SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भीमहानिशीधसूत्र अध्ययन निकलुसं मणं / / 20 / / भय! नाहं विधाणामि, लम्षणदेवी हु अज्जिया। जा सकंलुसमगीयत्यत्ता, काउ पत्ता दु. क्ख परंयरा // 209 // - गोयमा' पंचसु भरहेन्तु एरचएसु उस्स रियणीओ. सप्पिणीए एगेगा सव्वकालं चावीसिया सासयमवोरिछत्तीए, 'भूया तह 27 भविस्सई अगाइनिहणाए सुधु. एत्थः। जगनि एव गोयम / एथाए चळवीसि गार' जा गया / / 210 / / अतीयंकाले असीइमा, नाथं जारि सगे अहयं। सत्तरयणी पमाणेणं, देवदाणवपणमिमी / / 211 // सारिसओ चरिमो तिपयरो. जया तथा जंबुदाडिमो / राथा भारिया तस्स, सरिया नाम बहस्सूया // 212 / / अन्नथा सह दइएणं, धूयत्ध बहु उवाइए करे। देवाण कुलदेवीए, चंदाइचगहाण य॥२१३॥ कालक्कमे अह जाथा, धूया कुवलयलोयणा / तीए तेहिं कथं नाम,लम्वण देवी अहन्नथा॥२१४॥ जाव सा जोगनणं पता, तावमु का सयवसावरियतीवर पवर णयणाणंदक. लालयं // 215 // परिणियमेतो मओ सोवि भत्ता, 'सा मोह गया पथलं तं, सूथयो परियोण य / तालियरवाएणं, दुम्वेण आत्मासिया // 216 // ताहे हा हाऽऽकर करेऊण, हियथं सीस च पिल्टि उ / अत्तामा चोटर के दाहि, धरित्यू इसदिसासु सा / / 21 / / तुहिक्का बधुग्गरम्म वयोहि तु सरसम्झसं। ग्यिारह कड़वयदिोन्न, जन्नथा तित्थ. करो // 21 // बोहितो भन्बकमलवणे, केवल नाणा दिवायरो। बिहरतो आगो तत्व, उज्जामि समोसढी // 219 // तस बंदणभत्तीए, संतेउरबलवाहणो / सविड़ढीए गओ राया, 'धम्मं सोऊण प-वइओ // 220 // . नहि तेउर सुयधूओ, सुहपरिणामो अमुशिओ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy