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________________ मी महानिशीथसूत्र : JUNE 201 जामाउगे ण कस्सई के पुत्ते ण कम्मईकाइ सु. पहा न कस्सई के मना ग कस्सई केई कता णा कस्सई के इरे मिठे पिए कते सुहीसयाजण. मितबंधुपरिवगे 14 / जे तु पेरछ पेमए अ गोवाइयसउवलढे साइरेगणवमासकुच्छीएवि धारिऊणं च अणेगमिठ महुरउसिण तिकवसुलुसुलियसणिदआहार पयाण सिंणाणु बहरणधूयकर संवाहण (धण) धन्नपयाणाईहिणं एमहंत मणुस्सीकए जहा किल मह पुत्तरजमि पुन्नपुन्नमणीरहा सुहंसुहणं पणइयण पूरिथासा काल गमीहामि, ता एरिसं एथं वश्यरति, पृथं च णाऊण मा धवाईसुं करेह खणदमवि अणुपि पब्बिंध, जहा इमे मम्स सुए संवुत्ते तहा णं गेहे गेहे जे कर भूए जे केइवटीत जे के भविसु एए तहाण एरिसे,सेsa बंधुवणे केवल तु सकज्जलुढे चेव धडियामुइत्तपरिमाणमेवळचि काल भएज्जा वा, ता भी भोजणा। ण किंचि कज्ज एतेण कारिमवधू-संताणेण अणं तसंसार. घोरदुक्खापदायगेणंति, एगो चेव वाहन्निसाणुसमयं सययं सुविसुदासए भयह धम्म 15 // धम्म धण मिढे पिए कते. परमत्यही सयाजणमित्तबधुपरिवग्गे धम्मे थ णं दिढिकरे धम्मे यण पूहिकरे धन्मे य बलकर डा उचाहकर धमेया निम्मलजसकित्तीपसाहगे धम्मे यणं माहय्यजणगे धम्म यग सुहत सोमव. परपरदायगे, सेणं से०वे से ण ाराहणिजे से यण पोसणिज्जे सेयण पालणिज्जे से 4 करणिज्जे सेय णं चरणिज्जे से यण अणुरिज्जे से यण उवइरस. णिज्जे से यणं कहणिज्जे से यण भणणिज्जे से यण गन्नवाणिज्जे से य ग कारणिज्जे से यण धुवे सासये 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽
SR No.004371
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size23 MB
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