमिचादभो मज्म अंगया। अभुदठाणारिता ससुरासुरस्सा. विणं जगम्स एसा तुम्ह जणणिति, भो भो पुरंदूरपभितीर खंडिया। विद्यारह णं सोवन्झायभारियामी(ए) जगत्तयाणंदाओ कसिणानिधिसणिदुहणसीलाओ वाय'ओ पसन्नोऽज्ज तुम्ह गुरु आशहणम्बसीलाणं परमप्पबलं जजण जायणज्झथणाइणा छक्कम्मा भसंगयां तुरियं विणिज्जिणेह पंचेंदियाणि परिचयह ण की हाइए पाये विवाह णं अमेज्या बालपंक पतिपुण्णा सुती कलेबरपवि. (घ) समोवणतं 23 / इच्चे अणेगा हिवरजणणेहि सुहासिएहिं वागरंतं चोइसज्जिाठराणपारगं भी गोय. मा / गीविमानण सोफण अत्यंत जम्मजरामरण भीलयम बहवे सम्पुरिसे सनम धम्म विमरिमि समारछे, तत्य के वन्ति जहा एस धम्मो पनरो, भन्ने भ. णंति जहा एस धम्मो पवरो, जावणं सवेहि पमाः णीकया गोथमा। सा जातीसरा माहणिति 24 ताहे तीय संपवक्रवाथमहिसोलक्विथामसंदिदं खंताइद. सविह समणधम्म दिखंतहकहि च परमपरचयं वि. णीयं तसिंतु, तओ यते तं माहणिं सध्यन्नमिति काऊणं सूइयकरकमलंजलिणी सम्म पणमिणं गो. यमा। तीए माहणीए सरिद अदीया मासे बहवे नर. नारीयो चेच्या सुहियजण मित्त बघुपरिबागह Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 211] श्री आगम-सुधासिन्धु: :: दशमो विभागः विहर सोमवमप्य कालियं निक्खंते सासयसोकरवसुहाहिलासिणो सुनिरिध्यमाणसे समणत्तेण सयलयुगोहधारिणी घोसपु-वधरस्स चरिम सरीरस्स णं गुणधरपविरस्स सयासेत्ति 25 // एवं च ते गीथमा ! अच्चंतघोरवीरतवसंजमाणुहठाणसज्सायसागाईसु गं भसे. सकम्मकारवयं काऊण तीए माहीए समं वियरयमल सिद्धे गोविंदमाहणारी गरणारिगण सवेऽवी महायसेत्ति बेमि 26 // सू०१॥ . से भयवं! कि पुण काऊणं एरिसा सुलहबोही जाथा सा सुगहियनामधिज्जा माहणी जाए एथावइयाणं भवसत्तायां अणंतसंसारयोरटुक्रवसंतताणं सखम्मदेसणाइएहिं तु सासयसुहपयागपुःवगमन्मुद्धरणं कति गोथमा! अंपुर सवभावनावंतरंतर णं णीसल्ले आजम्मालीयणं दाऊणं सुद्धभावाए जही. वहठं पायरिछत्तं कयं, पायरिछत्तसमतीए य समाहिए य कालं काऊणं सोहम्मे कय्ये सुरिंदगमहिसी आया तमणुभावेणं से भयवं! किसे णं माहणीजीवे तभवंतरंमि समणी निग्गंधी अहेसिं? जेणं णीसल्लमालोइताणं. जहीवाट पारित कथति, गोथमा! जे यंसे माहणीजीवेसे गं तज्जम्मे बहुलद्धिसिद्धिजुए महिड्ढीयने सथलगुगाहारभूए उत्तमसीलाहिट्ठियतणू महातवस्सी जुगप्पहाणे समणे अणगारे गच्छाहिवई असि, णी णं समणी। से भयवं! ना कथरेणं कम्मविवागणं तेयं गच्छाडिवणा होऊगं पणो इत्थितं समजियांती गोथमा ! माथापचएणं 3/ से भय कथरे गं से माथापच्चए जेणं पथणी(कथसंसारेविसथलपावोथएणावि बहुजणगिदी सुरहि बहुवघयवंचुण्ण सुसं. करियसमभावपमाणपागनिष्फन्नं मीथगमल्लगे श्व Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [hry सौ महानिशास्त्रं मरनं , सध्वम्स भक्षे सथलदुस्खकेसाणमालए सथलं सुहासणस्स परमपविनुत्तमम्स णं अहिंसालम्वणसमणधम्मस्स विग्घे संग्गग्गलानिरथदारमूर्य सथलअयसअकित्तीकलंककलिकलहरेराश्यावनिहाणे निम्मल. स्स कुलस्स गं. दुरिसअकज्जकज्जलकण्हमसी स्वंपणे नेणं गरधाहिवइया इत्यीभावे मिलवत्तिएति गोयमा ! यो तेणं गरवाहिवतएिणं अणुमवि मायाकथा; से गं तथा पुहवई चम्कडरे भक्त्तिाण परलोगभीकए णिबिन्तकामभोगे तिणमित्र परिधानं नारिसं चोइस रयण नव निहीती चोसठ्ठीसहस्स वरवईयां बत्तीसं साहस्सी ओअणादिवरनरिंद धनउई गामकोडीओ जाव णं धक्खंडभैरहवामास गंदे. वेदोवमं महारायलछि तीथं बहनचोइए णीसंगे पव्वइए अ, धोवकालेणं सथाजगुणोहधारी महातबस्सी सूथहरे जाए, जोग्गे गाण सुगुकहिं गरछाहिवई समगुण्णाए। तहिं च गोथमा। तेणं सुठिसुगया जहोवइटं समाधम्म समगुटेमाणेणं उ. गाभिग्गहविहारिताए घोरपरीसहीवसरगाहियासणे रागडोसकसायविवज्जणेयं आगमाणुसारेणं तु विहीए गगपरिचालणेगं आजम्मं समीकय्यपरिभोगवजणे. णं धक्कायसमारंभस्विजणेणं इसिपि दिव्योरालि. यमेहुणपरिणामविप्यमुम्केयं इहपरलोगासंसाइणियाणमायाइसरल्ल विथ्यमुम्केयं णीसल्लालोयणनिंदागरहोणं, जहोवइयायधिसकरणेणं सध्यस्थापडिबल्तेयं सम्बया माथालंक्यविय्यमुम्कणं आणि दहभबसेसीकए अणेगभवसंचिए कम्मरासी, अण्णभवतेयां माया कथा तप्प. च्यइएणं गोथमा! एस विवागो / से भय / कयरा उस अन्नभवे तेयं महागुभागणं माथा कथा जीए गं पुरिसो Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2167 श्री आगमसुधासिन्धु: :: दशमो विभाग: रारुगो विवागी ? गोयमा! तस्स णं महागुभागस्स गरधाहिवाणो जीवी अणूणाहिए लक्वामे भवग्गहणे,सामन्ननरिंदस्स णं इत्थीत्ताए धूया अहेसि,अ. तथा परिणीयाणंतरं मओ भत्ता, तभी नरवडणा भणिया-जहा भद्दा / एते तुम्भं पंचमए सगामाणं,३. सुजहिराए अंधाणं विगलाणां अयंगमाणं अगाहा. ण बहुवाहि वेथणापरिगयसरीराणं सव्वलोथपरिभूयाणं दारिदुखदोहयाकलंकियाणं जम्मदारिहाणंसमणाणं माहणाणं विहलियागं च संबंधिबंधवाणं जं जस्स इट्ठं भत्तं ना पाणं वा अरछायणं वा जावणं. धन्जसवन्नाहिरण्ण वा कणसयसयलसोक्यदायग संपूण्ण जीवदयंति, जेणं भयंतरेसुंपि ण होसि सथल. जण मुहारिययगारिया सवपरिमूथा गंधमल्ल तंबालसमालहणाइजहिच्छियभोगोव भोगवजिया न्यासा दुज्जमजाथा मिदाणामिया रंडा / ताहे गोयमा सा तहत्ति पविजिऊग पगलंतलोयणंसुजलणिदोयकवोलदेसा ऊसरसुभसुलगुणधरसरा भणिउमाउत्ता-जहा णं ण याणिमोऽहं पभूयमालविताणं, णिगरछावह लहूं कठे रह महई