________________ 15] श्री आगमसुधासिन्यु:: दशमो विभाग: उरग कठं तब धोरं, दुम्करं अणुचिठई // 221) / अजया गणिजोगेहि, सब्वेऽवी ते पसिथा। असझाइ. ल्लियं काउं, लस्रवणदेवी ण येसिया // 222 // सा एगंते. वि चिट्ठंती, कीडते पक्षिसल्लए। रणथं विचिंतेह सहलमेयाण जीवियं // 223 // जेणं पेश चिडयम्स,संघ. ती चिडल्लिया। सम पिययमंगेसुं, निबुरं परमं जो // 224 // अहो तिथंकरेणऽम्ह, किम चमखुदरिसणं, पुरिसेपीरमंताणं, सवहा विणिवारियार 25 / / ता गिदम्खो सो अन्नेसिं, सुटुकरवं ण याणई। अरगी दहणसहाओवि, दिदिडगे ण गिड्डहे // 26 // अहवा नहिं न हि भगवं / तं, आणार्वितं न अन्नहा / जेण मरम्ण की पकरी पम्खभियं मणं // 27 // जाया पुरिसाहिलासा मे, जाणं सेवामि मेढ़यां / जं सुविणेवि न कायन्वं, त मे अज्ज विचिंतिय // 228 // तहा य एत्य जम्मंमि, पूरिसो तार मणेणवि। णिरिओ एलियंका. ल, सुविणतवि काहिंचिनि // 229 // ता हा हा हा दुराधारा, पावसीला अहन्निी / अहटमटाई चिंतती, तित्ययरमासाइमो / // 230 // तिघयरेणावि अत्यंतं, का कड्यड वयं / इ. इधरं समादिदर, उग्णं घोरं सुधरं // 231) / ता निवि हेण को सक्को, एवं अणुपाले ऊर्ग। वाथाकम्मसमायर णवि, रक्खं गो तइय मयं // 232 // अहया चिंतिज्जइ दु. क्वं, कीर पृणा सुहेण या ता जो मणसावि कुसीलो, स मुसीलो सब्वकज्जेसु // 233 // ताजं एन्थम स्थलिय, सहसा तुडिवसेण मे। आगय तरस पच्छित्त, आलोत्ता लहं चरं // 234 // सईण सीलवंतीणं, मझे पदमा महा. sऽरिया / धुरंमि हीथए रेहा, एवं सरगोवि धूसह 235 // तहा य पायधूली मे, सम्वोधी वदर जणो / जहा बिल 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