________________ EmAnamnnnnnnnnnn nnn (16) श्री आगभ सुधा सिन्धु दशमौं विभाग 16] श्री आगमसुधासिन्यु: :: दशमो विभागःग: यणं भवे // 20 // हिंसा पुटवादिछ भया, महवा णवहसचोइसहा उ। महवा भणेगहाणेया, कायभेदंतरेहि गं ॥२०॥हिभोवदेसंप. मोतूण, सव्वुत्तमयारमत्थियं / ततधम्मस्स मव्वसल्लं.मुसा. वायं अणे गहा // 206 // उगमउप्यायगेसगया,बायानीसाए तत्य। पंचेहि ट्रोसेहि इसियं, मंडोवगरणपागमाहारं, नवकोडीहि असुद्धं परिभुजंती भवे तेणो // 207 // हिव्वं कामरईसुहं, तिविहंतिविहेग अहव उगलं। मणसा भञ्झवसंतो अबंभयारी मुणेथबो॥२०॥ नवबंभचेरगुत्ती विराहए जोय साह ममणीवा। दिदीमहवा सरागं, पजमाणो भायरे बंभर०६५ गया(पावमाणभइरितं, धम्मोवगरगं तहा।सकसायरभावेणं, आ वाणी कलुसिया भवे // 20 // सावज्जवदोसेमुं, आपुन तं मुसा मुगे। ससरबरवमवि अदिण्णं, जंजिण्हे तं चीरियं // 24 // मेढणं करकम्मेण सहाहीण विधारणे। परिज्गहं जहि मुच्छा, लोहो कंवा ममतंयं // 22 // अणूगोयरियमाकं, जे राइभोयगं। सहस्साणि इथस्स, रूवरसगंधारिसस्स वा ॥२३॥ण रागंण प्पहीसं वा, गच्छेज्जा उषणं मुगी। कसा. यस्स व चउक्कस्स, मणसि विज्मावणं करे // 24 // दुरठे मणीवईकायाहंडे को गं पउंजए। अमामुपागपरिभोगं,बीयकाय.. संघट्टणं // 215 // अछतो इमे पावे णो णं णीसल्लो भवे।। एएसिं महंतपावाणं देहत्यं जाव कत्थईएस्कपिचि. हए सुहम, णीसल्लो ताव णो भवे। तम्हा आलोयणं दाउं पायतिं करे। एथं निक्कवडनिहंभ, नीसल्लं काउंतव // 21 // जत्थ अत्थोवज्जेज्जा, रेवेसु माणुसेसुवाातत्य तत्थुतमा जाई, उत्तमा सिद्धिसंयया / लभेज्जा उतम रूवं, मोहग्गं जहणं नो सिन्झिज्जा तभवे // 28 // तिबमि / ॥महानिसोहसुयक्षंधस्स पदमं अज्झायगं सल्लुदरणं नाम सम्मत्तं // 1 //