चियं णिहेमि अत्ताणगं, या किंचि मए जीवमागीए यावाए, माऽहं कहिंचिकम्मपरिणाइनसेणं महायाविधीचवलसहावत्ताए एतस्स तुझ असरिसणामस्स णिम्मलजस कित्तीभरियभुवनाथरस्स णं कुलस्स खंपणं काह, जेण मलिणीभजा . सवमवि कुलं अम्हाणंति 7/ तओ गोयमा ! चिंतिथं तेण परवडणा जहा- णं अहो धन्तोऽहं जस्स अपुत्तस्साविय परिसा धूया अहो विवेगं बालियाए अहो बुद्धी. अहो पन्ना अहो वेरगं अहो कुलकलंकभीरुयत्तणंभहो स्वणे खणे वंदणीथा पसा जीए एमहन्ते गुणे ताजावणं Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री महानिशीधसूत्रं :: revi 1217 मज्य गेहे परिवसे एसा ताव णं महामहंते मम सेए,महा: दिवाए संभरियाय सलावियाए वेव सुज्झीयए इमीए, ता अपु. तस्स णं ममं एसा चेन पुत्ततुल्लति चिंतिऊणंभणिया, गोयमा / सा तेण नरवडणा- जहा शं न एसो कुलक्कमी अम्हाणं वाजं कारोहण कीरइत्ति, नातु. मंसीलचारित परिबालेमाणी राणं देसु जहिछाए कुणसु य पोसहोववासाइं विसेसेणं तु जीवदयं एवं जंतुज्जमंतिता गोयमा! जगणं एवं भाशी. था ठिया सा समप्पिया य कंचुईणं अंतेउररमखयालागं, एवं च वरचंतेगं कालसमएणं तओ ण काल. गए से नरि, अन्नया संजुज्जिणं महामईहिणे मंतीहि की तीए बालाए राथामिसेहो / एवंच गोयमा ! दियो दियहे दे अत्यागं, अहन्नथा त. स्थ गं बहुवंदच भरतडिगकय्यडिंगचउर विध. बखणमांतमहंतगाइपुरिससथसंकुलभत्थाणमंउवमज्यमि सीहासणीवविट्टाए कम्म परिणवसेणं सरागाहिलासाए चरखूए निज्माएतीए सन्युतमरूनजोवणलावण्यासिरीसंगओवरए भावियजीवाश्यपत्य एगे कुमारवरे 10 / सुणिय च तेण शीयमा। कुमारणं जहा - हा हा मनं पेच्छिय गथा एसा वराई घोरंथ. थारमणंतदुक्खदायगं पायाल, ता अहनोऽह जस्स णं एरिसे योग्गलसमुदाए तण रागतं, किंमएजीविएणं दे सिग्ध करेमि भह इमम्स णं पावसरीरस संधारे, अमुठे मि णं सुदुम्कर पच्छिन, जाव गं का. ऊण संयमसेंगपरिध्याय समामि गं सयलपावनिहुलणं अणगारधम्म, सिटिलीकरेमि गं अणेग भवंतरवि. इन्ने सुबिमाक्सवे पावबंधणसंधाए, दिदिष्टी अब्बात्ययस्स गं जीवलोगस्स जस्स एरिसे अणप्यवेसे इंदिय Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 212 श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: गामे अहो अदिदठ परलीगपचवायया लीगम्स अही एक्क जम्मा भणिविचित्तथा अहो अविनायकज्जाकज्जया नही निम्मेश्या अहो निप्परिहासथा अहो परि. चत्त लज्जथा हा हा हा न जुत्तमम्हाणं स्वणमवि विलंबिउं एत्य एरिसे सु टुन्निवारसज्जपावणे देसे, हा हा हा धदारिए। अहम्नणं कम्मरठरासी जमुझरियं एईए रा. यकुलबालियाए इमेण कुपाव सरीररुवपरिदंसपेण णयणेसुं रागाहिलासे. परिचिच्चाणं मे विसए तभी गण्हामि पन्वज्जति चिंतिऊणं भणियं गीयमा! तैयं कुमारवरेणं 11 / जहा णं खंतमरिसियं णीसल्लं तिविहंतिविहेणं तिगरण सुष्ट्रीए सबस्स अस्थाणमंडवरायउलपुरजणसेति भणिफणं विणिगओ रायउला ओ पत्तो य निययावासं, तत्थ गहियं पत्थयणं, दीखंडीकामण वसियं फेणावलीनरंगमउयं सुकुमाल. वत्य परिहिएणं अब्द फलो गहिएणं वाहिणरत्येणंसुयण जणहियए इव सरलक्तिलयरखंडे 12 / तभी काऊ तियणेक्क गुरणे अरहताणं भगवंताणं जगप्पवराणथम्मतित्थकराणं जस्तविहिणाऽभिसंधवणे बंदणं, से गं च. लचलगई पते गं गोथमा। दूर देसंतरं से कुमारे जाव णे हिरण्गुक्करडी णाम रायहाणी, तीए शयहाणीए . म्माधारियाण गुणविसिवाणं पनि अन्नेसमाणे चि. तिज परसे से सुमारे. जहा णं आवां के गुणवि. सिट्ठे धम्मारिए मए समुवलदे ताविहई चेव मएवि चिठियब्वं ती गथायि कवियाणि दियहामि, भयामि णं एस बहुदेसविम्वाथकित्ती परवरित एवं चम. तिऊया जाव णे दिदो राया, कयं च काय, सम्मा णिभी य णरणाण, पडिस्छिया सेवा 13 / अन्नधात डावसरेणं पुठी सो कुमारो गोथमा नेणं नरवक्ष्णा. SHEEROFERFERE Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRRRE महानिशीथसूत्रं अधरनं 1 . _*219 जहां भी भी महासत्ता ! कस्स नामालंकिए एस तुझं इत्यामि विरायए मुद्दारयणो को वा ते भविओ एवइयं, काले? केवा अवमाणए कर तुर सामिगर्ति कुमारेणं भणियं-जहा गं जस्स नामालंकिर णं इसे मुद्दारयण से गंमए सेविए एबइथं कालं, जे यं मे सविए एवइयं कालं तरस नामालंकिंर ण मे मुद्दारयो, त. आ नरवड्या भणियं-जहाणं कितस्स सहकरणंति? कुमारेणं भणियं-नाहं अजिमिएणं तस्स चम्खुकुसीलाहम्मस्स णं सहकरयां समुच्चारेमि 14aa ली रण्णा भणियं जहाणं भो भो महासत्तः ! केस एसो घरकुसीली भरणे ? किं वा अजिमिपटि तस्सदकरणं नी समुच्चारिययु? कुमारे भणिय. जहा पंचवखुकुसीलीति सखाए, धागंतरहिती जड़ कहारदाइ इह ते विठयच्चयं हीही तो पुणवीसत्यो साहीहामि, जं पुण तस्स अजिमिपहिं सद्दकरणं पुतणं, ण समुचारीथए, जहा गंज कहारदाइ अजिमिरहिं चैव तस्स चक्खुकुसीलाहम्मस्स गामगहणं कीरए ताणं णत्यि तंमि दियहे संयती पाण भोयणसत्ति 15/ नाहे गोयमा! परमविम्हिएणं रन्ना कोउहल्लेण लहु हस्काराविया रसबई, उवनिो भोथणमंडवे गाया सह कुमारणं असेस परियणेां च, आणावियं अहारसखंडपन्जियविथप्यं णाणाविनमाहारं 16 / एयायसमि ‘भणियं नरवइया-जहा गं भी भी महासत्त। भयाणीसं. की तुम संययं तस्स णं चक्कु सीलक्स णं मदकरय कुमारेणं भणियं-जहा गं नरनाह ! भणिहामि भुत्तुत्तरकालेणं,णरवड़णा मणियं-जहाणे भी महासत्त। दाहिणकरधरिएणं कग्लेणं संययं चैव