________________ V श्री भहानिशीयसूत्र :: अध्ययन 1 (7) महानिशीपसूत्रं :: अध्ययनं 1] सध्यब) भावेणं,जीवंनो जत्थ विदाई। तत्य गंण विणएण, मशीऽयी साढसनिलयं // 17 // एवं. खामणमरिसामणं कार्ड, तियणस्सवि भावओ। सुजो मणवहनाएटिं, एवं घोसिजनिओ // 5 // खमावेमि अहंसच्चे,सब्वे जीवा ख. मंतु मे। मित्ती मे सवभूएसु.वेरं मझ ण केणई॥९॥ खमामिहंवि सम्वेसिं, सबभावेण सध्वहा / भवे भवेसुवि जंतूणं, वाया मणसा य कम्मुणा // 60 // एवं वंदिज्जाचेदय, साहू सम्खं विही याओ / गुलस्सावि विही पुब्वं, खामणः मरिसामगं करे // 61 // खमावतुं शुलं सम्म, नागमहिमंस. सत्तिभो / काऊणं वंदिऊणंच, विहिपुव्वेणं पुणोऽविय // 62 // परमत्यत्तसारत्यं, सल्लुद्धरणमिमं सुणेत्ता। जह आलोथती चव तहमालोए, उच्यए केवलं नाणं // 3 // दिन्नेरिसभावत्येहिनीसल्ला आलोयणा / जेणालोलायमा गेणं चैव, उप्यन्नं तत्येव केवलं ॥६॥केसिंचि साहेमो नामे, महासत्ताण गोथमा।। जेहि भावेणालीययंतेहि केवलनाणं समुप्याश्यं // 65 // हाहा दुछु कडे साहू, हाडा दुस्ठु विचिंतिरे। हाहा दुटु भणिरे साह, हाहा दृढमणुमते // 66 // संवेगालोयगे तहये, भावालोयणकेवली पयस्वेवरेवली चेव, मु. हणंतगकैवली तहा // 6 // पच्छित्तकेवली सम्म, महावेगकेबली / आलोयगावली नथ, बाऽहं पावित्ति केवली // 6 // उस्सुतुम्मरगयन्नवर.हाहा भणयारकेवली / सावज्जनकरेमि. ति, अवडियसीलकेवली // 69 // तवसंजमवयसंरक्खे, निदणे. गरिहणे तहा।सवाचतो सीलसंरक्वे,कोडीपछिलएविय // 70 // निप्परिकम्मे अकंडपणे, अणिमिसच्छी यकेवली। एगपासित हो पहरे, तह मूणध्वयकेवली ॥१॥नसको कार सामः न्नं, अणसणे गमिकेवली / नवकारकेवली तव्य, शिवालोय. णकेवली // 72 // निस्सल्लकेवली तव्य, सल्लुदरणकेवली। धन्नामिति संपुढे, सताहंपी किन्न केवली // 3 // ससल्लोऽहं