________________ 英染免染染染染免染染染染染染 2807 - श्री आगमसुधासिन्युः दशमो विभागःः नस्स, सचिनाचित्तोभयानगं / पभूयं वाऽणु जीवस्म, भवे जाउ परिगाहं // 158 // तावइएणं तु सो पाणी, ससंगो मोक्षसाहोणा गाइतिगंण भाराहे, नम्हा वज्जे परिग्गडं 19 // अत्येगे गोयमा। (पाणी, जे पयहिता परिम्यहं / आरंभं नो विवज्जेज्जा, तंपीर्थ भनपरं. . परा unsor आरंभे परित्ययस्सेगवियलजीवस्स बइयरे / संघहणाइथं कम्म, जंबद्धं गोयमा ! मुणे // 6 // एगे बेइंदिए जीवे पुर्ग समयं अणिमाणे बलभिजी- . गणं हत्येण वा पारण वा अभयरेण वा सलागाहउवगरगजायणं जे केई पाणी अगादं संधज्ज वा संधहावेज्जमा संघटिजमाणं अगाढं परेटिं समगुजाणेजा,से गं गोयमा ! जयातं , कम्मं उदयं गच्छज्जा तयाणे महथा केसेणं धम्मासेणं .. दिज्जा, गादं दवालसहि संवर रेटिं। तमेव अगाढं परिया- : वेज्जा वाससहस्सेणं, गाढं दसहि वाससहस्सेटिं। तमेव अगादं किलामेजा वासलालेणं, शादं दसहि वासलम्बेटिंशः अहा गं उबेज्जा तभी पासकोडी एवं तिचापंचिनिएसु ! रव्वं // 031 // सुद्धमस्स पुढविजीनस्स, जत्थेगस्स विराहगं / अप्यारंभ / तयंति, गोयमा ! सबकेवली // 12 // सुहमस्स पुरविजी." बस्स, वायत्ती जत्थ संभवे / महारंभ तयं चिंति, गोषमा! सबकेवली // 13 // एवं तु संमिलंटिं, कम्मुक्करडेहि गोषमा! / से सोद अगतेहिं जे आरंभे पवत्तए // 65 // आरंभे व. हमाणस्स, बद्धपुरनिकाझ्यं / कम्मं बदं भवे तम्हा, तम्हारंभं विवज्जए॥१६॥ पुटवाइयजीव कायंता, सब्वभावहि सम्ब- . हा। आरंभा जे नियटेज्जा, से अहम जिम्मजरामरणसब्ब / शरिददुक्खागविमुच्चइ ॥१६॥ति। अत्येगे गोयभा! पाणी, | जे एयं परिन्झि / एगंतसहतल्लिरहे ण लभे सम्मग' / वत्तगिं // 17 // जीवे संमरगमोइन्ने, घोरवीरतवंचरे / अच यंतो इमे पंच, कुज्जा सवं निरत्ययं // कुसीलो सन्न Esssssssss