भणसु जे गं खुजा एयास कीडीए संठियाणं के विग्धे हवेज्जा नागमम्हवि सुदिपच्चा RSSFERRESS Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 220] श्रीभागमसुधासिन्यु::: दशमो विभागः संते पुरपुरस्सरे तुज्माणती अनाहियं समणुचिरामी, सभी गोथमा! भणिय मेण कुमारेणं जहाणं एवं ए. यं अमुगं सहकरयां तस्स चक्र कुमीलाहम्मरसणं दु. रंतपंतलम्रवण नदब्बद्धज्जायजम्मस्सत १७/ता गो यमा। जावचेवरसमल्ललेणंकमारवर नाव णं अणोहिपवितिएणव समुद्धा मिथ तस्वणा परच. क्केण तं रायहाणी, समुद्धाइए गं सन्नबद्धदए णि. सिथकरवालकुंतविप्यरत चम्काइपहरणाडौववरगपाणी हणहणाहणरावभीसगा बहुसमर संघटादिण्यापिठी जीयंतकर अउलबलपरस्कमे ण महाबले परबले जोहे, एयावसरम्हि य कुमारस चलणेसु निवडिझणं दिव्यच्चए मायामयाउलताए अगणियकुलक्कमपूरिसयारं विप्यणासे, हिसिमेम्कमासइत्ता. णं सपरिंगरे पणठे से ण नरवरिंदे १-ए-तरंमि चिंतिथ गोथमा। तेण कुमारण. जहा गं नी सरिसं कुलक्कमेऽम्डाणं जं पट्टि दाविजइ,जो ण तु परि. यज्ञमए कस्सावि अहिंसालमखाधम्म विथाणमागेणं कयपाणावायपच्चक्याोणं च, ना कि कंरेमि गं? सागारे भनपाणाईणं पच्चक्यायो भल्ला णं करेमि ? जी दिदठे गं ताव मए दिठी मित्तकुसीलस्स णामगहणणावि एमहंत संविहाणगे, ता सं. पयं सीलम्सावि एवं परिक्खं करेमिनि चितिकणं भणिउमारते णं गोयमा' से कुमारे-जहा ज. इ अयं वायामिनेणावि कुसीलो ना गं मागीहरज्जाह अम्खयतण खमेणं एथाए रायहाणीए, सहाण मणोवदकायतिएणं सवपयारेहि णं सीलकलिभो ता 7 बहेज्जा ममीवरि इमे सुनिसिए दाळणे जीतकरे प्रहरराणिहाए 19 / णमो 2 अरहताणंति भणिझणं जार ण करतोरण 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ·褒獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्रीमहानिधिसत्र :: अध्ययन 7 द्वारेणं चलचवलगई जाउमारदो, जोवण पडिक्कमें / धवं भूमिभागं तावणं हल्लाविय कम्पगिने रोग गरछ एस नरवइनिकाऊणं सरहसं हण ल्णा मर मर. ति भणमाणुस्वित्तकरबालारियहरोणिं परवलजोहेहिं, जाव णं समुद्धाइए अरतं भीसो जयग्लने परबलजोहे ताव णं अविसण अगुददयाभीय हीणमाणसेणं गोथमा! भणियं कारण - जहां भी भी दुहठपूरिसा। ममीवरि चेह एरिरो घोरतामसभावेण अन्तिए, असइंगि सुहज्यवसाय संघिय पुण्णापडभारे एस अहं से तुम्ह पडिरस्तू अमुगो गरवती,मा पुणीविभणियासु जहा णं णिलुक्को अम्हाणं भएणं, ता पहरेज्जासू जइ अत्थि पीरियंति 20 / जाने नियं भणे तार णं शैक्षण व धभिए ते सव्ये गीथमा' परबलजोहे सीलाहिरिठयनाए नियसाणवि अलंघ. !णिजाए तस्स भारतीए, जाए य निचलदेहेत मी यणं धसत्ति मूच्छिऊणं णिचिटठे गिवडिए धरणिवठे से कुमारे 21 / एयावसरम्ही उगोयमा? तया णरिदाह मेण गुहियमायारिणा वुत्ते धीरे स. व्वत्थावी समत्थे सव्वलोयभमंते धीरे भीरू वियक्रमण मुक्खे सूरे कायरे घउरे चाणक्के बहुपञ्चभरिय संधिविगहिए निउत्ते पल्ले पुरिसे जहा णं भी भी गिट) तुरिय शयहाणीए वनिंदनीलससिसूरकंताहीए पवरमणिरयणरासीए हम- / ज्जुणतवणीयेजंबूणथसुबन्न भारलक्रयाणं, कि बहुणा? विसुद्धबहुजचमोत्तियविद्यमस्वारिलखपडिपुन्नस्स णं कोसन्स घाउरंशम्स यलम्ल, विसेसओ णं तस्स सुगहियनामगहणस्स पुरिससीहस्स सीलसुद्धस्स कुमारवरसेतिपातिमाह जेणाहं णि 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 127 श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभागः . ध्वनी भय 20 ताहे नरबहणी पणाम काऊणं / गोथमा। गए ने निउत्त पुरिसे जाव तुरियं चल. चवलजइणकम पाक्षिणा गहिणं जच्चतुरंशमेहि निजनिरिकंदलहेस परिस्काओ स्व. गैण पत्ते ग्यहाति, दिठो यहि वामदाहिणभुः याए पल्लवेहि क्या सिरोरुहे बिलुप्यमायो कुमारी, तस्स य पुरसओ सुक (बन्नाभरणणेवल्या इसदिसासु मोटामाणी जयजयमद्दमंगलमुहला रथः हरण वावडो भयकरकमलरिरयंजली देवथा,तंच दहण विम्यभूयमणे लिय्य कम्मणिम्मविए (लिए) 23. एयावसाम्हि उगो यमा' सहरिस रोमंचकंचुपुलत्यसरीराए णमो. अरहताणंति समुच्चरिक्रया भ. णिरे गया रिठ्याए पश्यदेवथाए से कुमारे- तंजहा___जो रलाइ मुठिपहरे हि मंदरं धर करयले वसुट। सम्बोर होणावि अलं आयरिसइ एम्घोदरेणा // 13 // गले सरगाउ हरिं कुणाइ सिवं तियण रसवि वयो। अस्वं. डियसीला कुत्तोऽविण सा पहुयेज्जा / / 16 // अहवा सो. घिय आओ गणिज्जए तियणास्सवि स बंदी। पुरिसो व महिनिया वा कुल जो न खंडए सीलं॥१५॥ परम पवितं सप्युरिस सेवियं सालपावनिम्म / सबुनमसोक्वनिहि सतरसविहं जयइ सील 16 // नि भागि. मयां गोथमा। अनि मुक्का कुमारस्सोवरि कुसुमधुठि पवयणदेवयाए, पुणोऽवि भणिउमाठना देवया, तजहा देवस्स देंति दोसे पवंचिया अन्नको सकस्मेटिं। या गुणेसु उक्ति प्यं सुहाई मुद्धाय ओएति // 17 // मज्झथभाववनी समरिसी साउलीथवीसासो , निकखेवयपरि. यन्नं दिवो न करे न दोए // 18 // ता बुन्न्यिमा सनम जणा सीलगुणमहिड्डीयं / तामनभावं चिच्चा REERRESPERIES Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BRUARY महानिकायसूत्र : UN 7 4223] कुमारपथपंकy णमह / / 16, ति भणिकगं अर्हसणं गया देवथा इति 24 ते इल्ल पूरिसे लहुं व गंतूण साहिथं तेहिं नरवइयो, तओ आगओ बहुविकण्य कल्लीलमालाहि णं आऊरिजमायाहिययसागरी ह. रिसविसाथबसेहि भीउडरठ)या तत्थचकियहियो सगियं गुज्ससुरंगखडस्कियाहारेणं कंयंतसवगतो