________________ 9867 श्री आगमसुधा संन्यु: मोवि - / थार निवारिभो। दीहाऊ णस्थि ते मत्यू, भोगे मुज जहिछिए।।२३। लिगं गुरुम्स अपेठ, सन्न देसतरबय / भीगहलं वेश्या 487, घोरवीरतरं चर॥ अहवाहा। हा अहंमदी आयसल्लेण सल्लिओ। समणाणं रिस जुत्त, समयमवी मणसि धारि॥५५॥ पछा उमे परिधतं, आलोएसा लह धरे। अहरण णं आलोउं, मायावी। भन्निमी पूणो // 6 // तादृसवासे आयाम,मासंक्षमा णस पारणे / वीसायंबिलमादीहि दो ही मांसाया पारणा // 5 // पणवीसं वासे तत्य, चंद्रायणतंवेण / य। हम्म दसमाइं, अ वासे यऽणूणगेम घोरेरिपरिजल, सयमेवे भाणुचरं। गुज्यामूलेऽविएथेयं, पायच्छितं मेण अालें॥९॥ अहवा तित्ययरें। गेम, किमट वाइओ विही, जेणेयमहीयमाणोऽह,पा.. मच्छित्तप्स मलिओ ? // 6 // . अहवा. सोधिय जाणेज्ज सन्वन्त, परितं / अणुचराम्यहं। जमित्वं दवचिंतिययं, तस्स मिरछामि दुवकां // 61 / / एवं ते कदठं घोरं, पायतिं समती।। | कायामि सरसल्ली सो, बाणमंतरियं गभी॥६॥हिरिठ. मोरिमोथरिमाणे तेण गोथमा।। वयंती आलोइ.. ता, पञ्छितं कविया // 63 // वाणमंतरदेवता, / चाकागामा155सडी। रासहत्तार तिरितमं.नरि.. घरमागभो / / 64 // निरचं तस्य वडवाण, संघटणदौसा / ताहि वसणे वाही समय्यण्णा, किमी एत्य संमुछिए . // 6 // नमो किमिएहि व-जंती, वसणदेसंमि गोथमा। मुस्काहारी विलेदे वियानो ताव सराहुयो // 6 // / अदरेण बोलेते दणं जाइं सरेनु य / निदिउंगर. हिउ आया, अगसणं परिन्जिया॥७॥ कागसा। हि रमजतो, सुद्धभावेणां गोयमा ! / अरहताणति !