________________ MMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMMA श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 2 (21) मी महानिरीधसूत्र : यनं [21 भणियं न त सव्वं, अलिययणवि नालियं। जंजी . यनियायलियं, निहोसं सर्वतयं // एवं- चोरितका. दिहलं सब कम्मारंभं निसादिया ललस्सावि भवे हाणी, अन्नजम्मकया दहं 10 एवं मेहुणहीसेणं, वेक्त्तिा थावरतणं। केसिमामगंतकालाउ, माणुसजोपी समाः गया // 6. दुकावं जगति बहारं, अहिथं सित्यापि मुंजि. या पीडं करेइ तेसि तु, तण्हा वाहिवाहे सणे खगे // 65 // अडाणं मरणं तेसि, बजप्यं करडासणं / थायु. व्वालं गिनिन्नाणं, निहाए जति गो वर्णि uff एवं परिगहारंभोसेगं नरशाउयं / तेत्तीससागरूक्के, वेइता हहमागया // 67 // छुहाए पोज्जिति त्तभुतु. त्तरेऽविथ / बरंता इतिसंतति, नो गच्छती पक्से जहा। 6 // कोहाही तु होसेणं, घोरमासीविसत्तां। ता नारयं भूओ. रोहमिच्छा भरति ते 56 टकड़. कवनिथडीए, उंभाभी सुरं गुरुं। वेइता चित्ततेरितं, माणुसजोनि समागया // 7 // कर बहुवाहिरोगाणं.दु. खसीगाण भायणं / दारिदकलहमभिभूया, भिमणिज्जा भवंतिह // 7 // तस्कम्मोरयरोसेमं निच्च पज्जलियनोंदिणं / ईसारिसायजालाहि धगधगधगस्सय // 72 // जेमंपि गोयमा ! बाले, बहसंधुल्फियाण या तेसिंदुच्चारियोसो, कस्स कसंतु ते इह एवं जयनियमभंगेणं, सीलम्स 3 खंडोण वा असंजमपवत्तणया, उस्मुत्तमञ्जाथरगाणया) 9 गेहि वि तहाथरणेहिपमायासेरणाहिय। मणेां अत्दा वाथाए. अहवा कारण हत्थई, कयझारगागुमएहि वा.प. मायासेवणे य॥५॥ तिबियमगिनियमगरहिथमणालोइय-मपरिहं. त-मकरपाच्छित्त-मविदासयीसउ समल्लो भाग