मत्या को उडल्लेणं, कुमारईसणुक्कंटिओ य तमुद्देतं, दिद्यो य ते सो सुगहियणामधेजो महायसो महासत्ती महाभागे कुमारमहरिसी, अपडिवाइमहीहीय. यण साहेमाणो संवाझ्याइभवाणुहूयं दुरवसुहं सम्मत्ताइलंभ ससार सहावं कम्मबंधाहितीविमोक्षमहिसालम्वणमणगारे वयरबंध णराहीणं सुहगिसन्नो सोहम्माहिवइधरिउपरिमंडराथवत्ती, ता य तमदिठपुव्यमच्छरगं दगा पडिबुद्धो सपरिगहो पब्वइओ य गोधमा / सो राया परचनकाहिबईवि 25 / एत्यंतरंमि पत्यसुसरगंभीर गहीरदुंदुभिनिग्धीसपुब्बे समुघुई चबिहदेवनिकायुग, तंजहा. कम्मदगंठिमुसुमूरण, जय परमेटिमहायस जय जय जयाहि चारित्तदसणणाणसमरिणय // 20 // सधिय जणणी जरी एक्का, वंदगीथा खणे 2 / जीसे मंदरगिरिगरओ, उयरे पुछो तुम महामुणि // 21 // ति भणिकणं विमुंघमाणे सुरीभकुसुमबुठिं भतिभनिभरे विरत्यकरकमलंजलीउति निवडिए ससुरीसरे वसंधे जोधमा! कुमारम्स ग चालणारावित, पणचियाओ देवसुंधरीओ, पुणो युग भिस धुणिय यम सिय चिरं पञ्ज वासिऊया सत्याणम् गा देननिवहे 26 / / सू०२॥ से भयन ! कह पूण एरिसे सुलभबोही जा. ए महायसे सुगहिथणामधजे से कमारमहरिसी' మానవ సంవత Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 228] श्री आगमसुधासिन्धुः दशमो विभाग गोयमा! तेयां समण भावटिग्यां अन्नजन्ममि वाथादंड पउले अहेसि तंनिमितेणं जावज्जीव मूणव्वए गुरूवएसेणं साधारिए, अन्न च-तिन्ति मंडापावाणे संजयाणं तंजहा- आउ तेऊ मेहणे, एते यसव्वीवाएहिं परिवज्जिए, तेयां तु से ए. रिसे सुलभबोही जाए / महन्नथा गं गोथमा बहुस्सीस गणापरिंग से गं कुमारमहरिसी पत्धिए सम्मेयसेलसिहरे देखच्यानिमित्तणं, कालक्कमेणं तीए चे.. व वत्तणीए गए) जत्य णं से रायनुलबालियाणरिंदे चक्कु सीले, जाणारियं च रायनले, आओ य बंद.. गतियार सो इन्धीनरिंदो उज्जाणवरंमि, कमारमहरिरिरणो पणामपुवं च उवविदती सपरिकरी जहीइए भूमिभागे, मुणिणावि पबंधणं कथा देसणा,तं च सोऊण धम्मकहावसाणे उपदिठो सपरिवरगी गी.. संगताए, यवी गोथमा ! सो इत्थीनरिंदो एवं च अन्यतधोरवीण कटुक्करतवसंजमाणुरगणकिरियाभिरयाणं सव्वेसिपिअपड़िकम्मसरीराणं अपद्धिविहारत्तार अच्छतणिपिहाणं संसारिएन्सुं च. क्कहरसुरिंदाइटिसमूदयसरीरसोकरवसुं गोयमा। बध्यक्ष कौद कालो जाव पते सम्भ्यसैलसिहरमासं, तो भणिया गोथमा। तेण महरिमिणा रायकलबालियागरिंदसमणी-जहा ण दुक्करकारिंगे ! सिग्धं अगुथमाणसा सवभावभावंतरेहि णं सुविसुद्धं पयाहि ण णीसल्लमालोथणं, आढवेयत्वा य संपयंसवेहि अम्हहि देहध्यायकरयोक्कबद्धलक्रयेहि णीसल्लालाइयनिंदियगरहिथजदत्त सुद्धास्थजहोरड्क यच्छि. तुदयसल्लेहिं च णं कुसलदिला संहिण ति। तो णं जहत्तविहीए सम्वमालोक्ये तीए रायकुलबालिया Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32 श्री महानिराशयसूत्र : ययन / णरिदसमणीए जाव ण संभारिया तेषां महामुणिमा / जहाणं जह में नया रायत्याणमुरविटठाए तर गा. रत्याभाबंमि सगगाहिलारसाए संचिदिखाओ अहेसि समालोएहि दुक्करकारिए / जेणं तुम्हें सलमविसोही हवा नओ तीए मासा परितरिपऊगं अचवला. सनिथडीनिकेययाविधीसभावताए मा गं चरखुकुमीलति अमगरस धूया समणीणमंतो परिवसमाणी भन्निहा. मिति चिंतिकणं गीथमा। भणियं तीए अभागधिम्जाए. जहा भगवं। या मे तुम एरिसेगा भठेणं सरागाए दिदीए निन्झाइमी जी गं सहयं तं अहिलरीज्जा, किंतु जारिसे ण तुमे सव्वुत्तमम्वतारुण्जोवणलावन्नकं. तिस्सोहांगकलाकलावविण्णाणणाणाइन्यथाइसथाश्गुणीहड्डिमंडिए होत्या निसएखू निरहिलासे सुविरे ना रिमेयं तहति किं वा यो णं तहत्तिति तुझं पमाणपरियोलणा- सरागाहिलासं चक्खू पउत्ता, णो णं चा. सिलसिउकामाए,अहवा इमेत्य चेवालोश्यं भवउ किमित्य योसंति, मज्झमवि गुणावहयं भवेज्जा,वि ति. न्य गंतूण मायाकण्डेय 1 सुवण्णसथं की पथरी 5 / ताहे वणं अत्यंतगस्यसंवेगमावन्त्रीणां विदि संसारचलियीसभावस्य पंति वितिकणं भणिय मुणिवरेणं-जहा. णं धिदिदिर-५ पाविधीचलस्य भावम्स जे गं तु पेष्ठ र एटमेसागुकालसमए केरिसा नियडी पउत्तति ? अहो सलिल्धीण चलघवलचलचंचलसिहठी (न) एगठमाणसा खणमेगमवि दुज्जम्मजाथाणं अहो सथलाकज्ज. भंडोहलियाणं अहाँ सयलाथसकित्तीवुटिकरण अहो यांवकम्माभिणिविज्झरसाया भी अभीयाणं परलोगगमगंधयारधोरदारूगडक्वकंकडाहसामलिकुं. भीपागाइदुरहियासायं.६। एव च बहुमणसा परितः Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 226] - श्री आगमसुधासिन्यु: :: दशमो विभागः . प्रिया भणुयनाविरत्यिधस्मिक्करसियनुपसंतवथणणं पसंतमहारक्वरे हि धम्मदेरणा पुवयां भ. णिया कुमारणं रायकुलबालियानरिक्मणी गोयमा! ते मुणिवरेणं - जहाँ टुक्करकारिए ! मा एरिशेणं माथापबंधणं अच्चंतघोरवीरुगकटसुटुक्कर तव. संजमसज्झायज्झाणाईहि समन्जिए निरगुबंध पु. ण्णयभारे पिकले कुगसु, ण किंचि पुरि सेणां नाथा. उभेणं उनणंतसंसारदायगेय पोथणं, नीसंक मालोइताणं णीसल्लमत्ताणं कुल, अहवा अधधारणादिगारमिव धन्नि(मिथ्यसुवण्णामिन एस्काए पूधा(कुक्काए जहा तहा णिरत्ययं होही तुज्झेयं वायुप्याडयभकमाभूमीसेज्जाबावीसयरीसहीवसम्माहियारणाइए काथकिले सेति / तओ भणिय तीए भग्गलकवणाए-- जहा भगवं ! कि तुम्हेहि सदि धम्मेणं उल्लविज्ज? विश्मेसेणं आलोयण दाउमाणोहि, णीसंके पति था, जो ण मए तुम तत्कालं अभिलसिउकामार सरागाहिलासाए चकरए निज्झाइर्ति, किंतु तुज्झ परिमाणतीलणत्या निझाइओ भणमाणी चेव निहणं गया, कम्मपरिणइवसे समन्जिनाणं बदपुनिकाइथं उस्कोसदिठइं इत्थीवयं कम्मं गोथमा ! सो राथ कुलबालियानरिंदसमणिति / तओ य सस्तीसगणे गोथमा ! से णं महारगए गं. सयंबुद्धकुमारमहरिसीए विहीर सलिहिऊण अत्ताणगं मासं पाओवगमोयां सम्मेयसेलसिहरमि अंतगी केवलिनाए सीसगणसमण्णिए परिनिन्छुडेति 9 // सू०३॥ सा उण रायकुलबालियाणरिदसमणी गीयमा! तेण माथासम्भावहीसणं उवचन्ना विजकुमारीणं वाहणताए नउलीरवेणं किंकरीदेवेन्सु, ती Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 महानिशीथासूत्रं धरनं . -227 ध्या समाणी पुणी 2 उववज्जती वावज्जती आहिं. डिया माणुसतिरिन्छेन्सुं सयलदोहग्गदुक्खदारि परिणया सव्वलीयपरिभूथा सकम्ममलमणुभवमाणी गोयमा! जावगं कहकहनिकम्मा ख. ओवसमेणं बहुभवंतरेसु तं आयरियययं पाविऊण निरक्यारसामनपरिवालोणं सम्बत्यामेसुं च स. व्यायमाथालंबणविप्यमुक्केगं तु उज्जमिऊणं निदइटावसेसीकयभवंकुरे तहावि गोयमा ! जा सासरागा चक्खू णालोइया तथा तक्कम्मदोसणं माहणित्थीनाए, परिनिव्वुडे णं से रायकुल बालियायारिदसमणीजीवे // सू०४॥ से भयवं! जेणं केई सामण्णमभुज्जासे ण एक्काइ जाव णं सत्तभवंतरेसु नियमेण मि. सिज्जा ता किमयं अग्णाहियं लक्व भतरपरियडयंति ? गोथमा! जेणं केई निरइयारे सामने निव्बाहेज्जा से गं नियमणं एकाइ जाय णं अहठभवंतरेसु सिज्ने,जे उया सुद्धमे बाथरे वा केमाथासल्ले वा आउकायपरिभोग वा तेउकायपरिभोगे वा मेहुणकाजे वा अन्नथरे वा केई आणाभंगे काऊयां सामग्णमइयरेज्जा से णं जं लम्येण भवग्गहोणं सिझे तं महद लाभे, जभी गं सामन्नमस्यरित्ता बोलि पिलभेज्जा दुक्खेणं, एसा सा गीथमा। तेणं माणीजीवेणं मायाँ कथा जीए य पहमेत्ताएविएरिसे या. वे दालणे विवागिति // 5 // से भयवं! कितीए महीधारीए तेहिं से तंकुलमल्लगे पयरिए ? किंवा गं साथिमहथरी तत्थेन तेसिं समं असेसकम्मकवयं काऊणं परिनिडा हवेज्जति गोथमा। सीए महियारीए तस्स यं Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 228] भीमा सामसुधासिन्धु. दशमो विभाग सदुल्लमल्लगम्सादगए सीए माहगीए धूयति काऊ. णं गरमागणी अवंतराले चेव अवहरिया सा सुज्जसिरी, जहा या मन्यं गोरस परिभीत्तूयं कहि ग धसि संययन्ति 1 आह वस्चामो गोउल. अण्णांच जब तुम मज्झं विणीथा हवेज्जा ताहेऽह तुज्झं अ. हिच्छाए तेकालियं बहगुलधएणं अणुर्दियह पायस ययरिछहामि१। जाव ण एय भणिया तारा गया / सा सुजसिरी तीए मत्थरीए सर्वि, तेहिंपि पर. लोगाणुराणक्करम्हज्यवसायक्वित्तमाणसेहि न संभरिया ता गोविंदमाहगाई हिएवं तु जहा भणिय महयरीए तहा चेव तस्स ज्ययलयायसं यथच्छे 2 / अहन्नथा कालक्कमेण गोथमा! वीछिन्ने ण दुवाल ससंवरिय महासेरवे दाळणे दुन्भिलवे जाए य णं रिद्धि नियमिथसमिद्धे सन्येऽविजयवए, महानया पूण वीस अणग्याणं पवरससिसूरताई मणिश्यणाणं घेतूण सदसगमणनिमित्तण दीहदाणपरि. स्विन्न अंगथरठी पहपस्विन्ने ण तत्व गोउले भवि. थन्वथानियोगण आगए अणुचरिथनामधेज्जे यावमती सुज्जसिये, दिठा य तेणे सा कन्नगा जाव णं परितुलियसंथलतियण मारणारीसवकतिलाबण्णा, त सुज्जसिरि पॉखिय चवलत्ताए इंदिया रम्मयाए किंपागफलोवमाण भयंतदुरूखदायगाणं विसथाणं विणिज्जियासेसतियणसणं गोयरगर णं मथरके उगो, भणियाणं गोधमा! सा सुज्जसिरी तणं महापावकम्मेणं सुज्जसिवेणं-जहा णं हे हे कन्नगे। जद गं इमे तुज्झ सन्तिए जणणीजणगे स. मणुमन्तंति ता णं तु अत्यं तं परिणमि, अन्नं च-करोमि सध्यपि ने बंधुवरगमदारिदंति, तुझमरि घडावेमि पन. Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी महानिधिसूत्र:: यरनं 221 सरामगूणगं सुवन्नस्स, ती गरछ अइरेणेव साहसु मायाक्तिाणं 3 / ती गोथमा ! जारणं यह तुहा सा सुज्जसिरी तीए महथरीए एयवइयरं पकहे ताव णं तम्षणमागंतूण भपिओ सो महयरीएजहा भी भो पयंसेहिणं जे ते मज् धूयाए सुबन्नपलसए सुंकिए, ताहे गोथमा ! पयंसिए तण पवरमणी, तओ भणियं महथरीए-जहा तं सुबन्नसयंदाएहि, किमएहि भिरमणगेहि पंचिगेहि ? ताहे / भणियं सुज्जसिवेणं-जहा णं एहि वच्चामो णगरं. इंसेमि गं अहं तुज्झमिमाणं पंचिगाणं माहप्यं // तओ पभाए गंतुण नगरं पयंसियं ससिउरकंतपवरमंगीजुवलगं तेणं नरवड़यो, गरवणावि सहाऊि. ण भणिय पारिकवी-जहा उमाणं परममणीणं करेह मुल्लं, तोल्लंतेहिं नुन सक्किरे तेसिं मुल्लं काऊ, ता. है भणिया नरवणा-जहा गं भी भो माणिक्करखंडिया! पास्थि के एत्य जेणं एएसिं मुल्लं करेज, तो गिण्डसु णं इस कोडीओ दृविणजायस, सुज्जसिवेणं भणियं. जे महाराओ पसायं करोति, णवरं इणमो आसण्णा-. पवयसन्निहिए अम्हाणं जीउलं तत्थ प्रगं च जोय. ..