________________ 'प्रीमहानिशीधसूत्रं : अध्ययनं? 33 . [15 / णं भवे भवे // com अन्धेगे गोथमा ! पाणी,जे पमायवर्स , गए। चरंतेवी तवं धीरं, सल्लं गोवेंति सव्वहाराणेयं तत्य वियाणति,जहा किंमम्मोहिंगोविधा पंचलोगपालडप्या, पंचेंरियाणंचन गोवियं // 1-9 // पंचमहालोगपालेहि, अप्या पंचेरिएरिया एक्कारसेहिएतेहि जंदिरठं ससूरामरे जणे ॥१९॥ता गोयम ! भावोसेणं, आया चिज्जपरं। जणं चउगइसंसारे, हि सोक्खेहि वंचिभो // 1 // एव नाठण कायध्वं, निध्यिहिथयधीरिया। मह उत्तिमसतकुंतेणं,भिं. देयया मायारकखसी // 19 // बहवे अज्जवभावेण, निम्महिमग अणेगहा। विणयातीअंकुसेण पुणो, माणगइंदंषसीकरे // 19 // महवमुसलेण ता घरे, वीसयरिस)यं जाव इरो / दहण कोहली हाहीमयरे निंदे संघडे // 19 // कोही येमाणो य अणिगहिथा, माया य लोभो य पवढमाणा। चत्तारि एए कसि. णा कसाया पोयंति सल्ले सदरुद्धरेबईपहं॥१९॥ उक्समैण हणे कोहं,माणं महवया जिणे। मायं च अवभावेणं, लोभं संतुरिठो जिणे // 19 // एवं निन्जियकमाएजे, सत्तभयाणविरहिए / अहठमयविप्यमुक्के य देजा सुद्धालो. यणं // 197 // सुपरिडं जहावतं, सर्व नियटक्कियं कहे। णीसंकेय असंखुडे, निभीए गुरुसंतियं // 19 // भूतोवुदडशेवाले, जह पलवे उज्जु दूरं / अवि उप्यन्नं तहा सवं,आलोयव्वं जहरिग्यं // 19 // पायाले पविसित्ता, अंतरजलमंतरेवा।क यमह रातोडधकारे वा, जणणीएविसमं भवे॥२०॥ जहवतं कहे यवं सबमण्यपि णिविखलं / नियक्कियसक्किरमाही, आलोयंतेहिं गुरुयगे // 20 // गुरुवि तित्ययभणियं पन्धि तं तहिकहे। नीसल्लीभवति तं काउं, जनपरिहर असंजमें // 202 // असंजमं भन्नई पावं, तं पावमोगहा मुणे हिसा अस. चं बोरिस्क, मेढणं तह परिग्गहं // 203 // सहाइंथिकसाए य, मणवइतणदंडे तहा। एने पावे अछडडंती, णीसल्लो यो