________________ ... 6074 श्रीआमसुधासिन्यु::: दशमो विभाग: // 53 // एमादिगुणोवेए पए पर सव्व मेइणीवटे।निअभयवित्तपुन्नन्जिएण नायागपण अत्यंग // 54 // कचणमणिसोमांणेभसहस्ससिए सवगतला.जो काखेज्ज जिणहरे तभीवि तवसंजमो भगंतगुणी // 55 // ति. नवसंजमेण बहुभवसमजिथं पावकम्ममलले / नि. छोविमण अइरा अगंतसोकरवं वए मोनोक्खं // 56 // का. उपिजिणाययणेहि मंडियं साव मे इणीवह / दाणाइचउम्नेणं सुहाव गरछज्ज अच्य गं ॥१७॥ण परओ गोयम! गिहिति ।जइ ता लवसत्तमसुरविमाणवासीवि परिवडंति सुरा / सेसं चिंतिज्जंतं संसारे सासयंकय? B5 // कह तं भन्नइ सुकवं सुचिरेणवि जन्य दुखमल्लिथइ / जं च मरणावसाणेसु धेवकालीय. तुच्छतु // 56 // सम्वेणं चिरकालेण जं सथलनरामराण हव सुहं / तं न घडइ सुषमणुभूय, मोकवसुस्वस्स भणंतभागेवि॥६०॥ संसारियसीक्वाणं सुमहंताणंपि गीथमा ! णेगे / मझे। टुक्यसहस्से धोरययंडेय पुज्जति // 6 // ताईच! साथीथएण ण थाणंति मंदबुदीए / मणिका णगसेलमथलोडगंगली जह व वणिया // 62 // मोक्रव सुहस्स उधम्मं सदेवमणुथासुरे जगे इत्थं / तो भाणि ण सम्का नगरगुणे जडेय पुलिंदो // 63 / / कह तं भन्नइ पुन्नं सुचिरेणवि जिस्स वीत अंतं / जं च विरसारसाणं जं संसाराणुबंध च // 14 // तं सुरविमाणवि'हवं चिंतिथचरणं च देवलोगाओ / अइसिक्क चिय हिययं जं नवि सथसिक्करं जाइ // 65 // / नरएसु जाई अइदुस्सहाइंदुक्खाइं परमतिक्षाइं। को बन्नेई ताई जीवंती बासकोडिपि // 6 // 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