णं जान गोणीय गोधरभूमीतं अकरभरं तं विमुंच.. सुति, तो नरवडणा भणियं-जहा एवं भवउत्ति 2,51 एवं च गोयमा। सचमदरिदमकरभरं गोउलंकाऊणं तेणं अणुचरियनामधजे परिणया सा गिययध्या सुज्जसिरी सुज्जसिवेणं, जाया परोपरं तेसिं पाई, जावणं नेहाणागरंजियमाणसे गर्मिति कालं किंचि नाव णं दणं गिहागए साइयो पडिनियले हाहाकरं करेमाणी पुट्ठा सुज्जसिवेणं सुज्जसिरीजहा पिy ! एयं अदिएर भिक्वाथरजुयलय Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नजहा 230] श्री आगम मुद्यासिन्धुः :- दशमो विभागः / पळूण किमयाब-4 गया सि' ती ती भणियं जहा पण मन्य सामिणी परिसी, मत्या भलस्वन्तपाय पत्तभरण कारियं, तो यह तुहठमाणसा उत्तमंगणं चलणगे पणमथतीता,मए भज्ज एसि परिदंसगीणं सा संभरियति। ता पुगोवि पुरता सा पावा तेणं. जहा णं पिए / का उ तुज्यं सामिणी असि ? तो गोथमा ' णं दटं कसुरुसुरतीए समगुगगा रविसंधुलंसुगगिराए साहियं सवपि गिथयबुतंतं तरसेति 7 / ताहे विण्णायं तण महायावकम्मण, जहा गं निश्चयं एसा सा ममंगथा सुज्जसिरी, या अण्णाय महिलाए परिसा कवकंती हित्तीलावण्णासोहासमुत्यसिरी भवेज्जति चिंतिकणं मणिमास्तो, एरिसकम्मरयाणं न पडे धडहडितयं वजं / (ण इमे) चिंते सोवि जहित्थीउ चिओ से कत्व सुन्सिस // 22 // ति. भणिऊणं चिंति पस्तो सो महायावयारी जहा णं किं छिंदामि अहयं सहत्येहि तिलं निलं सगत्तं ? किं वा गं तुंगगिरियडाउ पस्विवि दटं सं. चुन्नमि इणामी अणेतपावसंघाथसमुदयं दुलं किंवा णं गंतुणं लहियारसालाए सूतजलीहवंडंमिर घणखंडाटि चुनावमि सुइरमत्ताणगं? कि.वाणं फालो. देऊण मज्जयोमसीए तिमरखकरवत्तेहिं अत्ताणग पुण संभरावेमि संतो सुकथितग्यतंबकसलीहलोणूससजियावास्स? किंवा गं सहत्येनं जिंदामि उत्तमंग? कि वा यां पविसामि मयरहरं किं वा गं उभयलकरवसु अहोमुहं विािबंधावियामत्तागं हेदा पजलामि जलणं ? कि बहुणा ? मिमि. कठेहि अत्ताणगंति चिंतिकणं आवणं मसाणभूमीए गीयमा! विरदया 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * महानिकायसूत्र * Havam [231 महती चिई / ताहे सथल जलसन्निन्झं सुइ निदि कर" अत्तामागं साहियं च सवलोगस्स- जहाण मए एरिस एरिसं कम्म समायरियति भणिकर्ण आरूठी चिच्याए, आव ण भविथव्यथाए निमीरी यां नारिसचन्त जोगाणुसंस? ते सत्वेविदासनिकायं इज्जमायोवि भयोगपयारेहितहाविणं ण पचलिए सिंही, तमो यण घिदीकारेणीवही स चलली गवयणहि जहा भी ओ पिच्छ पिच्छ हयारागि ण पन्जले पानकम्मकारिस्सनि भणिझणं निदाडिम ने बेहविगी लामो 9. एयावसरंमिर अण्णासन्न सन्निये. सामी आगए अन्तयाण गहाय लेणेव मीणां उज्जाणाभिमहे मीण सघाडगे, नंच दणं अणुमगोणं गए ते बेति पारिठे, पने य उज्जायां जावों परछति सयलगुणोधार चउनायासमन्नियं बहसीसगणापरिकिन्नं देविदजरिवतिसाणपाथारविंद सुगहिथनामधिज्जे जगा द नाम अणण गारं, न च दंदण चितियं तर्हि- जहा णं दे मागामि विसोहियथ एस महायसेत्ति, चिंतिक ससी पणामपुत्वी उबनिरठे ते जहोइए भूमि भागे यूरी गणहररस, भणियी य सुज्जसियो नेण गणहारिया - जहा भो भी देवाणुप्पिया। णीसल्लमालोएमाणे लह करेलु सिग्य असेसपाविठकम्मनिठवणं यायः छिन्तं, एसा उण आगन्तसत्ता एयाए पायच्छितं . Aध जाव गं जो पस्था 10 ताहे गोथमा ! सुमहचंतपरममहासंवेगमए से सुज्जसिवे आजम्माओ नीसल्लालीयण पछिकणं जहोवइदठं घोरं सुद्ध. मकरं महंत पायरिछतं अणुचारित्तागं तओ अरत. विसुजपरिणामो सामग्णामभूठियां छब्बीसं सं. वरछरे नेरस थ राईदिए रचतयोरवीकरणकद 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽 Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 232] श्री भागमसुधासिन्धुः:दशमो विभागः ' करतवसंजम समगुचरिझा जात ण एगतिचउपंचछम्मासिएहिं खमणेहि विवेकय निप्पडिकम्मस. रीरत्ताए अपमाययाए सव्वत्थामेसू अणवरथमहन्निसाणुसमयं सययं सन्झायज्झाणाईन्सु णं निंद्दहियां सेसकम्ममलं अउव्व करणेां खवग से लीए अंतगड - केवली जाए सिद्ध य ११शा सू०६॥ से भयवं! तं तारिसं महापाव कम्मं समायरिकणं तहावी कहं एरिसे णं से यु-जसिवे लहूं धैवेणां कारलेणं परिनिन्डेति ? गोयमा। तेणं जारिसभावहिएणं आलीयां विइन्नं जारिससंगमरण तं ताकि घोरदुक्करं महंत पायावतं समणुटिठयं जारिसं सुबिसुदसुहन्झक्साएणं तं तारिसं अत्यंतधोरवीकरणकटुसुक्करतवसंजमकिरियाए बमाणेणं अवंडियोंविराहिये मूलुत्तरगुणे परिवालयंतेणं निरइयारं सामग्नं णि वाहियं जारिसेणं रोज्झाणविप्पमुक्केणं णिउियरागहोसमोहमिरछत्तमय भयगारवेणं मज्झन्थ. " भावणं अहीणमाणसेणं जुवालम वासे लेहण काऊयां पाआवगममणसणं पडिवन्नं तारिसेणं एगंतसूडज्मबसाएणं ण केवलं से एगे शिल्झज्जा जणं कयाई परकयकम्मसंकमं भवेज्जा ता गं सब्वेसिपि भव्वसताणं असेसकम्मक्खयं कामयं सिन्झिज्जा, णवरं / परकर्यकम्मं ण कथाही कस्सई संकज्जा , जेण 'समन्जियं तं तेणं समभवियन्वंति 1) गोथमा ! जया ण निरुद्धजोगे हवेज्जा तया णं असेसपि कम्मरासिं अणकालविभागणेव णिठवेज्जा, सुसंडासासवदारे जोगनिरोहणं तु कम्मरखए दिठे, ण उण कालसंसाए / जो गं. कालेणं तु खने कम्म, कालेण तु पबंधा / पुगं 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9229202230 महानिशीयसूत्र :: tuvi . *233. बंध ववे एगं, गोयम! कालमणंतगं // 23 // णिस - हिंतु जोगहिवर कम्मं बंधए / पोराणं तु पहीएज्जा, गवगस्साभावमेव उ // 20 // एवं कम्मस्वयं विंदे, ण एवं कालमुहिसे / अणाइकाले जीवेय तहवि, कम्मं ण णिहए // 25 // खओवसमेण कम्माण, जहा विरई समुच्छल / कालं खत्तं भवं भावं, दव्वं संपप्प जाव तया // 26 // अप्पमादी खवे कम्म, जे जीवे तं की िचडे / जो पमादी पुणोणतं, कालकम्मं गि. बंधिया // 27 // णिवसेज्जा चउगईए उ, सत्वदाऽधं तक्विए। तम्हा कालं खेत्तभवं, भावंसंयप्य गोथमा, मइमं अइरा कम्मं वयं करे // 2 // से भयवं! सा सुज्जसिरी कहिं समुववन्ना ? गोयंमा! छरीए परगपूरवीए 3 से भयवं! कणं