________________ 127 श्री आगमसुधासिन्यु::: दशमो विभागः . ध्वनी भय 20 ताहे नरबहणी पणाम काऊणं / गोथमा। गए ने निउत्त पुरिसे जाव तुरियं चल. चवलजइणकम पाक्षिणा गहिणं जच्चतुरंशमेहि निजनिरिकंदलहेस परिस्काओ स्व. गैण पत्ते ग्यहाति, दिठो यहि वामदाहिणभुः याए पल्लवेहि क्या सिरोरुहे बिलुप्यमायो कुमारी, तस्स य पुरसओ सुक (बन्नाभरणणेवल्या इसदिसासु मोटामाणी जयजयमद्दमंगलमुहला रथः हरण वावडो भयकरकमलरिरयंजली देवथा,तंच दहण विम्यभूयमणे लिय्य कम्मणिम्मविए (लिए) 23. एयावसाम्हि उगो यमा' सहरिस रोमंचकंचुपुलत्यसरीराए णमो. अरहताणंति समुच्चरिक्रया भ. णिरे गया रिठ्याए पश्यदेवथाए से कुमारे- तंजहा___जो रलाइ मुठिपहरे हि मंदरं धर करयले वसुट। सम्बोर होणावि अलं आयरिसइ एम्घोदरेणा // 13 // गले सरगाउ हरिं कुणाइ सिवं तियण रसवि वयो। अस्वं. डियसीला कुत्तोऽविण सा पहुयेज्जा / / 16 // अहवा सो. घिय आओ गणिज्जए तियणास्सवि स बंदी। पुरिसो व महिनिया वा कुल जो न खंडए सीलं॥१५॥ परम पवितं सप्युरिस सेवियं सालपावनिम्म / सबुनमसोक्वनिहि सतरसविहं जयइ सील 16 // नि भागि. मयां गोथमा। अनि मुक्का कुमारस्सोवरि कुसुमधुठि पवयणदेवयाए, पुणोऽवि भणिउमाठना देवया, तजहा देवस्स देंति दोसे पवंचिया अन्नको सकस्मेटिं। या गुणेसु उक्ति प्यं सुहाई मुद्धाय ओएति // 17 // मज्झथभाववनी समरिसी साउलीथवीसासो , निकखेवयपरि. यन्नं दिवो न करे न दोए // 18 // ता बुन्न्यिमा सनम जणा सीलगुणमहिड्डीयं / तामनभावं चिच्चा REERRESPERIES