________________ , महानिशी धसूत्र:: अध्ययनं 3, 59 णिहिसे। पुछते गोथमा! ताव, जं सुरिहिं भसा / ओ // 41 // सबिडिए अगण्णसमे, पूयासम्कारे / य कए / ता किं ने सव्वसावज्जै? तिविहं विरहिगुठितं // 42 // उयह सबथामेसुं सवहा अविर. एसु उ / णणु भयवं! सुरवरिवेहि सव्वधामेसु / सबहा // 43 // अविरएहि सुझतीए, पूयासका. रेकर। ता जइ एवं तनो बुज्झगोयमेमनी. सेसयंदेसक्रिय अविश्थाणं तु. विगिओगमु. भयन्धवि॥४४॥ सयमेव सव्वतित्थंकरोहिंजे गीयमा ! समायरियं / कसिणठकम्मरखयकारथं तु भावत्ययमणुठे // 15 // भवती उ गमागम. जंतु फरिसणाईपमहर्ण जत्य। सपरऽहिओवरयाणं ण मणंपि पवत्तए तस्य // 46 // ता सपर हि.) ओवरएहिं उनएहि सव्वहा णेसियव्य सुविसेरसं / जे परमसारभूयं विसेसवंतं च अणुठेयं // 47 // ता परमसारभूयं विसेसवंतं च अणण्णबगस्स। एगंतहियं पत्य सुहावहं पथडपरमत्थं // 48 // तंजहा- मेरूतुंगे मणिगणमंडिए. क्ककंचणमए परमरंमे / नयणमगाणंदरे पमयविनाणसाइसए // 49 // सुसिलिठविसिठसुलदसुविभत्तसुखसुणिवेसे / बहुसिंघयत्त. घराधयाउले पवर तोरणसणाहे // 50 // सुबिसाल-सुविच्छिन्ने पए पर पत्थियसिए / मध. मधमघेतज्झतअगरुकप्यूरचंदणामोए // 5 // बहुविहविचित्तबहपुग्यमाश्पूयारहे सुपूर यायधपणचिरणाड्यसयाउले महरमुरवसदाले // 12 // करतरासयजणसयसमाउले जिणकहावित्तचित्त। पकहंतकहगणच्यंतच्छताधरा) गंधव तूरनिग्योसे /