________________ r25 श्री आगम-सुधासिन्धुः: दशमो विभाग: छम्मो ती धम्मो मायादीसल्ल रहिभी उ // 3 // मासु जंगमत्तं तेसुवि पंचेंदियत्त मुक्की सं। तेसुविन मा. गुसतं मणुयने आरिओ देसो॥४॥ देसे कुलं पहाणं कुले पहाणे य जानमुक्कोसा। तीए रूसमिट्टी वे य बलं पहाण यरं // 5 // होइपले चियजीयं जीए य पहाणयं तु विन्नाणं / विन्माण सम्मत्तं सम्मत्ते सी. लसंपत्ती ॥६॥सीले खाइयभावो रखाइयभावय केवलं नाणं। केलिए पडिपुन्ने पत्ते अपरामरो मोक्खो // णय संसारंमि सुहं जाइजरामरण दुक्षगहियस्स। जीयम्स अत्यि जम्हा तम्हा मोरयो उवाएओआणि सडर अांतहत्तोहजोगिलक्ये. सुं। तस्साहवासामग्गी पता भी भी बह हिं॥९॥ ती एत्य जन्न पतं तदस्य भो उज्जम कणह तुरियाविबुहजणगिंदियमिणं उज्ज्ञयह संसारअणुबंध // 10 // लहि भो धम्मसुई अणेगभवकोडिलक्ख-सुविटुलहं। जब णाणुह सम्मं ता पुणरवि दुल्लह होही / / 13 // ललिलयंचबोहिजोणाणरमणाग पन्ध। सो भो अन्नं बोहिलहिही कयरेण मोल्ले // 12 / / जावणं पुत्वजाईसरणपच्चएणं सा माहणी एतियं वागरे ताव गंगोथमा। परिदमसेसंधिबंधुजणे बहुणागरजणो य 22 / एयावसरेमि उ गोथमा।" भणियं सुविद्रियसोग्गइपहणं तेण गोविंदमाहणयांजहाणं धिदिदि वंचिथा एथावन्त कालं,जनो वयं मूढे अहो गं काठमन्नाणं दुन्नियमभागधिज्जेहिं खु. सत्तेहि अदिदग्धोरूगपरलीगपरवाएहि अतत्ताभिणिविदिठीहि पक्ववाथमोहसंधुक्कियमाणसेहि रागदोसोवहयबुद्धी हि परं परं तत्तधम्म 22 / अहो स. जीवेणेव परिमुसिए एवायं कालसमर्थ, अहो किमेस