अठेणं ? गोयमा ! तीए परिपुनाणं साइरेगाणं णवण्ह मासाणं गयाणं इणमो विचिन्तियं जहा णं पधूसे गन्भं पडावेमिति, एवमज्झवसमाणी चेव बाल. पसूथा, पसूयमेता य तकखणं निहां गया, एतेणं अठेणं गोयमा! सा सुज्जसिरी छठियं गयति / से भयवं! जंतं बालगं यसविकणं मथा सा सुज्जसिरी तंजीवियं किंवा ण वति ? गोथमा। जीवियं 5 / से भयवं! कह! गोयमा! पन्सूयमेतं तं बालगं तारिसेहि जराजरजलुसजंबालपूइरुहिरखारटुगंधासुई हिं विलि तमणाहविलरमाणं दणं कुलालचक्कस्सोवरि का. ऊणं साणेणं समुद्दिसि उमारद, तावणं दिठं कुलालेणं, ताह धाइभी सघरणिओ कुलाली, अविणासियबालतण णहठी साणी, तओ कारुण्यहियएणं अपुतरस णं पुत्तो एस मज्झं होहिति वियप्पिकणं कुला-- लेणं समप्पिभो णं से बालगो गोयमा! सदृश्याए, नीर REFERRRRRRRRE Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREARRARY *2387 श्री भागमसुधाासन्यु::: दशमो विभाग: य सम्भावणेडेणं परिवालिकणं माणुसीकए से बालगे, कचं चनामें कुलालेण लोगाणुक्तिीए सजणगाटिहागणं जहा णं सुसटो / / अन्नथा कालकमेणं गोधमा! सुसाहसंजोगदेसणापु-वेणं पडिदे णं सुसटे पब्बदए थ, जाब परमसहदासंवेगरेरणगए अच्चंतधोरवीरुग. कठसुटुक्करं महाकायकेसं करेइ संजमजयणं ण थाणेइ. अजयणादोसयां तु सव्वत्थ असंजमपएसु णं भवरन्झे, ती तस्स गुलहिं भणियं-जहा- भो भो महास. त्त! तए अन्नाणदोसभी संजमजयणं अयाणमाणेणं महंते कायकैसे समाढते, णवरं जइनिच्चालोयणं दाऊणं पायच्छित्तं ण काहिसि ना सल्वमेयं निष्फलं होही 7/ ता जावणं गुरूहि चोइए ताबणं से अणवरयालोयणं पथच्छे, सेऽविणं शुरू तस्स तहा पायपिछले पथाइ जहा णं संजमजयणं भूयगं, तेणेव अहन्निसागुसमय रोदर झाणाइविप्पमुक्के सुहज्यवसाये निरंतरे पविहरेज्जा / अहऽनया गं गोथमा! से पावमती, ज कइ छठमदसमटूवालसद्धमासमासजावणं छम्मासखवणाइए अन्नयरे वा सुमहं कायकेसागुगए पच्छित्ते से गं तहत्ति समगुठे,जे य उण एगतसंजमकिरियाणे जयणाणुगए मोवश्काथजो. गे सथलासवनिरोहे सज्झायन्झागावस्रगाइए असेसपावकम्मरासिनिदहणे पायच्छिस्ते से गं पमाए अवमन्न अवलेह असहे सिटिले जाव णं किल , किमित्य दुक्करति काऊगं न तहा समणुढे ९/अनभा ण गोयमा ! अहाउयं परिवालेऊणं से सुसढे मरिऊर्य सोहम्मे कय्ये इंसामाणिए महिटी देवे समुप्पन्ने, तओवि चविकणं इहई वासुदेवो होऊगं सतमयुटवीए समुय्यन्ने, तो उबट्टे समाणे महाका RESSSSSSSSSSSES Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ray महानिशीथ-सूत्रं धरनं , ए हत्थी होऊगं मेणासत्तमाणसे मरिकगं अगंतेवास्सतीए गयति 10 एस णं गोथमा / से सुसटेजे - आलीश्यनिंदियगरहिर णं कयपायपिछतेवि भवित्ताणं / जयणं अयाणमाणे भमिही सुइरंतु संसारे // 29 // 1 // से भयवंकयरा उण तेणं जयणा ण चिन्नाया जी णं तं तारिसं दुक्करं कायसं काऊगंपि नहाविणं भमिहिइ सुइरं तु संसारे ? गोयमा ? जयणा णाम अठारसण्डं सीलंगसहस्साणं संयुन्नाणं अन्य. ज्यिविरहियाणे जावज्जीवमहन्निसागुत्समयं धारणं कसियासंजमकिरियं अणुमन्नात, तं च तण न विनायंति, तेयां तु से अहाने भमिटिइ सुइर तुस सहरंतु सं. सारे 12 से भयवं! केणं अटेणं तं च तेणं ण विनायंति ? गोयमा! तेणं जावइए कायकेसे कए तावइयरस अहठ भागेणेव जइसे बाहिर पाणगं, विज्जेन्तो ता सिदीएमणुवर्थतो, णवरं तु तेणा' जाहिरयाणगे परिभुत्ते, बाहिरयाणगयरिभोइस्स णं गीथमा बहुवि कायकेसे गिरत्यगे हवेज्जा, जओ णं गीथमा ! भाऊ तेक मेहुणे प्रयत. भीऽवि महापावटगयो अबीहिदायगे एगंतयां विवन्जियवे एगंतेणं ण समायरियव्वे सुसंज'एमिति, एतेणं अटेणं, तंच तेणं ण विण्णायंति 13) से भयवं! केणं अहणं आऊतऊमड्यात्त - बीहिदायगे समक्खाए? गोथमा! सबमविछ. क्कायसमारंभे महायावरगणे, किंतु आउनेउकाय. समारंभ णं अयंतसत्तोवधाए, मेहणासेवणेणं तु संवेज्जासंस्थेज्जसत्तोवधाए घणरागदोसमोहागुगए एगंत अय्यसत्य झवसायत्तमेव, जम्हा Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 392AARA 236] श्री आगममुदासिन्य दशमो विभाग पूर्व तम्हा उगीयमा? एतेसिं समारंभासेवणपरिभीगादिसु बट्ट माणी पाणी पटममह व्ययमेव या धारज्जा, तयभावे अवसेस महपथसंजमठाणस अभावमेव, जम्हा एवं तम्हा सरहा विराहिए सा. मण्णे, अओएवं तीणं पवित्तियसम्मगपणासितेणेव गोथमा / तं किंचि कम्म निबंधिज्जा जेणं तु नरयतिरियकुमाणुसेसु अगंतस्युत्तो पुणी 2 धमोति स्वराई सिमियोऽविणं अलभभाणे परि अमेज्जा, एएवं अठणं आऊऊमेहयो अबोहिदायगे गोथमा ! समकवाति 14) ने भयवं! किं छदमदसमदुवालसदमासमास जावां धम्मासरखवणाईणं अच्चं. तधोरवीरुग्णकटसुटुक्करे संजमजयणावियले सुमइंतेऽवि उ कायकेसे कए णिरत्यगे हवेज्जा ? जीयमा! गं णिरत्यगे हवेज्जा १५/से भयवं! केयां अदठेगं ? गोथमा। जी णं यस्महिस गोणाओऽविसंजमजयणावियले अकामान-जराए सोहम्मकप्यादिसु वयंति, तोsवि भोगवएणं चुए समाणे तिरियादिसु ससारमणूसरेज्जा, तहा य दुग्गंधामि झविली. णस्वारपित्तोज्झसिभपहिल्ये वसाजलुस प्रथटुडिणिविलिविले कहिरचिलिखाले दुईसणिज्जबी भरछतिमिसं. ध्यारए गंतुब्बियणिज्जगहभपवेसजम्मजरामरयाईणेग सारीरमणोसमुत्थरसुघोरदारूगदुक्खाणमेर भाषणं भवति, ण उथा संजमजयणायु विणा जम्मजरामरणा इएहि घोरपयंडमहासदारुगदुम्वाणं गिढवणामेगंतियमयतिथं भवेज्जा, एतेणं