________________ मी महानिशीथसूत्र :: ययन 60 समारुहिउं. केवलं पय्य मिज्झिहीं // 3 // ता गोधमेधणाएणं, बहू उवाए रियारिया। लिंग गुरुम्स अध्येउ, नंरिसेणेण जह कयं // 39 // उस्सग्गं ना तुमं बुज्झ, सिहदंतेयं जहठियं। तवंतरास्दयं तस्स, महंतं आमि गोयमा। 1800 तहावि जो विसरशन्ने, तवे घोरमहान। अहागणं तेणमणचिन्न तावि विसरण णिज्जए॥४१॥ जाहे विसभक्खणं पडयां, अणसण नेया इच्छियं / / एथयि चारासमोहि, बेवारा जान सहिओ wom गाव य गुरुस्स रयहरण अप्पिय तं देसंतरंगओ।एते ते गोयमोवाए, स्थानिबद्ध वियागए ॥३॥जहा. | जाव गुरूणी न रथहरण, प-व-जायन अल्लिया। तावाकन्जंन काथवं लिंगमति जिणटेसियं/en. अन्नत्थ ण उम्झियवं, गुरुणो मोतूण अंजलि / जइ. सो उवसामिउं सक्को, गुरु ता उवसामई॥४५॥ अह / अभी उक्समिउं सक्को, तोऽवी तस्स कहिज्जई। गु. रुणावि तयं णऽन्नस्स, गिरा वेयचं कथाइडवी नदी / जो भवियो बीयपरमी, जगठिइवियांणगो।एचाई •तु पाइं जो, गोथमा णं विडबए। मायापञ्चांभे। णं, सो ममिही आसडो जहा। भय / न याणिमो को ऽवि,मायारसीलोह आसडी 18 किंवा निमितमुबंचेरिओ, सो भमे बहुदुहहिटओ / चरिमस्सऽन्नस्य तिथिमि, / गोयमा। कंचणवी // 9 // आयरिओ आसि भूश्क्खोत. स्स सीसोस आसडो / महत्वयाई धेच्या, अह सुनत्थं अहिन्जिया // 50 // नाव कोकहलं जायं, यो यां निसएहि पीडिभो। | चिंतेइ य जह सिद्धते, एरिसो इंसिओ विही॥५१॥ तो सम्स पमाणेणं, गुरुयणं रंजिउ दढं तवंचऽ गुणं काउं. पडणाणसणं विसं // 52 // करेहामि जहाऽहंचि. देव