________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 श्री महानिशीथसूत्रं धन, [142 सरमाणो, संमं उझिय सं तणू॥६॥ कालं काऊण दोविंदमहाघोससमाणिओ। जाओ तं दिवं इडिटं, समगुभोगें तभी चुओ॥६९॥ उरवन्नो वेसत्ताए,जा सा निथडी ण पथडिया। तभीवि मरिझगं बहू, अंतपंते कुलेऽडिओ 11001 कालक्कमेणं महराए. सिवइंद्रस्स दियाययो / सुओ होऊयं पडिबुद्धो, सामन्नं काउं निव्वुड्डो ।।७१एच त गायमा सिट, निधडीजं तु आसडं। जे यसव्वन्नु मुहमणिए, वयण मणसा विबए // 72 // कोउहलेगा विस याां. ण उणं दिसएहिं पीडिए / सरधंदयाथच्छि. नेण; भमिओ भरपरंपरं॥७३॥ एवं नाकामिक्क्रपि,सि. दंतिगमालावगं / जाणामाणो हु उम्मगं, कुज्जा जे सेवि. या गहि॥७९॥ जो पूण सवसूयन्नाणं,'अ वा वयणंपि वा / णच्या वएज्ज मग्गेणं, तस्स अहो ण बज्झई, एयं नाऊया मासारि, उम्ममा नो प-वत्तए // 7 // तिबे. मि, 'भयवं! अकिच्छ काऊणं, पच्चित्तं जो करेज्ज वा। तस्स लहठधरं पुरसओ, जं अकिच्छ न कुबई? // 6 // ताजुसं गोथमा! मिणमो, रयणं मणसाविधारिलं, जहा काउनकत्तवं, पच्छितेयं तु सुन्झिहं।।७।। जो एवं वयणं सोध्या, सहहे अणुचरे वाभिहसीलाणं सब्वेसिं, सत्यवाहो स गोयमा! // 7 // एसो का. उपि परिधनं, पाणसंदेहकारयणं / आणाभवराह दीनसिहं, पविसे सलभी जहा // 79 // भय जो बलं विरियं, पुरिसथारपरक्कमं / णिमूहतो तरं चर३, परिधत्तं त. स्स किं भवे?on तस्सेयं हो पञ्छितं, असदभावस्स गोथमा: / जो तं धामं रियाणेत्ता, वेरी सन्तिमवेस्पिथा॥१॥जो बलं वीरियं सत्तं पुरिसथारं निमूहए। सो सपच्चित्तपच्चित्ती, सदसीलो नराहमो // 2 // नीथागोयं उहं धोरनर.