संजमजयणावियले सुमहंतेऽवी काथकेसे पकए गोथमा। निरत्यगे भवैज्जा 16 / से भयवं! कि संजमजयणं समुत्मणुः प्पेहमाणे समापालेमाणे समगुटेमाणे अइरेणं FFERREEEEEEEEE Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भी महानिकायसूत्रे : यर / 233 जम्मजरामरणादी विमुच्चेज्जा? गोथमा! अत्यने जे णं ण अइरेणं विमुच्चेज्जा अत्धेगे जे गं अइरेणं किमुंचेज्जा 171 से भय केगं अटेणं एवं बुधर जहाणं. अत्धेगे जेणं णी अरेणं विमुच्येज्जा अत्धेगे जेणं अश्रेयां विमुच्चेज्जा ? गोथमा। अत्येगे जे गं किंचि उ ईसिमणगं अत्याणगं अणवलक्खेमाणे सराससल्ले संजमजयणं समगुठे जेणं एवं विहे से णं चिरेय जम्मजरामरणाइअगसंसारयदुक्खायं विमुच्चेज्जा, अन्धेगे जे गं हिम्मूलुदियसदवसल्ले निरारंभपरिग्गहे निम्ममे निरहंकारे ववगयशगढीसमोहमिरवत्तकसायमलकलंके सव्वभाव भावंत रोहिणं सुविसुद्धास्सए असीणमाणसे एगलेणं निज्जरायेही परमसद्धासंवेगवेगगए विमुक्कासेसमयभयगारवविचित्ताणेगयमायालंबणे जावणं निजियधोरपरीसहीवसरणे ववजयरोइज्झाणे असेस. कम्मरपथगए जहत्तसंजमजयणं समगुपेहिज्जा या. लेज्जा अगुपाले जाँ समगु पालेजा जाव गं समणुदंठेज्जा जेणं पविहे से अइरेणं जम्मजराम. रणाअगसंसारियापविमोक्रवजालस्स गं विमू ज्जा, एतेणं अटेणे एवं उच्च जहा णं-गोथमा! अत्थेगे जे यंणो अरेणं विमुच्छज्जा अन्धेगे जे य णं अइरेणेव विमुच्चेज्जा 18 / से भयवं! जम्मजरामरणाइअोगसंसानियकखजालविमुम्के समागे जंतू कहिं परिवसेज्जा ! गोधमा ! जय गं नजरा न मच्चून वाहिनी पी भथसमस्याणसंतानुव्वेगकलिकलहदारिददाहपरिकेसं ण बहठवि. ओगौ, कि बहुणा ! पगंतेणं अक्षयधुरसासयनिरुवमभयंतसोक्खं मोक्वं परिवतेजति मि SSSSSSSSSSES Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ARREARRRRRRE 239] 6 भागमसुदासिन्युः - दशमो विभाग 19 / / स महानिसीहस्स विड्या चूलिया अ० समतं महानिसीह सुथरवं . में नमी चवीसाए नित्य करणं नमी तिधरन नमी सूर्यदेवयाए भगवतीएनर्म सुयकेवलीयं नमो सव साहणं नमो सबसि दाणं नमो भगवी अरहओ सिज्झउ मे भगबई महइ महाविज्जा रए महनभइरए जयवईरए सएणवइइरए बझम्झमणवज्ञइरए नइम्अअणवइंइरए जयए जय्ए जयजन्तए :पर अजए स्वअअअअ. उपचारो चउत्थभत्ते. णं साहिज्जइ एसा विज्जा. सव्वगउ ण्इअभरगअपआरगनउ होइ, उपअभवणअमर्म गणम्स वा अणउन्णनआए-एमा सत्त वारा परिजवे. यत्वा मित्भारंगपारंगो होइ, जियाकथ्यसम(संय)सीए विज्जाए अभिमंतिऊया (प) विधविणायगा आराहति, सूरे संगामे पविसंती अपराजिभी होई जिणकय्यासमतीए विज्जा अभिमंतिकयां व्येमवही भवः ॥सू०८॥ . चत्तारि सहस्साई पंच सथाओ तो पतार, एकच सिल्लोगारिय महानिरसीमि पाएण(वए) / / 3 / / / प्रशस्ति :॥श्रीवीर पाटपर परास्तंवना। महावी जिन नवा स्मृत्वा च गौतम गुलम् / पवित्रा हि समरिष्यामि सुधर्मादि परंपरा / / 3 / / सुधर्मा गुरुर्जम्बर्जयतात् अभवभुः / शव्यभवो य. शीभः सम्भूतिभदबाहफे // 2 // धूलभद्र सदा भहो महागिरिमुहस्तिनो। सुस्थितमुनिनाधीहि सुप. निबद्धकारिक // 3 / / सूरीन्द्रदिन्नहिती हि सिलगिरि / FFFFFFFFFFFFES Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BREAK श्री महानिधिसूत्रं : अध्ययन 239 वज्रयो / वज़सेनस्य चन्द्ररसामंतभद्रो हि पातु न: // 1 // इददेवो गुरु: प्रद्योतनच मानदेवकः / श्री मानतुड़वीरौ हि जयदेवश्च रमतात् // 5 // देवानदो गुरुजीथात् विक्रमो नरसिंहसः। समुद्रो मान. देवश्च विधप्रभसूरियः // 6 // जयानन्दः रविनभो यशोदेवो दयानिधिः / प्रद्युम्नमानदेवो हि विमलचन्द्रसूरिः // 7 // उद्योतनच सर्वदेवी देवश्च, सर्वदेवकः। यशोभद्रश्च श्री नेमिचन्द्रश्च मुनिचन्ट्रकः॥५॥ अजितदेवसिंहो सोमप्रभी मणिरत्नको। जगचन्द्रलया जीयात् तपोधर्मप्रभावका // 9 // देवेन्द्रो धर्मघोषसोमप्रभा सोमतिलका। श्रीदेवसुन्दरः सोमसुन्दरी मुनिसुन्दरः // 10 // रत्नरीश्वर-लक्ष्मीसागर-सुमति साधवः / श्रीहमविमलाणन्द्रविमलो दानहीरकी॥१२॥ श्रीसनदेवसिंहाच सूरयः सत्यपण्डित: 1ीकक्षमाविज्ञो जिनोत्तमौ भपकः॥१२॥ रूपः कीर्तिय कस्तूरः गणी-ट्रो मगिपण्डितः। बुद्धिगणीन्द्रपन्या- . सो द्विसप्ततिनो ऽवतात् / / 13 // आणन्दविजयो हर्षक निसलसूरथः / स्तुताः पथराम्या जिनेन्द्र शिवाय ते // 14 // तपागच्छगगननभोमणि-पन्न्यासप्रवर श्रीमद बुद्धिविजयगणिवर-शिशध्यरत्न- विदर्य पन्न्यासम. वर श्रीमदाणंदविजयगणिवर- पदकजभृङायमानमुनिशिरोमणि- श्रीमद् हर्षविजयूमुनीन्द्र-चरणच चकोर- तपोनिधिज्याचार्य देवश्रीमविजयक स्रीधर-पट्टधर-हालारदेखोद्धारक-कविरन्य វិទ្យា Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ JERRRRRRRRRRY 24 श्री भागमसुधासिन्धुः दशमो विभाग, पुज्याचार्यदेव श्रीमद् विजयामृतसूरीधराणा विनेयपन्न्यासजिनेन्द्रविजयगणिना लिखित संचितच इदं श्रीमन्महानिशीथसूत्रं श्रीपञ्चचत्वारिंशदागमसंशोधनकार्यं कुर्वता भुतभक्तिभावनाभाविता. न्त:करणेन जामनगरे दिग्विजयलोटतपागच्छ. जैनोपायमध्ये वीर स चत् 2200 वर्षे विक्रमसम्वत् 2037 वर्षे कार्तिक शुक्लत्रयोदश्यां बृहस्यतिवासरे श्रीविमलनाथस्वामिप्रसादान् / शुभं भवतु श्रीममणसद्धस्य / శంకరం శం Page #244 -------------------------------------------------------------------------- _