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________________ 64' [ आगमसुदासिन्यु: :: दशमो विभाग: 106 // एवमिह अपत्यावेवि भत्तिभर निःभराण परिभोसं जणथइ गुरुयं जिणगुण होस्करसवित्तचित्ताणं 13031 पयंत पंचमगलमहासुथकखंधरस नक्वाणं तं महथा पंबंधेणं अणंतगम पज्जवेहि सुत्तम्सय पिहभूयाहि निज्जुत्ती भासचुण्णीहि जहेब अांतनाणईसणधरेहि तित्थयरेहि वकवाणिय तहेव समासी वक्वाणिज्जतं नासि / / अह नया काल परिहाणियो. सेणं ताउ निज्जतीभासचुन्नीओ वोरिपन्नाको 2 // सू०१६॥ इभो य तेणं कालसमय मा हड्डी पत्ते पथाणुसारी वइरसामी नाम दुबालसंगसुथहरे समुप्यन्ने, तेणेयं पंचमंगलमहान्सुयकाबंधस्स दारो मूलसुत्तस्स मझे लिहिभो / मलसुन्तं पुण सुतत्ताए गंणहरीहि अत्यत्ताए अरहते हि भावनेहि धम्मतिथिगरेहि. तिलोगमहिएहि वीरजिणिंदेहि पन्नवियंति एस वुड्ढसंपया. ओ // 2017 // एत्य य जत्य पयंपएणाणु लणं सुत्तालानग नसंपज्जा तत्थ तय सुयहरोहि कलिहियद्रोमो ने दायवो. ति। किंतु जो सो एयस्स अचिंतचिंतामणिकप्यभूयम्स महानिसीहसुयक्षंधस्स पुब्वारिसो भारसी तहि चैव खंडाखंडीए दहियाइयहि हैहि बहवे पत्तगा परिसडिया तहावि अध्यंत सुमहत्याइसथति मं महानिसीहसुयंकरवं. धं कसिणपश्यणम्स परमसारभूयं पर तत्तं महत्पति कलिमणं पवयणवच्छल्ललणणं बहुभवसत्तोक्यारियं च / काउं नहा य आयहियग्याए आयरियहरिभणं जेत. न्यायरिसे दिलं तं सब्वं समनी साहिणं लिहियति. / भन्नेहियि सिक्षणदिवाकर-बुधवाइ-जामसेण - देवगुत्त जसबदणबमासमण सीसरविगुत्त-मिचंद जिणाबास- : गणिश्वमगसध्यसिरिपमुहेहि जुगप्यहाण सुथहरेहि बदु मन्त्रि.
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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