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________________ ARREARRRRRRE 239] 6 भागमसुदासिन्युः - दशमो विभाग 19 / / स महानिसीहस्स विड्या चूलिया अ० समतं महानिसीह सुथरवं . में नमी चवीसाए नित्य करणं नमी तिधरन नमी सूर्यदेवयाए भगवतीएनर्म सुयकेवलीयं नमो सव साहणं नमो सबसि दाणं नमो भगवी अरहओ सिज्झउ मे भगबई महइ महाविज्जा रए महनभइरए जयवईरए सएणवइइरए बझम्झमणवज्ञइरए नइम्अअणवइंइरए जयए जय्ए जयजन्तए :पर अजए स्वअअअअ. उपचारो चउत्थभत्ते. णं साहिज्जइ एसा विज्जा. सव्वगउ ण्इअभरगअपआरगनउ होइ, उपअभवणअमर्म गणम्स वा अणउन्णनआए-एमा सत्त वारा परिजवे. यत्वा मित्भारंगपारंगो होइ, जियाकथ्यसम(संय)सीए विज्जाए अभिमंतिऊया (प) विधविणायगा आराहति, सूरे संगामे पविसंती अपराजिभी होई जिणकय्यासमतीए विज्जा अभिमंतिकयां व्येमवही भवः ॥सू०८॥ . चत्तारि सहस्साई पंच सथाओ तो पतार, एकच सिल्लोगारिय महानिरसीमि पाएण(वए) / / 3 / / / प्रशस्ति :॥श्रीवीर पाटपर परास्तंवना। महावी जिन नवा स्मृत्वा च गौतम गुलम् / पवित्रा हि समरिष्यामि सुधर्मादि परंपरा / / 3 / / सुधर्मा गुरुर्जम्बर्जयतात् अभवभुः / शव्यभवो य. शीभः सम्भूतिभदबाहफे // 2 // धूलभद्र सदा भहो महागिरिमुहस्तिनो। सुस्थितमुनिनाधीहि सुप. निबद्धकारिक // 3 / / सूरीन्द्रदिन्नहिती हि सिलगिरि / FFFFFFFFFFFFES
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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