________________ BREAK श्री महानिधिसूत्रं : अध्ययन 239 वज्रयो / वज़सेनस्य चन्द्ररसामंतभद्रो हि पातु न: // 1 // इददेवो गुरु: प्रद्योतनच मानदेवकः / श्री मानतुड़वीरौ हि जयदेवश्च रमतात् // 5 // देवानदो गुरुजीथात् विक्रमो नरसिंहसः। समुद्रो मान. देवश्च विधप्रभसूरियः // 6 // जयानन्दः रविनभो यशोदेवो दयानिधिः / प्रद्युम्नमानदेवो हि विमलचन्द्रसूरिः // 7 // उद्योतनच सर्वदेवी देवश्च, सर्वदेवकः। यशोभद्रश्च श्री नेमिचन्द्रश्च मुनिचन्ट्रकः॥५॥ अजितदेवसिंहो सोमप्रभी मणिरत्नको। जगचन्द्रलया जीयात् तपोधर्मप्रभावका // 9 // देवेन्द्रो धर्मघोषसोमप्रभा सोमतिलका। श्रीदेवसुन्दरः सोमसुन्दरी मुनिसुन्दरः // 10 // रत्नरीश्वर-लक्ष्मीसागर-सुमति साधवः / श्रीहमविमलाणन्द्रविमलो दानहीरकी॥१२॥ श्रीसनदेवसिंहाच सूरयः सत्यपण्डित: 1ीकक्षमाविज्ञो जिनोत्तमौ भपकः॥१२॥ रूपः कीर्तिय कस्तूरः गणी-ट्रो मगिपण्डितः। बुद्धिगणीन्द्रपन्या- . सो द्विसप्ततिनो ऽवतात् / / 13 // आणन्दविजयो हर्षक निसलसूरथः / स्तुताः पथराम्या जिनेन्द्र शिवाय ते // 14 // तपागच्छगगननभोमणि-पन्न्यासप्रवर श्रीमद बुद्धिविजयगणिवर-शिशध्यरत्न- विदर्य पन्न्यासम. वर श्रीमदाणंदविजयगणिवर- पदकजभृङायमानमुनिशिरोमणि- श्रीमद् हर्षविजयूमुनीन्द्र-चरणच चकोर- तपोनिधिज्याचार्य देवश्रीमविजयक स्रीधर-पट्टधर-हालारदेखोद्धारक-कविरन्य វិទ្យា